Historical Places In Delhi In Hindi : दिल्ली भारत की राजधानी है जिसका हजारों साल पुराना इतहास काफी समृद्ध और विस्तृत है,जो प्राचीन या अपने ऐतिहासिक समय में कई राजा महाराजायों की सल्तनत रही है। 7 जिलों से बने दिल्ली ने विभिन्न समयों में विभिन्न राजाओं को आते-जाते देखा है। इन शासको द्वारा अपने अपने शासनकाल में कई किलों, महलों और अन्य ऐतिहासिक स्मारको का निर्माण करबाया गया था जिन्हें आज दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है। दिल्ली 3 यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व धरोहर स्थलों सहित विभिन्न ऐतिहासिक स्मारकों का घर है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपने अतीत की झलक प्रदान करता है।
यदि आप एक इतिहास प्रेमी है और घूमने के लिए हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ दिल्ली सर्च कर रहे है या फिर दिल्ली के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको इस लेख को एक बार पूरा जरूर पढना चाहिए जिसमे हम आपको दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक या स्थलों के बारे में बताने वाले है –
कुतुब मीनार दुनिया का सबसे ऊंचा टॉवर और दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक में से एक है। यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में सूचीबद्ध कुतुब मीनार महरौली में स्थित है जिसका निर्माण 1192 में दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुब उद-दीन-ऐबक द्वारा शुरू किया गया था। बाद में, टॉवर का निर्माण सदियों से विभिन्न शासकों द्वारा किया गया था। इस शानदार स्मारक का नजारा आपको भारत के समृद्ध इतिहास से रूबरू कराता है। क़ुतुब मीनार के इतिहास के बारे में बात करें तो शिलालेख मीनार में अरबी और नागरी लिपि में शिलालेख हैं। जो इसके इतिहास के बारे में बताते हैं। कुतुब मीनार के अलावा, कुतुब कॉम्प्लेक्स में आपको आयरन पिलर और अलाई दरवाजा जैसी कई अन्य प्राचीन और ऐतिहासिक संरचनाएं देखने को भी मिलेंगी।
लाल किला राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक दुर्ग है जिसका निर्माण शाहजहाँ ने वर्ष 1638 में आगरा से दिल्ली की राजधानी शिफ्ट होने के परिणामस्वरूप किया थ। शहर के केंद्र में स्थित, यह मुगल वंश के सम्राटों का मुख्य निवास था। सम्राटों और उनके परिवारों को समायोजित करने के अलावा, यह मुगल राज्य का औपचारिक और राजनीतिक केंद्र था और इस क्षेत्र की घटनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करने के लिए स्थापित किया गया था। हर साल, भारतीय प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर यहाँ राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। लाल किला यमुना नदी के किनारे स्थित है। यह मध्ययुगीन शहर शाहजहानाबाद का एक हिस्सा था, जिसे आज पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है। दिल्ली के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल में शुमार इस ऐतिहासिक किलों को 2007 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में भी शामिल कर लिया गया है। जिसके बाद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसका संरक्षण किया जा रहा है।
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हुमायूँ का मकबरा ताजमहल के 60 वर्षों से पहले निर्मित मुगल सम्राट हुमायूं का अंतिम विश्राम स्थल है जो दिल्ली के निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में स्थित है और भारतीय उपमहाद्वीप में पहला उद्यान मकबरा है। हुमायूँ का मकबरा दिल्ली का एक प्रमुख ऐतिहासिक और पर्यटन स्थल है, जो भारी संख्या में इतिहास प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। फ़ारसी और मुग़ल स्थापत्य तत्वों को शामिल करते हुए इस उद्यान मकबरे का निर्माण 16 वीं शताब्दी के मध्य में मुगल सम्राट हुमायूँ की स्मृति में उनकी पहली पत्नी हाजी बेगम द्वारा बनाया गया था। हुमायूँ के मकबरे की सबसे खास बात यह है कि यह उस समय की उन संरचनाओं में से एक है जिसमें इतने बड़े पैमाने पर लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था।
