Rajgir In Hindi, राजगीर शहर भारत के बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित हैं जो अपने आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। राजगीर पर्यटन स्थल बौद्ध धर्म, जैन धर्म और शांति के प्रतीक के रूप में जाना जाता हैं। शहर अपनी खूबसूरत वादियों और आकर्षण की वजह से पर्यटकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं। राजगीर के प्रमुख आकर्षण में खूबसूरत पहाड़ी, राजगीर के घने जंगल, रहस्यमयी गुफाएं आदि शामिल हैं। राजगीर में भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने अपना समय बिताया था। राजगीर को प्राचीन काल में मगध की राजधानी के रूप में जाना जाता था।
यदि आप राजगीर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा अवश्य पढ़े।
राजगीर पर्यटन स्थल की यात्रा में आप इसके आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। राजगीर में कई प्राचीन महल, मंदिर, अखाड़े, झील और उद्यान आदि शामिल हैं, जहाँ आप घूमने के लिए जा सकते हैं।
राजगीर में घूमने वाली जगह वेणुवन को राजा बिम्बिसार ने बांस ग्रोव, वेलुवना बौद्ध को अपने निवास स्थान के लिए दान में दिया था। लेकिन आज वही स्थान एक आकर्षित पर्यटन स्थल के रूप रूप में जाना जाता है, जिसमे बांस, फूल और मध्य में बुद्ध की आकर्षित छवि बनी हुई हैं। वेणुवन के प्रमुख आकर्षण में एक बड़ा तालाब और खूबसूरत पार्क है।
राजगीर में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध ग्रिधाकुटा एक आकर्षित चोटी हैं और गिद्ध चोटी के नाम से भी जाना जाता हैं। बता दें कि यह बौद्धों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। ग्रिधाकुटा ऐसे तीन प्रमुख स्थानों में से है जहां गौतम बुद्ध ने सबसे पहले प्रचार किया था। राजगीर शहर से बाहर एक छोटी मगर आकर्षित पहाड़ी हैं जोकि 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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राजगीर में देखने लायक जगह जापानी स्तूप को विश्व शांति स्तूप के रूप में भी जाना जाता है। जापानी स्तूप 400 मीटर की ऊँचाई पर ग्रिधाकुटा (Gridhakuta Hill) नामक पहाड़ी स्थित है और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। बता दें कि इस स्तम्भ का निर्माण जापानियों द्वारा करबया गया था जोकि विश्व शांति का प्रतीक हैं।
राजगीर रोपवे को भारत का सबसे पुराना रोपवे कहा जाता है। बता दें कि यह रोपवे बिहार राज्य के अस्तित्व में एकमात्र रोपवे है। रोपवे लाइन एक रोमांचकारी और साहसिक गतिविधि हैं जोकि पर्यटकों को प्राकृतिक स्थान रत्नागिरि हिल के शीर्ष पर ले जाता है। यहाँ विश्व प्रसिद्ध शांति स्तूप स्थित हैं जोकि शांति पैगोडा के नाम से जाना जाता हैं। रोपवे जमीन से लगभग 1000 फीट की ऊंचाई तक जाता हैं।
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राजगीर का धार्मिक स्थल मखदूम शाह कुंड पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। बता दें कि यह स्थान एक मुस्लिम सूफी संत मखदूम शाह के लिए जाना जाता हैं। पर्यटक यहाँ भी तपोधर्म की तरह कुछ गर्म झरनों की यात्रा कर सकते हैं।
राजगीर का ऐतिहासिक स्थल बिम्बिसार जेल पर्यटकों द्वारा घूमी जाती हैं। माना जाता है कि बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु ने अपने पिता को इसी स्थान पर कैद करके रखा था। बिम्बिसार जेल जमानी स्तूप का नजारा देखा जा सकता हैं।
राजगीर का प्रमुख आकर्षण वीरयातन संग्रहालय ऐसे पर्यटकों के लिए बेहद खास हैं जोकि 24 जैन तीर्थंकरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के इक्षुक हैं। क्योंकि वीरयातन संग्रहालय में जैन धर्म के 24 तीर्थकरो के इतिहास के बारे में जानकारी रखी गई हैं। वीरयातन संग्रहालय के आकर्षण में लकड़ी और धातु से निर्मित 3-डी पैनल चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
