Bhopal In Hindi : भोपाल भारत की हृदय नगरी मध्यप्रदेश की राजधानी है जिसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है।। भोपाल शहर का बड़ा तालाब और छोटा तलाब बहुत ही लोकप्रिय है। इसके साथ- साथ यहां कई तलाब और पर्यटक स्थल भी है। भोपाल शहर राजधानी में स्वच्छता में नबंर वन स्थान पर है। भोपाल में भारत हेवी लिमिटेड (भेल) का कारखाना भी है। भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह अतिमनमोहक स्थान है। भोपाल शहर में शौर्य स्मारक, भारत भवन, भीमबैठका, शहीद भवन, बिड़ला मंदिर, वन विहार, वाटर पार्क, डीबी मॉल ये सभी यहा आने वाले पर्यटकों को अपनी आकर्षित करते है। इसीलिए लिए भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए भोपाल शहर आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है।
यदि आप भी लेक ऑफ़ सिटी भोपाल घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो एक बार इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ ले जिसमे आप भोपाल के प्रमुख पर्यटक स्थल और यहाँ घूमने की जानकारी को जान सकेगें –
भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल था। जो नाम राजा भूपाल के नाम पर रखा गया था। भोपाल शहर की स्थापना राजा परमार भोज ने की थी। शहर का पूर्व नाम भोजपाल भी रहा है। बाद में यहां मुगलो का शासक भी रहा था। इसलिए इसे नवाबों का शहर भी कहा जाता है। भोपाल शहर में मुगल संस्कृति आज भी देखी जा सकती है। अगर आप इसके बारे में ज्यादा जानना चाहते है तो इस लेख को जरूर पढ़ें।
प्रकृति सुंदरता, समृध्दता और गौरवशाली इतिहास के कारण भोपाल बड़ी संख्या में देश- विदेश से आने वाले पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है। अपनी हरियाली और सुंदरता के कारण भोपाल को ग्रीनेस्ट शहर भी कहा जाता है। भोपाल में घूमने के लिए बड़ा तालाब ( अपर लेक), छोटा तलाब, वन विहार नेशनल पार्क, ताज- उल- मस्जिद और भी बहुत कुछ देखने और घूमने के लिए है।
भोपाल शहर में बहुत अधिक संख्या में झीले है, इसलिए भोपाल शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता है। अपर लेक भोपाल की सबसे महत्वपूर्ण झील है। अपर लेक का नाम राजा भोजताल के नाम पर रखा गया है। इसलिए अपर लेक को भोजताल के नाम से भी जाना जाता है। भोपाल शहर का अपर लेक देश की सबसे पुरानी झीलों में से एक है, जो भोपाल के पश्चिम में स्थित है। स्थानीय निवासी अपर लेक को बड़ा तालाब भी कहते है। इस झील के एक कोने पर राजा भोज की एक प्रतिमा भी बनी है। अपर लेक के ऊपर बने ब्रिज पर पर्यटकों के लिए सेल्फी पांइट बना हुआ है। भोपाल का अपर लेक यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है।
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भोपाल शहर में अपर लेक के पास ही वन विहार भी स्थित है। जिसे वन विहार नेशनल पार्क नाम से जाना जाता है। भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह बहुत बड़ा आर्कषण का केन्द्र हुआ है। वन विहार 4.45 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। भोपाल का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान जानवरों के अवैध शिकार और अन्य अवैध गतिविधियों से पूरी तरह से सुरक्षित है। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में जानवरों को दो भागो में बांटा गया है। मांसाहारी और शाकाहारी। शाकाहारी जानवरों के क्षेत्र में लोगों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति है। वन विहार में आने वाले पर्यटक तेंदुए, चीता, नीलगाय, पैंथर्स, आदि के साथ-साथ किंगफिशर, बुलबुल, वागटेल जैसे जानवरों को देख सकते हैं।
पर्यटकों के लिए वन विहार जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई और सितंबर के बीच का होता है, क्योंकि इसमें आपको समय सफेद बाघ दिखने की संभावना सबसे अधिक बढ़ जाती है। पर्यटक वन विहार नेशनल पार्क घूमने के लिए सफारी राइड ले सकते है, जिससे आपकी वन विहार नेशनल पार्क की यात्रा अत्यधिक सुखद हो जाती है।
