Historical Places of Rajasthan in Hindi : राजस्थान ने अपने अतीत में कई शक्तिशाली राजाओं को आते जाते देखा है इसी वजह से इस राज्य को “राजाओं की भूमि या लैंड ऑफ़ किंग्स” के नाम से जाना जाता है। इन शक्तिशाली राजाओं द्वारा निर्मित किले, महलों, मंदिरों और ऐतिहासिक स्मारकों में आज भी इनके वंशो की ऐतिहासिक झलक देखने को मिलती है जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जब भारत के सच्चे और दिलचस्प इतिहास के बारे में जानकारी एकत्र करने और देखने की बात आती है, तो राजस्थान से अच्छी जगह कोई और नही हैं क्योंकि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसने अपने ऐतिहासिक स्थलों को आज भी अच्छी तरह से बरकार रखा है।
राजस्थान के प्रसिद्ध स्मारक न केवल इतिहास के शौकीनों के लिए, बल्कि उन सभी यात्रियों के लिए पूरी तरह से देखने लायक हैं, जो अराजक आधुनिक दुनिया से दूर, शांत, भव्य और शाही आकर्षण से खुद को खोना चाहते हैं। यदि आप भी राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमें हमने आपके लिए राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक की लिस्ट तैयार की है जिनके बारे में आप नीचे जानने वाले है –
पिंक सिटी ऑफ़ जयपुर में अरावली पहाड़ी की चोटी पर स्थित आमेर किला राजस्थान का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) है जिसे 1592 ई में राजा मान सिंह द्वारा निर्मित करवाया गया था और अगले 150 वर्षों उनके उत्तराधिकारियों ने इस किले का विस्तार और नवीकरण का काम किया। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जाना जाने वाला यह किला अपनी वास्तुशिल्प कला और इतिहास की वजह से काफी फेमस है। आमेर का किला भारत में इतना ज्यादा प्रसिद्ध है कि यहाँ पर हर रोज करीब पांच हजार से भी अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं।
यहां आने वाले पर्यटक रोजाना शाम को इस किले से अद्भुद नजारों को देख सकते हैं। आमेर का किला पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग के सामान है, इसलिए आप जब राजस्थान की सैर करने के लिए जाएँ, तो आमेर के किले को देखना न भूलें।
सिटी पैलेस जयपुर के केंद्र में स्थित एक प्रसिद्ध महल या पैलेस है जिसे हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ राजस्थान (Historical Places of Rajasthan in Hindi) के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक में से एक सिटी पैलेस को 1729-1732 ईस्वी में जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित करवाया गया था। बता दे इस अद्भुद संरचना के मुख्य वास्तुकार (Architect ) विद्याधर भट्टाचार्य और और सर सैमुअल स्विंटन जैकब थे जिसे वास्तुशास्त्री ग्रंथों के अनुसार डिजाइन किया गया था। सिटी पैलेस जयपुर के एक हिस्सा में संग्रहालय जबकि दूसरे हिस्से में जयपुर के पूर्व शासकों के वंशजों (Descendents) का निवास स्थान है।
इस पैलेस में सवाई माधोसिंह प्रथम द्वारा पहना गया कपड़े का सेट रखा गया है, जो 1.2 मीटर चौड़ा था और इसका वजन 250 किलोग्राम था इसके अलावा सिटी पैलेस से और कई रोचक तथ्य जुड़े हुए है जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने है।
जयगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर के गुलाबी शहर में ‘चील का तेला’ पहाड़ियों के शीर्ष पर स्थित एक बहुत ही भव्य और ऐतिहासिक संरचना है। इस ऐतिहासिक इमारत को सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था जिसने कभी कभी भी किसी भी बड़े प्रतिरोध का सामना नहीं किया जिस कारण इसे “विजय का किला” के रूप में भी जाना जाता है। मुगल शासन के दौरान यह किला मुख्य तोप फाउंड्री बन गया था और युद्ध के लिए आवश्यक गोला बारूद के साथ अन्य धातु को रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।
इस किले की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस किले में दुनिया की सबसे बड़ी तोप है और यह जयपुर शहर का एक आकर्षक दृश्य भी प्रस्तुत करता है। जयगढ़ किला विद्याधर नामक एक प्रतिभाशाली वास्तुकार द्वारा निर्मित और डिजाइन किया गया जिसकी वजह से यह किला यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
नाहरगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है, जो कई अनगिनत महलों और सुंदर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो इस शहर के शानदार और समृद्ध इतिहास को बताता है। कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं से चिह्नित नाहरगढ़ किले को भी जयपुर शहर के संस्थापक, महाराजा सवाई जय सिंह ने 1734 में बनवाया था। नाजुक नक्काशी और पत्थर के शानदार वर्क के साथ नाहरगढ़ किला एक अभेद्य दुर्ग है जो आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर के मजबूत रक्षक के रूप में खड़ा है। इस किले की सबसे अच्छी बात यह थी कि इस किले के लंबे इतिहास में कभी हमला नहीं हुआ। हालाँकि यह किला 18 वीं शताब्दी में मराठा सेनाओं के साथ संधियों पर हस्ताक्षर करने जैसी प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं का स्थल रहा है। जो भी पर्यटक जयपुर घूमने के लिए जाता है वो इस ऐतिहासिक किले को देखे बिना रह नहीं पाता है तो सोचिये पर्यटन के नजरिये से यह किला कितना खास होगा।
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पटवों की हवेली राजस्थान के जैसलमेर में स्थित एक प्राचीन आवास संरचना है जिसको अक्सर ‘हवेली’ कहा जाता है। यह हवेली राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल है। पीले करामाती शेड में रंगीन, पटवों की हवेली इस शहर की यात्रा करने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद अकर्षित करती है। यह मनमोहक हवेली जैसलमेर का एक प्रभावशाली स्मारक है क्योंकि यह शहर के प्राचीन निर्माणों में से एक है। पटवों की हवेली पांच हवेलियों का समूह है जिसका निर्माण एक अमीर व्यापारी ‘पटवा’ द्वारा किया गया है, जिसने अपने पांच बेटों में से प्रत्येक के लिए एक का निर्माण किया था। जब भी आप यहाँ घूमने आयेंगे तो एक हवाली के परिसर में एक संग्रहालय भी देखने को मिलेगा जिसमें आप बीते युग की कलाकृतियों, चित्रों, कला और शिल्प का शानदार प्रदर्शन देख सकेगें।
राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) में से एक चित्तौड़गढ़ दुर्ग चित्तौड़गढ़ जिला में स्थित है जिसका निर्माण 7 वीं शताब्दी ई में स्थानीय मौर्य शासकों द्वारा किया गया था जो भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। चित्तौड़गढ़ का दुर्ग इतिहास का एक खजाना है जो कई वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ यहां आज भी खड़ा हुआ है या कहाँ जाये तो सही अर्थों में यह दुर्ग राजपूत संस्कृति और मूल्यों को भी प्रदर्शित करता है। 15 वीं और 16 वीं शताब्दी के दौरान इस किले पर तीन बार कब्जा किया गया था। 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने राणा रतन सिंह को हराया था, 1535 में बहादुर शाह ने बिक्रमजीत सिंह को हराया और 1567 में अकबर ने महाराणा उदय सिंह द्वितीय को हराया।
अपनी शानदार और आकर्षक दृश्य के कारण चित्तौड़गढ़ किले को साल 2013 में यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। चित्तौड़गढ़ किले को चित्तौड़ के नाम से जाना जाता है और यह 590 फीट की ऊँचाई पर एक पहाड़ी पर लगभग 700 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
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राजस्थान के बीकानेर में स्थित जूनागढ़ किला एक बहुत ही खूबसूरत और शानदार संरचना है। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक में शामिल इस खूबसूरत महल को पहले “बीकानेर किले” के नाम से जाना-जाता था लेकिन फिर 20 वीं शताब्दी में इस किले का नाम बदलकर जूनागढ़ रख दिया गया। जूनागढ़ का किला दिखने में बेहद आकर्षक है, जो यहां आने वाले पर्यटकों कों अपनी तरफ खींचता है।
जूनागढ़ किले की नींव 1478 में राव बीका द्वारा रखी गई थी लेकिन इस भव्य और खूबसूरत संरचना का निर्माण 17 फरवरी 1589 को राजा राय सिंह द्वारा शुरू किया गया था। इतिहास की माने तो जूनागढ़ किले पर कई बार आक्रमण हुआ लेकिन सिर्फ एक शासक को छोड़कर बाकी सभी इस किले को हासिल करने में विफल रहे। राजस्थान का यह प्रसिद्ध किला राजस्थान आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास है, जो इसकी सुन्दर वास्तुकला और विस्तृत इतिहास की और खिचे आने पर मजबूर हो जाते है।