राजगीर में देखने के लिए साइक्लोपियन दीवार ऐतिहासिक महत्व रखती हैं। बता दें कि लगभग 2500 साल पुरानी यह दीवार 4 मीटर चौड़ी और 40 किलोमीटर लंबी हैं। साइक्लोपियन दीवार पूरे राजगीर शहर को घेरती हैं। साइक्लोपियन दीवार का निर्माण मौर्यों द्वारा शहर को चारो तरफ से मजबूत बनाने के उद्देश्य से किया गया था। वर्तमान समय में इसका अधिकांश भाग खंडहर के रूप में तब्दील हो गया हैं।
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राजगीर का मशहूर स्थल सोन भंडार एक ऐतिहासिक स्थान है। माना जाता हैं कि राजा बिम्बिसार का खजाना यही रखा जाता था। यह राजगीर कि पहाड़ी के दक्षिणी ढलानों पर स्थित हैं एक आकर्षित गुफा हैं। बता दें कि जैन धर्म से संबंधित पहले चार तीर्थंकरों और भगवान बुद्ध की प्रतिमा यहाँ देखी जा सकती हैं जोकि काले पत्थर से निर्मित हैं।
राजगीर की आकर्षित सप्तपर्णी गुफाएं वैभव पहाड़ी पर स्थित हैं। इस गुफा ने पहली बौद्ध परिषद (First Buddhist Council) की मेजबानी थीं। इस परिषद में लगभग 500 भिक्षुओं ने हिस्सा लिया था। बता दें कि इस परिषद् का नेतृत्व महाकश्यप ने किया था।
राजगीर का प्रसिद्ध स्थान पावापुरी जैन धर्म के अनुयाइयों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता हैं। पावापुरी बिहार राज्य के नालंदा जिले का प्रमुख आकर्षण भी हैं। पावापुरी को अपापुरी नाम के नाम से भी जाना जाता हैं। एक समय पावपुरी को मॉल महाजनपद की जुड़वां राजधानी के रूप में भी पहचान मिली थी। बता दें कि भगवान महावीर को 500 ईसा पूर्व में इसकी स्थान पर दफनाया गया था। पर्यटक दूर दूर से पावापुरी की यात्रा पर आते हैं। पावापुरी में कुछ पारंपरिक त्योहारों को बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता हैं जिनमे सबसे खास राजगीर नृत्य महोत्सव और छठ पूजा आदि हैं।
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राजगीर में देखने वाला स्थान मनियार मठ एक समय के दौरान सांपों की पूजा करने वाले पंथ का मठ हुआ करता था। इस स्थान के आंकड़ो से सांपो की संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता हैं। मठ की संरचना एक स्तूप के आकार में है जोकि एक छोटे मंदिर के नाम पर हैं।
राजगीर पर्यटन स्थल की यात्रा में कुंडलपुर एक आकर्षित पर्यटन स्थल हैं जोकि 24 वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर जन्म स्थान के रूप में जाना जाता हैं। बता दें कि गौतम स्वामी जी का जन्म स्थान भी कुंडलपुर है। भगवान महावीर की साढ़े चार फीट ऊँची एक आकर्षित प्रतिमा यहाँ का प्रमुख आकर्षण हैं। परिसर के अन्दर एक त्रिकाल चौबेसी जिनमंदिर है, जिसमे जैन तीर्थंकरों की 72 मूर्तियाँ स्थापित हैं।
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राजगीर का तीर्थ स्थलों में शामिल तपोधर्मा या लक्ष्मी नारायण मंदिर एक पवित्र स्थान हैं जोकि पर्यटकों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। पहले यहाँ एक प्राचीन बौद्ध मठ तपोभूमि में मौजूद था, लेकिन बाद में इस स्थान पर लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण किया गया। राजगीर का यह एक स्थान हैं जहां गर्म झरने पाए जाते हैं और गर्म पानी के इन झरनों में उपचारात्मक गुण भी मौजूद हैं।
राजगीर का आकर्षित ह्वेन त्सांग मेमोरियल हॉल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। इस स्थान को चीनी विद्वान की स्मृति में निर्मित किया गया था।