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भोपाल शहर की दो सबसे सुंदर झीलें है, अपर लेक और लोअर लेक यहां बात करते है लोअर लेक कि जिसे छोटा तलाब के नाम से भी जाना जाता है। भोपाल शहर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए 1794 में लोअर लेक का निर्माण किया गया था। भोपाल की लोअर लेक का वातावरण शालीन, शांत और मन को सुकून देने वाला है। लोअर लेक या छोटे तलाब का अपनी सुन्दरता, शालीनता के कारण भोपाल आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
भोपाल शहर का गोहर महल शहर के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल का नाम भोपाल की पहली महिला शासक कुदिसिया बेगम के नाम पर रखा गया है। जिन्हें गोहर बेगम के नाम से भी जाना जाता है। गोहर बेगम के बारे में कहा जाता है कि वह राज्य की एक कुशल और निष्पक्ष शासक थी। भोपाल शहर के गोहर महल में हर साल जनवरी फरवरी में भोपाल महोत्सव का आयोजन किया जाता है। भोपाल महोत्सव में आने वाले पर्यटकों और कला प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसके साथ ही इस महोत्सव में प्रदेशभर के कई कारीगरों, शिल्पकारों और लोक कलाकारों को अपनी कला और प्रतिभा दिखाने के लिए भी अपनी ओर आकर्षित करता है।
भोपाल शहर में गोहर महल के पास ही शौकत महल भी स्थित है, जिसका इतिहास 180 साल पुराना है। शौकत महल को 19वीं शताब्दी में गोहर बेगम की बेटी सिकंदर बेगम के शासनकाल में बनवाया गया था। भोपाल शहर के शौकत महल की वास्तुकला में इंडो-इस्लामिक और यूरोपीय शैलियों का एक अनूठा मिश्रण दिखाई पड़ता है। शौकत महल के हरे-भरे बाग-बगीचे इस सुंदर इमारत को चार चाँद लगा देते है। कई बार शाम के समय बगीचों में विशेष कव्वाली कार्यक्रम का भी आयोजन होता है। जो कि देश- विदेश के पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है।
भीमबेटका की गुफांए भोपाल शहर से 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिनके बारे में माना जाता है कि यह स्थान महाभारत के भीम के चरित्र से संबंधित है, इसलिए इसका नाम भीमबेटका पड़ा है। भीमबेटका में 500 से अधिक गुफाओं का घर है। पांच सौ से भी से ज्यादा शिलाचित्र है, जो लगभग 30,000 साल पुरानी मानी जाती है। भोपाल शहर की भीमबेटका को 2003 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया था। भोपाल की भीमबेटका सभी आयु वर्ग के पर्यटकों के लिए घूमने की शानदार जगहों में से एक है।
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भोपाल शहर की मोती मस्जिद की वास्तुकला बहुत ही सुन्दर और मनमोहक है। भोपाल शहर की मोती मस्जिद का निर्माण संगमरमर के पत्थर और लाल रंग के पत्थरों से हुआ है। सफेद चमचमाती संगमरमर के कारण इसे पर्ल मस्जिद के नाम से जाना जाता है। भोपाल में पर्यटकों के लिए मोती मस्जिद प्रसिद और दिलचस्प जगह है। मोती मस्जिद में हर साल हजारों पर्यटक घूमने के लिए आते है। मोती मस्जिद का निर्माण 1860 में सिकंदर जहान बेगम के शासन में हुआ था।
मोती मस्जिद की वास्तुकला शैली दिल्ली की जामा मस्जिद मिलती जुलती है, परंतु यह छोटी है। ‘मोती मस्जिद’ मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान माना जाता है, जो यहां प्रार्थना के लिए दूर-दूर से आते हैं। मोती मस्जिद की वास्तुकला यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करती है।
