Bharat Ke Historical Monuments In Hindi : भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को ऊंचाईयों तक ले जाने का श्रेय देश की ऐतिहासिक, पारंपरिक और भव्य विरासत को जाता हैं। जिसमे भारत देश की प्राचीन और आश्चर्यजनक शिल्प कौशल का परिचय देती हुई कई ईमारत, मंदिर, मस्जिद, किले, चर्च और गुरुद्वारे आदि देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है। भारत वर्ष इतिहास की बेजोड़ किस्सों-कहानियों से भरा हुआ देश हैं। यदि हम भारत वर्ष के इतिहास पर प्रकाश डालते है, तो पाएंगे की देश का इतिहास और प्राचीन साम्राज्य कई राजा और महाराजो के द्वारा निर्मित की गई विशाल कलाकृतियों और रचनाओ की देन हैं।
आइए हम भारत देश की ऐसी ऐतिहासिक विरासतों के बारे में जानते है, जिनका परिचय नीचे दिया गया हैं –
ताजमहल जिसका अर्थ है “महल का ताज” भारत के आगरा शहर में यमुना नदी के दक्षिण तट पर स्तिथ यह एक सफेद संगमरमर का मकबरा (Marble Mausoleum) है। इसे 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल की मौत के बाद उनकी याद में बनवाया (जिन्होंने सन 1628 से 1658 तक शासन किया गया) था।
इसमें शाहजहां की कब्र भी मौजूद है। मकबरा 17-हेक्टेयर (42 एकड़) परिसर के क्षेत्र में फैला है, जिसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है, और इसे औपचारिक उद्यान में तीन तरफ की दीवार (Crenelated Wall) के बीच स्थापित किया गया है। ताज महल पर्यटकों के लिए सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है।
ताजमहल में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 40 रूपये, विदेशी नागरिको के लिए 1000 रूपये और 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे निशुल्क जा सकते हैं।
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आगरा किला, लाल किला, किला-ए-अकबरी या किला रूज के रूप में भी जाना जाता है। आगरा का किला उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित एक विशाल किला है, जो विश्व प्रसिद्ध ताजमहल से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस भव्य संरचना का निर्माण वर्ष 1573 में मुगल शासक बादशाह अकबर ने करबाया था। जब आगरा को नई दिल्ली से स्थानांतरित कर दिया गया था।
आगरा किला वर्ष 1638 तक मुगलों का मुख्य निवास स्थान के रूप जाना गया था। अपने ऐतिहासिक महत्व और अनूठे निर्माण के कारण आगरा किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया है। आगरा किला घूमने वाले पर्यटकों के लिए सुबह से लेकर शाम के वक्त तक खुला रहता हैं।
आगरा फोर्ट घूमने में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 40 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 550 रूपये लगता हैं।
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दिल्ली का लाल किला भारत के दिल्ली शहर का एक ऐतिहासिक किला है। लाल किला भारत में पर्यटकों के लिए एक बहुत ही खास जगह है। दूसरे देशों से आने वाले पर्यटक भी भारत के इस किले को देखना बेहद पसंद करते हैं। इस किले के बारे में बात करें तो वर्ष 1856 तक इस किले पर लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के सम्राटों का शासन था।
यह दिल्ली के केंद्र में स्थित है। लाल किला बादशाहों और उनके घर के अलावा मुगल राज्य का औपचारिक और राजनीतिक केंद्र था। यह स्थान खास तौर से होने वाली सभा के लिए स्थापित किया गया था। लाल किला सुबह 9:30 से लेकर शाम के 4:30 बजे तक खुला रहता हैं।
लाल किला घूमने में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 250 रूपये शुल्क लगता हैं।
और पढ़े: लाल किला दिल्ली के बारे में पूरी जानकारी
कुतुब मीनार भारत में दिल्ली शहर के महरौली में ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। दिल्ली शहर को भारत का दिल कहा जाता है। यहां पर कई प्राचीन इमारते और धरोहर स्थित है। इन पुरानी और खास इमारतों में से एक इमारत दिल्ली में स्थित है। जिसका नाम है कुतुब मीनार हैं जो भारत और विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। क़ुतुब मीनार भारत का सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। क़ुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में है। यह इमारत हिंदू-मुग़ल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है।
कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूचि में भी शामिल किया गया है। क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की दीवार है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में क़ुतुब मीनार का नाम आता है। क़ुतुब मीनार के आस-पास परिसर क़ुतुब काम्प्लेक्स है जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है। कुतुब मीनार खुलने का समय सुबह 7 बजे से शाम के 5 बजे तक का होता है।
कुतुब मीनार में प्रवेश करने के लिए लगने वाला शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 250 रूपये हैं।
और पढ़े: क़ुतुब मीनार की जानकारी
हुमायूँ का मकबरा भारत के सबसे फेमस और महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। हुमायूँ की पत्नी हमीदा बानू बेगम के द्वारा इस मकबरे का निर्माण 15वीं शताब्दी में अपने पति के लिए करबाया गया था। धनुषाकार एल्कॉवर्स, सुंदर गुंबद और विस्तृत गलियारे के रूप में यह मकबरा भारत की प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक हैं। मकबरे की भव्यता और वास्तुकला देखने लायक हैं। यह खूबसूरत पर्यटन स्थल सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक खुला रहता हैं और शुक्रवार के दिन बंद रहता हैं।
हुमायु मकबरे में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 40 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 510 रूपये है।
और पढ़े: हुमायूँ का मकबरा घूमने की जानकारी
फतेहपुर सीकरी एक ऐसा शहर है जो मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। बता दे कि फतेहपुर सीकरी की स्थापना 16 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा की गई थी। इसके बाद यह 15 सालों तक उसके साम्राज्य की राजधानी रहा। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल यह जगह अकबर की स्थापत्य कला का एक अच्छा उदाहरण है।
फतेहपुर सीकरी यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से आश्चयचाकित कर देता है, जिसमें बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती के मकबरे, जोधाबाई के महल और जामा मस्जिद मुख्य आकर्षण हैं। फतेहपुर सीकरी शुक्रवार को छोड़कर प्रति दिन सुबह से शाम तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
फतेहपुर सीकरी में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 40 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 510 रूपये हैं।
और पढ़े: फतेहपुर सीकरी का इतिहास और घूमने की जानकारी
जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल राज्स्थान के सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण हवा महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं, जोकि मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते हैं।
लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है। हवा महल के दरवाजे पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 9:30 से शाम के 4:30 बजे तक खुले रहते है।
हवा महल में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 50 रूपये लगते है।
और पढ़े: हवा महल की जानकारी और इतिहास
खजुराहो भारत के मध्य में स्थित मध्य-प्रदेश राज्य का एक बहुत ही खास शहर और पर्यटक स्थल है। जोकि अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश में कामसूत्र की रहस्यमई भूमि खजुराहो अनादिकाल से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। छतरपुर जिले का यह छोटा सा गाँव स्मारकों के अनुकरणीय कामुक समूह के कारण विश्व-प्रसिद्ध है। जिसके कारण इसने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अपना स्थान बनाया है।
खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप से मध्य प्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है। ये सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन हैं। जिन्हें चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच कहीं बनवाया गया था। खजुराहो मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है।
खजुराहो मंदिर में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 250 रूपये लगते है।
और पढ़े: खजुराहो दर्शनीय स्थल, मंदिर और घूमने की जगह
