Jaisalmer War Museum In Hindi, जैसलमेर वॉर म्यूजियम की स्थापना वर्ष 1971 में लड़ी ‘लोंगेवाला की लड़ाई’ में शहीद सैनिकों को सम्मानित करने के लिए की गई थी। जो भारतीय सेना की बहादुरी और बलिदान को याद करता है। जैसलमेर वार म्यूजियम का उद्घाटन 24 अगस्त 2015 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के स्वर्ण जयंती समारोह के दिन लिए किया गया था जिसे JWM के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें दो सूचना डिस्प्ले हॉल,एक ऑडियो-विजुअल रूम और एक स्मारिका शामिल है। इसमें आप एक सम्मान दीवार भी देख सकते है जिसमें परमवीर चक्र और महावीर चक्र के वीरता पुरस्कार विजेताओं के नाम उत्कीर्ण हैं। टैंकों, तोपों और सैन्य वाहनों के साथ, ट्राफियां और पुराने उपकरणों का भी प्रदर्शन किया जाता है।
इस वॉर म्यूजियम में युद्ध के दौरान अपनी जान गंवा चुके बहादुर सनिको की भित्ति चित्र भी देखे जा सकते है, साथ ही इसमें ऑडियो-विजुअल रूम में 1971 मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी की अगुवाई में लड़ी गई ‘लोंगेवाला की लड़ाई’ को ऑडियो-विजुअल रूप में दिखाया जाता है। यदि जैसलमेर की यात्रा पर है तो आप जैसलमेर से 2 घंटे की दूरी पर स्थित जैसलमेर का प्रसिद्ध स्थल जैसलमेर वॉर म्यूजियम अवश्य जा सकते हैं। जहाँ आप अपने देश और इसके सैनिकों के प्रति असीम गर्व का भाव पैदा करते हुए टैंक और अन्य स्मारक देख सकते हैं। इस आर्टिकल में आगे हम जैसलमेर वार म्यूजियम के बारे में विस्तार से बात करने वाले है इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े –
जैसलमेर वार म्यूजियम का इतिहास के साथ एक महत्वपूर्ण संबंद्ध है जो भारतीय वीरो की स्मृति में निर्मित है, 1971 और 1965 थार में लोंगेवाला की भारतीय सीमा चौकी पर पाकिस्तानी सेना और भारतीय रक्षकों के बीच लड़ाई हुई। युद्ध में भारतीय सैनिकों के सामने कई हंटर लड़ाकू विमान और 2000-3000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ 40-45 टैंक थे। मेजर कुलदीप सिंह चंदपुरी की कमान वाली भारतीय सेना की 23 वीं बटालियन, ने पाकिस्तानी सैनिकों का बहादुरी से सामना करते हुए रोका था। जिनकी बहादुरी को आज भी पूरे देश में गौरव के साथ याद किया जाता है। जैसलमेर युद्ध संग्रहालय की स्थापना का विचार एक सेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मैथ्यूज ने भारत के सैन्य इतिहास, इसके युद्धकालीन अनुभवों और भारतीय सेना द्वारा किए गए बलिदानों को दिखाने के लिए दिया था।
क्योंकि जैसलमेर में एक समृद्ध सैन्य परंपरा है और अतीत में कई ऐतिहासिक लड़ाइयों को देखा है, लेफ्टिनेंट जनरल बॉबी मैथ्यूज के मार्गदर्शन में इस संरचना का निर्माण किया गया था। और अगस्त 2015 में, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह के द्वारा जैसलमेर युद्ध संग्रहालय को जनता के देखने के लिए खोल दिया गया था।
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जैसलमेर वॉर म्यूजियम में कई लड़ाई और युद्ध के हथियार, वाहन और अन्य उपकरण का एक प्रभावशाली संग्रह है। इसमें भारतीय सेना, प्रथम विश्व युद्ध के भारतीय सेना के चक्र योद्धाओं, सियाचिन योद्धाओं के प्रदर्शन और ऑपरेशन विजय से एक आर्टिलरी गन टीम के मॉडल के प्रदर्शन को दिखाने वाली तस्वीरें हैं। बाहरी क्षेत्र में, लड़ाकू जेट, भारतीय सेना के टैंक और दुश्मनों से पकड़े गए टैंक सहित युद्ध उपकरण भी देखे जा सकते हैं। संग्रहालय में एक ऑडियो-विजुअल हॉल भी है जहां युद्ध के मैदानों, योद्धाओं और प्रशिक्षण के बारे में जानकारी देखी जा सकती है।
जैसलमेर युद्ध संग्रहालय में दो मुख्य हॉल हैं। पहला लोंगेवाला हॉल और दूसरा भारतीय सेना हॉल है। लोंगेवाला (1971) की लड़ाई के प्रदर्शन पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों पर लड़े गए 1971 के भारत-पाक युद्ध जैसे अन्य भारतीय अभियानों के प्रदर्शन लोंगेवाला हॉल में देखे जा सकते हैं। इस हॉल के केंद्र में 106 मिमी आरसीएल गन भी है। लड़ाई के दौरान शुरुआती कवच हमले को रोकने में यह बंदूक बहुत मददगार थी। इंडियन आर्मी हॉल में 1948, 1965 और 1999 के युद्ध में हुए उपकरण के साथ, कलाकृतियां देखी जा सकती हैंl