भोपाल शहर में लक्ष्मी नारायण मंदिर में दर्शन के बिना भोपाल की यात्रा अधूरी है। भोपाल के इस मंदिर को बिरला मंदिर के नाम से जाना जाता है। बिरला मंदिर का निर्माण बिरला परिवार द्वारा भारत में बनवाए 18 मंदिरों में से एक है। भोपाल शहर के बिरला मंदिर में भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ति है। भोपाल शहर का बिरला मंदिर यहां घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए बहुत सुन्दर और परिदृश्य जगह है। मध्यप्रदेश के पूर्व-ऐतिहासिक युग के अवशेष बिरला मंदिर में बने संग्रहालय में पूरी तरह सुरक्षित है। जो पर्यटकों को राज्य के इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करते है। बिरला मंदिर के संग्रहालय में बने पुरापाषाण और नवपाषाणकालीन लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुएं भी मौजुद है। 7वीं ईसा पूर्व से 13वीं ईसा पूर्व की पत्थरों से बनी मूर्तियां और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की पांडुलिपियां और सिक्के यहां देखने को मिलते है। बिरला मंदिर सभी ऐतिहासिक और पुरातत्व के प्रति रूचि रखने वाले पर्यटकों के लिए एक सुखद और उत्साहित यात्रा है।
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भोपाल शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर शिव मंदिर है। जिसे भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भोपाल के भोजपुर मंदिर को राजा भोज के शासनकाल के दौरान 11वीं शताब्दी में निर्माण करवाया गया था। भोजपुर मंदिर का शिवलिंग दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। जिसकी ऊंचाई 3.85 मीटर है और परिधि में 18 फीट है। भोपाल शहर का भोजपुर मंदिर पिकनिक स्थान के लिए बहुत लोकप्रिय है। शिवरात्रि के दौरान भोजपुर मंदिर में हजारों भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है। जिसके साथ ही तीन दिवसीय मेला का आयोजन भी किया जाता है। मेले में तरह तरह की सतरंगी दुकानें, बच्चों के लिए झूले आदि मनोरंजन के लिए लगाए जाते है। भोपाल शहर के भोजपुर मंदिर में आने वाले पर्यटकों के लिए एक ऐतिहासिक जगह है। भोजपुर मंदिर पर्यटकों के आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है।
भोपाल शहर में शौर्य स्मारक श्यामला हिल्स में स्थित है। भोपाल शहर का शौर्य स्मारक 12 एकड़ में फैला हुआ है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अगस्त 2014 में किया गया था। भोपाल शहर के शौर्य स्मारक घूमने आने वाले पर पर्यटकों को अमर शहीदों की शौर्य गाथा से रूबरू करावाता है। शौर्य स्मारक की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए मामूली शुल्क का प्रावधान रखा गया है। भोपाल शहर के शौर्य स्मारक में प्रवेश समय दोपहर 12: 00 से शाम 6: 00 तक है, तथा बुधवार को अवकाश रहता है। शौर्य स्मारक में ग्रेनाइट के पत्थर से बना 62 फुट ऊंचा स्तम्भ है। शौर्य स्मारक स्तम्भ की नींव के पास जलने वाली अनंत ज्योति सैनिकों के बलिदान की याद दिलाती है। तीनों सेनाओं की यादों को चित्रों में संजोगते हुए संग्रहालय में परमवीर चक्र, महावीर चक्र जैसे शौर्य पुरस्कारों को देखा जा सकता है।
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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय प्रमुख रूप से श्यामला हिल्स पर स्थित है। इंदिरा गांधी संग्रहालय 200 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। संग्रहालय में भारतीय आदिवासियों की विविधता, सांस्कृतिक एवंम उनके आवासों को दर्शाता है। यह आदिवासियों के रहन सहन, कामकाज उपकरण, उपयोगी समान, उनके देवी- देवता की मुर्तियां आदि से सजाया गया है।
जनजातीय संग्रहालय या ट्राइबल म्यूजियम आदिवासियों की कला, कल्चर, रीति-रिवाजों, पूजा के स्वरूपों, भेषभूषा, परम्परा, आभूषणों आदि से प्रदर्शित किया गया है। जनजातीय संग्रहालय का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 6 जून, 2013 किया था। यह संग्रहालय आदिवासियों की खुबसूरत कलाकृतियों और कहानियों को दर्शाता है। जो पर्यटक आदिवासियों के कला और कल्चर का इतिहास जानने में उत्साहित रहते है, उनके लिए जनजातीय संग्रहालय बहुत ही शानदार जगह है। भोपाल शहर का जनजातीय संग्रहालय मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जनजातियों लोगो के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। इसके अलावा यहां आये दिन कला क्षेत्र और भारतीय संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम होते रहते है।
