Bageshwar In Hindi, बागेश्वर भारत के उत्तराखंड राज्य में बागेश्वर जिले में हिमालय की सीमा के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक छोटा सा शहर है। बागेश्वर शहर चारो ओर से पूर्व में भीलेश्वर पहाड़, पश्चिम में नीलेश्वर पहाड़, उत्तर में सूरजकुंड और दक्षिण में अग्नि कुण्ड से घिरा हुआ है। बागेश्वर शहर को सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित शहर माना जाता है जोकि बागेश्वर की पवित्रता का केंद्र बिंदु भी हैं। बागेश्वर धाम बहुत ही धार्मिक स्थान है और यह भगवान शिव की पवित्र भूमि के लिए जाना जाता हैं।
बागेश्वर धाम की प्रसिद्धी का प्रमुख कारण भगवान शिव के मंदिर हैं जिनके दर्शन करने के लिए हजारो की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बागेश्वर धाम तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ अपनी सुंदरता, ग्लेशियरों, नदियों आदि के लिए भी जाना जाता हैं। बागेश्वर धाम न केवल धार्मिक महत्त्व के लिए जाना जाता हैं बल्कि अपने ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्त्व के लिए भी प्रसिद्ध है। यदि आप बागेश्वर धाम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
बागेश्वर धाम की कहानियों का उल्लेख हिन्दू धर्म से सम्बंधित शिवपुराण के मानसखंड में मिलता हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान् शिव और माता पार्वती बागेश्वर में वाघ और गाय का रूप धारण करके निवास करते थे इसलिए बागेश्वर का नाम व्याघ्रेश्वर पड़ा हैं। मार्कंडेय नामक एक प्रसिद्ध ऋषि ने व्याघ्रेश्वर में भगवान शंकर की अराधना की थी और उनकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने ऋषि मार्कंडेय को आशीर्वाद दिया था। इसके बाद सन 1450 में चंद वंश के राजा चंद्रेश जोकि शिवजी के अनन्य भक्त थे उन्होंने बागेश्वर में शिवजी का विशाल मंदिर बनबाया और इसका नाम बागनाथ रखा गया। बागनाथ के नाम पर ही व्याघ्रेश्वर को वर्तमान समय में बागेश्वर कहा जाता हैं।
बागेश्वर के इतिहास पर दृष्टि डाली जाए तो यह पता चलता है कि शुरुआत में बागेश्वर कुमाऊँ साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था जोकि कत्यूरी राजाओं की राजधानी कार्तिकेपुरा के पास स्थित था। जोकि 7 वीं शताब्दी के दौरान कुमाऊँ के शासक थे। इसके बाद सन 1191 में नापाली क्रंचालदेव ने कत्यूरी राजाओं को हराकर बागेश्वर पर जीत हासिल की और बागेश्वर को अपने अधीन कर लिया। बाद में सन 1565 में अल्मोड़ा के राजा बालो कल्याण चंद ने स्थानीय शासकों से इस क्षेत्र को जीत लिया। फिर 10 वीं शताब्दी में सोम चंद द्वारा चंद साम्राज्य की स्थापना की गई थी। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद बागेश्वर अल्मोड़ा जिले का एक हिस्सा था। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 1965 में बागेश्वर को पिथौरागढ़ से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़क बन गई थी। 15 सितंबर 1997 को बागेश्वर जिले को अल्मोड़ा जिले से बाहर किया गया था। इसी के साथ बागेश्वर जिले की स्थापना भी हो गई।
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बागेश्वर जिले की स्थापना 15 सितम्बर सन 1997 के दौरान हुई थी।
हिंदी और संस्कृत बागेश्वर की मुख्य भाषा है परन्तु कुमाउनी भी बहुत लोगों द्वारा बोली जाती है।
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बागेश्वर एक बहुत ही धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। यह भगवान शिव की पावन भूमि है जोकि एक तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है। पर्यटन की दृष्टि से भी बागेश्वर बहुत ही सुन्दर शहर है क्योंकि यहाँ के ऊँचे-ऊँचे पहाड़, सुन्दर नदियाँ पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है। बागेश्वर के आसपास कई ऐसे स्थान है जहां घूमकर पर्यटकों को बहुत आनंद मिलेगा।
