Historical Places of Maharashtra in Hindi : ऐतिहासिक मराठा साम्राज्य की जन्मस्थली, महाराष्ट्र का भारत के इतिहास से गहरा नाता है जिसने मराठा साम्राज्य के साथ साथ मोर्यों से लेकर, चालुक्य वंश, मुग़ल शासको और ब्रिटिश शासन तक सभी को आते जाते देखा है और आज भी महाराष्ट्र में इन साम्राज्य के राजायों द्वारा निर्मित किले, गुफायें, मकबरे और भी बहुत कुछ मौजूद है, जो इतिहास प्रेमियों और देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद बने हुए है। यदि हम महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) की बात करें तो इस सूचि में सबसे जाड्या नाम मराठा साम्राज्य द्वारा निर्मित किलो के है जो शिवाजी महाराज और उनके वंशजो ने तैयार किये थे जो आज भी मजबूती से खड़े है और अपने समृद्ध इतिहास को वर्णित कर रहे है –
यदि आप महाराष्ट्र के समृद्ध इतिहास के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं तो आपको एक बार महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल की यात्रा जरूर करनी चाहिए। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विरासत स्थल इस बात के प्रमाण हैं कि ये राजवंश कितने भव्य और गौरवशाली थे।
“विक्ट्री ऑफ़ फोर्ट” या “विजय का किला” के नाम से जाना जाने वाला जयगढ़ फोर्ट महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक किले (Historical Forts of Maharashtra in Hindi) में से एक है। जयगढ़ गाँव के पास और गणपतिपुले के उत्तर-पश्चिम में लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, जयगढ़ किले के अवशेष जयगढ़ क्रीक की ओर एक चट्टान पर स्थिर हैं जहाँ शास्त्री नदी विशाल और मंत्रमुग्ध करने वाले अरब सागर में प्रवेश करती है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर माने जाने वाले इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में बीजापुर सल्तनत द्वारा किया गया था।
कुछ लोगों का मानना है कि राजसी किले को बनाने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन मानव बलि के बिना सभी व्यर्थ थे। इसी वजह से किला का निर्माण नही हो पा रहा थे जिसके बाद जयगढ़ के नाम के एक लड़के ने अपनी स्वेच्छा से अपने जीवन का बलिदान दिया जिसके बाद किले का निर्माण पूरा हो सका। और उसी युवक के बलिदान को हमेशा याद रखने के लिए किले का नाम जयगढ़ किला रखा गया था।
रायगढ़ किला महाड में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में 820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित महाराष्ट्र का प्रमुख ऐतिहासिक किला (Historical Forts of Maharashtra in Hindi) है। यह किला मराठों के लिए बहुत गर्व का है जो उनकी बहादुरी और दुस्साहस की याद दिलाता है। रायगढ़ किला सिर्फ एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल नहीं है, यह तीर्थयात्रा का एक पवित्र स्थान है जिसमें छत्रपति शिवाजी द्वारा पोषित हिंदवी स्वराज्य की भव्य दृष्टि की छाप है। किले के अधिकांश हिस्से खंडहर होने के बाबजूद अभी भी मराठों के बहादुर इतिहास का दावा करता है जो इतिहास प्रेमियों और मराठों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
रायगढ़ किले का वास्तविक निर्माण 1030 के दौरान चंद्रराव मोर्स द्वारा निर्मित करबाया गया था जिस दौरान किले को “रायरी के किले” के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1656 में यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के आधीन आ गया जिसके बाद उन्होंने किले का नवीनीकरण और विस्तार करके इसका नाम बदलकर रायगढ़ किला रखा दिया जो भी उनकी वीर गथायों से गुजं रहा है।
3400 फीट की ऊंचाई पर स्थित लोहागढ़ किला यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और महाराष्ट्र की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर (Historical Places of Maharashtra in Hindi) में से एक है। यह ऐतिहासिक किला पुणे से लगभग 52 किलोमीटर और लोनावाला हिल स्टेशन से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। लोहागढ़ का किला 18 वीं शताब्दी का किला हैं जोकि ऐतिहासिक महत्व के साथ साथ अलग-अलग समय में कई राजवंशों के लिए शक्ति का प्रमुख केंद्र रहा है। लोहागढ़ किला अपने आप में एक विशाल संरचना है जो कभी शक्तिशाली मराठा साम्राज्य के नियंत्रण में था। माना जाता हैं कि यह वही किला हैं जिसमे छत्रपति शिवाजी महाराज अपना खजाना रखते थे।
