Historical Temples of India in Hindi : जैसा की हम जानते है भारत को 56 करोड़ देवी देवतायों की भूमि माना जाता है। आज भारत देश में इन्ही देवी देवतायों को समर्पित हजारों मंदिर मौजूद है जो अपने आप में अद्वतीय और आस्था का केंद्र बने हुए है। इन मंदिरों का निर्माण का कई शताब्दी पहले से किया जाता आ रहा है। इनमे में कुछ मंदिर तो ऐसे है जिनकी उत्पति या निर्माण की अवधि भी तक अज्ञात है जबकि कुछ भारत के प्राचीन मंदिर का निर्माण कई सौ साल पहले किये गया था। इनमे न केवल शाही और प्राचीन संस्कृति को दर्शाया गया है बल्कि उच्च धार्मिक महत्व भी है। जो देश विदेश से भारी संख्या में श्र्दालुयों, पर्यटकों, इतिहास और कला प्रेमियों को अपनी तरफ आकर्षित करते है। आज, ये मंदिर हमें उन दिनों के हमारे अतीत और शिल्पकारों की स्थापत्य प्रतिभा की याद दिलाते हैं।
यदि आप भारत के प्राचीन मंदिर के बारे में जानने के लिए उत्साहित है तो आप हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हम आपको भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक और सबसे पुराने मंदिर के बारे में बताने वाले है –
वैसे तो पुरे भारत में कई हजारों मंदिर स्थापित है लेकिन आज हम यहाँ उन सभी के बारे में बात ना करते हुए आपको भारत के सबसे पुराने मंदिर के बारे में बताने वाले है जिनकी स्थापना आज से कई सौ साल या तो एक हजार साल से पहली हुई थी।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा गुफाओं की गुफा 16 में स्थित कैलास मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिर (oldest temples in India in Hindi)में से एक है। हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित कैलास मंदिर का निर्माण आठवी शताब्दी में (757-783 ई) के बीच राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम के द्वारा किया गया था। यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिर के साथ साथ असाधारण मंदिरों में से एक है जो अपने विशाल आकार, अद्भुत वास्तुकला, नक्काशी पैनलों, अखंड स्तंभों पर जानवरों और देवताओं की मूर्तियों पर जटिल डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है।
आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण करने के लिए लगभग 40 हजार टन बजनी पत्थरों को चट्टान से काटा गया था। देखा जाये तो कैलासा मंदिर एक इंजीनियरिंग चमत्कार है जो इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए एकदम सही है।
कैलास मंदिर का निर्माण कब हुआ : आठवी शताब्दी में (757-783 ई)
कैलास मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम
शोर मंदिर तमिलनाडु राज्य के महाबलीपुरम में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। शोर मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय के शासन काल में 700-728 ईस्वी के बीच में किये गया था। प्राचीन द्रविड़ शैली में निर्मित शोर मंदिर भारत के प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर (Historical Temples of India in Hindi) में से एक है जिसमे पल्लव वंश की शाही कला, संस्कृति को दर्शाया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शोर मंदिर को वर्ष 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया जा चुका हैं। भगवान शिव और श्री हरी विष्णु को समर्पित शोर मंदिर एक खूबसूरत पांच मंजिला रॉक-स्ट्रक्चरल संरचना हैं जिसमे तीन दर्शनीय मंदिर बने हुए हैं। यदि अपनी यात्रा के लिए भारत के सबसे पुराने मंदिर को सर्च कर रहे है तो आपको एक बार शोर मंदिर घूमने जरूर आना चाहिये। यकीन माने इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और प्राचीन वास्तुकला आपको बेहद प्रभावित करेगी।
शोर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 700-728 ईस्वी
शोर मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय
