Bhojpur Temple In Hindi, भोजपुर मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले में स्थित भगवान भोलेनाथ को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर हैं। भोजपुर मंदिर को भोजेश्वर मंदिर और पूर्व का सोमनाथ के नाम भी जाना जाता है। भोजपुर अपनी आकर्षित संरचना और इससे जुडी कथाओं, रहस्यों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। भोजपुर मंदिर के बारे में बता दें कि यह मंदिर आज अधुरा हैं और इसका निर्माण कार्य पूरा नही हुआ है। भोजपुर मंदिर में स्थित भगवान शिव की 7 फीट से अधिक ऊँची शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग के बारे में कहां जाता है कि भगवान शिव का यह शिवलिंग एक ही पत्थर से बना दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग हैं।
यह मंदिर भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य का प्रमुख ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। यदि आप भोजपुर मंदिर के बारे अधिक जानकारी और रोचक तथ्य जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
भोजपुर मंदिर का इतिहास हमें 1055 ईसा पूर्व में ले जाता हैं। भोजपुर मंदिर के निर्माण का श्रेय परमार वंश के राजा भोज को जाता हैं जिन्होंने 11 वीं शताब्दी के दौरान इस मंदिर का निर्माण करबाया था। भोजपुर मंदिर का निर्माण आज भी अधूरा हैं कुछ अज्ञात कारणों से इस मंदिर कार्य बीच में ही छोड़ दिया गया था। माना जाता है कि यह मंदिर एक रात में ही बनना था लेकिन ऐसा हो न सका।
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भोजेश्वर मंदिर की संरचना बहुत ही अद्भुत है। हालाकि यह मंदिर प्राचीन काल से ही अधूरा बना हुआ है परन्तु इसकी संरचना आज भी पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है। इस मंदिर का शिवलिंग तीन अंगों का उपयोग करके बनाया गया है और इसे एक दूसरे के ऊपर लगाया गया है। शिवलिंग को एक मंच पर रखा गया है जो एक चौकोर आकार में है। एक ही पत्थर से बना यह शिवलिंग पुरातात्विक वास्तुकला का प्रतीक है। मंदिर में प्रवेश द्वार पर अप्सराओं के चित्र उकेरे गए हैं। मंदिर में बने दरवाजे किसी भी मंदिर के सबसे दरवाजे हैं। भोजेश्वर मंदिर के अंदर उमा-महेश्वर, लक्ष्मी-नारायण और राम-सीता के स्तंभ बने हुए हैं। मंदिर के पवित्र गर्भगृह के अंदर गंगा और यमुना की नक्काशी देखी जा सकती हैं।
भोजपुर मंदिर से सम्बंधित दो कथाए हमारे सामने आती है। एक प्राचीन कथा के अनुसार माना जाता हैं कि भोजपुर मंदिर का निर्माण पांड्वो ने अपने वनवास के दौरान किया था। जबकि भोजपुर मंदिर से सम्बंधित एक कहानी के अनुसार परमार वंश के राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण 11-12 वीं शताब्दी के दौरान करबाया था।
भोजपुर या भोजेश्वर मंदिर के निकट से बेतवा नदी प्रवाहित होती हैं।
भोजपुर मंदिर खुलने और बंद होने का समय सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक का है।
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भोजपुर मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को कोई शुल्क नही देना होता है।भो जपुर मंदिर में प्रवेश शुल्क नही लगता है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से आपके पर्यटन स्थल भोजपुर मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर हैं।
भोजपुर की पहाड़ी पर एक विशाल और दर्शनीय लेकिन एक अधूरा शिव मंदिर बना हुआ है। मंदिर के स्थित विशाल शिवलिंग की वजह से भोजपुर को उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता हैं। यदि हम भोजपुर मंदिर की रहस्य की बात करे तो यह मंदिर अपने आप में कुछ अंजाना-अनसुना-दिलचस्प रहस्य को समेटे हुए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर का निर्माण अधूरा है जिसे देख कर लगता है जैसे मंदिर का कार्य अचानक से रोक दिया गया हो। मंदिर निर्माण अधूरा क्यों रह गया यह आज भी रहस्य बना हुआ है और इतिहास में भी इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती हैं।
कहते है भोजपुर मंदिर का कार्य एक रात में होना था लेकिन कार्य पूरा होने से पहले सुबह हो गई और कार्य बंद कर दिया गया। ऐसा भी माना जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने किया लेकिन मंदिर पूरा होने से पहले सुबह हो गई और पांडव अदृस्य हो गए। इतिहासकार तो यह भी मानते है कि मंदिर का कार्य अधूरा संसाधनों की कमी, प्राकर्तिक आपदा या फिर राजा भोज के निधन के कारण अधूरा रह गया हो। मंदिर के पास से बहती हुई वेतवा नदी के पास माता कुंती द्वारा कर्ण वहा देने की कथा भी सामने आती है। मंदिर के निर्माण के समय जो भी हुआ हो लेकिन आज यह मंदिर अधूरा और एक अनसुलझी पहेली की तरह हर किसी के दिलो दिमाग में है।
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भोजपुर मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पास स्थित है जोकि बहुत ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर है। भोजेश्वर मंदिर के आसपास कई ऐसे पर्यटन स्थल है जहां घूम कर आप अपनी यात्रा को बहुत यादगार बना सकते है।
भोजपुर मंदिर के ठीक विपरीत वेतवा नदी के सामने वाले घाट पर एक खूबसूरत गुफा हैं जोकि पार्वती गुफा के नाम से जानी जाती हैं। यह स्थान वर्तमान समय में धार्मिक पंडितो के पास हैं। इस गुफा में कई आकर्षित मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं और 11 वीं शताब्दी की वास्तुकला की झलक भी देखि जा सकती हैं।