मालवली के पास एक प्रभावशाली पहाड़ी के ऊपर स्थित, यह गंतव्य प्राचीन वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता का आदर्श संगम है जो हर साल हजारों पर्यटकों, इतिहास प्रेमियों और ट्रेकर्स को अपनी और आकर्षित करने में कामयाब होता है। यदि आप अपनी यात्रा के लिए महाराष्ट्र के फेमस हिस्ट्रीकल फोर्ट्स को सर्च कर रहे हैं तो यह फोर्ट यक़ीनन आपके यात्रा के लायक है।
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अरब सागर के पानी से घिरा हुआ “कोलाबा किला या अलीबाग फोर्ट” एक 300 साल पुराना किला है, जो कभी शिवाजी महाराज के शासन के दौरान मुख्य नौसेना स्टेशन था। किले के अंदर की दीवारें, जानवरों और पक्षियों की नक्काशी जैसे ऐतिहासिक कलाकृतियों और अवशेषों से युक्त है, किले के अन्दर प्राचीन मंदिर भी मौजूद है, जिन्हें पर्यटक कोलाबा फोर्ट की यात्रा में देख सकेगें। कोलाबा किले को अपने इन्ही ऐतिहासिक महत्व के कारण महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर (Historical Places of Maharashtra in Hindi) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित स्मारक के रूप में भी घोषित किया गया है।
मुरुद जंजीरा किला महाराष्ट्र के तटीय गांव मुरुद के एक द्वीप पर स्थित एक शक्तिशाली किला है। माना जाता हैं कि मरूद जंजीरा किला लगभग 350 वर्ष पुराना हैं जिसके निर्माण में 22 वर्ष का समय लग गया था। जंजीरा किला की ऊंचाई समुद्र तट से लगभग 90 फिट हैं और इसकी नीव की गहराई लगभग 20 हैं। यह जानकार आपको हैरानी होगी की मुरुद जंजीरा किला 22 सुरक्षा चौकियो के साथ-साथ 22 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हैं। यह ऐतिहासिक किला विस्मयकारी है जो अपने रोचक तथ्यों, ऐतिहासिक महत्व और वास्तुकला के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
जंजीरा किला का सबसे शानदार आकर्षण किले की तीन विशाल तोप हैं जिन्हें कलाल बंगदी, चवरी और लांडा कसम के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा मुरुद जंजीरा किले में दो महत्वपूर्ण द्वार हैं। जिसमे से मुख्य द्वार जेट्टी का सामना करता है और इसका प्रवेश मार्ग आपको दरबार या दरबार हॉल तक ले जाता है।
दौलताबाद किला औरंगाबाद के मुख्य शहर से 15 किमी दूर स्थित एक ऐतिहासिक प्राचीन संरचना है जो हरियाली के बीच बड़ी ही शान से खड़ा है। दौलताबाद किला ‘महाराष्ट्र के सात अजूबों’ में से एक के रूप में जाना जाता है जिससे आप इसके ऐतिहासिक महत्व का अनुमान लगा सकते है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) और किले के रूप में पहचाना प्राप्त इस किले का निर्माण 1187 में यादव वंश द्वारा बनाया गया था जब मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली की गद्दी संभाली। किले को देश में सबसे अच्छे संरक्षित किलों में माना जाता है, जो बिना किसी फेरबदल के कई वर्षों तक जीवित रहा है।
आपको बता दें कि यह किला देवगिरि किला के रूप में भी जाना जाता है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। पराक्रमी देवगिरि किले का एक और अनूठा पहलू इसकी इंजीनियरिंग प्रतिभा है, जिसने न केवल दुश्मन ताकतों के खिलाफ अभेद्य रक्षा प्रदान की, बल्कि पानी के अपूरणीय संसाधनों को भी अच्छी तरह से प्रबंधित किया था।
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सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र के तट पर स्थित, एक ऐतिहासिक किला है। जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने सन् 1664 में बनवाया था। यह भव्य किला 48 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसकी विशाल दीवारें समुद्र की दुर्घटनाग्रस्त लहरों के खिलाफ खड़ी हैं। किले के मुख्य द्वार को इस तरह बनाया गया है कि कोई भी इसे बाहर से पहचान न सके। सिंधुदुर्ग किले में 42 बुर्ज भी हैं, जो अभी भी ऊंचे हैं और पद्मगढ़, राजकोट और सरजेकोट किले जैसे कई छोटे किलों से घिरे हैं। साथ मराठा वीर छत्रपति को समर्पित एक छोटा मंदिर भी किले की सीमा के अन्दर स्थित है।