साँची स्तूप भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पूर्व में स्थित है। जो रायसेन जिले के साँची शहर में बेतबा नदी के किनारे पर स्थित है। यह स्थल अपनी आकर्षित कला कृतियों के लिए विश्व विख्यात है। यूनेस्को द्वारा साँची स्तूप को 15 अक्टूबर 1982 को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था। साँची स्तूप को मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक की आज्ञानुसार तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। इस स्थान पर भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है। सांची स्तूप पर्यटकों के लिए सुबह 8:30 से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
सांची स्तूप में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और विदेशी नागरिको के 250 रूपये लगते है।
और पढ़े: साँची स्तूप घूमने की जानकारी
कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा के तट पर पुरी से लगभग 35 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व कोणार्क में स्थित है। हिंदू धर्म से सम्बंधित सूर्य देव को समर्पित यह एक विशाल मंदिर है जो भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। कोणार्क दो शब्दों कोण (Kona) और अर्क (Arka) से मिलकर बना है। जहां कोण का अर्थ कोना( Corner) और अर्क का अर्थ सूर्य (Sun) है।
दोनों को संयुक्त रूप से मिलाने पर यह सूर्य का कोना (Sun Of The Corner) यानि कोणार्क कहा जाता है। इस मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से भी जाना जाता है क्योंकि मंदिर का ऊंचा टॉवर काला दिखायी देता है। कोणार्क के सूर्य मंदिर को यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। मंदिर पर्यटकों के लिए शुक्रवार के अलावा प्रत्येक दिन सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर में लगने वाले प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरीक 250 रूपये लगते हैं।
और पढ़े: कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी
महाबौधी मंदिर बोधगया के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा करवाया गया था। मंदिर का निर्माण 7 वीं शताब्दी ईस्वी में मूल बोधि वृक्ष के चारों ओर किया गया है। महाबौधी मंदिर सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
महाबौधी मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नही लगता हैं।
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रानी की वाव गुजरात में स्थित एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थान हैं। यह एक विशाल संरचना है जोकि लगभग 24 मीटर गहरी है। इस आकर्षित भवन को 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था। सोलंकी वंश के राजा भीमदेव के लिए यह स्मारक उनकी पत्नी रानी उदयमती द्वारा निर्माण करबाया गया था। रानी की वाव पर्यटकों के लिए सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता हैं।
रानी की वाव घूमने पर लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 5 रूपये और प्रति भारतीय नागरिक 135 रूपये लगते लगते हैं।
और पढ़े: रानी की वाव घूमने की जानकारी और इसके आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थल
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित विक्टोरिया मेमोरियल ब्रिटिश काल की याद दिलाता है। कोलकाता की यात्रा पर आया पयर्टक अंग्रेजों की इस शाही विरासत विक्टोरियल मेमोरियल को देखे बिना नहीं जाता। विक्टोरिया मेमोरियल न केवल कोलकाता बल्कि देशभर में घूमने और ब्रिटिश काल के बारे में जानने के लिए सबसे अच्छा पर्यटन स्थल माना जाता है।
सफेद मार्बल से बनी इस खूबसूरत इमारत का निर्माण रानी विक्टोरिया की स्मृति में भारत पर उनके 25 वर्षों के शासन का जश्न मनाने के लिए किया गया था। भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने लोगों के लिए इस शानदार स्मारक को देखने और सराहने का काम किया और यही कारण है कि आज विक्टोरिया मेमोरियल भारत में पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। विक्टोरिया मेमोरियल पर्यटकों के लिए सुबह 5:30 से शाम के 6:15 तक खुला रहता हैं।
