Pithoragarh In Hindi : भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित पिथौरागढ़ बहुत ही खूबसूरत शहर है। पिथौरागढ़ को लिटिल कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा के लिए एक रास्ता भी है। कई बार तीर्थ यात्री पिथौरागढ़ में विश्राम के लिए रुक जाते है। पिथौरागढ़ सुन्दर घाटी में स्थित शहर है जोकि नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है।पिथौरागढ़ शहर बर्फ से ढकी चोटियों, उच्च हिमालयी पहाड़ों, घाटियों, झरनों और हिमनदों के राजसी स्थलों के लिए जाना जाता है। पर्यटक इस पर्वतीय क्षेत्र में ट्रेकिंग का आनंद लेते है। शादीशुदा जोड़े के लिए पिथौरागढ़ हनीमून का सबसे अच्छा स्थान है।
अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और शांति के कारण यह स्थान पर्यटकों को बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता है। आप भी अपने जीवन में एक बार इस शानदार शहर की यात्रा की योजना जरूर बनाइये और यहाँ की खूबसूरती और उन्मुक्त वातावरण में मगन हो जाइये। यदि आप पिथौरागढ़ पर्यटन स्थल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
ऐतिहासिक रूप से भी पिथौरागढ़ का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इतिहासकारों द्वारा बताया गया है कि पिथौरागढ़ चंद वंश के राजा पिथौर चंद द्वारा बसाया गया था। पिथौर चंद ने पाल वंश के राजा को हराकर पिथौरागढ़ पर अपना अधिपत्य जमाया था। सन 1790 में गोरखों ने कुमाऊ को जीत कर चंद वंश का शासन समाप्त कर दिया। इसके बाद सन 1815 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने गोरखों का शासन भी समाप्त कर दिया। सन 1960 तक अंग्रेजों के शासन में पिथौरागढ़ अल्मोड़ा जिले की एक तहसील के रूप में रहा इसके बाद सन 2000 में पिथौरागढ़ उत्तराखंड का एक भाग बन गया।
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पिथौरागढ़ के नाम के पीछे पिथौरागढ़ की एक प्रसिद्ध कहानी है। पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोरघाटी था जिसमे सोर का मतलब सरोवर अर्थात तालाब होता है। ऐसा माना जाता है कि पिथौरागढ़ घाटी में पहले सात तालाब थे परन्तु समय के साथ उन तालाबों का पानी सूखने से वो पठारी भूमि में बदल गए। पठारी भूमि का क्षेत्र होने के कारण इसका नाम पिथौरागढ़ रखा गया। एक कहानी के अनुसार बताया जाता है कि पिथौरागढ़ का नाम भारत के वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान के नाम पर पड़ा।
पिथौरागढ़ में मुख्य रूप से अधिकारिक भाषा के तौर पर हिंदी भाषा ही बोली जाती है। परन्तु कई लोग इंग्लिश और कई जनजातियाँ कुमाउनी भाषा का भी प्रयोग करती है।
पिथौरागढ़ में कई ऐंसी जनजातियाँ है जो अन्य कही देखने को नही मिलती है। इन जनजातियों के कारण ही पिथौरागढ़ की संस्कृति आज भी जीवित है। यहाँ की रूंग जनजाति द्वारा कंदाली नामक एक बहुत ही अद्भुत त्यौहार मनाया जाता है जोकि पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार कंदाली के फूलों के खिलने पर प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इसके साथ ही पिथौरागढ़ में महा-शिवरात्रि, बसंत पंचमी, दशहरा, दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है। पिथौरागढ़ लोक गीतों और नृत्यों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।
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पिथौरागढ़ बहुत ही आकर्षक शहर है जोकि अपनी सुन्दर घाटियों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। उत्तराखंड का मिनी कश्मीर कहा जाने वाला पिथौरागढ़ में पर्यटकों के लिए बहुत सारे ऐतिहासिक, दर्शनीय और पौराणिक आकर्षण का समावेश है। पिथौरागढ़ के आसपास घूमने के लिए इतने शानदार स्थान है।