यह ऐतिहासिक किला मराठा दूरदर्शिता और साधन संपन्नता का एक ठोस उदाहरण है जो इसे महाराष्ट्र के प्रमुख विरासतीय स्मारकों (Historical Places of Maharashtra in Hindi) की सूचि में शामिल करता है। यह शक्तिशाली किला न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण आकर्षण है, बल्कि आसपास के परिदृश्य की प्राकृतिक सुंदरता इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाती है। अपनी इसी सुन्दरता और ऐतिहासिक महत्व के बल बूते सिंधुदुर्ग किला हर साल हजारों पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को अपनी और आकर्षित करता है।
फेमस हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ महाराष्ट्र (Historical Places of Maharashtra in Hindi) की लिस्ट में लिस्टेड सिंहगढ़ फोर्ट पुणे शहर से लगभग 35 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित एक पहाड़ी किला है। शोधकर्ताओं और किले से जुड़ी कुछ जानकारियों के अनुसार इस किले का निर्माण 2000 साल पहले का माना जाता है। बात दे इस किले को प्राचीन में कोंधना के नाम से जाना था जो कई लड़ाइयों का स्थल रहा है, विशेष रूप से 1670 में सिंहगढ़ की लड़ाई। महाराष्ट्र के इस ऐतिहासिक किला का निर्माण खड़ी ढलानों के कारण प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए रणनीतिक रूप से बनाया गया था।
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अजंता की गुफा महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) में से एक है जिनका निर्माण दूसरी शताब्दी और 460-480 ईसवी में हुआ था। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विरासत स्थल की सूचि में शामिल अजंता की गुफाएं मुख्य रूप बौद्ध गुफा है, जिसमें बौद्ध धर्म की कला कृतियाँ है। इन गुफाओं का निर्माण दो चरणों में हुआ था पहले चरण में सातवाहन और इसके बाद वाकाटक शासक वंश के राजाओं ने इसका निर्माण करवाया। बता दे अजंता की गुफाएँ बौद्ध युग के बौद्ध मठ या स्तूप हैं जहाँ बौद्ध भिक्षु रहा करते थे और अध्ययन और प्रार्थना करते थे।
इन गुफाओं में प्राचीन चित्रकला और मूर्तिकला का बेहतरीन नूमना देखा जा सकता है, जिसे भारतीय चित्रकला कला और मूर्ति की कलाकारी का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण 1983 में इन गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था जिसके बाद यह अद्भुद गुफाएँ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में हैं।
यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल, एलीफेंटा गुफाएं मध्ययुगीन भारत के समय से रॉक-कट कला और वास्तुकला का एक नमूना है जो इसे महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) की लिस्ट में शामिल करता है। 60,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैली हुई एलीफेंटा गुफायें दो समूह में बांटा गया हैं, जिसका पहला भाग हिन्दू धर्म से सम्बंधित 5 गुफाओं में बांटा गया जबकि दूसरा भाग बौध धर्म से सम्बंधित दो गुफाओं का एक समूह हैं। इस परिसर में सात गुफाएँ हैं। पुर्तगालीयों के शासन काल के दौरान मुख्य गुफा हिंदू पूजा स्थल थी।
एलीफेंटा गुफाएं के निर्माण के पीछे सभी इतिहासकारों के अलग अलग मत है कुछ इतिहासकारों का मानना है कि एलीफेंटा गुफाओं का निर्माण कोंकण मौर्यों के शासनकाल में करबाया गया था। कुछ इतिहासकार इन गुफाओं के निर्माण का श्रेय कोंकण मौर्यों के सम्बन्धी कलचुरियों को दिया है। इसके अलावा चालुक्य और राष्ट्रकूटो को भी इन आकर्षित गुफाओं के निर्माण के पीछे माना जाता हैं। उस दौरान एलिफेंटा गुफा को मूल रूप से प्राचीन में घारपुरिची लेनि के नाम से जाना जाता था।
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक गुफाओं (Historical Caves of Maharashtra in Hindi) मे से एक कार्ला गुफाएं पुणे-मुंबई राजमार्ग पर स्थित एक बहुत ही प्राचीन गुफा है जो लगभग लगभग 2000 साल पहले की मानी जाती हैं। चट्टानी पहाड़ियों से उकेरी गई कार्ला गुफाएं महाराष्ट्र के साथ साथ भारत की सबसे पुरानी बौद्ध गुफाओं में से एक हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार महाराष्ट्र की इस ऐतिहासिक गुफा का निर्माण दो चरणों में किया गया था। पहला चरण का निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी तक चला जबकि दूसरा चरण 5 वीं शताब्दी ईस्वी से 10 वीं शताब्दी तक चला।
