Chamunda Devi Temple Himachal Pradesh In Hindi : चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित एक प्रचीन मंदिर और एक प्रमुख आकर्षक स्थल है। चामुंडा देवी मंदिर का निर्माण वर्ष 1762 में उमेद सिंह ने करवाया था। पाटीदार और लाहला के जंगल में बानेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना हुआ है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में जाना जाता है। पहले इस जगह पर सिर्फ पत्थर के रास्ते कटे हुए थे, लेकिन अब इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 400 सीढ़ियों को चढ़कर जाना होगा। एक अन्य विकल्प के तौर पर आप चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
चामुंडा देवी मंदिर करीब सात सौ साल पुराना है जिसके पीछे की तरफ से गुफा जैसी संरचना है जिसको भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। चामुंडा देवी मंदिर को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के रूप में भी जाना जाता है जिसमें भगवान शिव और शक्ति का घर है। भगवान हनुमान और भैरव इस मंदिर के सामने वाले द्वार की रक्षा करते हैं और इन्हें देवी का रक्षक माना जाता है।
हजारों साल पहले धरती पर शुम्भ और निशुम्भ नामक दो दैत्यो ने राज कर लिया था। उन्होंने धरती पर इतने अत्याचार किये कि इससे परेशान होकर देवताओं व मनुष्यो ने शक्तिशाली देवी दुर्गा की आराधना की तो देवी दुर्गा ने कहा की वो जरुर उनकी इन दैत्यों से रक्षा करेंगी। इसके बाद दुर्गा जी ने कौशिकी के नाम से अवतार लिया इसके बाद शुम्भ और निशुम्भ के दूतो ने माता कौशिकी को देख लिया। दोनों ने शुम्भ और निशुम्भ से कहा कि आप तो तीनों लोगों के राजा है, आपके पास सब कुछ है लेकिन आपके पास एक सुंदर रानी भी होना चाहिए जो सारे संसार में सबसे सुंदर है। दूतों की इन बातों को सुनकर शुम्भ और निशुम्भ ने अपना एक दूत माता कौशिकी के पास भेजा और कहा कि कौशिकी से कहना कि शुम्भ और निशुम्भ तीनों लोको के राजा हैं और वो तुम्हे रानी बनाना चाहते हैं।
शुम्भ और निशुम्भ के कहने पर दूत ने ऐसा ही किया। कौशिकी ने दूत की बात सुनकर यह कहा कि में जानती हूँ कि वो दोनों बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन में प्रण ले चुकीं हूँ कि जो मुझे युद्ध में हरा देगा मैं उसी से विवाह करुँगी। जब यह बात दूत ने शुम्भ और निशुम्भ को जाकर बताई तो उन्होंने दो दूत चण्ड और मुण्ड को देवी के पास भेजा और कहा कि उसके केश पकड़ कर हमारे पास लाओ। जब चण्ड और मुण्ड ने वहां जाकर देवी कौशिकी से साथ चलने को कहा तो उन्होंने क्रोधित होकर अपना काली रूप धारण कर लिया और आसुरो को मार दिया। इन दोनों राक्षसों के सर काटकर देवी चामुंडा(काली) कोशिकी के पास लेकर आ गई जिससे खुश होकर देवी कोशिकी ने कहा कि तुमने इन दो राक्षसों को मारा है अब तुम्हारी प्रसिद्धी चामुंडा के नाम से पूरे संसार में होगी।
चामुंडा देवी मंदिर के इतिहास की बात करें तो इस मंदिर के इतिहास को लेकर भी एक कहानी बताई जाती है। 400 साल पहले राजा और पुजारी ने जब मंदिर का स्थान एक सही जगह पर परिवर्तित करने की अनुमति मांगी थी तो देवी ने पुजारी को सपने में दर्शन किये और उन्होंने मंदिर को स्थानांतरित करने की अनुमति देते हुए एक निश्चित स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया। जब उस जगह पर खुदाई की गई तो वहां पर एक चामुंडा देवी की मूर्ति पाई गई जिसके बाद चामुंडा देवी की मूर्ति को उसी जगह पर स्थापित किया गया और उसकी पूजा की जाने लगी।
जब राजा ने मूर्ति को बाहर लाने के लिए अपने लोगों को कहा तो लाख कोशिश के बाद भी वो उस मूर्ति को हिलाने में सक्षम नहीं हुए। इसे बाद एक बार देवी ने पुजारी को सपने में दर्शन किये और उन्होंने कहा वो सभी लोग मूर्ति को साधारण समझ कर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। देवी ने पुजारी से कहा कि वे सुबह नहाकर पवित्र कपड़े पहन कर सम्मानजनक तरीके से मूर्ति को बाहर लायें, जो काम सारे लोग मिल कर नहीं कर पा रहे वो अकेला आदमी आसानी से कर सकेगा। जब पुजारी ने यह बात सभी लोगों को बताया कि यह देवी माँ की शक्ति थी कि वो मूर्ति को हिला तक नहीं पा रहे थे।
चामुंडा देवी मंदिर अपनी खूबसूरती, अपने इतिहास और कहानी की वजह से काफी प्रसिद्ध है। आप यहां चामुंडा देवी मंदिर देखने साथ कई दूसरे पर्यटक और धार्मिक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। यहां हम आपको चामुंडा देवी मंदिर के पास के 5 प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं जहां आपको जरुर जाना चाहिए।