गुजरात राज्य की पवित्र नगरी द्वारका में गोमती नदी के तट पर स्थित द्वारकाधीश मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर (Ancient temples of india in Hindi) में से एक है जिसे लगभग 2200 साल पुराना माना जाता है। भगवान् कृष्ण जी को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर एक भव्य मंदिर है जिसे जगत मंदिर के नाम भी जाना जाता है। पौराणिक कथायों के अनुसार द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण लगभग 2200 साल पहले कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ द्वारा हरि-गृह के ऊपर करबाया था। लेकिन इस मंदिर की मूल संरचना 1472 में महमूद बेगड़ा द्वारा नष्ट कर दी गई थी, और बाद में 15 वीं -16 वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
8 वीं शताब्दी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदि शंकराचार्य द्वारा भी इस स्थान पर एक शारदा पीठ की स्थापना की गयी थी। द्वारकाधीश मंदिर विश्व में श्री विष्णु का 108 वाँ दिव्य देश है जो दिव्यप्रभात ग्रंथों में महिमा मंडित है।
द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण कब हुआ : 2200 साल पहले
द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण किसने करबाया : वज्रनाभ द्वारा
ओडिशा में पुरी के पूर्वोत्तर कोने पर स्थित, कोणार्क सूर्य मंदिर एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और ओडिशा के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। भारत के सबसे पुराने मंदिर (Oldest temples in India in Hindi) में से एक कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण गंग वंश के महान शासक राजा नरसिम्हदेव प्रथम ने अपने शासनकाल 1243-1255 ई. के दौरान 1200 कारीगरों की मदद से किया था। 13 वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर कलात्मक भव्यता और इंजीनियरिंग की निपुणता का एक विशाल संगम है। चूंकि गंगा वंश के शासक सूर्य की पूजा करते थे, इसलिए कलिंग शैली में निर्मित इस मन्दिर में सूर्य देवता को रथ के रूप में विराजमान किया गया है तथा पत्थरों को उत्कृष्ट नक्काशी के साथ उकेरा गया है। बता दे मंदिर परिसर के अंदर एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है जिसमे प्राचीन काल की कई वस्तुयों को संग्रहित किया है।
शोर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 13 वीं शताब्दी के मध्य
शोर मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राजा नरसिम्हदेव प्रथम
बादामी गुफा मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में बागलकोट जिले में स्थित ऐतिहासिक स्थल हैं जोकि भगवान विष्णु को समर्पित हैं। बादामी के गुफा मंदिरों में चार अलग-अलग मंदिर हैं, प्रत्येक में जटिल नक्काशी और चित्रण हैं। इन नक्काशियों ने पहले 3 मंदिरों में शिव और विष्णु को ब्राह्मण शैली का प्रतिनिधित्व करते हुए चित्रित किया है। चौथा मंदिर जैन तीर्थंकरों को समर्पित है। भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर में शामिल बादामी गुफा मंदिर का निर्माण छटवीं से आठवीं शताब्दी के दौरान पल्लव वंश के शासको द्वारा किया गया था। इस प्राचीन मंदिर को अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया गया है।
बादामी गुफा मंदिर का निर्माण कब हुआ : छटवीं से आठवीं शताब्दी
बादामी गुफा मंदिर का निर्माण किसने करबाया : पल्लव वंश के शासनकाल
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तमिलनाडु के तंजावुर (तंजोर) में स्थित बृहदेश्वर मंदिर भारत के प्राचीन मंदिर में से एक और प्रसिद्ध है, जिसका निर्माण लगभग 1000 साल पहले 1010 ईस्वी में राजा चोल (I) द्वारा करवाया गया था। बृहदेश्वर भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है जिसमें उनकी नृत्य करती हुई मुद्रा में मूर्ति स्थित है जिसको नटराज कहा जाता है। बृहदेश्वर मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में शामिल है, और अपने असाधारण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों की वजह से काफी प्रसिद्ध है। बृहदेश्वर मंदिर एक शानदार वास्तुशिल्प निर्माण है, जो भी इस मंदिर को देखने के लिए जाता है वो इसकी संरचना को देखकर हैरान रह जाता है।`आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर को बनने के लिए 130,000 टन से अधिक ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था।
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 1010 ईस्वी में