यहां पाए गए शिलालेखों में देश भर के विभिन्न व्यक्तियों जैसे वेजामती, सोपारा, उमेहनकाटा और धेनुकाता का उल्लेख है। ऐसे अन्य शिलालेख हैं जो वेल्लुरका संघ को भूमि दान की ओर इशारा करते हैं और इसलिए, गुफाओं को प्राचीन समय में ‘वेलुराका के नाम से भी जाना जाता है। पुराने समय में वेलुरका के रूप में जाने जानी वाली, कार्ला गुफाओं में देवी एकवीरा को समर्पित एक मंदिर के साथ एक विशाल १५ मीटर का स्तंभ है। इसमें एक बौद्ध मठ भी है जिसके बारे में माना जाता है कि इसे दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास बनाया गया था।
यदि आप अपनी इस ट्रिप के लिए हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ महाराष्ट्र को सर्च कर रहे हैं तो मुंबई में बोरीवली के पास, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित “कान्हेरी की गुफाएँ” आपके लिए एक दम परफेक्ट जगह है। महाराष्ट्र की महाराष्ट्र की प्रमुख ऐतिहासिक गुफायें (Historical Caves of Maharashtra in Hindi) में शामिल कान्हेरी की गुफाएँ वास्तव में चट्टानों का समूह हैं जिन्हें गुफाओं के रूप में काटा गया हैं। ये गुफाएँ भारत की सबसे प्राचीन गुफायों में से एक है जो प्राचीन काल के बौद्ध प्रभाव का चित्रण करती हैं।
आपको जानकारी हैरानी हो सकती है काहेरी गुफाएँ 100 से अधिक रॉक-कट गुफाओं का एक आकर्षक संग्रह है जिसमें ब्राह्मी, देवनागरी और 3 पाहलवी में शिलालेख सहित लगभग 51 सुपाठ्य शिलालेख और 26 एपिग्राफ हैं, यह शिलालेख पहली शताब्दी से लेकर 10 वीं शताब्दी तक के माने जाते हैं, जो उनके बेसाल्ट संरचनाओं को दर्शाते हैं।
गेटवे ऑफ इंडिया भारत में 20 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया महाराष्ट्र का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक (Historical Monuments of Maharashtra in Hindi) है। यह मुंबई के दक्षिण अरब सागर के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग के अंत में अपोलो बंदर क्षेत्र के तट पर स्थित है। गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के “ताजमहल” के रूप में भी जाना जाता है जिससे आप इसके ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा लगा सकते है। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण दिल्ली दरबार के पहले किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की मुंबई यात्रा के उपलक्ष्य में किया गया था। इसके निर्माण की आधारशिला 31 मार्च, 1913 को रखी गयी थी जो 1924 में जाकर पूरा हुआ था। मुख्य रूप से इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला शैली में निर्मित इस स्मारक का मेहराब मुस्लिम शैली का है जबकि सजावट हिंदू शैली की है।
गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगी है जो मराठाओं के गर्व और साहस के प्रतीक को प्रदर्शित करती है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) में से एक गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई शहर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है जो दुनिया भर पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है।
1892 में सुल्तान मोहम्मद शाह आगा खान III के शासन काल में निर्मित आगा खान पैलेस महाराष्ट्र के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल (Historical Monuments of Maharashtra in Hindi) में से एक है। यह भव्य पैलेस पुणे में स्थित है जो अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। आगा खान पैलेस भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है क्योंकि कभी इसने भारत की स्वतंत्रता के कई निर्णायक क्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह वह स्थान था जहां महात्मा गांधी, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी, साथ ही सरोजिनी नायडू और महादेव देसाई को बंदी बनाया गया था। यह वह स्थान भी है जहां कस्तूरबा गांधी और महादेव देसाई की मृत्यु हुई थी। आगा खान पैलेस अपनी स्थापत्य उत्कृष्टता और ऐतिहासिक महत्व दोनों के लिए जाना जाता है।
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विरासतीय स्थल (Historical Monuments of Maharashtra in Hindi) के रूप में जाने जाना वाले इस पैलेस का निर्माण अकाल की चपेट में आने वाले पड़ोसी क्षेत्रों में गरीबों की सहायता के लिए किया गया था। आगा खान पैलेस के ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए 2003 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस स्थल को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में घोषित किया।
