Karauli Tourism In HIndi : करौली भारत का एक प्राचीन शहर है जो राजस्थान राज्य में स्थित है। आपको बता दें कि 1348 में स्थापित किया गया था। करौली इतिहास प्रेमियों के लिए घूमने की एक अदभुद जगह है क्योंकि यह कई ऐतिहासिक आकर्षणों और मंदिरों से भरा हुआ है। बता दें कि यह शहर श्री मदन मोहनजी के घर की प्रतिष्ठा रखता है जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है। आप यह जानकारी हैरान रह जायेंगे कि करौली में लगभग 300 मंदिर स्थित है जो इसे एक लोकप्रिय धार्मिक स्थल बनाते हैं। अगर आप राजस्थान में घूमने की कोई अच्छी जगह तलाश रहें हैं तो आपको करौली घूमने के लिए जरुर जाना चाहिए, क्योंकि इस शहर में बहुत सारे मंदिर, किले और महल स्थित है। यह शहर आपको राजस्थान समृद्ध, जीवंत और रंगीन विरासत की झलक दिखाता है।
करौली में स्थित सभी मंदिर बेहद शुभ और महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहाँ के शासक परिवार, भगवान कृष्ण के प्रत्यक्ष वंशज हैं। अगर आप करौली टूरिज्म के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम करौली के इतिहास और इसके पर्यटन स्थलों के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
करौली को राजा अर्जुन पाल ने 1346 ईस्वी में बनवाया था। उस समय करौली इसी नाम के एक छोटे से राज्य की राजधानी हुआ करता है। इस शहर के बारे में ऐसा माना जाता है कि यहां का शासक परिवार भगवान कृष्ण का उत्तराधिकारी है। बाद में करौली में अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया और उन्होंने यहां 1947 तक शासन किया। करौली शहर उत्तर और पूर्व में संकीर्ण घाटियों द्वारा प्राकृतिक रूप से बचाव की स्थिति में स्थित है और यह विशाल दीवारों द्वारा संरक्षित है।
करौली शहर में हर साल एक पशु मेला और दो पवित्र मेले आयोजित किये हैं। यह दो पवित्र मेले मार्च – अप्रैल और सितंबर – अक्टूबर के महीने में कैला देवी के मंदिर में लगते हैं। फरवरी के महीने में करौली में एक सप्ताह तक पशु मेला लगता है जो शिवरात्रि के त्योहार के समय आयोजित होता है।
करौली अपने घने जंगलों और दुर्लभ प्रजातियों से परिपूर्ण हैं। यहां के कुछ सबसे आम जानवरों में नीलगाय, सियार, बाघ, हिरण और हाथी हैं। यहां पाए जाने वाले सैंडपिपर्स और किंगफिशर ऐसे पक्षी हैं जिन्हें यहां देखा जा सकता है।
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करौली सिटी पैलेस यहां का प्रमुख आकर्षण है जिसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में अर्जुन पाल द्वारा करवाया गया था। इसके बाद 18 वीं शताब्दी में राजपा गोपाल सिंह द्वारा महल का पुनर्निर्माण किया गया था। आपको बता दें कि इस महल को बड़ी ही खूबसूरती के साथ लाल, सफेद और ऑफ-व्हाइट पत्थरों के उपयोग से बनाया गया है, जिसे देखने आपको जरुर जाना चाहिए।
कैला देवी मंदिर करौली से 23 किमी की दूरी पर स्थित है, जो देवी दुर्गा के 9 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर कालीसिल नदी के तट पर बसा हुआ है और इसे बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाया गया है। अगर आप करौली के पर्यटन स्थलों की सैर करने जा रहें हैं तो आपको इस भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर जाना चाहिए।
श्री महावीरजी जैन मंदिर भगवान महावीर को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के अंदर रखी भगवान की मूर्ति बहुत पुरानी है।इस मंदिर के अंदर विभिन्न पौराणिक स्थितियों के सोने से बनी सुंदर नक्काशी है जो भक्तों और यात्रियों को आकर्षित करती है।
मदन मोहनजी मंदिर करौली का एक प्रमुख मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। मदन मोहनजी मंदिर भद्रावती नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति एक बहुत पुरानी है जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि यह अजमेर से श्री गोपाल एस नघजी द्वारा लाई गई थी। यह मंदिर दिखने में रंगीन है और भारी संख्या में भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं।
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नक्काश की देवी गोमती धाम मंदिर करौली का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भारी संख्या में भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस पवित्र धार्मिक स्थल में मां दुर्गा की मूर्तियाँ स्थापित हैं और यहां बहुत ही भक्ति के साथ माता की पूजा की जाती है। यहां स्थित एक निर्मंल जलसेन तालाब इस जगह की पवित्रता को और भी ज्यादा बढाता है। अगर आप करौली की यात्रा करने जा रहें हैं तो इस पवित्र स्थल के दर्शन करना न भूलें।
गुफ़ा मंदिर करौली के पास जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों में स्थित है। बता दें कि अगर आप असली कैला देवी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको लगभग 8 किमी की पैदल दूरी तय करनी होगी। लेकिन आपको बता दें कि जंगल में जाते समय आपको बेहद सावधान रहना होगा क्योंकि किसी भी वक्त यहां जंगली जानवर हमला कर सकते हैं।
राजस्थान में करौली के पास स्थित मेहंदीपुर मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। हनुमान जी के इस मंदिर को बेहद पवित्र माना जाता है। बता दें कि यहां पर रोजाना भारी संख्या में भक्त बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए आते हैं। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने जाते हैं तो यहां पर कई बुरी आत्माओं से पीड़ित लोगों को देख सकते हैं।