विक्टोरिया मेमोरियल में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 20 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 200 रूपये लगते हैं।
और पढ़े: विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता की जानकारी
अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर के पास स्थित जलियांवाला बाग एक सार्वजनिक पार्क है जोकि अंग्रेजो द्वारा किए गए नरसंहार की याद में बना एक स्मारक है। इस दुखद घटना ने देश पर बहुत बुरा असर छोड़ा था और इस घटना में अपनी जान गंवाने वाले मासूमों लोगो की याद में स्वतंत्रता के बाद एक स्मारक बनाया गया था।
जलियांवाला बाग में 1951 में भारत सरकार द्वारा स्थापित नरसंहार स्मारक का उद्घाटन डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 13 अप्रैल 1961 में किया गया था। जिस जगह अंग्रेजो द्वारा हत्या की घटना हुई थी उस जगह को अब एक सुंदर पार्क में बदल दिया गया है। जलियांवाला बाग पर्यटकों के लिए सुबह 6:30 से शाम के 7:30 बजे तक खुला रहता हैं।
जलियावाला वाग में कोई प्रवेश शुल्क नही लगता हैं।
और पढ़े: जलियांवाला बाग का इतिहास और घूमने की जगह
ग्वालियर किला मध्य भारत की सबसे प्राचीन जगह में से एक है। ग्वालियर फोर्ट मध्य प्रदेश स्टेट के ग्वालियर शहर में एक पहाड़ी पर स्थित है। इस किले की ऊंचाई 35 मीटर है। यह किला करीब 10वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। इस किले में जो किला परिसर है उसके अंदर मिले शिलालेख और स्मारक इसके 6 वीं शताब्दी के होने का भी संकेत देते हैं। ग्वालियर किला पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से शाम के 5:30 तक खुला रहता है।
ग्वालियर किला में लगने वाला प्रवेश शुल्क 75 रूपये हैं और 15 साल से कम उम्र के लिए यह निशुल्क हैं।
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अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का मशहूर मंदिर है। ये सिख धर्म के मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है। इस मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है। इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गया। बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन इस मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। कहने को तो ये सिखों का गुरुद्वारा है। लेकिन मंदिर शब्द का जुडऩा इसी बात का प्रतीक है कि भारत में हर धर्म को एकसमान माना गया है।
स्वर्ण मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नही लगता हैं।
और पढ़े: स्वर्ण मंदिर अमृतसर का इतिहास और अन्य जानकारी
इंडिया गेट के नाम से प्रसिद्ध अखिल भारतीय युद्ध स्मारक की भव्य संरचना विस्मयकारी है और इसकी तुलना अक्सर फ्रांस में आर्क डी ट्रायम्फ, मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया और रोम में कॉन्सटेंटाइन के आर्क (मेहराब) से की जाती है। दिल्ली शहर के केंद्र में स्थित इंडिया गेट देश के राष्ट्रीय स्मारकों में सबसे लंबा यानि 42 मीटर लंबा ऐतिहासिक स्टेकचर सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाइन किया गया और यह देश के सबसे बड़े युद्ध स्मारक में से एक है। इंडिया गेट हर साल गणतंत्र दिवस परेड की मेजबानी के लिए भी प्रसिद्ध है।
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महरानगढ़ का किला वर्ष 1459 में राव जोधा द्वारा कमीशन किया गया भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। इस किला परिसर में 7 प्रवेश द्वार हैं जो एक पहाड़ी पर स्थित है। महरानगढ़ किले के प्रत्येक गेट का निर्माण अलग-अलग समय पर अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ती करने के लिए किया गया था। महरानगढ़ किले को कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है। किला पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
महरानगढ़ किले में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 70 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 700 रूपये हैं।
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आमेर का किला राजस्थान राज्य की पिंक सिटी जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह किला अपनी वास्तुशिल्प कला और इतिहास की वजह से जाना-जाता है। आमेर का किला भारत में इतना प्रसिद्ध है कि यहां पर हर रोज लगभग पांच हजार लोग घूमने के लिए आते हैं। राज्य की राजधानी से सिर्फ 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से मिलकर बना हुआ है। आमेर किला पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता हैं।
