Kumbhalgarh Fort In Hindi : कुंभलगढ़ किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो राजसमंद जिले में उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुंभलगढ़ किला राजस्थान राज्य के पांच पहाड़ी किलों में से एक है जिसको साल 2013 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। अरावली पर्वतमाला की तलहटी पर बना हुआ यह किला पर्वतमाला की तेरह पहाड़ी चोटियों से घिरा हुआ है और 1,914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह आकर्षक किला एक जंगल के बीच स्थित है जिसको एक वन्यजीव अभयारण्य में बदल दिया है। यह किला चित्तौड़गढ़ महल राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे खास मेवाड़ किला है जिसकों देखकर कोई भी इसकी तरफ आकर्षित हो सकता है।
अगर आप राजस्थान या इसके उदयपुर शहर की यात्रा कर रहे हैं तो आपको कुंभलगढ़ किला (Kumbhalgarh Fort) को देखने के लिए भी जरुर जाना चाहिए लेकिन उससे पहले इस आर्टिकल को पूरा पढ़े जिसमे आप कुंभलगढ़ किला का इतिहास और इसकी यात्रा से जुडी जानकारी को विस्तार से जान सकेगें –
कुंभलगढ़ किले के इतिहास में एक बहुत ही रोचक कहानी सामने आती है। जिसके अनुसार जब राणा कुंभा ने किले का निर्माण शुरू किया तो उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने इसके निर्माण का कार्य छोड़ देने का विचार किया। लेकिन एक दिन उन्हें एक पवित्र व्यक्ति से मिला जिसने उन्हें इस किले के निर्माण को न छोड़ने की सलाह दी और कहा कि एक दिन उसकी सारी समस्या दूर हो जाएगी। बशर्ते कोई भी पवित्र व्यक्ति स्वेच्छा से अपने जीवन का बलिदान कर दे। यह सुनकर राजा निराश हो गया जिसके बाद उस पवित्र व्यक्ति ने अपना जीवन राजा को अर्पित कर दिया। उन व्यक्ति ने राजा से कुंभलगढ़ किले के प्रवेश द्वार का निर्माण करने के लिए कहा। उस व्यक्ति की सलाह के बाद राणा कुंभा ने वही किया जो उन्हें बताया गया था और वो इस राजसी किले के निर्माण में सफल रहे।
कुंभलगढ़ ने मेवाड़ और मारवाड़ के बीच अलग-अलग क्षेत्रों को चिह्नित किया और जब भी कोई हमला हुआ है तो इससे बचने के लिए इस जगह का इस्तेमाल किया गया था। राजकुमार उदय भी ने कुंभलगढ़ फोर्ट पर शासन किया और वे उदयपुर शहर के संस्थापक थे। यह किला अंबर के राजा मान सिंह, मारवाड़ के राजा उदय सिंह और गुजरात के मिर्जों के बीच अस्तित्व बना रहा। कुंभलगढ़ किले को उस स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहां पर महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था और इस किले पर 1457 में गुजरात के अहमद शाह प्रथम ने हमला किया था। यहां के स्थनीय लोगों का मानना है कि किले में बाणमाता देवी मौजूद थी जो इस किले की रक्षा करती थी, जिनके मंदिर को अहमद शाह ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद मोहम्मद खिलजी ने 1458-59 और 1467 में इस किले को हासिल करने के लिए कई प्रयास किये गए। लेकिन अकबर के सेनापति शंभाज खान ने 1576 में किले पर अधिकार हासिल कर लिया था। इसके बाद मराठों और भवनों के साथ मंदिरों पर भी कब्जा कर लिया गया था।
कुंभलगढ़ किला एक पहाड़ी पर स्थित है जो समुद्र तल से करीब 1100 मीटर ऊपर है। इस किले के गेट को राम गेट या राम पोल के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में लगभग सात द्वार हैं और कुल 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 प्राचीन जैन और बाकी हिंदू मंदिर हैं। इस किले में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है जिसके अंदर एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। इस किले से थार रेगिस्तान में टिब्बा का एक सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता। कुंभलगढ़ किले की दीवारें 36 किमी व्यास की हैं, जो इसे दुनिया की सबसे लंबी दीवारों में से एक बनाती है। इस किले की ललाट दीवारे काफी मोटी हैं जिनकी मोटाई 15 फीट है। इस किले के अंदर एक लाखोला टैंक मौजूद है जिसका निर्माण राणा लाखा ने 1382 और 1421 ईस्वी के बीच किया था।
कुंभलगढ़ किले की भव्य दीवार जो पूरे किले से गुजरती है, जो ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार माना जाता है। इसलिए इसे ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है। यह दीवार 36 किमी तक फैली हुई है और 15 मीटर चौड़ी है जो कि आठ घोड़ों के एक साथ चलने के लिए चलने पर्याप्त है।
