Tapkeshwar Mandir In Hindi ; टपकेश्वर मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक प्रमुख मंदिर है जो देहरादून शहर के केंद्र से 6.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आपको बता दें कि टपकेश्वर मंदिर एक बहुत ही आकर्षक गुफा मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। अपने आकर्षण और सरल दिखने वाला यह मंदिर एक नदी के किनारे स्थित है जो इसे एक अद्वितीय पवित्रता प्रदान करती है। यहां मंदिर के मुख्य परिसर में एक एक शिव लिंग स्थापित है जिसके बारे में यह माना जाता है कि जो भी लोग यहां कुछ मांगने आते हैं और भगवान का आशीर्वाद चाहते हैं, भगवान उनकी मनोकामना को पूरा करते हैं।
यहां छत से शिवलिंग पर लगातार पानी टपकता है जिसकी वजह से इस जगह का नाम टपकेश्वर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह को गुरु द्रोणाचार्य द्वारा बसाया गया था, इसलिए इसे द्रोण गुफा के नाम से भी जाना जाता है।
टपकेश्वर मंदिर देहरादून के लोकप्रिय स्थलों में से एक है। बता दें कि यह मंदिर पहाड़ों की गोद में बसा है जिसकी वजह से यह स्थान यात्रियों के लिए एक अच्छे पिकनिक स्पॉट के रूप में भी काम करता है। जंगल के माध्यम से पर्यटक हरियाली का मजा लेकर थोड़ी ट्रेकिंग करते हुए आप टपकेश्वर मंदिर सकते हैं। अगर आप टपकेश्वर मंदिर जाने की योजना बना रहें हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें यहां हम आपको टपकेश्वर मंदिर का इतिहास, पौराणिक कथा, वास्तुकला और जाने की पूरी जानकारी दे रहें हैं –
टपकेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का जन्म गुफा के अंदर हुआ था। उसकी मां के पास इतना दूध नहीं था कि वह अपने नवजात को दूध पिला सके। अश्वत्थामा शुरू से ही बुद्धिमान था, और उसने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह उसकी भूख को मिटाने के लिए कुछ दूध दें। एक सरल और उदार भगवान होने के नाते शिव उसकी भूख मिटाने के लिए उस नवजात शिशु को दूध पिलाया। बता दें कि तभी से वहां पर एक शिव लिंग स्थापित किया गया था जो आज भी भक्तों की इच्छा को पूरा करने के लिए जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से भगवान से प्रार्थना करते हैं उनकी मनोकामना जरुर पूरी होती है।
टपकेश्वर मंदिर वास्तुकला मानव निर्मित और प्राकृतिक डिजाइन का सौम्य संगम है। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। यहां पर मुख्य गर्भगृह एक प्राकृतिक गुफा के अंदर समाहित है। गुफा के अंदर इस मंदिर के अदभुद नज़ारे को देखा जा सकता है। इस गुफा के अंदर शिवलिंग स्थापित है और गुफा से गिरने वाली पानी की बूंदे लगातार शिव लिंग पर गिरती रहती हैं। शिवलिंग लगातार टपकने वाली इन बूंदों की वजह से ही इस मंदिर का नाम टपकेश्वर मंदिर पड़ा है। टपकेश्वर मंदिर अपनी कई घटनाओं के लिए भी जाना जाता है।
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टपकेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय महाशिवरात्रि के दौरान होता है। यह उत्सव भगवान शिव से पार्वती की शादी के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव को मनाने के लिए यहां पर एक बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता है जिसमें भारी मात्रा में तीर्थयात्री शामिल होते हैं। इस पवित्र उत्सव पर तीर्थयात्री “हर हर महादेव” के नारे लगाते हैं और भगवान शिव को उनका पसंदीदा भोग चढ़ाते हैं। अगर आप टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो शिवरात्रि के दौरान यात्रा करना आपके जीवन का एक यादगार पल साबित हो सकता है।
टपकेश्वर मंदिर में पर्यटक तस्वीरें ले सकते हैं।