भोपाल शहर की ताज- उल- मस्जिद एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद है। मुस्लिमों के लिए यह धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण स्थल है। ताज- उल- मस्जिद में देश और दुनियाभर के तमाम मुस्लिम प्रर्थना करने के लिए आते है। ताज उल मस्जिद में एक समय में 175,000 लोगों को बैठने की क्षमता है। भोपाल की ताज उल मस्जिद का निर्माण 1844 और 1860 के बीच मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। ताज उल मस्जिद भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित करती है।
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भोपाल शहर में भारत भवन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा स्थापित बहु-कला परिसर और संग्रहालय स्थित है। भोपाल शहर के भारत भवन का तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा 13 फरवरी सन 1982 में उद्घाटन किया गया था। तब से हर वर्ष फरवरी के माह में इसकी वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस समारोह में गायन, नाट्य, वादन, कविता, फिल्म, कृथकनत्य, कहानियां पर कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी जाती है। इन कार्यक्रमों में शामिल हाने वाले देश- विदेश से आए पयटकों यह एक स्वर्ग का अनुभव करवाता है। भोपाल शहर के भारत भवन का निर्माण बड़ी झील के ऊपर हुआ है। जिसका गुबंद दूर से देखने पर हीरे की चमकती हुई अंगुठी के समान प्रतीत होता है। इसमें एक आर्ट गैलरी है, जो कई शानदार कलाकृतियों से सजी है। भोपाल शहर घूमने आने वाले पयटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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भोपाल शहर में इस्लामी वास्तुकला में सरदार मंजिल का एक प्रमुख स्थान है। भोपाल शहर का सरदार मंजिल फ्रांस के राजवंश के वंशज द्वारा डिजाइन किया गया है। सरदार मंजिल में विदेशी वनस्पतियों, हरे भरे पौधे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वर्तमान में सरदार मंजिर भोपाल नगर निगम का मुख्यालय निवास बना हुआ है।
भोपाल शहर का डीबी सिटी मॉल खरीदारी और घूमने के लिए सबसे प्रसिध्द स्थान है। डीबी सिटी मॉल मध्य भारत का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल है। भोपाल शहर का डीबी सिटी मॉल 13 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें पांच रेस्तरां, एक फूड कोर्ट, 15000 वर्ग फुट का फैमिली एंटरटेनमेंट एरिया, 135 रिटेल शॉप और सात एंकर स्टोर्स हैं। भोपाल शहर के डीबी सिटी मॉल में घूमने का कोई भी शुल्क नहीं होता है। भोपाल शहर का डीबी सिटी मॉल कई प्रचारक कार्यक्रमों के लिए मुख्य स्थान भी रहा है। डीबी सिटी मॉल में कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की शॉप है। भोपाल आने वाले पर्यटक डीबी सिटी मॉल में ‘सेलेब्रिट लाइफ’ का पूरी तरल लुफ्त उठा सकते है।
डीबी सिटी मॉल समय समय पर शानदार ऑफर देता है, ताकि ग्राहकों को खरीदारी करने के लिए उत्साहित हो। भोपाल के डीबी सिटी मॉल में मजेदार छह स्क्रीन मल्टीप्लेक्स भी है। इसमें एक सुपरमार्केट, गेमिंग ज़ोन और प्रसिध्द ब्रांडों के स्टोर है। भोपाल शहर के डीबी सिटी मॉल में आकर पर्यटकों को एक लक्सरी लाइफ स्टाइल का आनंद मिलता है। भोपाल घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए डीबी सिटी मॉल बहुत बड़ा आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है.
