Bermuda Triangle Facts In Hindi बरमूडा ट्रायंगल को कभी-कभी शैतान का त्रिभुज (Devil’s triangle) के नाम से भी जाना जाता है। बरमूडा त्रिकोण उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक त्रिकोणीय क्षेत्र है जो की मियामी, बरमूडा और प्यूर्टो रिको से घिरा हुआ है। यह दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक है – लेकिन शायद यह वास्तव में एक रहस्य है ही नहीं।
1492 में, कोलंबस ने एशिया के लिए वैकल्पिक मार्ग खोजने की उम्मीद में सैर की थी, और बजाय एशिया के अमेरिका की खोज कर ली। उनकी यात्रा ने उन्हें सीधे बरमूडा त्रिभुज से मिलवाया लेकिन बरमूडा ट्रायंगल कोलंबस के जहाज को गायब नहीं कर पाया।
पूरी दुनिया का अकेले चक्कर लगाने वाले पहले व्यक्ति यहोशू स्लोक्यूम 1909 की मार्था के वाइनयार्ड से दक्षिण अमेरिका तक की यात्रा के दौरान गायब हो गए थे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में उनके साथ क्या हुआ, लेकिन कई स्रोतों ने बाद में उनकी मृत्यु के लिए बरमूडा त्रिभुज को जिम्मेदार ठहराया। कुछ विद्वानों का दावा है की विलियम शेक्सपियर का प्ले “द टेम्पेस्ट” वास्तव में बरमूडा ट्रायंगल के शिपरेक (shipwreck) पर आधारित था।
“बरमूडा ट्रायंगल” शब्द का प्रयोग पहली बार 1964 में अर्गोसी पत्रिका के एक लेख में विन्सेंट एच गेडिस द्वारा किया गया था। लेख में, गेडिस ने दावा किया कि इस अजीब समुद्र में कई जहाज और विमान बिना किसी कारण गायब हो गए। गेडिस इस निष्कर्ष पर आने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे। 1952 के आरंभ में, जॉर्ज एक्स सैंड्स ने फेट पत्रिका में एक रिपोर्ट में कहा था कि उस क्षेत्र में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में अजीब दुर्घटनाओं घटित हो रही हैं। हर साल इस क्षेत्र से चार विमानों और 20 नौकाओं के गायब होने की खबर आती है, जिसका कोई सुराग नहीं निकलता है।
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बरमूडा त्रिभुज, जिसे शैतान के त्रिभुज (Devil’s Triangle) या तूफान एली के नाम से भी जाना जाता है, उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी हिस्से में एक कम परिभाषित क्षेत्र है, जहां रहस्यमय परिस्थितियों में कई विमान और जहाज गायब हो गए हैं
बरमूडा त्रिकोण उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक त्रिकोणीय क्षेत्र है जो की मियामी, बरमूडा और प्यूर्टो रिको से घिरा हुआ है। अधिकारिक तौर पर बरमूडा ट्रायंगल जैसे किसी क्षेत्र का अस्तित्व नहीं है।
कंपास एक विशेष उपकरण है जिसे ठीक से काम करने के लिए बैटरी या तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी छोटी सुई पृथ्वी के चुम्बकीय होने के कारण, नार्थ पोल की तरफ घूम जाती है जिससे दिशा का पता चलता है।
दुनिया में केवल दो रिकॉर्ड किए गए स्थान हैं जहां कंपास चुंबकीय ध्रुव की बजाय सही उत्तर दिशा को इंगित करता है। एक बरमूडा ट्रायंगल में है और दूसरा जापान के तट में स्तिथ डेविल्स सी (Devil’s Sea) में स्तिथ है। कंपास दरअसल एक मेगनेटिक डेकलाइनेशन (magnetic declination) से गुजरता है जिसके कारण यह होता है। बेहद अनुभवी नेवीगेटर को भी इससे धोका हो जाता है।
बरमूडा त्रिभुज में गायब होने वाले जहाजों और विमानों की सटीक संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सबसे आम अनुमान है की लगभग 50 जहाज और 20 हवाई जहाज बरमूडा त्रिकोण से गायब हुए हैं। इस क्षेत्र में लापता होने वाले कई जहाजों और विमानों के मलबे भी नहीं पाए गए।