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विरासत स्थल (Historical Monuments of Maharashtra in Hindi) में शामिल शनिवार वाड़ा एक भव्य हवेली है जिसे 18वीं शताब्दी में बाजीराव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। बाजीराव ने मराठा शासक- छत्रपति साहू के पेशवा या प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। जब इस किले का वाडा बनाया गया था तब इसने शहर के लगभग पूरे क्षेत्र को कवर किया जो अब केवल 626 एकड़ तक रह गया है। शनिवार वाड़ा, विश्वासघात और छल की कहानियों से भरा हुआ है, साथ ही पेशवाओं की भव्यता, वीरता और न्यायपूर्ण शासन के अंतिम स्थायी प्रमाणों को भी जनता के सामने लाता है। पुणे शहर का पूरा पुराना हिस्सा इस ऐतिहासिक संरचना के चारों ओर एक अराजक लेकिन विडंबनापूर्ण, व्यवस्थित फैशन में रखा गया है।
यदि आप अपनी यात्रा के लिए महाराष्ट्र के फेमस हिस्ट्रीकल प्लेसेस (Historical Places of Maharashtra in Hindi)को सर्च कर रहे है तो आप शनिवार वाड़ा की यात्रा पर जा सकते है।
बीबी का मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में स्थित है जो आगरा के प्रतिष्ठित ताजमहल के साथ समानता रखता है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra in Hindi) के रूप में प्रसिद्ध बीबी का मकबरा राबिया उल – दौरानी उर्फ दिलरस बानू बेगम का एक खूबसूरत मकबरा है जो मुगल सम्राट औरंगजेब की पत्नी थी। यह मकबरा मुग़ल साम्राज्य के सबसे प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है जिसे 1651 और 1661 के बीच राबिया उल – दौरानी उर्फ दिलरस बानू बेगम की याद में बनाया गया था जो मुगल सम्राट औरंगज़ेब मुख्य और सबसे प्यारी पत्नी थी।
यह आकर्षक स्मारक ताजमहल से मिलता जुलता है, क्योंकि इसका डिजाइन बनाने की मुख्य प्रेरणा ताजमहल से मिली थी। इसलिए बीबी का मकबरा को लोकप्रिय रूप से दक्खन का ताज भी कहा जाता है जिससे आप इसकी प्रसिद्धी का अनुमान लगा सकते है।
महादजी शिंदे की छत्री पुणे में स्थित महाराष्ट्र का एक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक है। यह स्मारक 18 वीं शताब्दी के सैन्य नेता महादजी शिंदे को समर्पित एक स्मारक है, जिन्होंने पेशवाओं के लिए 1760 से 1780 तक मराठा सेना के सेनापति के रूप में कार्य किया था। यह शहर के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है और मराठा शासन की याद दिलाता है।
1794 में, स्मारक के परिसर में केवल एक मंदिर था, जो भगवान शिव को समर्पित था, जिसे स्वयं महादजी शिंदे ने बनवाया था। उसी वर्ष उनकी मृत्यु हो गई और इसी परिसर में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1965 में, महादजी शिंदे की याद में, शिव मंदिर के गर्भगृह के बाहर एक समाधि (स्मारक) का निर्माण किया गया था, जहाँ उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस या विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से मशहूर यह आधुनिक पुरातन रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल भी है, जिसे सी एस टी या वी टी के नाम से भी जाना जाता हैं। मुंबई शहर का यह रेल्वे स्टेशन अद्भुत संरचना और भारत में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस वास्तु शैलियां गोथिक कला का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक (Historical Monuments of Maharashtra in Hindi) में से एक छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को वर्ष 1853 में एक रेलवे स्टेशन के रूप में तैयार किया गया था जिसे बोरी बंदर रेलवे स्टेशन के रूप में स्थापित किया गया था। सन 1878 में महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के अवसर पर इस रेलवे स्टेशन को टर्मिनस के रूप में पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया गया था।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए वर्ष 1997 में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई को यूनेस्को के तहत विश्व विरासत स्थल में शामिल कर लिया गया था।
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इस लेख में आपने महाराष्ट्र के प्रमुख और सबसे अधिक घूमें जाने ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के बारे में जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बताएं।
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