जयपुर के राम निवास उद्यान में स्थित, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला के एक आदर्श प्रतीक के रूप में खड़े, इस इमारत का नाम प्रिंस ऑफ व्हेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड के नाम पर रखा गया है। जिसे सरकारी केंद्रीय संग्रहालयय भी कहा जाता है, जो दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से लाये गए कलाकृतियों का एक व्यापक संग्रह है। हरे भरे बागानों से सुसज्जित, अल्बर्ट हॉल की नींव 6 फरवरी 1876 को रखी गई थी जब अल्बर्ट एडवर्ड भारत आए थे। संग्रहालयय की दीर्घाओं में अतीत से प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों का एक संग्रह है जो आपको हैरान कर देगा। प्राचीन सिक्के, संगमरमर की कला, मिट्टी के बर्तनों, कालीनों और विशेष रूप से मिस्र की ममी रखी गई है जो इतिहास शौकीनों के साथ साथ पर्यटकों के घूमने के लिए जयपुर की सबसे आकर्षक जगहों में से एक है।
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जैसलमेर का किला भारत के प्रमुख किलो और प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक (Historical Places of Rajasthan in Hindi) में से एक है जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल किया गया है। जैसलमेर का किला जैसलमेर शहर का सबसे लोकप्रिय पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल है जिसकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े किलो में की जाती है। तिरुकुटा पहाड़ी पर स्थित जैसलमेर का किला का निर्माण 1156 में राव जैसल द्वारा करबाया गया था, जो कि जैसलमेर के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक था। पिछली कुछ शताब्दियों में, इस किले ने कई लड़ाइयों को देखा है और राजस्थान में शानदार किलों में से एक होने का गौरव सफलतापूर्वक प्राप्त किया है।
जैसलमेर का किला जैसलमेर में घूमने के लिए सबसे आकर्षक जगहों में से एक है जो पर्यटकों और इतिहास शोकिनो दोनों के बीच समान रूप से लोकप्रिय बना हुआ है। अपनी इसी लोकप्रियता के बल बूते यह किला हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करने में कामयाब होता है।
चाँद बावड़ी राजस्थान के अभनेरी गाँव में स्थित राज्य के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) में से एक है जो 10 वीं शताब्दी के ऐतिहासिक स्मारकों से संबंधित है। चाँद बाउरी बेहद अदभुद स्टेप वेल है जिसमें तीन तरफ सीढ़ियां हैं, जो जल स्टोर करने का काम करती हैं। यह स्टेप वेल 13 मंजिला से ज्यादा गहरी हैं, जिसमें 3500 से ज्यादा सीढ़ियां बनी हुई हैं। 1000 साल से अधिक पुराना होने के बावजूद यह स्टेप वेल आज भी पहले की तरह बना हुआ है।
चाँद बावड़ी एक ऐतिहासिक स्मारक होने के साथ साथ वास्तुशिल्प चमत्कार भी है जिसकी देख रेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा की जा रही है। दुनिया का यह सबसे आकर्षक स्टेपवेल चांद बाउरी पूरी दुनिया से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
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जोधपुर शहर में 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित मेहरानगढ़ किला हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ राजस्थान (Historical Places of Rajasthan in Hindi) में से एक है जिसे 1459 में राव जोधा द्वारा वनबाया गया था। इस किले के मुख्य निर्माण के बाद जोधपुर के अन्य शासकों मालदेव महाराजा, अजीत सिंह महाराजा, तखत सिंह और महाराजा हनवंत सिंह द्वारा इस किले में अन्य निर्माण किए। किले की वास्तुकला में आप 20 वीं शताब्दी की वास्तुकला की विशेषताओं के साथ 5 वीं शताब्दी की बुनियादी वास्तुकला शैली को भी देख सकते हैं।
राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल में शामिल मेहरानगढ़ किले में सात द्वार हैं जिनमें से जयपोली सबसे ज्यादा लोकप्रिय है बता दे इस सभी गेटों का निर्माण अलग-अलग समय में किया गया था और इन्हें एक विशिष्ट उद्देश्य के चलते बनाया गया था। यदि आप एक इतिहास प्रेमी है और इसके बारे में और अधिक जानना चाहते है तो एक बार मेहरानगढ़ किला की यात्रा पर जरूर आयें।