बरमूडा त्रिभुज का मौसम उष्णकटिबंधीय तूफान (tropical storms) और समुद्री तूफान (hurricanes) लिए हुए है। अमेरिकी सरकार एजेंसी कई प्लेन और जहाजो के गायब होने के लिए सीधे खराब मौसम और औसत नेविगेशन को दोषी ठहराती है।
बरमूडा त्रिभुज दुनिया में सबसे अधिक यात्रा की जाने वाली शिपिंग लेनों में से एक है। केवल भगवान और समुद्र को पता है कि इतने सारे जहाजों और प्लेन्स के साथ क्या हुआ की इनके अवशेष तक नहीं मिले। हालाँकि अब ऐसा नहीं हैं क्योंकि 2013 में वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने समुद्री शिपिंग लेन का एक विस्तृत अध्ययन किया और यह निर्धारित किया कि बरमूडा ट्रायंगल शिपिंग के लिए दुनिया के 10 सबसे खतरनाक लेन्स में से नहीं है। और इससे जुड़ी सभी घटनाएँ प्रकृति का प्रकोप या मानवीय त्रुटी (human error) है।
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खाड़ी स्ट्रीम (The Gulf Stream) बरमूडा त्रिभुज के माध्यम से गुजरता है जो की एक मजबूत ओशियन करेंट है जिसके कारण स्थानीय मौसम में तेजी से परिवर्तन आता है।
अटलांटिक महासागर का सबसे गहरा पॉइंट- मिल्वौकी (Milwaukee Depth), बरमूडा त्रिभुज में स्थित है। प्वेर्टो रिको ट्रेंच मिल्वौकी पॉइंट में 27,493 फीट (8,380 मीटर) की गहराई तक पहुंचता है।
बरमूडा ट्रायंगल क्षेत्र में 19 वीं शताब्दी के मध्य तक घटनाओं की रिपोर्ट आने लगी थी। कभी कुछ जहाजों को बिना किसी कारण के पूरी तरह से खाली पाया गया तो कभी नाविकों या नेवीगेटरों ने कोई परेशानी का संकेत नहीं दिया और गायब हो गए। कुछ मामलों में विमान के पायलट समस्या का संकेत भेजकर गायब हो गए, और इस क्षेत्र में रेस्क्यू विमान भी उड़ान भरने के बाद बचाव मिशन के दौरान गायब हो गए। हालांकि, इनके मलबे कभी नहीं मिले, और इनके गायब होने पर लोगों ने कई रोचक किस्से बना दिए।
इन मामलों में प्लेन या जहाज के गायब होने की वजह अलौकिक कारणों (supernatural causes) भी मानी गयी, लेकिन इनका असल कारण भूगर्भीय और पर्यावरणीय कारक (geophysical and environmental factors) सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। सरकार ने इन सभी असंभव घटनाओं के लिए किसी भी ठोस रिकॉर्ड होने की पुष्टि नहीं की है और इसलिए जनता कल्पना करके कुछ भी कह सकती है।
एक परिकल्पना (hypothesis) यह है कि पायलट बरमूडा त्रिभुज में प्रवेश करते समय, एगोनिक लाइन (agonic line) का ध्यान नहीं रख पाए, जहाँ पर मेगनेटिक कंपास की भिन्नता होती है, जिसके कारण नेविगेशन में बहुत बड़ी मिस्टेक हो जाती है और घटना घट जाती है।
एक अन्य लोकप्रिय सिद्धांत यह है कि गायब जहाज रोग वेव्स (rogue waves) की चपेट में आ गए, जो की भारी समुद्री लहरें हैं और वे 100 फीट (30.5 मीटर) तक की ऊंचाई तक पहुंच सकती हैं। सैद्धांतिक रूप से यह लहरें जहाज या विमान के सभी सबूतों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हैं। बरमूडा त्रिभुज अटलांटिक महासागर के ऐसे क्षेत्र में स्थित है जहां अक्सर कई दिशाओं के तूफान आते हैं, जिससे रोग वेव्स आने की संभावना अधिक होती है।
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बरमूडा ट्रायंगल में सबके गायब होने का कारण यूएफओ को ठहराया है और ऐसा माना जाता है कि एलियंस त्रिकोण को हमारे ग्रह से यात्रा करने के लिए पोर्टल के रूप में उपयोग करते हैं। यह क्षेत्र उनके सभा करने के स्टेशन की तरह है जहां वे अनुसंधान करने के लिए लोगों, जहाजों और विमानों को पकड़ते हैं।
ऐसा भी माना जाता है की बरमूडा त्रिभुज वास्तव में पौराणिक कहानिओं में वर्णित एक खोया हुआ शहर अटलांटिस का स्थान भी हो सकता है।