अगर आप टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करने के लिए जा रहे हैं तो बता दे कि यहां आप मंदिर में दर्शन करने के अलावा बाहर कहीं अन्य गतिविधियों में भी भाग ले सकते हैं यह मंदिर एक खूबसूरत जंगल के पास स्थित है। जहां स्थित एक नदी इस मंदिर की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ाती है मंदिर की यात्रा के दौरान आपको यहां ट्रैकिंग में भी भाग लेना चाहिए जिससे आपकी यात्रा का मजा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। अगर ट्रैकिंग के बाद आपको ज्यादा भूख लगती है तो आप यहां पास में स्थित स्टालों पर स्ट्रीट फूड का मजा ले सकते हैं। टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करना आपके जीवन का एक बहुत ही यादगार अनुभव साबित हो सकता है, क्योंकि यहां की प्राकृतिक सुंदरता आपको इस जगह की बार-बार याद दिलाएगी।
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देहरादून शहर अपने पर्यटक स्थलों के लिए जाना जाता हैं। यहा कई स्थान आपको ऐसे मिलेंगे जो आपके मन को मोह लेंगे और आपका मन करेगा की अभी कुछ समय और यहा बिताया जाए। तो हम आपको देहरादून टूरिस्ट प्लेस की जानकारी देते हैं जहां आप घूमने जा सकते हैं।
सहस्त्रधारा देहरादून में स्थित एक खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं जो देहरादून शहर से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। सहस्त्रधारा का शाब्दिक अर्थ ” द थाउजेंड फोल्ड स्प्रिंग” हैं। इस स्थान पर झरने, गुफाएं, सीढियां और खेती की जमीन भी शामिल हैं। यह स्थान उन झरनों और गुफाओं के लिए भी जाना जाता हैं जिनमे पानी चूना पत्थर के स्टैलेक्टाइट्स से टपकता है। यह स्थान आकर्षित फोटोग्राफी, धार्मिक स्थल और पर्यटकों की पसंदीदा जगहों के लिए जाना जाता हैं। सहस्त्रधारा में कोई प्रवेश शुल्क नही लगता हैं और सूर्योदय से सूर्यास्त तक सभी दिन यह खुला रहता हैं।
देहरादून से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रॉबर्स गुफा एक प्राचीन अद्भुत गुफा हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। 600 मीटर लंबी नदी की गुफा को यहां के स्थानीय लोग गुच्चुपानी के नाम से भी जानते हैं। रॉबर्स गुफा को दो मुख्य भागों में विभाजित किया गया है। जिसकी उच्चतम गिरावट 10 मीटर लंबी आंकी गयी है। रॉबर्स गुफा अपनी अनूठी प्राकृतिक घटनाओं के लिए जाना जाता है। इस स्थान को गायब होने वाली धारा के रूप में भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस स्थान का उपयोग ब्रिटिश राज्य के दौरान लुटेरे छुपने के लिए भी करते थे। राबर्स गुफा घूमने के लिए पर्यटकों को कोई शुल्क अदा नही करना होता हैं।
देहरादून में लच्छीवाला एक लोकप्रिय पिकनिक डेस्टिनेशन माना जाता हैं। यहां की शानदार हरियाली और मानव गतिविधि के लिए यह स्थान बहुत अधिक चर्चा में रहता हैं। लच्छीवाला देहरादून शहर से एक छोटी ड्राइव पर स्थित है।
तिब्बत में निंगम्मा स्कूल के छह प्रमुख मठों में से एक मिन्ड्रोलिंग मठ की स्थापना सन 1676 में रिग्जिन तेरदक लिंगपा के द्वारा गई थी। जिसे बाद में सन 1965 में भिक्षुओं के एक समूह के साथ खोचेन रिनपोछे द्वारा देहरादून शहर में फिर से स्थापित किया गया। मिन्ड्रोलिंग मठ के खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं जहां सेंकडों की संख्या में पर्यटक आते हैं। कई वर्गों के साथ एक वास्तुशिल्प उत्कृष्ट कृति होने के नाते मिन्ड्रोलिंग मठ को देखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। कई सुंदर उद्यान, बड़े क्षेत्र, और एक स्तूप सभी मठों में स्थित हैं।
हर की दून देहरादून शहर की हलचल से दूर स्थित एक खूबसूरत पालने के आकार की घाटी है जिसका सौंदर्य देखते ही बनता है। इस घाटी की ऊंचाई समुद्र तल से 3,566 मीटर हैं। यह स्थान पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग भ्रमण की अधिकता प्रदान करता है।हर की दून घाटी को “देवताओं की घाटी” के रूप में भी जाना जाता हैं।
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देहरादून में स्थित फन वैली परिवार और दोस्तों के साथ जाने के लिए एक आदर्श जगह हैं। आप यहां पूरा दिन उत्साह पूर्ण ढंग से बिता सकते हैं। फन वैली में एक विशाल आंतरिक परिसर, बहु-व्यंजन रेस्तरां, कियोस्क, रोमांचकारी सवारी और आवास स्थान हैं। जिसमें एक शानदार वाटर पार्क, डीलक्स कमरे शामिल हैं। फन वैली में हाल ही में छुट्टी के दिनों में पर्यटकों की भारी संख्या देखने को मिली हैं। यहां सम्मेलन कक्ष, पार्टी हॉल और शानदार कॉटेज जैसी सुविधाएं आपको मिल जाएगी।
