Sindhudurg Fort Or Vijaydurg Fort In Hindi, सिंधुदुर्ग का किला भारत के महाराष्ट्र राज्य में समुद्री तट पर मालवण के निकट स्थित हैं। सिंधुदुर्ग किले को “विजयदुर्ग किले” के नाम से भी जाना जाता हैं। यह एक प्राचीन किला हैं जोकि अरब सागर में एक आइलेट पर तीन ओर से समुद्र के पानी से घिरा हुआ हैं। सिंधुदुर्ग का किला मराठा दूरदर्शिता और संसाधन शीलता का एक शानदार उदहारण प्रस्तुत करता हैं। यह किला न केवल प्राचीन ढंग के लिए बल्कि इसके आसपास की सुंदरता के लिए भी बहुत प्रसिद्ध हैं और एक आकर्षित पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज की वीर गाथा को बया करता हुआ प्रतीत होता हैं। किले की दीवारे इतनी मजबूती से बनाई गई थी कि दुश्मन इसे भेद न सके और किले के सामने खाई थी जिससे दुश्मन सीधे हमला न कर सके। विजयदुर्ग के किले इस खूबसूरत संरचना को किले में जाकर देखना बकिय दिलचस्प होगा। यदि आप भी सिंधुदुर्ग का किला और इसके प्रमुख पर्यटन स्थल के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
विजयदुर्ग के किले या सिन्धुदुर्ग के किले के इतिहास से हमें पता चलता हैं कि यह किला जब आदिल शाह के नियंत्रण में था तब इसे “गहरिया” नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस पर विजय प्राप्त की और जिसके बाद से इसे विजयदुर्ग के किले के नाम से जाना जाने लगा। इस किलो को अंग्रेजी, डच, फ्रांसीसी और पुर्तगाली व्यापारियों के बढ़ते कदम से सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया था। सन 1792 में यह किला एक संधि के तहत मराठाओं से ब्रिटिश शासन के आधीन आ गया था।
सिंधुदुर्ग किले के निर्माण करने के लिए रेत गुजरात से लाया गया था और विजयदुर्ग किले की नीव सैकड़ों किलोग्राम सीसे में रखी गई थी। सिन्धुदुर्ग किले का परिसर 48 एकड़ की भूमि में फैला हुआ हैं और किले में 3 किलोमीटर लम्बा गुलदस्ता आकर्षण का केंद्र हैं। किले की दीवारों की ऊंचाई 30 फीट और मोटाई 12 फीट हैं। किले के मुख्य द्वार का किले के बाहर से अनुमान लगाना असंभव है। यदि हम सिंधुदुर्ग किले की सबसे अजीबोगरीब विवरणों की बात करे तो इसमें इसकी आढ़ी-टेढ़ी (ज़िग-ज़ैग) दीवारें हैं जोकि कई खंभे और गढ़ से बनी हुई हैं।
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विजयदुर्ग किले प्रमुख पर्यटन स्थल में किले के नजदीक कई आकर्षित टूरिस्ट प्लेस हैं, जिनकी यात्रा पर जाना पर्यटकों के लिए दिलचस्प होता हैं। तो आइए हम आपको विजयदुर्ग किले के नजदीकी पर्यटन स्थलों की जानकारी देते हैं।
सिंधुदुर्ग किला के पर्यटन में शामिल मालवन में स्कूबा डाइविंग की जा सकती है। यह स्थान पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं क्योंकि यहाँ कई रोचक गतिविधि होती है। अपने खूबसूरत साफ पानी के लिए स्कूबा डाइविंग मालवन का आदर्श पर्यटन स्थल साबित होता हैं।
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विजयदुर्ग किले के पर्यटन में शामिल मालवन के समुद्र तट महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में मछली पकड़ने की एक दिलचस्प जगह हैं। यह लोकप्रिय बंदरगाह, आकर्षित समुद्र तटों से घिरा हुआ है जोकि पर्यटन के लिहाज से अनुकूल माना जाता हैं। समुद्री पक्षी यहाँ देखने को मिलते हैं और इसके नजदीक कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं। मालवन के समुद्री तट पर्यटकों को अपनी ओर ध्यान केन्द्रित करने पर मजबूर कर देते हैं।
मालवन के पर्यटन स्थलों में रॉक गार्डन की अपनी एक अलग ही पहचान हैं। रॉक गार्डन मालवन के चट्टानी तट पर अरसे महल के निकट स्थित है। रॉक गार्डन एक सुंदर रूप से निर्मित उद्यान है जोकि चिवाला समुद्र तट के आकर्षित दृश्य को प्रस्तुत करता है।
मालवन में देखने के लिए स्नॉर्कलिंग प्रवाल भित्तिया हैं और यह एक लोकप्रिय गतिविधि है। किले की दीवारों के बाहरी ओर स्नॉर्कलिंग के दौरान खूबसूरत अनुभव की अनुभूति होता हैं। मालवन में स्नॉर्कलिंग पर्यटकों के आकर्षण का केंद हैं।
सिन्धुदुर्ग किले के पर्यटन में सुनामी द्वीप मालवण का एक साहसिक केंद्र है जोकि साहसिक गतिविधियों के शौकीन और पानी के खेलो के लिए बच्चों के बीच लौकप्रिय हैं। यहाँ जेट स्कीइंग, कयाकिंग और बम्पर नौकाओं सहित कई प्रकार के पानी के खेलों का आनंद उठाया जा सकता हैं। इस द्वीप की रेट को चुम्बकीय कहा जाता हैं।