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राजा चोल प्रथम
राजस्थान राज्य के पुष्कर शहर में स्थित ब्रह्मा मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जिसे ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। भारत के प्राचीन मंदिर में से एक होने के साथ साथ यह मंदिर ब्रह्मा को समर्पित भारत का एक मात्र मंदिर है जिस वजह से हर साल यह मंदिर हजारों तीर्थ यात्रियों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। बता दे इस मंदिर को लगभग 2000 साल पुराना माना जाता है। शुरुआत में इस मंदिर का निर्माण ऋषि विश्वामित्र के द्वारा शरू किया गया था जिसकें बाद आदि शंकराचार्य के अधीन इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया। हलाकि मूल रूप इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया गया था।
ब्रह्मा मंदिर का निर्माण कब हुआ : 2000 साल साल पहले
ब्रह्मा मंदिर का निर्माण किसने करबाया : ऋषि विश्वामित्र
भगवान शिव को समर्पित लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर शहर में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। जब भारत के सबसे प्राचीन मंदिरो की बात हो तो भला लिंगराज मंदिर को केसे भुला जा सकता है। जी हाँ भारत के सबसे पुराने मंदिर में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त लिंगराज मंदिर का निर्माण आज से कई सौ साल पहले 7 वीं शताब्दी में राजा जाजति केशरी द्वारा किया गया था, जब उन्होंने अपनी सैन्य राजधानी को जयपुर से भुवनेश्वर स्थानांतरित कर दिया था। माना जाता है राजा जाजति केशरी भगवान् शिव के बहुत बड़े भक्त थे। इस प्राचीन मंदिर में कलिंग शैली के साथ उड़ीसा शैली का अद्भुद संयोजन देखा जा सकता है। इस मंदिर की महिमा और इसके ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर में रोजाना 6 हजार पर्यटक और इतिहास प्रेमी लिंगराज के दर्शन और यहाँ घूमने के लिए आते हैं।
लिंगराज मंदिर का निर्माण कब हुआ : 7 वीं शताब्दी
लिंगराज मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राजा जाजति केशरी
तमिलनाडु राज्य में कुंभकोणम शहर के केंद्र में स्थित आदि कुंभेश्वर मंदिर तमिलनाडु के सबसे प्रसिद्ध और भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक है जिसका निर्माण लगभग 1000 साल पहले किये गया था। भगवान शिव को समर्पित आदि कुंभेश्वर मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में चोल वंश के दौरान किया गया था जबकि मंदिर का जीर्णोद्धार 16 वीं शताब्दी ईस्वी में तंजावुर के अचुत नायककर के प्रमुख गोविंदा दीक्षित द्वारा किया गया था। बता दे इस मंदिर को राज्य में चोल साम्राज्य का 26 वाँ पेडल पेट्रा स्तलम माना जाता है जो कावेरी नदी के दक्षिण में फैला है। चोल काल में निर्मित कुंभेश्वर मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार है जो उस समय की विशिष्ट द्रविड़ वास्तुकला को दर्शाता है
आदि कुंभेश्वर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 9 वीं शताब्दी
आदि कुंभेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करबाया : चोल वंश में
श्री वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुपति शहर का सबसे प्रतिष्ठित है जिसमें साल भर पर्यटकों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। भगवान् वेंकटेश्वर को समर्पित इस मंदिर को भारत के सबसे धनी मंदिर होने के साथ साथ भारत के प्राचीन मंदिर में से एक रूप में भी जाना जाता है। 12 वीं शताब्दी के आसपास निर्मित इस मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू हुआ था। तब कई सम्राट और राजाओं ने समय-समय पर इसके निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। जबकि 18 वीं सदीं में मराठा जनरल राघोजी भौंसले ने मंदिर की व्यवस्था देखने के लिए स्थायी प्रबंधन समीति बनाई, जिसका नाम तिरूमाला तिरुपति देवस्थानम दिया गया।
श्री वेंकटेश्वर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 12 वीं शताब्दी
राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में माउन्ट आबू हिल्स स्टेशन के बीच स्थित दिलवाड़ा जैन मंदिर जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। भारत के सबसे पुराने मंदिर में से एक दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच विमल शाह द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की छत, द्वार, स्तंभ और पैनल में बहुत ही बारीकी से साथ नक्काशीदार सजावट की गई है, जो इसकी वास्तुकला की अद्वितीयता को बताते हैं। यह मंदिर प्राचीन समय की जटिल नक्काशी और हर कोने से संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर बाहर से बहुत ही सामान्य दिखता है, लेकिन जब आप इस मंदिर को अंदर से देखेंगे तो इसकी छत, दीवारों, मेहराबों और स्तंभों पर बनी हुई डिजाइनों को देखकर हैरान रह जायेंगे।
दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण कब हुआ : 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच
दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण किसने करबाया : विमल शाह द्वारा
बेंगलुरु के हलासुरू (उल्सूर) के उपनगरों में स्थित हलासुरू सोमेश्वर मंदिर हिंदू देवता शिव को समर्पित एक ऐतिहासिक मंदिर है। होयसाल द्वारा लगभग 12 वीं और 13 वीं शताब्दी में निर्मित हलासुरू सोमेश्वर मंदिर भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर (Historical Temples of India in Hindi) में से एक है जिस कारण अब इस मंदिर को कर्नाटक सरकार के बंदोबस्ती विभाग द्वारा प्रबंधित किया गया है। हालांकि, विजयनगर साम्राज्य के दौरान मंदिर के प्रमुख संशोधन और परिवर्धन किए गए थे। मंदिर की कई अन्य उल्लेखनीय विशेषताओं के अलावा, सबसे आकर्षक रावण की विस्तृत मूर्तियां हैं, जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को पकड़ती हुई दिखाई देती हैं।
हलासुरू सोमेश्वर मंदिर का निर्माण कब हुआ : 13 वीं शताब्दी
हलासुरू सोमेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करबाया : होयसाल
विरुपाक्ष मंदिर कर्नाटक राज्य के हम्पी में तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित एक पवित्र और ऐतिहासिक मंदिर हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की रानी, लोकमहादेवी के नाम से किया गया था, ताकि कांची के पल्लवों पर एक लड़ाई में राजा की सफलता का स्मरण किया जा सके। उस समय विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण छोटे मंदिर के रूप में शुरू हुआ था जिसे बाद में विजयनगर शासन के दौरान एक विशाल परिसर में विकसित किया गया था। इस बात के प्रमाण भी मौजूद हैं कि होयसला और चालुक्य संप्रभुता ने बाद के वर्षों के दौरान विरुपाक्ष मंदिर में परिवर्धन किए गए थे। मंदिर की दीवारों पर 7 वीं शताब्दी की समृद्ध शिलालेख भी मौजूद है जो इसे भारत के सबसे पुराने मंदिर (Oldest temples in India in Hindi) में से एक होने के प्रमाण को प्रस्तुत करते हैं।
विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण कब हुआ : 7 वीं शताब्दी
विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण किसने करबाया : विक्रमादित्य द्वितीय की रानी, लोकमहादेवी
खुजराहो मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर में से एक है जो अपनी कामुक शैली के लिए पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बता दे खुजराहो मंदिर हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है जिन्हें लगभग 1000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। बता दे इन सभी प्राचीन मंदिरों निर्माण चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच करबाया गया था। कहा जाता है मंदिरों का निर्माण करवाने के बाद चंदेल शासकों ने महोबा को अपनी राजधानी बना लिया। इस मंदिरों की जटिल नक्काशी और बेहतरीन कामुक मूर्तिकला किसी भी इतिहास और कला प्रेमी को खजुराहो आने के लिए सम्मोहित कर सकती है। जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में भी सूचीबद्ध किया गया है। खजुराहो के मंदिरों को, पश्चमी समूह, दक्षिणी समूह और पूर्वी समूह, तीन श्रेणियों में देखा जा सकता है। माना जाता है इस मंदिर में प्रदर्शित कामुक छवियाँ पुरुषो की यौन इच्छा को दर्शाता है।
खुजराहो मंदिर का निर्माण कब हुआ : 950 से 1050 के मध्य