राजगीर में देखने वाला स्थान चेरियट ट्रैक्स के बारे में मान्यता हैं कि यह भगवान् श्री कृष्ण के रथ के पहियों से काटे गए समान्तर शैल शिलालेख हैं। भगवान कृष्ण में आस्था रखने वाले यात्री इस स्थान पर घूमने के लिए अवश्य आते हैं।
राजगीर पर्यटन में घूमने वाली जगह राजगीर हॉट स्प्रिंग्स पर्यटकों को बेहद रास आती हैं। बता दें कि राजगीर शहर सात गर्म झरनों (सप्तर्षि) के लिए जाना जाता हैं। जोकि ब्रह्मकुंड नामक गर्म पानी के एक बड़े कुंड में एकत्रित होते हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के अनुयाई इस स्थान पर स्नान करना पवित्र मानते हैं। मान्यता हैं कि इन झरनों के पानी में औषधीय गुण विधमान हैं।
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राजगीर का प्रसिद्ध सारिपुत्र स्तूप पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं। सारिपुत्र गौतम बुद्ध के दो प्रिय शिष्यों में से एक थे और उनकी अस्थियों को यहाँ रखा गया था। सारिपुत्र ने भगवान बुद्ध के पद चिन्हों पर चलकर मोक्ष का मार्ग चुना। सारिपुत्र स्तूप की संरचना एक पिरामिड की तरह हैं और स्तंभों से घिरा हुआ है। सारिपुत्र के स्तूप की सात परतें इसकी विशालता को बयाँ करती हैं।
घोड़ा कटोरा झील राजगीर के सबसे आकर्षित स्थानों में से एक है और अपने नाम के अनुसार घोड़े की भाती दिखाई देती हैं। घोड़ा कटोरा लेक पिकनिक जैसी गतिविधियों के लिए पर्यटकों के बीच बहुत लौकप्रिय हैं। घोडा कटोरा झील राजगीर में सबसे साफ सुतरे पानी के लिए जानी जाती हैं।
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अजातशत्रु किला राजगीर का एक ऐतिहासिक फोर्ट हैं जोकि 6 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। किले के इतिहास से पता चलता हैं कि अपने पिता से राज सिंहासन की गद्दी हड़पने के बाद अजात शत्रु ने अपने पिता बिंबिसार को इस किले में कैद करके रखा था। राजगीर की यात्रा पर आने वाले पर्यटक इस किले में घूमने के लिए भी आते हैं।
जीविका मैंगो गार्डन राजगीर घूमने वाली प्रमुख जगहों में से एक हैं और पर्यटकों के लिए लुभाना दृश्य प्रस्तुत करता हैं जोकि जीविकामावन गार्डन के अन्दर स्थित हैं। बता दें कि जीवक बिम्बिसार, अजातशत्रु और मगध शासकों के शाही वेद (चिकित्सक) थे और उन्ही के नाम पर इस गार्डन का नाम रखा गया हैं।
पांडु पोखर एक खूबसूरत और प्राकृतिक पार्क हैं जोकि पर्यटकों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया गया हैं। पांडु पोखरा पार्क राजगीर में राजहरा पहाड़ियों की तलहटी में स्थित हैं और लगभग 22 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। पांडु पोखर उद्यान के प्रमुख आकर्षण में नौका विहार, शांत झील, जगमगाती रोशनी, राजा पांडु की कांस्य की आकर्षित प्रतिमा, बच्चो के मनोरंजन के लिए कई आकर्षित गतिविधियाँ आदि शामिल हैं।
राजगीर का ऐतिहासिक स्थान जरासंध का अखाड़ा वैभव पहाड़ी (Vaibhava Hill) के निकट स्थित हैं। बता दें कि यह पहले एक कुश्ती का अखाड़ा हुआ करता था। इसी स्थान पर सेनाओ मार्शल आर्ट के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। इस स्थान की कहानी महाभारत काल से जुडी हैं। मगध का सबसे शक्तिशाली सम्राट जरासंध और पांडु पुत्र भीम के बीच मल युद्ध इसी स्थान पर हुआ था जिसमे भीम ने जरासंध का बध कर दिया था और उनके कारागार में कैद सहह्स्त्रो राजाओं को मुक्त किया था। वर्तमान में यह अखाडा निर्जन वनस्पतियों के साथ एक सुनसान खंडहर के रूप में बदल गया हैं।
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राजगीर में देखने वाली जगहों में शामिल शंखलिपि शिलालेख बिंबिसार जेल से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। शंखलिपि शिलालेख चट्टानी इलाके में है और नक्काषित दिखाई देती है। बता दें कि शिलालेख के पास दो समानांतर पहियों के निशान मौजूद हैं। जिनके बारे में मान्यता हैं कि यह भगवान श्रीकृष्ण के रथ के पहियों निशान हैं।