आमेर फोर्ट में लगने वाल प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 25 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 200 रूपये लगते हैं।
और पढ़े: आमेर किले का इतिहास और घूमने की जानकारी
कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक हैं जोकि यहां के राजसी वन्यजीव अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। राजा कुंभ द्वारा निर्मित किया गया यह किला राजसमंद जिले के अंदर आता है। कुम्भलगढ़ किले की उदयपुर से दूरी लगभग 82 किलोमीटर हैं। इसके ऐतिहासिक होने के वजह चीन की महान दीवार के बाद कुंभलगढ़ की दीवारें दुनिया में दूसरी सबसे लंबी दीवार हैं। कुम्भलगढ़ का किला पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
कुम्भलगढ़ किले में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 15 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 200 रूपये लगते हैं।
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लक्ष्मी विलास पैलेस बड़ौदा पर शासन करने वाले प्रतिष्ठित गायकवाड़ परिवार द्वारा निर्मित किया गया था। प्रारंभ में इसका एक हिस्सा वर्ष 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने बनवाया था। लक्ष्मी विलास महल विशेष रूप से इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला का एक शानदार उदहारण प्रस्तुत करता हैं। लक्ष्मी विलास पैलेस का आकार बकिंघम पैलेस से चार गुना अधिक हैं और माना जाता हैं कि यह उस समय का सबसे बड़ा निजी निवास स्थान था। लक्ष्मी विलास पैलेस के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे का होता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस लगने वाली एंट्री फीस 150 रूपये है।
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गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान प्रवेश और निकास के उद्देश्य से किया गया था। गेटवे ऑफ इंडिया भारत के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों में से एक हैं। भारत के इस प्राचीन प्रवेश द्वार को वर्ष 1924 में निर्मित किया गया था और इसका उद्घाटन द वायसराय अर्ल ऑफ रीडिंग ने किया था। 20 शतब्दी के दौरान ब्रिटिश इण्डिया का आखरी जहाज गेट वे ऑफ इंडिया से ही रवाना किया गया था। गेट वे ऑफ इंडिया घूमने का कोई शुल्क नही लगता हैं।
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अजंता और एलोरा की गुफाएँ भारत के महारास्ट्र में स्थित ऐतिहासिक स्थान है। यहां वास्तविक शिल्प कौशल का चित्रण देखने को मिलता हैं और पत्थरों प्रत्येक नक्काशी हाथ से की गई हैं। वर्ष 1819 में एक ब्रिटिश अधिकारी जॉन स्मिथ ने एक वाघ का पीछा करते हुए इस स्थान पर पहुंचे और इस स्थान को उजागर किया। अजंता और एल्लोरा की गुफाएं हिन्दू, जैन और बुध धर्म से सम्बंधित है।
इन गुफाओं के बारे सबसे रोचक बात यह हैं कि मानसून के मौसम में बौध भिक्षुओं को गुफा से बहार जाने की अनुमति नही थी और वह अंदर बैठकर ही मूर्तियों को तरास्ते रहते थे। गुफाएं खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम के 5:30 तक का रहता है। अजंता गुफा सोमवार को बंद रहती और एल्लोरा की गुफा मंगलवार को बंद रहती है।
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चारमीनार भारत की सबसे खूबसूरत इमारत में से एक है। हैदराबाद के केंद्र में स्थित चारमीनार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ऐतिहासिक आइकन है। पर्यटन स्थल के रूप में यह स्मारक लोगों को बेहद आकर्षित करती है। जब कुतुब शाह ने अपनी राजधानी को गोलकोंडा से हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था तब यह स्मारक बनाई गई थी। चारमीनार को इसकी संरचना के आधार पर नाम मिला हैं क्योंकि इसमें चार मीनारें हैं। चार मीनार सुबह 9:30 से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
चार मीनार घूमने में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय 5 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 100 रूपये लगता हैं।