गड़ीसर झील राजस्थान के जैसलमैर शहर के बाहरी इलाके में एक रेगिस्तान के बीच में स्थित एक मानव निर्मित झील है जिसका निर्माण मध्य युग में यहाँ लोगों की जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया था। आपको बता दें कि जब उस समय राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में पानी के स्त्रोत नहरें या सिंचाई प्रणाली या अन्य वैज्ञानिक तरीके नहीं थे तब राजा रावल जैसल ने अपनी जनता का ध्यान रखते हुए इस झील का निर्माण करवाया था। जिस कारण इसें राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
यह जैसलमेर के किले के काफी करीब स्थित जिसको देखने के लिए देश के पर्यटकों के अलावा विदेश से भी लोग आते हैं। गड़ीसर झील अपने सभी किनारों पर काफी सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है। खासकर जब सूरज उगता है तो यहाँ से आकाश का दृश्य और जैसलमेर किले का दृश्य बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है।
1943 में निर्मित उम्मेद भवन पैलेस एक आकर्षक अतीत और शानदार वर्तमान का एक अद्भुत संगम है। शहर के परिसर के भीतर स्थित, यह महल जोधपुर की रियासत के लिए एक दर्पण है। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल में से एक उम्मेद भवन पैलेस वर्तमान में तीन क्षेत्रों में विभाजित है, जिनमें से एक अभी भी जोधपुर शहर के शाही परिवार के स्वामित्व में है एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित किया जा चुका है। दूसरा एक संग्रहालय है जो शाही युग की कला को दर्शाता है। शक्तिशाली चित्तर पहाड़ी के ऊपर स्थित, इस महल को अक्सर चित्तर महल भी कहा जाता है।
उम्मेद भवन पैलेस के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों का कल्याण था क्योंकि राठौड़ शासन के समृद्ध शासन के दौरान जोधपुर को लगातार तीन बर्षो तक सूखे का सामना करना पड़ा था जिस वजह से किसान और मजदुर काफी आहात हो गये थे। जिसके बाद महाराजा ने आम लोगो की मदद करने और उन्हें रोजगार देने के लिए, उम्मेद सिंह ने उम्मेद पैलेस के निर्माण का काम शुरू किया। वास्तविक निर्माण वर्ष 1929 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 1943 में पूरा हो गया था। इसने लगभग 3000 लोगों को लगातार रोजगार प्रदान किया और यह उस समय 11 मिलियन रुपये की लागत से बनाया गया था।
रणथंभौर किला या रणथंभौर दुर्ग राजस्थान का एक और बहुत ही शानदार ऐतिहासिक किला है जो राज्य के रणथंभौर में स्थित चौहान शाही परिवार से संबध रखता है। बताया जाता है कि यह शाही किला 12 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है और यह राजस्थान में उन लोगों के लिए एक परफेक्ट पर्यटन स्थल है जो रॉयल जीवन को देखने के इच्छुक हैं। यह आकर्षक किला रणथंभौर नेशनल पार्क के जंगलों के बीच स्थित है, जहां पर नेशनल पार्क से किले का दृश्य और किले से पार्क का दृश्य दोनों ही देखने लायक है।
रणथंभौर किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है क्योंकि यह राज्य का एक खास पहाड़ी किला है जिसे राजस्थान के ऐतिहासिक स्मारक (Historical Places of Rajasthan in Hindi) में भी शामिल किया जा चूका है।
शायद आप करणी माता मंदिर को राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल की लिस्ट में देखकर चोक गये हो। लेकिन हम आपको बता दे करणी माता का मंदिर राजस्थान का प्रमुख मंदिर होने के साथ साथ ऐतिहासिक स्मारक भी है जिसे महाराजा गंगा सिंह द्वारा निर्मित करवाया गया था। यह मंदिर सबसे जाड्या यहां रहने वाले 25000 से अधिक काले चूहों के लिए जाना जाता हैं। जो इस परिसर में निवास करते हैं और निस्संदेह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यह मंदिर चूहों के मंदिर के नाम से भी फेमस है। करणी माता के इस मंदिर को पत्थरों और संगमरमर से तराशा गया है। जबकि मंदिर के फ्रंट में एक सुंदर संगमरमर का मुखौटा है जिसमें महाराजा गंगा सिंह द्वारा निर्मित करवाए गए ठोस चांदी के द्वार लगे हुए हैं।