बागेश्वर के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय बागेश्वर का बागनाथ मंदिर है। बागेश्वर का नाम भी बागनाथ मंदिर के नाम पर ही पड़ा हैं। बागनाथ मंदिर बागेश्वर शहर के बीचों-बीच स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन 1450 में कुमाऊँ के राजा लक्ष्मी चंद द्वारा किया गया था। यह मंदिर भगवान शिव के वाघ रूप में ऋषि मार्कंडेय को आशीर्वाद देने की कथा के लिए प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर में हजारों पर्यटक दर्शन करने आते है। इस मंदिर में मुख्य द्वार पर बड़ी-बड़ी घंटियाँ लगी हुई है जो दिन भर गूंजती रहती है।
बागेश्वर धाम के प्रसिद्ध तथा आकर्षक स्थानों में से एक बागेश्वर का बैजनाथ मंदिर है जोकि गढ़वाल हिमालय के पूर्व में स्थित है। बैजनाथ मंदिर का निर्माण 12 वी शताब्दी में किया गया था। बैजनाथ मंदिर भगवान शंकर को समर्पित बहुत ही प्राचीन तथा आकर्षक मंदिर है। इस शानदार शहर बैजनाथ को इतिहासकारों द्वारा कत्युरी साम्राज्य की राजधानी बताया गया है। भगवान शंकर के बैजनाथ मंदिर को बैजनाथ शहर की धड़कन माना जाता है। बैजनाथ शहर में और भी कई मंदिर थे परन्तु अब सारे मंदिर खंडहरों में बदल गए है।
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चंद्रिका मंदिर बागेश्वर शहर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जोकि देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षित और दर्शनीय है, जहां देवी दुर्गा का नौ दिवसीय त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है और पर्यटक इस त्यौहार का हिस्सा बनना पसंद करते हैं।
गौरी उडियार मंदिर बागेश्वर के पवित्र मंदिरों में से एक है जोकि एक प्राकृतिक गुफा के अन्दर स्थित है। मां गौरी का यह प्रसिद्ध गौरी उडियार मंदिर बागेश्वर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
बागेश्वर के प्रसिद्ध और दर्शनीय स्थानों में से विजयपुर भी बहुत लोकप्रिय स्थान है। यह हिमालय पर्वत पर बर्फ से ढके पहाड़ों का स्थान बहुत ही शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विजयपुर बागेश्वर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बहुत से पर्यटक यहाँ आनंद की अनुभूति करने आते है क्योंकि यह स्थान मन को बहुत सुकून देने वाला है। यहाँ आसपास सुन्दर मैदान भी है और ऊँची चोटियाँ बहुत ही आकर्षक है।
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कांडा बागेश्वर शहर को नदियों का शहर भी कहा जाता हैं यहाँ कि प्रसिद्ध नदियों में भागीरथी, गोमती और सरयू है। इन नदियों के तट पर कई धार्मिक और पवित्र स्थान है। यहाँ पर हर साल हजारों की संख्या में धर्म प्रेमी अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए नदियों में डुबकी लगाने आते है। यह भगवान शिव की पवित्र भूमि है।
बागेश्वर से 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुन्दर गंगा ट्रेक बागेश्वर का बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। सुन्दर गंगा ट्रेक को वैली ऑफ़ ब्यूटीफुल स्टोन्स के नाम से भी जाना जाता है। इस ट्रेक मार्ग की लम्बाई लगभग 54 किलोमीटर है जोकि पर्यटकों को बहुत ही ज्यादा पसंद आने वाली जगह है।
नंदा देवी और पंचाचूली चोटियों के कारण हिमालय का बिगुल नामक अद्भुत दृश्य बागेश्वर के प्रमुख पर्यटक स्थानों में गिना जाता है। यह स्थान ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आसपास के ग्रामीणों से कर वसूलने की घोषणा के लिए ब्रिटिश सरकार ने इस स्थान पर बिगुलस का इस्तेमाल किया था। बिगुल बागेश्वर शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है। बिगुल के सबसे ऊँचे स्थान पर ढोलिनाग मंदिर है जो यहाँ के स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