भोजपुर मंदिर के आसपास घूमने की जगह में शामिल भोपाल एक खूबसूरत शहर मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है जोकि मंदिर से लगभग 30 किलो मीटर की दूरी पर स्थित हैं। भोपाल शहर का बड़ा तलाब और छोटा तलाब बहुत ही लोकप्रिय है। भोपाल शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता है। भोपाल शहर राजधानी में स्वच्छता में नबंर वन स्थान पर है। भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए शहर में शौर्य स्मारक, भारत भवन, बिड़ला मंदिर, वन विहार, वाटर पार्क, डीबी मॉल के अलावा भी कई आकर्षण हैं।
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मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित होशंगाबाद जिला घूमने की एक बहुत अच्छी जगह है जिसमें कई पर्यटन स्थल शामिल है। यह शहर आकर्षण प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों के मिश्रण के साथ आपको एक अलग शांति का अनुभव कराता है। होशंगाबाद बाद के पर्यटक स्थलों में पचमढ़ी का नाम सबसे पहले आता है जो एक प्राचीन हिल स्टेशन है। इसके अलावा भी सेठानी घाट नर्मदा नदी पर बना एक प्राचीन घाट है जिसके पास कई मंदिर हैं।
मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका रॉक शेल्टर एक पुरातात्विक स्थल है और भोजपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल भारतीय उपमहाद्वीप पर मानव जीवन के शुरुआती निशानों को दिखाता है। इतिहास प्रेमियों के लिए भीमबेटका स्वर्ग के समान है। बता दें कि यहाँ पर 500 से अधिक रॉक शेल्टर और गुफाएं है जिनमें बड़ी संख्या में पेंटिंग हैं। इनमें बने सबसे पुराने चित्रों को 30,000 साल पुराना माना जाता है लेकिन कुछ आंकड़े इन चित्रों को मध्ययुगीन काल का बताते हैं। पर्यटक बहुत अधिक संख्या में भीम बेटका घूमने के लिए जाते हैं।
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भोजपुर के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में शामिल बिजासन माता मंदिर सलकनपुर भक्तो के बीच बहुत लौकप्रिय हैं। यह मंदिर माता दुर्गा के बिजासन रूप के लिए प्रसिद्ध है जोकि 800 फीट की उंचाई पर पहाड़ों में जाकर बसा है। सलकनपुर धाम में नवरात्री के समय बहुत भीड़ होती है जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते है। माता के दर्शन की एक झलक के लिए भक्त नवरात्री के अवसर पर दूर-दूर से पैदल चलकर आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें पिपरिया से सलकनपुर तक पैदल आने वाले भक्तो की लम्बी कतार लगी रहती हैं। यह मंदिर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक अपने भक्तों का स्वागत करता है। भोजपुर मंदिर से सलकनपुर मंदिर की दूरी लगभग 60 किलोमीटर हैं।
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भोजपुर के मंदिर के साथ-साथ यहाँ की शानदार गुफाओं को घूमने के सबसे अच्छा समय सितम्बर से मार्च के महीने के बीच का होता है। महा-शिवरात्रि और मकर संक्रांति के अवसर पर भी पर्यटकों की बहुत अधिक भीड़ यहाँ देखी जाती हैं।
भोजपुर मंदिर की यात्रा के दौरान आप दाल बाफला, लस्सी, गन्ने के रस और भोपाली पान (सुपारी) का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा भोपाल के नजदीक होने की वजह से आप भोपाल के कुछ स्वादिष्ट व्यंजन बिरयानी, कबाब, चिकन टिक्का, कोरमा, रोगन जोश और शहर का मीठा, खट्टा और मसालेदार चाट को भी चख सकते हैं।
भोजपुर के मंदिर के दर्शन के बाद यदि आप यहाँ कुछ समय ओर बिताना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि आप भोपाल और मंडीदीप में लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल ले सकते है।
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भोजपुर मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी अपनी सुविधानुसार चुनाव कर सकते हैं।
भोजपुर मंदिर की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दें कि मंदिर के सबसे निकट भोपाल का (Raja Bhoj Airport )राजा भोज हवाई अड्डा हैं। जोकि भोजपुर शिव मंदिर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हवाई अड्डे से आप भोपाल में चलने वाली रेड बस की सहायता से अपना आगे का सफ़र तय कर सकते हैं।
भोजपुर मंदिर जाने के लिए यदि आपने रेलवे मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि सबसे नजदीक हबीबगंज रेलवे स्टेशन और भोपाल का प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। स्टेशन से आप यहाँ चलने वाले स्थनीय साधनों की मदद ले सकते हैं।
भोजपुर मंदिर की यात्रा के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि भोजपुर सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के क्षेत्र से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। खासकर भोपाल-होशंगाबाद मार्ग से अच्छी तरह से संपर्क में हैं इसलिए आप बस या अपने निजी साधन से भी भोजपुर मंदिर आसानी से पहुँच जाएंगे।
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इस लेख में आपने भोजपुर मंदिर का रहस्य इतिहास और इसकी यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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