Badnore Fort In Hindi, बदनोर फोर्ट भीलबाड़ा में एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन किला है जो अपने इतिहास और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। भीलवाड़ा का यह किला सात मंजिला हैं और बदनोर किले में मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलता है।
अगर आप बदनोर फोर्ट जाने की योजना बना रहें हैं या किले के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इस लेख में हम आपको बदनोर दुर्ग के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।
बदनोर किले के इतिहास की बात करें तो बदनापुर (बदना) नामक एक परमार राजा ने 845 ईस्वी में बदनपुरा की स्थापना की जो बाद में बदनोर बन गया। 1439 ई के एक शिलालेख के अनुसार इसे वर्धनपुरा (वर्धनपुर) कहा जाता है। आपको बता दें कि हम्मीर महाकाव्या भी यह अपना नाम दर्ज करता है। यहां स्थित चतुर्भुज विष्णु मंदिर में एक विजय स्तंभ के अनुसार इस किले का निर्माण 1584 में किया गया था। यहां पर द्वारकाधीश और सीता राम जी मंदिर भी स्थित हैं। अंजना यहां के एक धार्मिक स्थल है जहाँ पर गोपाल जी का मंदिर स्थित है। यहां उत्तर में लगभग 2 किलोमीटर पर कुशला माता का मंदिर है।
आप अगर बदनोर फोर्ट घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि बदनोर फोर्ट जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च महीने तक का माना जाता हैं। मानसून का मौसम भी अच्छा हैं लेकिन बारिश कभी-कभी तेज बारिश के चलते आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं।
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भीलबाड़ा के बदनोर किले के पास ऐसे कई आकर्षण स्थल है जहा आप को जरुर जाना चाहिए। तो आइए हम आपको यहां के पर्यटक स्थलों की जानकारी नीचे देते हैं।
भीलबाड़ा के दर्शनीय स्थलों में से एक हरनी महादेव मंदिर राजस्थान के डारक परिवार के पूर्वजों द्वारा स्थापित किया गया एक शिव मंदिर हैं। जोकि शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सुरम्य पहाड़ियों से घिरा हुआ यह दर्शनीय स्थल पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध हैं।
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भीलबाड़ा के दर्शनीय स्थलों में शुमार क्यारा के बालाजी पवन पुत्र हनुमान जी महाराजा को समर्पित एक आकर्षित मंदिर है। क्यारा के बालाजी के दर्शन करने के लिए आने वाले पर्यटक यहां के अन्य मंदिर बीदा के माताजी मंदिर, पटोला महादेव मंदिर, घाट रानी मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर जैसे अन्य स्थानों पर भी जा सकते हैं और क्यारा के बालाजी का दर्शन कर सकते हैं।
भीलवाड़ा की देखने लायक जगह शामिल मंडल भीलवाड़ा शहर से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यहां आप जग्गनाथ कच्छवाहा के किले को देख सकते हैं जोकि बत्तीस खंबन की छतरी के रूप में जाना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक आकर्षित छतरी है जिसमे बलुआ पत्थर के बने 32 स्तम्भ लगे हुए हैं। यह छत्री यहा बने एक विशाल शिवलिंग को घेरती हैं।
भीलबाड़ा में गायत्री शक्ति पीठ देवी शक्ति या सती जोकि हिंदू धर्म की महिला प्रमुख और शक्ति संप्रदाय के मुख्य देवी के रूप में जानी जाती हैं की पूजा का स्थल हैं। गायत्री शक्ति पीठ भीलवाड़ा शहर में बस स्टैंड के पास ही स्थित है।
भीलबाड़ा का दर्शनीय स्थल धनोप माता जी मंदिर संगरिया से 3 किलोमीटर दूरी पर एक छोटे से गांव में स्थित है। धनोप माता जी मंदिर में आप शीतला माता के दर्शन का लाभ उठा सकते हैं। धनोप माता के मंदिर में रंगीन चमकदार लाल दीवारें और खंभे हैं। खूबसूरत संगमरमर का फर्श और काले पत्थर के रूप में देवी शीतला माता (देवी दुर्गा) की मूर्ति स्थापित है।
भीलबाड़ा में कई मंदिर स्थापित हैं जो भक्तो और पर्यटकों के लिए एक पवित्र स्थान हैं। इन्ही में से एक श्री चारभुजा नाथ का मंदिर हैं। भीलबाड़ा के राजसमंद में कोटड़ी तहसील में स्थित है। यह मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। श्री चारभुजा नाथ का मंदिर त्रिलोकीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए मंदिर में पहुंचते हैं।
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भीलबाड़ा का पर्यटक स्थल बागोर साहिब गुरुद्वारा यहां का एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। बागोर साहिब गुरुद्वारा मंडल तहसील के बागोर में स्थित हैं जोकि मंडल शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह जी की यात्रा का गवाह बना हैं।
भीलबाड़ा के दर्शनीय स्थलों में शामिल चामुंडा माता का मंदिर हरनी महादेव की पहाड़ियों पर स्थित एक आकर्षित स्थान है । आप यहां से शहर का पूरा दृश्य देख सकते है। चामुंडा माता का मंदिर भीलवाड़ा शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
भीलबाड़ा में घूमने लायक जगहों में शुमार मिनाल वॉटरफॉल एक खूबसूरत झरना हैं जहां पर्यटक भारी संख्या में आना पसंद करते हैं। यह भीलवाड़ा-कोटा मार्ग पर स्थित हैं और भीलबाड़ा से लगभग 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित हैं। इस खूबसूरत झरने का पानी 150 मीटर ऊंचाई से गिरता हैं और जिससे यहां का एक सुंदर दृश्य दिखाई देता है। मीनल वाटरफाल घूमने के लिए राज्य के सभी कोनों से लोग जुलाई से अक्टूबर के महीने में आते हैं।