भोपाल शहर में क्रिसेंट वाटर पार्क शहर से 32 किलोमीटर दूर स्थित है। क्रीसेंट वाटर पार्क भोपाल शहर का सबसे अच्छा वाटर पार्क माना जाता है। क्रिसेंट वाटर पार्क में रेन डांस, वॉटर डीजे, कोलम्बस राइड्स, अनंत पूल के साथ, यह पार्क स्थानीय और पर्यटकों दोनों के बीच अपनी तरह का एक बहुत लोकप्रिय होने का दावा करता है।
भोपाल शहर का सेर सपाटा मनोरंजन के लिए अपना अलग ही स्थान रखता है। सेर सपाटा में जंगल की पैदल यात्रा, कार डैशिंग, ज़ोरिंग जैसे सुखद गतिविधियां प्रर्यटकों के लिए प्रदान करता है। यह 24.56 एकड़ में फैला हुआ है। सेर सपाटा में लछमन झूले की तर्ज पर आरसीसी डेक स्लैब के साथ निलंबन पुल है। इस पुल के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह भारत में पहला पैदल यात्री पुल है। भोपाल शहर में सेर सपाटा आने वाले पर्यटकों को यह बहुत सुहावना और लोकप्रिय लगता है।
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भोपाल शहर का सिटी बाजार मनमोहक कपड़े पर कड़ाई के लिए जाना जाता है। भोपाल शहर के सिटी बाजार महिलाओं में कॉसमेटिक आइटम से लेकर किचन तक का सारा सामान उपलब्ध होता है।
आप इस बाजार से पर्स, बैग, शॉल आदि खरीद सकते हैं। रेशम, साटन, पश्मीना जैसे उत्तम कपड़े यहां सरकारी संचालित एम्पोरियम और निजी शोरूम में बेचे जाते हैं। जो सभी सिटी बाजार में आसानी से और निम्न दामों पर मिल जाते है।
न्यू मार्केट भोपाल शहर के बीच में स्थित है। न्यू मार्केट भोपाल शहर के केंद्र से 3 किमी की दूरी पर है। न्यू मार्केट आने वाले ग्राहकों और पर्यटकों के लिए धरती पर स्वर्ग जैसा है, क्योंकि इसमें कई तरह की दुकानें हैं। भोपाल आने वाले पर्यटकों बाजार में इंडियन से लेकर वेस्टर्न संस्कृति के तमाम तरह के ब्रांड के कपड़ो, पर्स, बैग का भण्डार मिलता है। पर्यटक यहां खरीदारी के बाद व्यंजनों का भी आनंद उठा सकते है। न्यू मार्केट के रेस्त्रोंओं के व्यंजनों में मुगलाई स्वाद मिलता है। न्यू मार्केट के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि दुकानदार उचित मूल्य पर अपना समान बेचते है।
भोपाल शहर से बिट्टन मार्केट 6 किलोमीटर की दूरी पर है। इस बाजार में सब्जी व्यापारी सप्ताह में तीन दिन यानि सोमवार, गुरूवार और शनिवार को अपनी सब्जियां का बाजार लगाते है। इसीलिए इसे त्रि-साप्ताहिक सब्जी बाजार भी कहा जाता है। सब्जियों के अलावा, इस बाजार में आपको खुली दुकानें और कपड़े, सामान, गहने बेचने वाली अलग-अलग दुकानें भी मिलती हैं।
भोपाल में शादी की शौपिंग के लिए मशहूर है बैरागढ़ बाजार। यह मार्किट भोपाल के लालघाटी इलाके के पास है। बैरागढ़ बाजार भोपाल का सब से बड़ा होल सेल मार्किट है।
भोपाल शहर में आपको कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन मिल जायेगे जैसे, भोपाली गोश्त कोरमा, मावा बाटी, चक्की की शाक, बिरयानी पिलाफ, रोगन जोश, सीख कबाब, भुट्टे की कीस, पोहा जलेबी, इंदौरी नमकीन और दाल बाफला।
भोपाल में आपको रुके के लिए हर तरह की होटल या लॉज मिल जायेगी। यह आप को 5 सितारा होटल से लेकर नार्मल रूम भी आप को आसानी से मिल जाते है।
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भोपाल की यात्रा पर जाने वाले पर्यटकों को बता दे आप फ्लाइट, ट्रेन या सड़क मार्ग में से किसी से भी ट्रेवल करके गोकर्ण जा सकते है।
तो आइये हम नीचे डिटेल से जानते है की हम फ्लाइट, ट्रेन या सड़क मार्ग से भोपाल केसे जायें।
भोपाल शहर में राजा भोज हवाई हड्डा है। जो भोपाल शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। इस हवाई हड्डे का नाम राजा भोज के नाम पर रखा गया है। इस हवाई हड्डे से दिल्ली, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, रायपुर के लिए एयर इंडिया, स्पाइस जेट एवंम अन्य निजी एयरलाइन्स कंपनियों की नियमित उड़ान सेवाएं उपलब्ध है।
भोपाल का रेलवे मार्ग बहुत ही व्यापक है, जो इंदौर, दिल्ली, मुंबई एवं नागपुर को जोड़ता है, अथवा यहां से इन सभी जगहों के लिए रोजाना और समय समय पर ट्रेंने उपलब्ध रहती है।
भोपाल पहुंचने का सड़क मार्ग बड़े-बड़े शहर जैसे इंदौर, जबलपुर, खंडवा, दिल्ली मार्ग से जुड़ा हुआ है।
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इस आर्टिकल में भोपाल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल और भोपाल की यात्रा से जुडी पूरी जानकारी को जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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