शिवालिक रेंज के आधार पर देहरादून में स्थित मालसी डियर पार्क एक प्राणि उद्यान है। यह दो सींग वाले हिरण, मोर, बाघ, नीलगाय और कई अन्य जानवरों का निवास स्थान है। यहां आने वाले सभी प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग की तरह प्रतीत होता हैं। मालसी डियर पार्क की सुंदरता समय बिताने के लिए बहुत ही अनमोल है। वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध यह पार्क शहर के व्यस्त जीवन से दूर रहने और आराम करने के लिए एक शानदार पर्यटक स्थल है। यह एक छोटा जूलोजिकल पार्क है। यह पार्क फोटोग्राफी, पिकनिक, शांत वातावरण और दर्शनीय स्थलों के लिए बहुत खास माना जाता है। हालांकि यह पार्क प्रमुख रूप से हिरणों के लिए फेमस है। लेकिन यहां मोर, नीलगाय, खरगोश और बाघ जैसी प्रजातियों के जानवरों को भी देखा जा सकता हैं। भी देख सकते हैं। यह पार्क हिमालयी सुंदरियों जैसे नीलगायों और मृगों का घर है जो दुनिया भर से बच्चों और पशु प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। मालसी पार्क मालसी फॉरेस्ट रिजर्व का एक हिस्सा है और देहरादून शहर के राजाजी नेशनल पार्क के बाद सबसे अच्छा वन्यजीव अभ्यारण माना जाता हैं।
जोनल म्यूजियम मानव जाति की उत्पत्ति, विकास और जीविका से संबंधित कलाकृतियों और संग्रह के लिए लोगो के बीच लोकप्रिय है। देहरादून का यह जोनल म्यूजियम यहा की संकृति, जीवन स्थितियां और रीति-रीवाजो का गवाह हैं। इस संग्रहालय की स्थापना सन 1971 में की गयी थी।
तपोवन मंदिर एक पवित्र स्थान है जो देहरादून शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर चारो तरफ से हरियाली से घिरा हुआ हैं और आकर्षित लगता हैं। तपोवन मंदिर आने वाले पर्यटकों को यहां के शांत वातावरण में अपने मन को शांति प्राप्त होती हैं। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर का नाम “तपो-वन” शब्द दो शब्दों से लिया गया है। तपस्या जिसका अर्थ है कठोर और वान जिसका अर्थ है वन से लिया गया हैं।
देहरादून का वन अनुसंधान संस्थान वर्ष 1906 में स्थापित किया गया था और यह वन अनुसंधान संस्थान 4.5 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें वास्तुकला के औपनिवेशिक और ग्रीको-रोमन शैलियों का समावेश देखने को मिलता है। भारत में वानिकी अनुसंधान के क्षेत्र में स्थित यह प्रमुख संस्थान उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित है। फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का खूबसूरत विशाल परिसर मीडिया को भी आकर्षित करता रहा है। इस स्थान का उपयोग विभिन्न बॉलीवुड फिल्मों को फिल्माने के लिए भी किया जा चुका हैं।
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देहरादून आने वाले साहसिक पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग एक शानदार गतिविधि हैं। जिसका लुत्फ यहां आने वाले पर्यटक बखूबी उठाते हैं। जॉर्ज एवरेस्ट, ज्वाला देवी, दून घाटी, डाकपत्थर, शिवालिक पर्वतमाला, आसन बैराज कुछ स्थानों का आनंद भी लिया जा सकता हैं।
देहरादून में खरीदारी करने के लिए यहां का पल्टन बाजार खरीदारी के लिए एक शानदार विकल्प है। देहरादून के इस बाजार से आप मसाले, edibles का चुनाव कर सकते हैं। भीड़ भाड़ से भरे इस बाजार में देहाती झलक देखने को मिलती हैं।
चेटवुड हॉल भारतीय सैन्य अकादमी से जुड़ा हुआ है और भारतीय सेना की आधुनिक कलाकृतियों और परिष्कृत गोला बारूद की श्रृंखला का स्थान हैं जो भारतीय सशस्त्र बलों के वैभव को और अधिक बढ़ता हैं।
