Chitradurga Fort In Hindi, चित्रदुर्ग किला भारत के कर्नाटक राज्य में चित्रदुर्ग जिले में स्थित है। चित्रदुर्ग किले को “चित्त्तलदूर्ग” भी कहा जाता है जिसका अर्थ चित्रकारी किला है जोकि पहाड़ी घाटी पर स्थित हैं। चित्रदुर्ग किले का निर्माण विशाल पत्थरों से किया गया है। चित्रदुर्ग किला एक सुरम्य किला है जोकि घाटियों, नदी और चिन्मुलाद्री रेंज के कारण बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है। यह किला विभिन्न कन्नड़ फिल्मों की शूटिंग के लिए एक पसंदीदा स्थान भी है। चित्रदुर्ग किला कर्नाटक राज्य की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण के रूप में कार्य करता है।
वेदावती नदी के तट पर बसे इस चित्रदुर्ग किले में 7 विशाल दीवारे है जोकि महाभारत की महाकाव्य पौराणिक कथाओं से भी जुड़ी हैं। किले में अनेकों मंदिर भी स्थापित है जो इसकी वास्तुकला के प्रतीक माने जाते है। चित्रदुर्ग के किले से जुडी समस्त जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
चित्रदुर्ग के किले का इतिहास 1500 से 1800 ईस्वी में सामने आया। जब इस शानदार किले का निर्माण कई राजवंशी शासकों द्वारा करवाया गया था। इतिहासकारों द्वारा बताया गया है कि मदकर नायक के समय में हैदर अली ने चित्रदुर्ग किले पर तीन बार आक्रमण किये जिसमे से सन 1779 के अंतिम आक्रमण में हैदर अली को सफलता प्राप्त हुई और उसने फिर 200 वर्षो तक लगातार चित्रदुर्ग पर शासन किया और इस किले को और भी बड़ा बनबाया। इसके बाद ब्रिटिश सेना ने टीपू सुलतान के बेटे से युद्ध करके चित्रदुर्ग को जीत लिया और इस पर पूरी तरह से अपना अधिपत्य जमा लिया था।
चित्रदुर्ग किले को सोने के किले के नाम से भी जाना जाता है। चित्रदुर्ग किले की संरचना बहुत ही आश्चर्यजनक है। इस किले की शानदार संरचना पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करती है। चित्रदुर्ग किले में 18 मंदिर है जिनमे से कुछ इस प्रकार है- गोपाला कृष्णा, वनानम्म्मा, भगवान हनुमान, नंदी, सुबराय, फाल्कनर्स और सिद्देश्वर हैं। चित्रदुर्ग किले के निचले हिस्से में एक बहुत अद्भुत मंदिर है जोकि देवी दुर्गा को समर्पित है और इसके साथ ही चित्रदुर्ग का सबसे पुराना मंदिर हिडिंबेश्वर मंदिर है। कई इस्लामी राजाओं ने अपने शासन काल में चित्रदुर्ग किले में मस्जिद का निर्माण भी करवाया है।
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चित्रदुर्ग किले के निर्माण को लेकर कोई निश्चित साक्ष्य नही है परन्तु कई इतिहासकारो के द्वारा चित्रदुर्ग किले के निर्माण का श्रेय होयसाल, चालुक्य, विजयनगर साम्राज्य के कुछ सामंती स्वामी और राष्ट्रकूट के नायकों जैसे राजवंश शासकों को दिया गया है।
चित्रदुर्ग फोर्ट का निर्माण 15 वीं शताब्दी से 18 वीं शताब्दी के दौरान कई शासकों के द्वारा करवाया गया लेकिन किले का विस्तार हैदर अली और टीपू सुल्तान के शासन के दौरान किया गया था।
चित्रदुर्ग फोर्ट के खुलने और बंद होने का समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक का है। आप पूरे दिन में किसी भी समय इस ऐतिहासिक (सोने) के किले के दर्शन करने आ सकते है।
चित्रदुर्ग फोर्ट में प्रवेश करने से पहले आपको टिकट लेना बहुत जरूरी है। चित्रदुर्ग किले का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 5 रूपए प्रति व्यक्ति है और विदेशी नागरिको के लिए 100 रूपए प्रति व्यक्ति है।