जब अटलांटिस नष्ट हुआ होगा तो यह समुद्र के बहुत नीचे तक डूब गया होगा। और अटलांटिस के टूटे हुए मंदिर समुद्र के विशाल पानी में मौजूद जीवों का घर बन गए होंगे। अटलांटिस में पाए जाने वाले अटलांटियन अग्नि-क्रिस्टल (Atlantean fire-crystals) जो की जबरदस्त शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं, वे आज भी मौजूद हैं।
बरमूडा ट्रायंगल में नॉर्वे के तट पर समुद्र के किनारे, एक श्रृंखला में कई विशाल क्रेटर पाए गए हैं। ये क्रेटर समुद्रतल के अंदर दबे आयल और गैस के से मीथेन गैस के बुलबुलों के लीकेज से बने हुए हैं। यह खोज वैज्ञानिकों को बरमूडा त्रिकोण के रहस्य को सुलझाने में महत्वपूर्ण जानकारी भी दे सकती है। ये गैस एक क्रिटिकल द्रव्यमान तक पहुंच जाती है और सतह पर बड़े विस्फोट का कारण बन सकती है।
पिछले साल एक ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक कार्ल क्रुस्ज़ेलिकी ने यह दावा किया था कि गायब होने की उच्च संख्या को एलियंस या अटलांटिस या रोग वेव्स के होने द्वारा नहीं समझाया जा सकता है।
इसके बजाए, बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य- मानव त्रुटि, खराब मौसम और क्षेत्र में जहाजों के भारी यातायात से अधिक कुछ भी नहीं है। यह अमेरिका के करीब है और भूमध्य रेखा (Equator) के भी इसलिए इसकी और बहुत अधिक यातायात है।
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मार्च 1918 में एक विशेष रूप से कुख्यात त्रासदी हुई, जब यूएसएस साइक्लोप्स, 542 फुट लंबा नौसेना कार्गो जहाज, 300 से अधिक पुरुषों और 10,000 टन मैंगनीज ओर के साथ, बारबाडोस और चेसपैक बे के बीच कहीं डूब गया। यह आलोकिक घटना की वजह से नहीं बल्कि उस समय के कमजोर वायर लेस संपर्क उपकरणों की वजह से था।
एसएस मरीन सल्फर क्वीन, पिघला हुआ सल्फर ले जाने वाला एक टैंकर जहाज, 1963 में फ्लोरिडा के दक्षिणी तट से गायब हो गया। टैंकर का चालक दल 39 लोगो का था जिनमे से न लोगो का न ही किसी मलबे का पता चला। इस शिप की बनावट ही ऐसी थी जिसमे किसी भी तरह जंग लगने से और इसके ग्रेविटी भार से यह टूट जाती, इसके अलावा इसमें आग लगने की बहुत संभावनाएं थी।
एनसी16002 एक डीसी -3 यात्री विमान था, जो 28 दिसंबर, 1948 की रात को सैनजुआन, प्यूर्टो रिको से मियामी, फ्लोरिडा की ओर उड़ान भरने के दौरान गायब हो गया था। इस विमान के बैटरी चार्ज नहीं थे जिस वजह से पायलट से सम्पर्क नहीं किया जा सका।
फ्लाइट 19 की कहानी 5 दिसंबर, 1945 को शुरू हुई। पांच एवेंजर टारपीडो बमवर्षक दोपहर 2:10 बजे फ्लोरिडा के फोर्ट लॉडरडेल में नौसेना वायु स्टेशन से हवा में उड़ाए गए। ये विमान बरमूडा ट्रायंगल के पास जाकर गायब हो गये। इसके पहले पायलट ने ख़राब मौसम की वजह से संपर्क टूटने और कंपास के काम न करने की सूचना दी थी। लेकिन इस घटना में मानवीय त्रुटी थी जहाँ पायलट की गलती से प्लेन गुम हो गया।
फ्लाइट 19 को खोजने के लिए दो घंटे के भीतर, एक नाव और दो प्लेन मार्टिन मैरिनर्स, को खोज के लिए भेजा गया जिनमे एक प्लेन भी गायब हो गया क्योंकि उसमे उड़ान भरते ही आग लग गयी और दूसरे का फ्यूल खत्म हो गया।
बरमूडा त्रिभुज में गायब होने वाली संख्या का प्रतिशत दुनिया के किसी और महासागर में होने वाली घटनाओं के बराबर ही है इसलिए बरमूडा ट्रायंगल कोई रहस्यमयी या खौफनाक जगह नहीं है। बरमूडा त्रिभुज किसी भी वर्ल्ड मेप में दिखाई नहीं देता, और भौगोलिक क्षेत्रों के नामों में यू.एस. बोर्ड अटलांटिक महासागर के आधिकारिक क्षेत्र के रूप में बरमूडा त्रिभुज को रिकॉग्नाइज नहीं करता है।
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