अपने शानदार डिजाइन और शानदार इतिहास के कारण हुमायूँ का मकबरा को साल 1993 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था। हुमायूँ के मकबरे की वास्तुकला इतनी ज्यादा आकर्षित है कि कोई भी इसे देखे बिना नहीं रह पाता। यदि आप अपनी यात्रा के लिए हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ दिल्ली को सर्च कर रहे हैं तो आपको एक बार हुमायूँ का मकबरा घूमने जरूर आना चाहिए।
इंडिया गेट के नाम से प्रसिद्ध अखिल भारतीय युद्ध स्मारक दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जो प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान मारे गए 82,000 भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों को समर्पित है। बता दे इस स्मारक में 13,300 सैनिकों के नाम अंकित हैं जिन्होंने युद्ध के दौरान अपने प्राणों का बलिदान दिया था। यह 42 मीटर लंबा ऐतिहासिक ढांचा सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाइन किया गया था और यह देश के सबसे बड़े युद्ध स्मारक में से एक है। इंडिया गेट हर साल गणतंत्र दिवस परेड की मेजबानी के लिए भी प्रसिद्ध है।
यदि आप प्रथम विश्व युद्ध के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको इंडिया गेट देखने जरूर जाना चाहिए। इंडिया गेट के परिसर में अमर जवान ज्योति भी है, जो मेहराब के ठीक नीचे एक ढाँचा है। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद निर्मित, अमर जवान ज्योति भारत के अनन्त, अमर सैनिकों का प्रतीक है जहाँ आपको एक बार इन वार जवानो को श्रधांजलि देने के लिए जरूर आना चाहिए।
दिल्ली की प्रमुख ऐतिहासिक जगहें में शामिल हौज खास विलेज दक्षिणी दिल्ली का एक समृद्ध इलाका है जो मध्यकाल से ही जाना जाता है। हौज खास के इतिहास के बारे में बात करें तो बता दें कि हौज खास एक जल भंडार से अपना नाम प्राप्त करता है जो 13 वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बनाया गया था। यह टैंक भारत के दूसरे मध्ययुगीन शहर सिरी में रहने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति करने के लिए बनाया गया थाइसके अलावा इस गांव में मकबरे, इस्लामिक सेमिनरी, पानी की टंकी और मंडप जैसे आकर्षण स्थित हैं जो दिल्ली सल्तनत के शासनकाल का प्रतिनिधित्व करते हैं। हौज खास एक जलाशय सुंदर इमारतों और चारों ओर एक सुव्यवस्थित पार्क के साथ घिरा हुआ है जो अपनी खूबसूरती के साथ साथ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जानी जाती है।
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दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है जो ताजमहल और लाल किले के बाद शाहजहाँ द्वारा बनवाई गई शानदार संरचनाओं में से एक है। बता दें कि यह मस्जिद ओस्ताद खलील द्वारा डिजाइन और नियोजित की गई थी, जो दिखने में आगरा में स्थित मोती मस्जिद के सामान है। शाहजहाँ के शासन के दौरान वजीर (प्रधानमंत्री) रहे जे सदुल्लाह खान ने मस्जिद के निर्माण की देखरेख कर काम किया था।