खुजराहो मंदिर का निर्माण किसने करबाया : चंदेल वंश के राजायों
भारत के सबसे पुराने मंदिर (Ancient temples of india in Hindi) में से एक चेन्ना केशवा मंदिर कर्नाटक राज्य के हासन जिले में स्थित है। जिसे केशव, केशव या बेलूर के विजयनारायण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। बता दे चेन्ना केशवा मंदिर भारत का ऐतिहासिक मंदिर है जिसका निर्माण लगभग 1000 बर्ष पूर्व 1117 ईस्वी में राजा विष्णुवर्धन द्वारा शुरू किया गया था, कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण पूर्ण होने में 103 साल का समय लग गया था। क्योंकि इस दौरान मंदिर को आक्रमणकारियों ने कई बार क्षतिग्रस्त किया गया और युद्धों के दौरान लूटा गया था। चेन्नेकसवा (जलाया, “सुंदर केशव”) हिंदू भगवान विष्णु का एक रूप है। भगवान विष्णु को समर्पित चेन्ना केशवा मंदिर अपनी स्थापना के बाद से एक सक्रिय हिंदू मंदिर रहा है जो वर्तमान में बड़ी संख्या में श्र्धालुयों और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है।
चेन्ना केशवा मंदिर का निर्माण कब हुआ : 12 शताब्दी में
चेन्ना केशवा मंदिर का निर्माण किसने करबाया : राजा विष्णुवर्धन
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11 वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न द्वारा निर्मित जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक है। गंग वंश काल से प्राप्त हुए प्रमाणों के अनुसार जगन्नाथ पुरी मंदिर का निर्माण कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने शुरू कराया था। इस राजा ने अपने शासनकाल यानि 1078 से 1148 के बीच मंदिर के जगमोहन और विमान भाग का निर्माण कराया था। यह शानदार मंदिर भगवान जगन्नाथ का निवास है जो भगवान विष्णु का एक रूप है। जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के लिए सबसे श्रद्धेय तीर्थ स्थल में से एक है और बद्रीनाथ, द्वारका और रामेश्वरम के साथ पवित्र चार धाम यात्रा में शामिल है। जहां लाखों की संख्या में पर्यटक मंदिर को देखने के लिए आते हैं।
जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ : 11 वीं शताब्दी में
जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किसने करबाया : कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव
मुंडेश्वरी देवी मंदिर भारत के बिहार राज्य में कैमूर जिले के रामगढ़ गाँव में पौनरा पहाड पर स्थित है जिसे भारत का सबसे पुराना मंदिर (Oldest temple in India in Hindi) माना जाता है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव और शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार मुंडेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण 625 ईस्वी के आसपास किया गया था साथ ही मंदिर में 635 ईस्वी के शिलालेख भी पाए गये थे। इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है जो इस मंदिर को तीर्थ यात्रियों के लिए एक विशिष्ट आस्था केंद्र बनाती है।
मुंडेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण कब हुआ : 625 ईस्वी के आसपास
महाराष्ट्र राज्य में मुंबई के निकट माथेरान में स्थित अंबरनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है जिसे भारत के सबसे प्राचीन मंदिर में से एक रूप में भी जाना है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को अंबरनाथ मंदिर या अम्बेश्वर शिव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, और इसे स्थानीय रूप से पुराण शिवालय के रूप में भी प्रसिद्ध है। अंबरनाथ मंदिर का निर्माण 1060 ईस्वी में किया शीलहारा राजा छितराजा द्वारा करबाया गया था, जबकि हो सकता है इसका पुनर्निर्माण उनके पुत्र मुमुनी ने भी किया हो।
अंबरनाथ मंदिर का निर्माण कब हुआ : 1060 ईस्वी
अंबरनाथ मंदिर का निर्माण किसने करबाया : शीलहारा राजा छितराजा
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इस आर्टिकल में आपने भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर, प्राचीन मंदिर और भारत के पुराने मंदिरों के बारे में जाने है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बतायें।
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