किले के अंदर कई स्मारक स्थित हैं जिनमे से कुछ महत्वपूर्ण स्मारकों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
गणेश मंदिर को किले के अंदर बने सभी मंदिरों में सबसे प्राचीन माना जाता है, जिसको 12 फीट (3.7 मीटर) के मंच पर बनाया गया है। इस किले के पूर्वी किनारे पर 1458 CE के दौरान निर्मित नील कंठ महादेव मंदिर स्थित है।
राणा कुंभा द्वारा निर्मित वेदी मंदिर हनुमान पोल के पास स्थित है, जो पश्चिम की ओर है। वेदी मंदिर एक तीन-मंजिला अष्टकोणीय जैन मंदिर है जिसमें छत्तीस स्तंभ हैं, जो राजसी छत का समर्थन करते हैं। बाद में इस मंदिर को महाराणा फतेह सिंह द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था।
पार्श्व नाथ मंदिर (1513 के दौरान निर्मित) पूर्व की तरफ जैन मंदिर है और कुंभलगढ़ किले में बावन जैन मंदिर और गोलरा जैन मंदिर प्रमुख जैन मंदिर हैं।
बावन देवी मंदिर का नाम एक ही परिसर में 52 मंदिरों से निकला है। इस मंदिर में केवल एक प्रवेश द्वार है। बावन मंदिरों में से दो बड़े आकार के मंदिर हैं जो केंद्र में स्थित हैं। बाकी 50 मंदिर छोटे आकार के हैं।
गडा पोल के करीब स्थित कुंभ महल राजपूत वास्तुकला के बेहतरीन संरचनाओं में से एक है। यह एक दो मंजिला इमारत है जिसमें एक सुंदर नीला दरबार है।
राणा फतेह सिंह (1885-1930 ईस्वी) द्वारा निर्मित यह कुंभलगढ़ किले का उच्चतम बिंदु है। इस महल तक पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियों से छत पर चढ़ना पड़ता है। यह दो मंजिला इमारत है जिसमें पेस्टल रंगों को चित्रित किया गया है।
कुंभलगढ़ किला राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास और आकर्षण की वजह से राजस्थान में सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक हैं। वैसे तो कुंभलगढ़ किले में घूमने लायक कई जगह है लेकिन इस लेख में हम आपको कुंभलगढ़ किले के पास उदयपुर में घूमने की 10 अच्छी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं।
बागोर की हवेली पिछोला झील के पास स्थित कुंभलगढ़ किले के पास के सबसे खास पर्यटन स्थलों में से एक है। इस हवेली का निर्माण 18 वीं शताब्दी में मेवाड़ के शाही दरबार में मुख्यमंत्री अमीर चंद बड़वा द्वारा किया गया था। इसके बाद यह हवेली वर्ष 1878 में बागोर के महाराणा शक्ति सिंह का निवास स्थान बन गई जिसकी वजह से इसका नाम बागोर की हवेली पड़ा। इस हवेली को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है जो मेवाड़ की संस्कृति को प्रस्तुत करता है, यहां के एंटीक संग्रह में राजपूतों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कई सामान जैसे कि आभूषण बक्से, हाथ के पंखे, तांबे के बर्तन शामिल हैं। इस विशाल संरचना में 100 से अधिक कमरे हैं और यह अपनी वास्तुकला की अनूठी शैली के साथ शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। अगर आप कुंभलगढ़ किले या उदयपुर की यात्रा करने जा रहे हैं तो इस पर्यटन स्थल को देखने के लिए जरुर जाएँ।
सहेलियों की बाड़ी का निर्माण संग्राम सिंह II द्वारा रानी और उनकी सहेलियों को उपहार के रूप में करवाया गया था। राजा ने स्वयं इस बगीचे को डिजाइन किया और इसे एक आरामदायक जगह बनाने का प्रयास किया, जहां रानी अपने 48 सहेलियों के साथ आराम कर सकती थी। यह गार्डन आज भी कई मायनों में अपने उद्देश्य को पूरा करता है और शहर की भीड़ भाड़ से बचने के लिए लोग इस स्थान पर आते हैं। यह कुंभलगढ़ किले के पास और उदयपुर में घूमने वाली सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
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मोती मगरी फतेह सागर झील की एक अनदेखी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसका निर्माण महाराणा प्रताप और उनके प्रिय घोड़े चेतक की स्मृति में एक श्रद्धांजलि करवाया गया है। यहां जगह आपको कई आकर्षक दृश्यों को देखने के लिए लुकआउट प्वाइंट प्रदान करता है। अगर आप महाराणा प्रताप से जुड़ी घटनाओं की आश्चर्यजनक विरासत को जानना चाहते हैं तो मोती मगरी की यात्रा जरुर करें। मोती मगरी फतेह कुंभलगढ़ किले के पास के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जहां आपको एक बार जरुर जाना चाहिए।