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कुम्भलगढ़ का किला राजस्थान का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक हैं जोकि अपनी दीवारों और राजसी वन्यजीव अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। राजा कुंभ द्वारा निर्मित किया गया यह ऐतिहासिक किला राजसमंद जिले के अंदर आता है। कुम्भलगढ़ का प्रमुख आकर्षण अपनी दीवारें है जो चीन की महान दीवार के दुनिया में दूसरी सबसे लंबी दीवार हैं। कुंभलगढ़ किला राजस्थान राज्य के पांच पहाड़ी किलों में से एक है जिसको साल 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। अरावली पर्वतमाला की तलहटी पर बना हुआ यह किला पर्वतमाला की तेरह पहाड़ी चोटियों से घिरा हुआ है और 1,914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
जयपुर के रीगल शहर में सिटी पैलेस के पास स्थित जंतर मंतर दुनिया में सबसे बड़ी पत्थर से बनी खगोलीय वेधशाला है। जिसका निर्माण राजा सवाई जय सिंह ने 1727-33 में करवाया था। अपने समृद्ध सांस्कृतिक, विरासत और वैज्ञानिक मूल्य के कारण यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में भी शामिल है। इस वेधशाला का निर्माण अच्छी किस्म के संगमरमर और पत्थरों से किया गया है। इस विशाल वेधशाला बनाने का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष और समय के बारे में जानकारी इकट्ठा करना और उसका अध्यन करना था। इस जगह पर एक राम यंत्र भी रखा हुआ है जिसका इस्तेमाल उस समय उंचाई मापने के लिए किया जाता था। जंतर मंतर एक पूर्व युग के ज्ञान और गणितीय कौशल के गवाह के रूप में गर्व से खड़ा है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
गुलाबी शहर जयपुर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल को राज्स्थान की सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण हवा महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं, जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते हैं, जो राजपूतों की समृद्ध विरासत का अहसास कराते हैं। राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल में से एक हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है।
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जसवंत थड़ा शक्तिशाली मेहरानगढ़ किले के बगल में स्थित राजस्थान का एक और प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है जिसे 1899 में जसवंत सिंह के बेटे महाराजा सरदार सिंह द्वारा महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के सम्मान और स्मृति में निर्मित करवाया गया था। यह आज तक मारवाड़ शाही परिवार के लिए श्मशान घाट के रूप में उपयोग किया जाता है। जसवंत थाड़ा जोधपुर की पहाड़ियों के बीच स्थित है जिसे शहर के कई शानदार वास्तुशिल्प स्थलों में से एक माना जाता है। बता दे इसे “मारवाड़ का ताजमहल” भी कहा जाता है जिससे आप इसके ऐतिहासिक महत्व का अनुमान लगा सकते है। यही एक वजह है की दुनिया भर से पर्यटक और इतिहास प्रेमी यहाँ घूमने आते है।
राजस्थान की राजधानी और पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर में स्थित जल महल राज्य का एक और फेमस हिस्ट्रीकल प्लेस है। मान सागर झील के बीच में स्थित होने की वजह से जल महल को एक वाटर पैलेस भी कहा जाता है। यह पैलेस कभी महाराजाओं के लिए शूटिंग लॉज था, जो आज दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जल महल राजस्थान में गल और राजपूत शैली की वास्तुकला के मेल से बना हुआ सबसे सुंदर वास्तुशिल्प महलों में से एक है। पीछे की ओर नाहरगढ़ पहाड़ियों के साथ मान सागर झील बसा जल महल किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है। आपको बता दें कि इस किले के अंदर भले ही प्रवेश निषिद्ध है, लेकिन आपकी आंखों को खुश करने के लिए इसकी दूर से एक झलक ही काफी है।
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इस लेख में आपने राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) और स्मारकों के बारे में जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बताएं।
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