पिथौरागढ़ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक सबसे प्राचीन पिथौरागढ़ का किला है, जिसे सन 1789 में गोरखाओं द्वारा बनबाया गया था। इसलिए इस किले का नाम गोरखा किला भी रखा गया। कुमाऊं की काली नदी पर स्थित पिथौरागढ़ किले की संरचना बहुत ही आकर्षक है जोकि अपने आप में कई ऐतिहासिक महत्त्व को रखता है। पिथौरागढ़ किला सोर घाटी के बाहरी इलाके में सबसे ऊपर चोटी पर स्थित है। इस किले में पर्यटक ट्रेकिंग का आनंद लेने के साथ-साथ लम्बी पैदल यात्रा का भी अनुभव अपने साथ वापस लेकर जाते है।
पिथौरागढ़ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से चांडक एक छोटी सी ट्रेकिंग के लिए जानी जाने वाली पहाड़ी है। चांडक पिथौरागढ़ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिमालय पर्वत के सुन्दर दृश्यों से सजा हुआ है। चांडक पहाड़ी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान् मनु को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल अगस्त और सितम्बर के महीने में बहुत ही शानदार मेले का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।
पिथौरागढ़ के लोकप्रिय पर्यटनो में धार्मिक स्थान के रूप में थल केदार का मंदिर है। यह मंदिर भगवान शंकर जी को समर्पित है। पिथौरागढ़ से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर यह शानदार मंदिर स्थित है। शिवरात्री के पावन पर्व पर इस मंदिर में पर्यटकों और श्रधालुओं की भीड़ लगी रहती है। इस मंदिर के मंत्रों से हमेशा पूरा मंदिर गुंजायमान होता है।
पिथौरागढ़ आने वाले जो भी पर्यटक वन्य जीव और वनस्पति विज्ञान में रूचि रखते है उनके लिए सबसे अच्छी जगह अस्कोट सैंक्चुअरी है। अस्कोट अभ्यारण पिथौरागढ़ से लगभग 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिथौरागढ़ के इस शानदार परिवेश में चीयर, तीतर, कोकला, भील, हिमालयी काला भालू, चौकोर, हिम तेंदुए और कस्तूरी मृग आदि जानवर देखने को मिलते है। जानवरों के अलावा अस्कोट में कई आकर्षक मंदिर भी है जिनकी यात्रा पर्यटक यहाँ कर सकते है।
गंगोलीहाट पिथौरागढ़ शहर से लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जिनमे से काली माता के शक्तिपीठ का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। सरयू और राम गंगा नदी से घिरा यह शहर गहरी गुफाओं के लिए भी जाना जाता है। हिमालय पर्वत की चोटियों की सुन्दरता इस शहर की खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है। पर्यटकों के लिए यह स्थान किसी अजूबे से कम नही है।
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मुन्स्यारी पिथौरागढ़ के प्रमुख आकर्षक स्थलों में से एक है। यह पर्वतीय क्षेत्र पंचाचूली पर्वत की चोटियों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। पिथौरागढ़ से लगभग 127 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शहर बहुत ही सुन्दर फूलो, झील और प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मुन्स्यारी गाँव को गोरी नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है। मुन्स्यारी अपने में धार्मिक परिवेश के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्त्व को भी समेटे हुए है।
ध्वज मंदिर पिथौरागढ़ की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है की भगवान शिव ने यहाँ कई वर्षों तक निवास किया था और भगवान शंकर के निवास स्थान होने के कारण इस मंदिर का नाम ध्वज मंदिर रखा गया। भगवान शिव की गुफा के साथ इस मंदिर में मां जयंती की पूजा भी यहाँ के स्थानीय लोगो द्वारा की जाती है। बर्फ से ढंकी हुई सुन्दर पर्वत माला इस स्थान पर पर्यटकों को खीच लाती है।