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वज्रेश्वरी मंदिर चंबा में जनसाली बाजार के अंत में स्थित है जो चामुंडा देवी मंदिर के पास का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। आपको बता दें कि देवी वज्रेश्वरी को बिजली की देवी के रूप में भी जाना जाता है। देवी वज्रेश्वरी का यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना बताया जाता है और इन्हें देवी पार्वती का रूप बताया जाता है। इस मंदिर के अंदर कई हिन्दू देवी देवताओं और मूर्तियों की नक्काशी है और इसकी बाहरी दीवारों पर अठारह छोटे शिलालेख हैं। अगर आप चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं तो चंबा में स्थित इस मंदिर के दर्शन करना न भूलें।
मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित एक बेहद आकर्षक झील है जिसको डल झील भी कहा जाता है। यह झील 4,080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसके नाम मणिमहेश का अर्थ होता है “शिव के आभूषण”। यह झील पर्यटकों के साथ ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसकी यात्रा में 13 किमी की पैदल दूरी भी शामिल है। इस झील के आसपास के मनमोहक पहाड़ और हरियाली देखने के बाद हर कोई अपने आप को बहुत हल्का महसूस करता है।
जो भी लोग हस्तशिल्प में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए चंबा में चौगान एक बहुत अच्छी जगह है। इस जगह पर आप यहां आप कई प्रकार के पत्थर और धातु की कलाकृतियाँ देख सकते हैं।
अगर आप चंबा के प्रमुख मंदिर चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं तो यहां स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के लिए भी आपको जरुर जाना चाहिए। बता दें कि लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा सबसे पुराना और बड़ा मंदिर है जो एक शिखर के आकर में बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की सबसे तेजस्वी मूर्तियों में से 6 मूर्तियां विराजमान हैं। केंद्र में स्थित भगवान विष्णु की मूर्ति को संगमरमर से उकेरा और निहारा गया है।
डलहौजी हिमाचल प्रदेश का छोटा और सुंदर शहर हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास है। यह स्थान अपने प्राकृतिक नजारों, घाटियों, फूलों, घास के मैदान और तेजी से बहने वाली नदियों से यहां आने वाले यात्रियों का दिल जीत लेता है। इस पर्यटन स्थल पर आकर आपको ब्रिटिश काल के समय की याद आएगी। डलहौजी हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन आकर्षण से हर किसी को मोहित कर देता है।
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अगर आप चामुंडा देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां जाने का सबसे अच्छा समय मार्च और अप्रैल के महीनों का होता है। यह नवरात्री का समय होता है जिसकी वजह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ आती है। इन महीनों में मौसम बहुत खुशनुमा होता है और ठंड भी बहुत ज्यादा नहीं पड़ती।
चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित चंबा में स्थित है, जहां पर मुख्य रूप से उत्तर भारतीय व्यंजन ज्यादा लोकप्रिय है। हालाँकि, आप यहाँ पर कुछ स्थानीय हिमाचल के व्यंजन का स्वाद भी चख सकते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश का एक बहुत ही लोकप्रिय मंदिर है, जिसकी यात्रा आप पहाडी सौन्दर्य का मजा लेते हुए कर सकते हैं। यहाँ की हरियाली, आकर्षक झरने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अगर आप इस मंदिर की यात्रा के लिए जाना चाहते हैं तो आप यहाँ सड़क मार्ग, वायु मार्ग और रेल मार्ग की सहायता की पहुँच सकते हैं।
अगर आप चामुंडा देवी मंदिर के लिए हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि इस मंदिर के सबसे पास का हवाई अड्डा गगल में है जो यहां से करीब 28 किलोमीटर दूर है। गगल एयरपोर्ट पहुँचने के बाद आप इसके बाहर से बस या कार की मदद से चामुंडा देवी मंदिर पहुँच सकते हैं।
जो यात्री सड़क मार्ग से चामुंडा देवी मंदिर जाना चाहते हैं वो यहां चलने वाली हिमाचल प्रदेश टूरिज्म विभाग की बसों का लाभ उठा सकते हैं। राज्य में चलने वाली बसें मंदिर से आपको कुछ ही दूरी पर उतारेगी। चामुंडा देवी मंदिर धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप अपने निजी वाहन, कैब या टेक्सी की मदद से मंदिर पहुँच सकते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर का सबसे निकटतम रेल स्टेशन पठानकोट है। जो भारत के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। पठान कोट से हिमाचल प्रदेश के लिए चलने वाली छोटी रेल गाड़ी से आप सुंदर पहाड़ियों और आकर्षक रास्तों का लुफ्त उठाते हुए मराण्डा तक पहुंच सकते हैं जो कि पालमपुर के बहुत पास स्थित है। मराण्डा से चामुंडा देवी मंदिर की दूरी 30 किलोमीटर है।
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