बता दें कि यह मस्जिद ईद के पावन अवसर पर प्रत्येक वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को सुबह की नमाज अदा करने के लिए आयोजित करती है। यह मस्जिद इतनी बड़ी है कि इसके आंगन में पच्चीस हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं। लेकिन बता दें कि इस मस्जिद के अंदर नमाज के दौरान गैर-मुस्लिमों को मस्जिद के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। जामा मस्जिद दिल्ली के पुराने हिस्से में स्थित है, जिसे अब चांदनी चौक कहा है और स्थान यह खूबसूरत मुगल संरचनाओं से घिरा हुआ है।
पुराना किला भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक संरचना है जिसका निर्माण मुगल राजा शाह सूरी द्वारा 1538 के करवाया गया था। आपको बता दें कि यह दिल्ली के प्राचीन किलों में से एक है और इस शहर के राजसी इतिहास को निहारता हुआ एक आकर्षक ऐतिहासिक स्थल है। 2013-14 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए सबसे हालिया उत्खनन से इस बात का खुलासा हुआ है कि यह किला पूर्व मौर्य साम्राज्य के समय तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है।
पुराना किला परिसर लगभग पाँच मील के क्षेत्र फैला हुआ है जिसमे प्रवेश करने के लिए तीन द्वार बनाए गए हैं। पुराना किला इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। यदि आप अपनी यात्रा के लिए दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारक की तलाश में हैं तो आपको पुराना किला जरूर घूमने जरूर जाना चाहिए।
जंतर मंतर दिल्ली का एक और प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है जिसे वर्ष 1724 में महाराजा जय सिंह द्वारा बनबाया गया था। यह ऐतिहासिक स्मारक दिल्ली के दक्षिण में कनॉट सर्कल पार्लियामेंट स्ट्रीट में स्थित एक विशाल वेधशाला है जिसका निर्माण समय और स्थान के अध्ययन में मदद और सुधार के लिए किया गया था। राजा सवाई जय सिंह एक कुशल विद्वान थे जिन्हें खगोलीय टिप्पणियों और सभी प्रणालियों का अध्यन करने के बड़ी गहरी रूचि थी। इसलिए उन्होंने मुहम्मद शाह के निर्देश पर इस वेधशाला का निर्माण किया था।
दिल्ली के सफदरजंग मकबरे और खान मार्केट के पास स्थित लोधी गार्डन एक उद्यान है। बता दे इसमें सैय्यद शासक मोहम्मद शाह और लोधी राजा सिकंदर लोधी की कब्रें हैं जिनका निर्माण 15 वीं शताब्दी में लोधी शासनकाल में हुआ था। यही बजह है की लोधी गार्डन को दिल्ली के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक की सूचि में शामिल किया गया है। वर्तमान में, यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बनाए रखा गया है। लोधी गार्डन को कभी ‘लेडी विलिंगडन पार्क’ के नाम से जाना जाता था, लेकिन भारत के अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद इसका नाम बदल दिया गया। आर्किटेक्चरल साइट होने के साथ-साथ, यह आसपास रहने वाले लोगों के लिए सुबह और शाम के व्यायाम का एक केंद्र भी बन गया है।
तुगलकाबाद किला दिल्ली में स्थित एक खंडहर किला है, जिसे तुगलक वंश के संस्थापक घीस-उद-दीन तुगलक ने बनाया था। तुगलकाबाद किले का इतिहास दिल्ली के अन्य वास्तुशिल्प चमत्कारों जितना समृद्ध, विविध और जटिल है। तुगलकाबाद किला ओखला औद्योगिक क्षेत्र के पास स्थित है जो इस्लामिक वास्तुकला के सबसे खूबसूरत नमूनों में से एक है। यह किला दिल्ली के सबसे प्राचीन किलो में से एक है और वर्तमान में दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल में शुमार है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
बता दे तुगलकाबाद किले में ऊँची दीवारों, महलों और गढ़ों, के आलावा किले के संस्थापक और प्रथम शासक गियास-उद-दीन तुगलक और उसकी पत्नी और पुत्र का मकबरा भी है। तुगलकाबाद का किला तुगलक वंश की अनूठी और गंभीर शैली को दर्शाता है जिन्होंने लगभग सौ वर्षों तक दिल्ली में शासन किया है।