पिथौरागढ़ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में भगवान भोलेनाथ का कपिलेश्वर गुफा मंदिर बहुत लोकप्रिय है। यह बर्फ से ढंकी हुई चोटियों में स्थित होने के कारण बहुत ही आकर्षक लगता है। कपिलेश्वर गुफा मंदिर पिथौरागढ़ से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पिथौरागढ़ के कुमाऊं क्षेत्र में एक बहुत अच्छा आश्रम है जहां पर श्रधालुओं के रुकने की व्यवस्था है। यह आश्रम शांति से भरा हुआ है और इसके चारों तरफ सुंगंधित फूलों की खुशबू से सुशोभित है। आश्रम में एक पुस्तकालय और एक ध्यान कक्ष केंद्र है। यह प्रकृति से प्यार करने वालों के लिए मां की गोद के समान अनुभव कराने वाला स्थान है।
पिथौरागढ़ की तहसील के रूप में जाना जाने वाला स्थान डीडीहाट अपने प्राचीन खंडहरों के लिए जाना जाता है। डीडीहाट मानसरोवर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रास्ते में स्थित है। यह बहुत ही प्राचीन पहाड़ी क्षेत्र है और यहाँ पर कई मंदिर भी है जो पर्यटकों को बहुत ज्यादा आकर्षित करते है। आपको एक बार इस अद्वितीय स्थान पर जरूर आना चाहिए।
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पिथौरागढ़ घूमने और इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि पिथौरागढ़ में कई होटल उपलब्ध हैं। जोकि आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट की रेंज में मिल जायेंगे।
पिथौरागढ़ बहुत छोटा सा क्षेत्र है और यहाँ ज्यादा होटल नही है लेकिन फिर भी पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध पकवानों में गेंहूँ और मंडुआ के आटे में दाल भरकर बनाया गया फिंगर मिल्ट है। जिसे भांग की चटनी के साथ परोसा जाता है। पर्यटकों को पिथौरागढ़ में बहुत अनौखे व्यंजन चखने का मौका मिलता है।
अगर आपने पिथौरागढ़ घूमने जाने का मन बनाया है तो हम आपको बता दे कि पिथौरागढ़ घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून महीने के बीच का होता है। जो यहाँ आने वाले पर्यटकों की ट्रेकिंग के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
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अगर आपने पिथौरागढ़ की यात्रा की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि आप पिथौरागढ़ जाने के लिए हवाई मार्ग, रेलवे मार्ग और सड़क मार्ग में से किसी का भी चयन कर सकते है।
अगर आपने पिथौरागढ़ की यात्रा की योजना हवाई मार्ग से जाने की बनाई है तो हम आपको बता दे कि पिथौरागढ़ से लगभग 226 किलोमीटर दूर देहरादून और लगभग 241 किलोमीटर दूर स्थित पंतनगर शहर का निकटतम हवाई अड्डा है। इन दोनों हवाई अड्डों के बाहर से आपको टैक्सी आसानी से मिल जाएँगी जिसके माध्यम से आप पिथौरागढ़ आसानी से पहुँच सकते है।
अगर आपने पिथौरागढ़ रेलवे मार्ग से जाने की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि पिथौरागढ़ से लगभग 138 किलोमीटर की दूरी पर स्थित टनकपुर रेलवे स्टेशन पिथौरागढ़ के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन में से एक है। आप इस रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सी या बस किराए पर लेकर आसानी से पिथौरागढ़ पहुँच सकते है।
अगर आपने पिथौरागढ़ की यात्रा के लिए सड़क मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि यह सबसे उचित माध्यम है पिथौरागढ़ पहुँचने के लिए। पिथौरागढ़ उत्तराखंड के कई प्रमुख शहरों के साथ-साथ अन्य पडौसी राज्यों से भी सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और अन्य राज्यों से नियमित रूप से पिथौरागढ़ के लिए बसें चलती है। आप बस के माध्यम से आसानी से पिथौरागढ़ पहुँच सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने पिथौरागढ़ की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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