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चित्रदुर्ग में घूमने के लिए बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थल है और चित्रदुर्ग जिले में आपको चित्रदुर्ग के विशाल किले के अलावा भी बहुत सारे दर्शनीय और प्रसिद्ध स्थान देखने को मिलेंगे। जोकि आपकी यात्रा को बहुत यादगार बना सकते है। आप चित्रदुर्ग फोर्ट घूमने के लिए आये तो इन शानदार और लोकप्रिय स्थानों पर आना ना भूले।
वाणी विलास सागर बांध चित्रदुर्ग से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित बहुत ही आकर्षक बाँध है। वेदवती नदी के पार सबसे पुराना बाँध मारी कानिव के नाम से भी जाना जाता है। अपने प्रकृति के दृश्यों से यह बांध हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। हिरियूर तालुक के पास स्थित यह बांध मैसूर महाराजाओं द्वारा बनबाया गया था और आज यह चित्रदुर्ग जिले के सबसे आकर्षित पर्यटन स्थलों में सबसे ऊपर गिना जाता है।
चंद्रावल्ली गुफाएं चित्रदुर्ग शहर से लगभग 4 किलोमीटर दूर जमीन से 80 फीट नीचे स्थित है। चंद्रावल्ली गुफाओं को अंचल मठ के नाम से भी जाना जाता है जोकि एक प्राकृतिक चमत्कार के रूप में पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। जमीन के अन्दर स्थित इस गुफा के पास चंद्रावल्ली नामक शिवजी का मंदिर भी है जिसमे पत्थरों से निर्मित शिवलिंग स्थापित है।
नायकनहट्टी मंदिर चित्रदुर्ग से लगभग 35 किलोमीटर दूर साधु थिपरुद्रस्वामी के आराम करने के स्थानों में से एक है जोकि चित्रदुर्ग का आकर्षक तीर्थ स्थल भी है। फाल्गुन माह में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जहां पर्यटकों को ऋषि थिपरुद्रस्वामी की समाधी के दर्शन करने के अवसर मिलते है।
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गायत्री जलाशय चित्रदुर्ग के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। गायत्री जलाशय का निर्माण सुवर्णमुखी नदी के पार मैसूर के महाराजा द्वारा करवाया गया था। गायत्री जलाशय में जो भी पर्यटक आते है वो यहाँ पिकनिक की मस्ती के साथ-साथ शाम के समय इस जलाशय के शांत जल को देखने का आनंद पाते है।
जोगीमत्ती चित्रदुर्ग से 14 किलोमीटर दूर स्थित बहुत ही आकर्षक हिल स्टेशन है। जोगीमत्ती को ’ब्यूटी एट द ग्रेट एपिटोम’ के नाम से भी जाना जाता है। जोगीमत्ती के बड़े पहाड़, हरे जंगल और बाग़-बगीचे जोगीमत्ती में पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते है। यहाँ चट्टानों से केदार जलप्रपात बहता है जिससे यहाँ एक गुफा बन गई है और इसमें शिवलिंग और वीरभद्र की मूर्ती स्थापित है।
होल्केरे चित्रदुर्ग से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गणपति भगवान का बहुत शानदार मंदिर है। जोकि 1475 ईस्वी में चित्रदुर्ग के पलेगारों में से एक द्वारा स्थापित किया गया था। भगवान गणेश की 9 फीट ऊँची बचपन की मूर्ती के लिए लोकप्रिय होल्केरे बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन चुका है।
अडूमल्लेश्वर मंदिर चित्रदुर्ग किले से 4 किलोमीटर दूर स्थित भगवान शंकर को समर्पित बहुत प्राचीन मंदिर है। यह एक गुफा मंदिर है जिसमे नंदी भगवान के मुख से बारहमासी धरा निकलती है। मंदिर में एक छोटा चिड़ियाघर भी है जोकि कई जानवरों का घर है। जिसमें चीता, बाघ और कई अन्य आकर्षण शामिल हैं। इसके अलावा मंदिर के सामने एक तालाब है जिसमें कई बड़ी मछलियाँ देखने को मिलती हैं।
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जामिया मस्जिद चित्रदुर्ग का सबसे खूबसूरत मंदिर है जिसका निर्माण मैसूर के राजा सुलतान फ़तेह अली टीपू द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की वनावट सहज ही पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है।