अग्रसेन की बावली नई दिल्ली में हैली रोड पर स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। बता दे अग्रसेन की बावली को उग्रसेन की बावली के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर कहा जाता है कि इसका निर्माण राजा अग्रसेन ने महाभारत काल के दौरान किया था और फिर बाद में 14 वीं शताब्दी में अग्रवाल समुदाय द्वारा इसे फिर से बनवाया गया, जो राजा के वंशज हैं। जबकि बावली की वास्तुकला के आधार पर माना जाता है कि यह तुगलक या लोदी वंश के शासनकाल से संबंधित भी हो सकती है।
दिल्ली के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल में से एक सफदरजंग मकबरा एक वास्तुशिल्प चमत्कार है जो अपने मजबूत इतिहास के लिए भी जाना जाता है। इस मकबरे को ‘सफदरजंग का मकबरा’ के रूप में भी जाना जाता है जो चारों तरफ से हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है। सफदरजंग मकबरे का निर्माण संगमरमर और बलुआ पत्थर से अठारहवीं शताब्दी के अंत में किया गया था जो आज भी अपने समय के सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाता है। यह मकबरा मिर्ज़ा मुकीम अबुल मंसूर खान की कब्र है जिन्हें सफदरजंग के नाम से भी जाना जाता था। वे अहमद शाह बहादुर के शासन के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का प्रधानमंत्री या वजीर उल-हिंदुस्तान थे।
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कुतुब मीनार परिसर के बगल में स्थित महरौली पुरातत्व पार्क दिल्ली की प्रमुख ऐतिहासिक जगहें में से एक है। 200 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ यह पार्क 1000 वर्ष पुराने दिल्ली के कुछ ऐतिहासिक अवशेषों को संरक्षित करता है जिसमें 11 वीं शताब्दी में तोमर राजपूतों द्वारा निर्मित लाल कोट के खंडहर शामिल हैं। महरौली सात प्राचीन शहरों में से एक है, जिसमें दिल्ली की वर्तमान स्थिति शामिल है, और यहां का पुरातात्विक पार्क हमारे अतीत की समृद्धि का एक प्रमाण है। जिन्हें देखने के लिए भारत के साथ साथ दुनिया भर से इतिहास प्रेमी यहाँ आते है।
राजघाट नई दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक स्मारक है जो भारत के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को समर्पित है। इस स्मारक को बिरला हाउस में गांधी जी की हत्या के बाद के बनाया गया था। राजघाट, यमुना नदी के काफी करीब स्थित है जिसे एक ऐतिहासिक घाट के रूप में जाना जाता था। यहां ‘राज घाट गेट’ नदी के राज घाटओअर खोला गया है। राजघाट महात्मा गांधी का स्मारक होने साथ ही गांधी जी के शानदार जीवन को भी प्रस्तुत करता है। गांधीजी के दर्शन को राजघाट स्थित गांधी स्मारक संग्रहालय में चित्र, मूर्तिकला और तस्वीरों के माध्यम से पेश किया गया है। यहां पर उनके जीवन को और सर्वोदय आंदोलन को भी फिल्म के माध्यम से दिखाया जाता है। इस जगह पर महात्मा गांधी की हत्या के एक दिन बाद 31 जनवरी 1948 को उनका अंतिम संस्कार किया गया था इसीलिए यह जगह सभी देश वासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
राष्ट्रपति भवन देश के सर्वोपरी व्यक्ति का निवास स्थान और दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल में से एक है। राष्ट्रपति भवन (प्रेसिडेंट हाउस) को पहले वाइसराय हाउस के नाम से जाना जाता था जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के वाइसराय और गवर्नर जनरल के निवास स्थान के रूप में निर्मित किया गया था। यह संरचना सन 1950 के दौरान की शास्त्रीय डिजाइन के संस्करणों को प्रस्तुत करती हैं। राष्ट्रपति भवन को रायसिना हिल्स पर बनाया गया था और इसका प्रवेश द्वार का नाम प्रकाश वीर शास्त्री एवेन्यू गेट 35 है जबकि संरचना एच आकर की हैं।
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