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मैसूर पैलेस भारत के कर्नाटक राज्य में मैसूर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक ईमारत है। मैसूर के इस किले को अंबा विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। मैसूर पैलेस शाही परिवार का महल रहा है और आज भी इस महल पर उन्ही का अधिकार है। जिस जमीन पर यह महल बनाया गया है वह प्रागिरी के नाम से होनी चाहिए।
यह पैलेस मैसूर शहर के केंद्र में स्थित हैं और इसके प्रमुख चामुंडी हिल्स की ओर हैं। आमतौर पर मैसूर को लों महलों के शहर के नाम से जाना जाता है। मैसूर पैलेस सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता हैं। लेकिन रविवार और गवर्नमेंट छुट्टी पर बंद रहता हैं।
मैसूर पैलेस में लगने वाला प्रवेश शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 40 रूपये और विदेशी नागरिक 200 रूपये लगता हैं।
और पढ़े: मैसूर पैलेस घूमने की जानकारी और प्रमुख पर्यटन स्थल
हम्पी भारत के कर्नाटक राज्य में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित एक विशाल मंदिर हैं। जोकि अपने सुंदर और विशाल नक्काशीदार मंदिरों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। विशेष रूप से यह स्थान यहां के ऐतिहासिक विरुपाक्ष मंदिर के लिए दुनिया भर में जाना जाता हैं। जोकि विजय नगर साम्राज्य के संरक्षक देवता को समर्पित किया गया है। खंडहरों के रूप में फैले हुए हम्पी शहर को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है।
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चोल वंश के शासको द्वारा निर्मित करवाए गए ऐतिहासिक मंदिरों में तीन प्रमुख मंदिर हैं। तंजौर में बृहदेशेश्वर मंदिर, दारासुरम में ऐरावतेश्वर मंदिर और गंगईकोंडा चोलपुरम में बृहदेशेश्वर मंदिर खास हैं। तंजोर और चोलपुरम में इन मंदिरों का निर्माण ग्यारवी शताब्दी के दौरान किया गया था। इन मंदिरों से जुडी दिलचस्प बात यह हैं कि जब एक बार राजा चोलन श्रीलंका की यात्रा पर निकले थे और उन्होंने एक सपने से प्रेरित होकर तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। चोल मंदिर खुलने का समय सुबह 6:30 बजे रात के 8:30 बजे तक का होता हैं।
चोल मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क नही लगती हैं।
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महाबलिपुरम मंदिर भारत वर्ष का ऐतिहासिक मंदिर हैं जिसे बनाने में 200 सालो का समय लग गया था। यह भव्य मंदिर द्रविड़ शैली से युक्त हैं मंदिर में की गई पत्थर की नक्काशी पल्लव कला का एक अच्छा उदहारण हैं। महाबलिपुरम में मंडपस नामक 11 मंदिर पहाडियों के ऊपर बने हुए है। इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात गुलाबी ग्रेनाईट से उकेरा गया गंगा मैया के जल भगवान शिव द्वारा धरती कैसे उतरा गया हैं।
मंदिर में प्रवेश करने पर लगने वाला शुल्क 10 रूपये प्रति भारतीय और 334 रूपये प्रति विदेशी नागरिक हैं।
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यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल विक्टोरिया टर्मिनस या छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जोकि वास्तुकला की एक विक्टोरियन गोथिक शैली का बना हुआ है। यह स्थान महाराष्ट्र राज्य की राजधानी मुंबई का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। सन 1887 में निर्मित यह मध्य रेलवे का मुख्यालय था। इसे रानी विक्टोरिया के 50 वें जन्म दिन पर निर्मित करवाया गया था। इसके निर्माण में 10 साल लग गए थे।
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गोल गुम्बज का निर्माण सन 1656 में आदिल शाह राजवंश के सातवें शासक मोहम्मद आदिल शाह का मकबरा है। गोल गुम्बज के निर्माण में 30 साल का वक्त लग गया था। गोल गुम्बज पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
गोल गुम्बज घूमने में लगने वाला शुल्क प्रति भारतीय नागरिक 10 रूपये और प्रति विदेशी नागरिक 100 रूपये है।
और पढ़े: : गोल गुम्बज और इसके प्रमुख पर्यटन स्थान की पूरी जानकारी
इस आर्टिकल में भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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