आपको बता दे की जैसलमेर वार म्यूजियम पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 10.00 बजे शाम 6.00 बजे तक खुला रहता है।
जैसलमेर वार म्यूजियम घूमने के लिए पर्यटकों के लिए किसी भी प्रकार की एंट्री फीस नही है, यह पर्यटकों के घूमने के लिए बिलकुल निशुल्क है।
अगर आप जैसलमेर में जैसलमेर वार म्यूजियम जाने का प्लान बना रहे है तो हम आपको बता दे कि सर्दियों का मौसम (अक्टूबर से मार्च जैसलमेर जाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। जहा शुरुआती सुबह और शामें विशेष रूप से अच्छी होती हैं यहाँ गर्मियों के मौसम में आने से बचें, क्योंकि कठोर धूप और गर्मी आपको जैसलमेर जाने से हतोत्साहित कर सकती हैं।
जैसलमेर सदियों पुरानी संस्कृति और परंपरा वाला एक रेगिस्तानी स्थान है। राजस्थान के अन्य स्थानों की तुलना में जैसलमेर का भोजन अद्वितीय है। जैसलमेर के व्यंजन उनकी संस्कृति में समृद्धता और रेगिस्तान में उनकी निकटता को दर्शाते हैं। आप यहाँ आसानी से भरपूर पौष्टिक भोजन पा सकते हैं। राजस्थान के अन्य भागों के विपरीत, जैसलमेर में तेल और मक्खन में लिपटा हुआ खाना यहां ज्यादा मिलता है। यहां के पारंपरिक भोजन में दाल बाटी चूरमा, मुर्ग-ए- सब्ज, पंचधारी लड्डू, मसाला रायता, पोहा, जलेबी, घोटुआ, कड़ी पकौडा शामिल हैं। अगर यहां आपको स्नैक्स खाने का मन है तो हनुमान चॉक सबसे बेहतर जगह है, वहीं अगर आप डेजर्ट आइटम्स का स्वाद लेना चाहते हैं तो अमर सागर पोल से बेहतर जगह और कोई नहीं है। यहां आपको डेजर्ट से जुड़े सभी फूड आइटम्स मिल जाएंगे।
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अगर आप जैसलमेर में जैसलमेर वार म्यूजियम घूमने के लिए जा रहे है तो हम आपको बता दे कि जैसलमेर वार म्यूजियम के अलवा भी आप किले, महल, मंदिर व अन्य प्रसिद्ध पर्यटक स्थल घूमने जा सकते हैं। जिनके बारे हम यहाँ आपको बताने जा रहे है-
अगर आप राजस्थान के जैसलमेर में जैसलमेर वार म्यूजियम घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो यहाँ आप हवाई, ट्रेन और सड़क मार्ग से यात्रा करके लोंगेवाला वार मेमोरियल पहुच सकते हैं।
अगर आप फ्लाइट से जैसलमेर वार म्यूजियम की यात्रा करने का प्लान बना रहे तो बता दे कि जोधपुर हवाई अड्डा जैसलमेर का निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है जो कि पूरे वर्ष कार्यात्मक है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और उदयपुर जैसे प्रमुख शहरों से जोधपुर के लिए नियमित उड़ानें हैं। तो आपको पहले जोधपुर हवाई अड्डा पहुचना होगा। जो जैसलमेर शहर से लगभग 5 से 6 घंटे की ड्राइव पर है जैसलमेर पहुचने के बाद आप टैक्सी या कैब से जैसलमेर वार म्यूजियम पहुच सकते है।
अगर आप ट्रेन से जैसलमेर वार म्यूजियम जाना चाहते है तो इसका सबसे निकटम रेलवे स्टेशन जैसलमेर रेलवे स्टेशन है। जो प्रमुख शहरो से रेल मार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है आप ट्रेन से यात्रा करके जैसलमेर रेलवे स्टेशन पहुच सकते है और वहा से आप टैक्सी या कैब से जैसलमेर वार म्यूजियम पहुच सकते है।
जैसलमेर राजस्थान के सभी प्रमुख शहरो से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। जैसलमेर रोडवेज के सुव्यवस्थित नेटवर्क द्वारा शेष भारत की सेवा करता है। राजस्थान रोडवेज के डीलक्स और साधारण बसें और साथ ही कई निजी बसें जैसलमेर को जोधपुर, जयपुर, बीकानेर, बाड़मेर, माउंट आबू, अहमदाबाद आदि से जोड़ती हैं। तो आप यहाँ बस टैक्सी या अपनी निजी कार से यात्रा करके जैसलमेर वार म्यूजियम पहुच सकते है।
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इस लेख में आपने जैसलमेर वार म्यूजियम के बारे में जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंटस में जरूर बतायें।
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