दशरथ रामेश्वर चित्रदुर्ग का बहुत ही धार्मिक स्थान है जहां महाराजा दशरथ द्वारा श्री श्रवण को तीर से मारा गया था। महाराजा दशरथ ने हिरण समझ कर अनजाने में श्रवण कुमार पर तीर चलाया था। इसके बाद दशरथ जी ने अपने पुत्र राम के साथ प्रायश्चित करने के साथ यहाँ पर एक शिवलिंग स्थापित करवाया। दशरथ रामेश्वर मंदिर का उल्लेख रामायण में मिलता है और इस स्थान पर पर्यटक भारी संख्या में आते हैं।
अंकली मठ चित्रदुर्ग किले से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्राचीन मठ है। इस मठ के अन्दर पांच शिवलिंग है जिन्हें पांडवों ने स्थापित किया था। इस गुफा के प्रवेश द्वार में होयसला राजा नरसिम्हा तृतीय के शासनकाल के दौरान 1286 ईस्वी से संबंधित शिलालेख शामिल हैं।
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चित्रदुर्ग में हर साल फरवरी-मार्च के महीने में फाल्गुन माह के समय थिपरुद्रस्वामी नायकनहट्टी के मंदिर त्यौहार का आयोजन किया जाता हैं जोकि ऋषि मुनियों को समर्पित मंदिर है। यह उत्सव चित्रदुर्ग का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है। इसके अलावा भी कर्णाटक राज्य में कई उत्सव जैसे- गणेश चतुर्थी, गौरी महोत्सव, पट्टडकल नृत्य महोत्सव, महामस्तकाभिषेक (श्रवणबेलगोला) आदि मनाये जाते है।
चित्रदुर्ग जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के महीनों का है। हालाकि साल के किसी भी महीने में आप चित्रदुर्ग किला घूमने जा सकते है।
चित्रदुर्ग के प्रसिद्ध भोजन में मुख्य रूप से मेंवे इडली, वड़ा, चाउ बाथ, कॉफ़ी चाय आदि हैं। क्रिस्पी, गर्म और स्वादिष्ट पकवानों में मसाला डोसा और प्लेन डोसा है। आप चित्रदुर्ग के प्रसिद्ध व्यंजनों का स्वाद जीवन भर नही भूल पाएंगे।
आप चित्रदुर्ग किला तथा यहाँ के आस-पास के अन्य दार्शनिक स्थल घूमने के बाद चित्रदुर्ग में आवास स्थान की तलाश कर रहे है। तो हम आपको बता दे कि चित्रदुर्ग में सस्ती होटलों से लेकर हाई बजट तक आपकी चॉइस के अनुसार कई तरह के आवास विकल्प हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी होटल का चुनाव कर सकते है।
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चित्रदुर्ग किले की यात्रा के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आपने चित्रदुर्ग किला जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि चित्रदुर्ग का सबसे निकटतम हवाई अड्डा बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जोकि चित्रदुर्ग से लगभग 197 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप इस हवाई अड्डे से यहाँ के स्थानीय साधन के माध्यम से चित्रदुर्ग किले तक आसानी से पहुँच सकते है।
चित्रदुर्ग किला घूमने जाने के लिए यदि आपने रेल मार्ग का चुवाव किया हैं तो हम आपको बता दे कि चित्रदुर्ग का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है चिकज्जुर जंक्शन है। जहाँ से आप किसी स्थानीय साधन के माध्यम से चित्रदुर्ग किले तक आसानी से पहुँच सकते है।
चित्रदुर्ग किले की यात्रा के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुवा किया हैं तो हम आपकी बता दें कि चित्रदुर्ग बैंगलोर-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है और इस मार्ग पर चलने वाली केएसआरटीसी (KSRTC) बसों के माध्यम से आप अपनी यात्रा कर सकते है। हालाकि आप अपने निजी साधन का उपयोग भी अपनी यात्रा के लिए कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने चित्रदुर्ग किला का इतिहास और इसकी यात्रा के बारे में जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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