शिल्पग्राम लगभग लगभग 70 एकड़ भूमि में फैला हुआ और अरावली पर्वतमाला की गोद में स्थित राजस्थान की पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए लिए स्थापित एक एक ग्रामीण कला और शिल्प परिसर है। यह स्थान कई कारीगरों को रोजगार देता है और कई सांस्कृतिक त्योहारों का एक केंद्र है, जो इस स्थान पर नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। यहाँ का एक अन्य प्रमुख आकर्षण ओपन एयर एम्फीथिएटर है जो कई कला उत्सवों के लिए केंद्र का काम करता है। अगर आप ग्रामीण जीवन की सादगी का अनुभव करना चाहते हैं तो एक बार शिल्पग्राम को देखने के लिए जरुर जाएँ। अगर उदयपुर घूमने के लिए आ रहे हैं तो आपको एक बार अगर आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए आये हैं तो आपको उदयपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थल शिल्पग्राम की सैर जरुर करना चाहिए।
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विंटेज कार संग्रहालय उदयपुर कुंभलगढ़ किले के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, जो मोटर और कार में दिलचस्पी करने वाले लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है। इस म्यूजियम का उद्घाटन फरवरी साल 2000 में किया गया था, जिसके बाद यह बहुत की लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया। इस म्यूजियम में कई पुरानी कारों जैसे 1934 के रोल्स-रॉयस फैंटम जो बॉन्ड फिल्म ऑक्टोपुसी में इस्तेमाल हुई थी और कई दुर्लभ रोल्स रॉयस मॉडल की कारों का घर है। यह स्थान आपको शहर की भीड़ से दूर लाकर एक शांतिपूर्ण वातावरण करवाता है।
लेक पैलेस उदयपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है इसके साथ ही कुंभलगढ़ किले के पास घूमने के सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। यह एक प्रसिद्ध विवाह स्थल भी है जो उदयपुर शहर में वास्तुकला का एक चमत्कार है। लेक पैलेस लेक पिछोला झील के द्वीप पर स्थित है जिसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय द्वारा 1746 में करवाया गया था और 1960 के दशक में इसको एक लक्जरी होटल में बदल दिया गया। अब यह ताज लक्जरी रिसॉर्ट्स का एक हिस्सा है। इस शानदार होटल को कई हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है।
फतेह सागर झील उदयपुर शहर के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक बहुत ही आकर्षक झील है, जब भी आप कुंभलगढ़ किला घूमने के लिए आये हैं तो आपको इस झील को देखने के लिए भी अवश्य जाना चाहिए। यह झील उदयपुर की दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है, जो अपनी सुंदरता से पर्यटकों को मोहित करती है। इस झील के पास का शांत वातावरण यात्रियों को एक अद्भुद शांति का एहसास करवाता है। फतेह सागर झील एक वर्ग किलोमीटर के में फैली हुई है जो तीन अलग अलग द्वीपों में विभाजित है, इसका सबसे बड़ा द्वीप नेहरु पार्क कहलाता है जिस पर एक रेस्टोरेंट और बच्चो के लिए एक छोटा चिड़ियाघर भी बना हुआ है, जो एक पिकनिक स्पॉट के रूप में भी काफी प्रसिद्ध है। इस झील के दूसरे द्वीप में एक सार्वजानिक पार्क है जिसमें वाटर-जेट फव्वारे लगे हुए हैं और तीसरे में उदयपुर सौर वेधशाला स्थित है। फतेह सागर झील शहर की खास झीलों में से एक होने की वजह से यहां पर्यटकों की काफी भीड़ रहती है। इस जगह पर लोग बोटिंग करना बेहद पसंद करते हैं।
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जगदीश मंदिर उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर में बना हुआ एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है जो भगवान विष्णु के समर्पण में बनवाया गया है। इस मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर में सुंदर नक्काशी, कई आकर्षक मूर्तियाँ और यहाँ का शांति भरा माहौल पर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। जो भी इंसान एक बार इस मंदिर में आता वो इसकी सुंदरता, वास्तुकला और भव्यता को देखकर हर कोई इसकी तरफ आकर्षित हो जाता है। कुंभलगढ़ किले के पास के अन्य पर्यटक स्थलों को भी देखना चाहते हैं तो इस मंदिर के दर्शन के लिए भी जरुर जाना चाहिए।