यस्थीवाना एक प्राकृतिक पार्क हैं और राजगीर के प्रमुख आकर्षण में शामिल हैं। प्राचीन समय के दौरान यह बाग़ हुआ करता था। यस्थीवाना क्षेत्र तपोवन के निकट स्थित है और यह भगवान गौतम बुद्ध और मगध नरेश की भेंट के लिए जाना जाता हैं। बता दें कि इस मुलाकात के बाद मगध के राजा बिम्बसार गौतम बुद्ध के भक्त हो गए थे। यहाँ भगवान गौतम बुद्ध की एक 6 फिट ऊँची आकर्षित प्रतिमा स्थापित है।
राजगीर की यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च माह का माना जाता हैं। बता दें कि राजगीर का मौसम सर्दियों दौरान पर्यटन के अनुकूल रहता है जिसमे आप राजगीर और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों का दौरा कर सकते हैं और अपनी यात्रा का लुत्फ़ उठा सकते हैं। राजगीर महोत्सव का आयोजन अक्टूबर महीने के दौरान किया जाता हैं। राजगीर घूमने के लिए 1-2 दिन का समय पर्याप्त होता हैं।
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राजगीर और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप यहाँ किसी अच्छे निवास स्थान की तलाश कर रहे हैं। तो हम आपको बता दें कि राजगीर में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक होटल मिल जाएंगे। आप अपनी सुविधा और बजट के अनुसार होटल का चुनाव कर सकते हैं।
राजगीर अपने खूबसूरत पर्यटन स्थल के साथ साथ अपने लजीज भोजन के लिए भी प्रसिद्ध है। राजगीर के स्वादिष्ट भोजन आपको उंगलिया चाटने पर मजबूर कर देगा। राजगीर में आपको रेस्तरां और ढाबों पर स्वादिष्ट भोजन मिल जाएगा। राजगीर में आपको उत्तर भारतीय व्यंजन, जापानी, थाई, कोरियाई, बिहारी और चीनी व्यंजन हैं। लिट्टी चोखा, नैवेद्यम, चंद्रकला, पेड़ाकिया, चना घुगनी, खाजा, मटन कबाब और रेशमी कबाब, केसर पेड़ा, लौंग-लतिका, दाल पेठा, खजुरिया आदि हैं।
राजगीर पर्यटन स्थल की यात्रा के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
राजगीर पर्यटन स्थल की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि राजगीर का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है। लेकिन सबसे निकटतम जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट (Jay Prakash Narayan Airport) पटना में है, जोकि राजगीर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हवाई अड्डे से आप बस, टैक्सी आदि के माध्यम से राजगीर आसानी से पहुँच जायेंगे।
राजगीर की यात्रा के लिए यदि आपने रेल मार्ग का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि राजगीर का अपना रेलवे स्टेशन है, जोकि अपने आसपास के शहरो से रेलवे लाइन के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। राजगीर जाने के लिए रेलवे मार्ग सबसे अच्छा विकल्प हो सकता हैं। बता दें कि पटना, कोलकाता और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरो से दैनिक रेलगाड़ियों उपलब्ध हैं।
राजगीर जाने के लिए अगर आपने बस का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि राजगीर सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के सभी शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं और यात्रा के लिए बसे नियमित रूप से चलती हैं। बोध गया और राजगीर के बीच आपको एयर कंडीसनर बसे मिल जाएगी।
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इस आर्टिकल में आपने राजगीर में घूमने की जगहें के बारे में जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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