पिंडारी नदी पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है जोकि बागेश्वर से ट्रेकिंग के लिए बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक 5 से 15 दिन की ट्रेकिंग यात्रा है। यहाँ पर सितम्बर से अक्टूबर में ये ट्रेकिंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। यहाँ आने वाले पर्यटक टेंट लगा कर रुकते है और रोज अपनी ट्रेकिंग यात्रा का आनंद लेते है।
कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का साक्षी पांडू स्थल बागेश्वर के सबसे सुन्दर दृश्यों में से एक है। इस स्थान पर सुन्दर ग्लेशियरों का नजारा बहुत ही अद्भुत होता है। पर्यटक यहाँ ट्रेकिंग के लिए आते है और इस ट्रेकिंग की लम्बाई लगभग 15 किलोमीटर है। ट्रेकिंग के साथ हिमालय के इस शानदार दृश्य का नजारा देखना बहुत ही अच्छा अनुभव होता हैं।
बागेश्वर शहर तीर्थराज के नाम से जाना जाता है यहाँ पर प्रतिवर्ष मकर सक्रांति के पावन अवसर पर भव्य उत्तरायणी मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले का आयोजन 20 वी शताब्दी के दौरान से बहुत धूमधाम से किया जाता है। प्राचीन समय में यह मेला कुमाऊं मंडल का सबसे बड़ा मेला था। बागेश्वर में पर्यटकों को आकर्षित करने का श्रेय बहुत हद तक इस मेले को भी जाता है।
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बागेश्वर धाम जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मई के बीच का है। बागेश्वर शहर पहाड़ी क्षेत्र है इसलिए यहाँ मानसून के समय जाना पर्यटकों को ज्यादा पसंद नही आयेगा। बागेश्वर धाम की यात्रा के लिए मानसून के समय को छोड़कर आप किसी भी महीने का चुनाव कर सकते है।
बागेश्वर भले ही छोटा सा शहर है परन्तु इस पहाड़ी शहर में पर्यटकों के लिए बहुत ही लजीज भोजन की व्यवस्था की गई है। बागेश्वर का प्रसिद्ध भोजन शिशुण का साग है जो एक प्रकार की सब्जी है और यह सब्जी हरी पत्तेदार होती है। जोकि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। इसके साथ ही बागेश्वर में आलू की ग्रेवी और तली हुई भारतीय रोटी बहुत ही ज्यादा पसंद की जाती है। मिठाई में बालमथाई नामक मिठाई बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है।
बागेश्वर और इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि बागेश्वर में कई होटल उपलब्ध हैं जोकि आपको रुकने के लिए अच्छी व्यवस्था प्रदान करते हैं।
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यदि आपने बागेश्वर धाम की यात्रा की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि आप बागेश्वर धाम जाने के लिए हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग में से किसी का भी चयन कर सकते है।
अगर आपने बागेश्वर जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि बागेश्वर का अपना कोई हवाई अड्डा नही है। परन्तु बागेश्वर से 176 किलोमीटर दूर देहरादून में जॉलीग्रांट हवाई अड्डा और पंतनगर हवाई अड्डा है जो बागेश्वर को पूरे भारत से जोड़ता है। आप इन हवाई अड्डों से टेक्सी या कैब के माध्यम से बागेश्वर धाम आसानी से पहुँच सकते है।
अगर आपने बागेश्वर धाम की यात्रा के लिए रेल मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि बागेश्वर से लगभग 180 किलोमीटर दूर काठगोदाम में रेलवे स्टेशन है। जहाँ से आप बागेश्वर के लिए कोई स्थानीय साधन लेकर आसानी से बागेश्वर धाम पहुँच सकते है।
बागेश्वर धाम की यात्रा के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि सड़क मार्ग के माध्यम से बागेश्वर पूरे भारत से जुड़ा हुआ है। आप बस का चुनाव कर सकते हैं जोकि सबसे अच्छा साधन है। बस के माध्यम से आसानी से बागेश्वर धाम पहुँच सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने बागेश्वर धाम की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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