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पिछोला लेक एक मानव निर्मित झील है जिसको वाले एक आदिवासी पिच्छू बंजारा ने करवाया था। महाराणा उदय सिंह पिछोला झील की सुंदरता से मुग्ध थे इसलिए उन्होंने इस झील के किनारे उदयपुर शहर का निर्माण करवाया था। पिछोला झील उदयपुर की सबसे बड़ी और पुरानी झीलों में से एक है। यह झील यहां आने वाले यात्रियों को अपनी सुंदरता और वातावरण से आकर्षित करती है। बड़ी पहाड़ों, इमारतों और स्नान घाटों से घिरा यह स्थान शांतिप्रिय लोगों के लिए स्वर्ग के सामान है। उदयपुर के इस पर्यटन स्थल पर आप बोटिंग भी कर सकते हैं। शाम के समय यह जगह सुनहरे रंग में डूबी हुई दिखाई देती है। यहां का खूबसूरत दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। पिछोला लेक परिवार के लोगों और दोस्तों के साथ घूमने की एक बहुत अच्छी जगह है। अगर आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए उदयपुर शहर आये हैं तो इस पर्यटन स्थल को देखने जरुर जाएँ।
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सिटी पैलेस उदयपुर शहर में पिछोला लेक के किनारे स्थित एक शाही संरचना है जो उदयपुर शहर कुम्भगढ़ किले के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है, सिटी पैलेस का निर्माण 1559 में महाराणा उदय सिंह ने करवाया था। इस महल में महाराजा रहते थे और उनके उत्तराधिकारियों ने इस महल को और भी शानदार बना दिया और इसमें कई संरचनाएं जोड़ी। इस पैलेस में अब कमरे, आंगन, मंडप, गलियारे और छत्त शामिल है। इस जगह पर एक संग्राहलय भी स्थित है जो राजपुत कला और संस्कृति को प्रदर्शित करता है।
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कुम्भलगढ़ गर्मियों के दौरान गर्म और शुष्क जलवायु होती है इसलिए इस समय यहां की यात्रा करना काफी थकाऊ होता है। सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में कुंभलगढ़ की यात्रा करने का अच्छा समय हैं, क्योंकि यह मौसम दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए काफी अच्छा है। इस मौसम में वन्यजीव अभयारण्य में जंगली जानवरों को स्पॉट करने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।
कुंभलगढ़ में में अपना कोई खास स्थानीय व्यंजन नहीं है लेकिन यहां आपको खाने के लिए बहुत कुछ मिलेगा। यहां पर आपको साउथ इंडियन, राजस्थानी से लेकर नॉर्थ इंडियन और पंजाबी तक कई तरह के भोजन विकल्प उपलब्ध हैं जिनसे आप अपनी भूख को मिटा सकते हैं।
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कुंभलगढ़ किला जाने के लिए उदयपुर निकटतम हवाई अड्डा है, जो कुंभलगढ़ से लगभग डेढ़ से दो घंटे की ड्राइव पर स्थित है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन फालना रेलवे स्टेशन है। कुंभलगढ़ रोड़ नेटवर्क द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
कुंभलगढ़ का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा है। जो कुंभलगढ़ से करीब 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे पर उतरने के बाद कुंभलगढ़ जाने के लिए आप बस, टैक्सी या कार ले सकते हैं।
उदयपुर की यात्रा सड़क मार्ग से यात्रा करना बहुत अच्छा साबित हो सकता है। क्योंकि शहर रोड नेटवर्क द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, इंदौर, कोटा और अहमदाबाद अच्छी तरह कनेक्टेड है। राजस्थान और उसके आसपास के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से कुंभलगढ़ के लिए बस सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। बस के अलावा आप कार, टैक्सी या कैब किराए पर लेकर कुंभलगढ़ पहुंच सकते हैं।
कुंभलगढ़ में अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन फालना रेलवे स्टेशन है, इसके अलावा विकल्प के रूप में उदयपुर रेलवे स्टेशन भी है। उदयपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर है जो रेल के विशाल नेटवर्क पर स्थित है। यहां के लिए आपको भारत के सभी बड़े शहरों जयपुर, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, मुंबई और कोटा से आसानी से ट्रेन मिल जायेंगी। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप टैक्सी या कैब और बस की मदद से कुंभलगढ़ पहुंच सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने कुंभलगढ़ किला का इतिहास और इसके आसपास घूमने की जगहें के बारे में जाना है आपको हमारा यहाँ आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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