भंवर विलास पैलेस करौली के पास स्थित एक बहुत ही सुंदर महल है जिसको 1938 में करौली के शासक महाराजा गणेश पाल देव बहादुर की देखरेख में बनाया गया था। यह महल पूरी तरह से प्राचीन तरीके और नक्काशी के साथ बनाया गया है। यह महल बेहद विशाल है और इसका निर्माण राजघराने के लोगों के लिए रहने के लिए किया गया था। भंवर विलास पैलेस अब आंशिक रूप से एक हेरिटेज होटल में बदल गया है जहाँ आप अपनी यात्रा के दौरान ठहर सकते हैं और यहां के उपचार का आनंद ले सकते हैं।
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तिमनगढ़ किला इतिहास प्रेमियों के लिए एक आदर्श जगह है। वैसे तो इस किले का निर्माण 12 वीं शताब्दी में किया गया था लेकिन इसका 1244 में राजा समयपाल द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था। आपको बता दें कि किला बहुत रहस्यमयी है और इसके बाद में कहा जाता है कि यहां परिसर के नीचे पत्थरों की मूर्तियां छिपी हुई हैं। अपने धार्मिक महत्व और ज्यामितीय पैटर्न के साथ यह किला सच में देखने लायक है। इस किले के पास एक झील स्थित है जो इसे और भी ज्यादा आकर्षक बनाती है।
रामथरा का किला करौली से 15 किमी की दूरी पर स्थित है जिसको बेहद भव्य रूप से बनाया गया है। यह किला लगभग 4 शताब्दी पुराना है। इस किले में एक गणेश मंदिर और एक शिव मंदिर भी स्थित है। बता दें कि यहां स्थित संगमरमर की मूर्तियों को 18 वीं शताब्दी के शिल्पकार द्वारा खूबसूरती से तैयार किया गया है। किले पास स्थित झील और ग्रामीण इलाके किले की सुरम्य सुंदरता को बढाते हैं।
राजा गोपाल सिंह की छत्री नाडी गेट के बाहर स्थित है, जिसके बगल में एक एक सुंदर नदी स्थित है जो इसकी सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। राजा गोपाल सिंह की छत्री अपने आकर्षण से हर साल बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करती है।
कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य कैला देवी मंदिर के पास स्थित है जो 680 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। आपको बता दें कि इस अभयारण्य में न केवल बहुत सारे पशु और पक्षी पाए जाते हैं बल्कि यहां पर बल्कि दो नदियाँ भी बहती हैं जो बनास नदी और चंबल नदी है। इस अभ्यारण्य में नीलगाय, चिंकारा, जंगली हॉग, भेड़िये, भालू, बाघ, जंगली सुअर, जैकाल जैसे जानवर पाए जाते हैं। अगर आप करौली के पास किसी प्राकृतिक पर्यटन स्थल की तलाश में हैं तो आपको कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा जरुर करना चाहिए। अगर आप इस पार्क को अच्छी तरह से एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो जीप सफारी का विकल्प चुन सकते हैं, जो आपको वन्यजीव अभयारण्य की पूरी सैर कराएगी।
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कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा करते समय आप यहाँ जीप सवारी का मजा ले सकते हैं और अभ्यारण्य को अच्छी तरह से एक्सप्लोर कर करते हुए कई तरह से सुंदर पक्षियों और जानवरों देख सकते हैं। अभ्यारण्य में जीप सवारी करना एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह जीप बहुत ही कम समय में आपको अभयारण्य की सैर करवा देती है।
रामथरा किला यहाँ आने वाले पर्यटकों को नाव चलाने का अवसर प्रदान करता है। इस किले के पास एक झील स्थित है जो जहां का ठंडा और शांत पानी शाम के समय बोटिंग करने के लिए एक आदर्श जगह है।
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अगर आप करौली की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहां की यात्रा का सबसे अच्छा समय महाशिवरात्रि के दौरान होता है, यह त्योहार मार्च के महीने में पड़ता है। इस दौरान आप प्रसिद्ध करौली पशु मेला भी देख सकें। महाशिवरात्रि करौली क्षेत्र में मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्योहार है।
करौली में कई दुकानें हैं जो हस्तशिल्प और स्थानीय वस्तुओं की बिक्री करती हैं। अगर आप हस्तशिल्प को पसंद करते हैं तो स्मृति के रूप में यहां कुछ खरीद सकते हैं।
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करौली राजस्थान राज्य में स्थित एक जिला है। करौली के लिए आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग द्वारा यात्रा कर सकते हैं जिसकी पूरी जानकारी नीचे दी गई है।
करौली का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में जयपुर सांगानेर हवाई अड्डा है जो भारत के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस हवाई अड्डे से करौली 170 किमी की दूरी पर है, जहां आप आसानी से उपलब्ध किराये की कारों से पहुंच सकते हैं।
करौली के पास हिंडौन सिटी रेलवे स्टेशन और गंगापुर रेलवे स्टेशन स्थित हैं। यह दोनों रेलवे स्टेशन करौली से लगभग 35 किमी की दूरी पर हैं।
जयपुर से करौली 170 किमी की दूरी पर स्थित है और जहां से पर्यटक किराये की कार या टैक्सी की मदद से अपने पर्यटन स्थल तक पहुंच सकते हैं। करौली को राजस्थान के प्रमुख शहरों से जोड़ने के लिए कई निजी और सार्वजनिक बसें चलती हैं।
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इस आर्टिकल में आपने करौली जिले का इतिहास और इसके प्रमुख पर्यटक स्थल को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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