देहरादून में स्थित राजाजी नेशनल पार्क वनस्पतियों और जीवों में प्रचुरता से समृद्ध है और प्रकृति प्रेमियों, वन्यजीव उत्साहीयों के लिए लोगों के लिए एक शानदार छुटियाँ बिताने का स्थान हैं। बाघों और हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी नेशनल पार्क को हाल ही में भारत सरकार द्वारा टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया हैं। सी राजगोपालाचारी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के 3 जिलों देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में फैला हुआ है। यह वन क्षेत्र में साल, सागौन और अन्य झाड़ियों के लिए लोकप्रिय है।
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टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है बता दें कि देहरादून शहर हिमालय की तलहटी में स्थित है जहां की यात्रा साल में किसी भी समय कर सकते हैं देहरादून उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख शहरों राजस्थानी है उत्तराखंड भारत के प्रमुख हिल स्टेशन में से एक है। जहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय गर्मियों के समय होता है। क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम बेहद सुखद होता है और बहुत ज्यादा ठंड भी नहीं पड़ती यहां पर मानसून और सर्दियों का मौसम भी देखने लायक होता है लेकिन अगर आप बर्फीली जगह से प्यार करते हैं तो आप ठंड के दौरान भी यहां की यात्रा कर सकते हैं। अगर आपको ठंड का मौसम पसंद नहीं है तो इस मौसम में यात्रा बिल्कुल ना करें।
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अगर आप टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो बता दे कि भगवान शिव के पवित्र मंदिर देहरादून से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर आसन नदी के किनारे स्थित एक पवित्र हिंदू मंदिर है जहां के लिए आप देहरादून शहर से आसानी से पहुंच सकते हैं टपकेश्वर मंदिर की यात्रा आप हवाई ट्रेन और सड़क मार्ग द्वारा कर सकते हैं। परिवहन के विभिन्न साधनों से टपकेश्वर मंदिर पहुंचने की जानकारी हमने नीचे विस्तार में दी है।
अगर आप टपकेश्वर मंदिर की यात्रा हवाई जहाज द्वारा करने की योजना बना रहे हैं तो बता दें कि जॉली ग्रांट ट्रंक हवाई अड्डा यहां का निकटतम हवाई अड्डा है जो देहरादून शहर में स्थित है। यह हवाई अड्डा विभिन्न नियमित फ्लाइट के माध्यम से दिल्ली और मुंबई शहरों से जुड़ा हुआ है। यह हवाई अड्डा मुख्य देहरादून शहर से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे पहुंचने के बाद आप यहां से टपकेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं हम आपको यह सलाह देना चाहेंगे कि एयरपोर्ट से हमेशा प्रीपेड टैक्सी ही लें।
जो भी पर्यटक टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करने की योजना सड़क मार्ग द्वारा बना रहे हैं। उनके लिए बता दें कि यहां आस-पास के शहरों से देहरादून के लिए दिन और रात दोनों समय नियमित बस सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा आप देहरादून जाने के लिए टैक्सी सेवा का लाभ भी उठा सकते हैं। सड़क मार्ग द्वारा टपकेश्वर मंदिर की यात्रा करना आपके लिए बेहद याद का साबित हो सकता है क्योंकि इस यात्रा के दौरान आप रास्ते में पड़ने वाले प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं।
अगर आप रेल मार्ग द्वारा टपकेश्वर मंदिर देहरादून की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। तो आपको बता दें कि देहरादून भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से देहरादून के लिए जनशताब्दी एक्सप्रेस नियमित रूप से संचालित है। इसके अलावा कई ट्रेनें देहरादून रेलवे स्टेशन पर रूकती है देहरादून में स्थानीय परिवहन देहरादून शहर पहुंचने के बाद आप टपकेश्वर मंदिर के लिए शेयर्ड टैक्सी या रिक्शा ले सकते हैं। देहरादून में टपकेश्वर मंदिर जाने के लिए आप कहीं कहीं से भी टैक्सी ले सकते हैं।
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इस लेख में आपने टपकेश्वर मंदिर देहरादून की यात्रा करने से जुड़ीं जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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