भीलबाड़ा का दर्शनीय स्थल श्री गणेश मंदिर माता पार्वती और भगवान भोले नाथ के पुत्र श्री गणेश भगवान को समर्पित हैं। गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी को पूरे राजस्थान में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान यहां गणेश उत्सव गणेश मेला भी आयोजित किया जाता है।
भीलवाड़ा में घूमने लायक जगह में त्रिवेणी चौराहा शामिल हैं और यह स्थान पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय स्थान हैं। त्रिवेणी चौराहा से भीलवाड़ा शहर की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। इसके अलावा बडाला और बनास नदियों के साथ मेनाली नदी का संगम बिंदु भी यही पर हैं। नदी तट के किनारे पर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। मंदिर की खास बात यह हैं कि यह मानसून के मौसम में पानी डूब जाता हैं।
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बिजोलिया शहर भीलवाड़ा में एक जनगणना शहर के रूप में जाना जाता हैं और यहां के श्री दिगंबर जैन पार्श्वनाथ अथिषा तीर्थक्षेत्र, बिजोलिया किला और मंदाकिनी मंदिर के लिए पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है। बूंदी और चित्तौड़गढ़ मार्ग पर स्थित किले में भगवान शिव का एक आकर्षित मंदिर भी है। भगवान शिव के इस मंदिर को हजारे सवारा महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता है।
भीलवाड़ा के दर्शनीय स्थलों में से एक तिलस्वा महादेव मंदिर बिजोलिया शहर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित हैं। यहां स्थित चार मंदिरों में से सबसे प्रमुख मंदिर सर्वेश्वर (भगवान शिव) को समर्पित है। इन मंदिरों का निर्माण लगभग 10वीं और 11वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर परिसर में एक मठ, एक कुंड और एक तोरण भी है।
भीलबाड़ा में घूमने लायक स्थान में यहां का शाहपुरा शहर भी प्रसिद्ध हैं। शाहपुरा और भीलवाड़ा के बीच की दूरी लगभग 55 किलोमीटर हैं। शाहपुरा में एक पवित्र मंदिर हैं जोकि राम द्वार के नाम से प्रसिद्ध हैं। देश भर के तीर्थयात्री इस तीर्थस्थल पर साल भर आते हैं। फूल डोल के नाम से प्रसिद्ध यहां का वार्षिक मेला फाल्गुन शुक्ल (मार्च-अप्रैल) में पांच दिनों के लिए लगता हैं।
भीलबाड़ा का दर्शनीय स्थल आसीन्द शहर में अपने आकर्षित मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह बाग राव के सबसे बड़े पुत्र सवाई भोज द्वारा निर्मित किया गया था जोकि खारी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।
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भीलबाड़ा आने वाला प्रत्येक टूरिस्ट यहां की प्रसिद्ध भोजन सामग्री का लुत्फ उठाना चाहेगा तो आइये हम आपको भीलबाड़ा के कुछ प्रसिद्ध फूड की जानकारी देते हैं। भीलवाड़ा शहर अपने मीठे और मसालेदार भोजन के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है जिसमें भीलवाड़ा का स्थानीय स्वाद के रूप में यहां की गुलाब जामुन अतिप्रिय लगती है। मिनरल रिच एडिटिव्स के साथ संतुलित और पौष्टिक आइसक्रीम के अलावा पके अमरुद का गूदा, दूध, चीनी और एक चुटकी नमक के साथ लाल मिर्च पाउडर से गार्निश किया हुआ कुरकुरी और कुरकुरे वफर एक लाजवाब मीठी और थोड़ी मसालेदार आइसक्रीम है। इसके अलावा दाल बाटी चूरमा, कचौरी, भेलपुरी आदि भी यह यहां की प्रसिद्ध भोजन सामग्री हैं।
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बदनोर दुर्ग भीलवाड़ा के आसींद रोड पर भीलवाड़ा से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित। भीलवाड़ा से बदनोर दुर्ग के लिए बसें और टैक्सियाँ मिलती हैं। बदनोर किले के लिए आप अपने वाहन से भी यात्रा कर सकते हैं।
फ्लाइट से बदनोर दुर्ग जाने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में स्थित है, जो भीलवाड़ा से लगभग 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस की मदद से कोई भी बदनोर दुर्ग तक आसानी से पहुंच सकता है।
अगर आप बदनोर फोर्ट भीलवाड़ा जाने के लिए ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें की बदनोर फोर्ट का निकटतम रेलवे स्टेशन भीलवाड़ा रेल्वे स्टेशन (BHL) और शामपुरा (SMPA) है। यहां दोनों रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख रेल्वे स्टेशनों से अच्छी तरह जुड़े हैं। रेलवे स्टेशन से कैब या टैक्सी की मदद से आप बदनोर किले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
बदनोर फोर्ट जाने के लिए पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा भी यात्रा कर सकते हैं। भीलवाड़ा सड़क मार्ग से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस और टैक्सी के माध्यम से पर्यटक आसानी से बदनोर फोर्ट की यात्रा कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने बदनोर फोर्ट भीलवाड़ा की यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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