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मालवन में पर्यटकों को समुद्री भोजन की भरमार देखने को मिलेगी जिसका लुत्फ़ आप सस्ते दाम पर उठा सकते हैं। पर्यटक यहां काजू, कोकम और आम से बनी कई प्रकार की वस्तुए भी खरीद सकते हैं। मालवण खरीदारी के लिए इतना नही जाना जाता हैं लेकिन यहाँ खाने के शौकीन व्यक्तियों के लिए स्वर्ग हैं। आप यहाँ से मालवणी मसाले का पैकेट लेना न भूले।
मालवान के पर्यटन स्थल में शामिल श्री वागेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता हैं कि वागेश्वर मंदिर के स्थान पर अचानक एक शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी और आगे चलकर यहाँ के स्थानीय लोगो ने यहाँ भगवान शिव के एक मंदिर का निर्माण करवाया। इस स्थान पर कई बाघों को देखा गया है लेकिन कभी इंसानों पर हमला नही किया हैं।
सिन्धुदुर्ग किले के पर्यटन में शामिल मरीन सेंचुरी मालवण का एकमात्र समुद्री अभयारण्य हैं। यह समुद्री अभ्यारण का निर्माण सन 1987 में जैविक रूप से समृद्ध तटीय क्षेत्र को संरक्षित और वहाल करने के उद्देश्य से किया गया था। इस अभयारण्य का मुख्य क्षेत्र 27 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ हैं। जोकि कोरल, पर्ल सीप, समुद्री शैवाल, मोलस्क और मछली की 30 से भी अधिक प्रजातियों के लिए जाना जाता हैं।
मालवण का दर्शनीय स्थल भगवती मंदिर एक आकर्षित मंदिर हैं जोकि एक शक्तिशाली और पूजनीय देवता माने जाते है। माना जाता हैं कि भगवती देवता अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते है। इस सुंदर मंदिर परिसर में एक शांत कृत्रिम झील निर्मित है। पर्यटकों को मनोरम दृश्य प्रदान करने वाली धामपुर झील भी यही हैं जिसका पानी बेहद ही साफ़ होता हैं।
सातेरी देवी जल मंदिर देवी सटरई को समर्पित है जोकि मालवण के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। मदिर के आसपास घने जंगल के साथ सुंदर वातावरण यहाँ का खूबसूरत नजारा सैलानियों का बहुत रास आता हैं। इस मंदिर को जल मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता हैं।
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मालवन के पर्यटन में वेंगुरला मालवन बीच एक रत्न है। इस सुन्दर बीच को लोगों द्वारा बहुत अधिक पसंद किया जाता हैं। वेंगुरल बीच की सुनहरी तटरेखा के लंबे खंड के आसपास के हिस्सों में ताड़, नारियल, काजू और आम के पेड़ों से सुसज्जित पहाड़ी देखने लायक दृश्य प्रदान करती हैं।
मालवण का दर्शनीय जय गणेश मंदिर का निर्माण एक ज्योतिषी और “कालनिर्नय” कैलेंडर के निर्माता जयंतराव सलगांवकर ने करवाया था। मंदिर में भगवान गणेश की तेजस्वी मूर्ती ऋद्धि-सिद्धि के साथ सोने के बने हुए मंदिर के अन्दर स्थापित हैं। विजयदुर्ग किला की यात्रा पर आने वाले पर्यटक इस दर्शनीय मंदिर में जरूर आते हैं।
मालवण प्रसिद्ध देवबाग बीच मालवन में व्यापारिक दृष्टीकोण से एक शानदार समुद्र तट हैं। लेकिन पर्यटन के लिए भी इस आकर्षित बीच पर बहुत सारी गतिविधियाँ देखने को मिल जाएंगी। कायाकिंग, जेट स्कीइंग, बम्पर नाव की सवारी के साथ-साथ पानी से जुड़े कई खेल खेले जा सकते हैं।
सिंधुदुर्ग किले के पर्यटन में शामिल मालवण का दर्शनीय श्री भद्रकाली मंदिर एक प्राचीन मंदिर हैं जिसकी स्थापना लगभग 400 साल पहले देवी भद्रकाली के सम्मान में की गई थी। भद्रकाली को रेवंडी का निवासी देवता माना जाता है। अरब सागर के तट पर स्थित यह दर्शनीय मंदिर हरे-भरे हरियाली से घिरा हुआ है।
श्री जरीमारी मंदिर धार्मिक महत्व का आकर्षित मंदिर है। स्थानीय लोगों के अनुसार माना जाता हैं कि एक किसान जुताई करते समय तीन टुकड़ों में पत्थर काटने के बाद देखता है कि उनमे से खून निकल रहा हैं। तो फिर उन तीनो टुकडो को एक साथ मिला कर उस स्थान पर एक गुम्बद का निर्माण किया गया जोकि अब एक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
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सिंधुदुर्ग की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च महीने का माना जाता हैं। क्योंकि सर्दियों का मौसम घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता हैं।
मालवन पर्यटन स्थल अपने समुद्री भोजन और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है। यहाँ मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजन में शामिल कॉम्बी वेड, तली हुई ब्रेड, सोलकडी, पुरी, नारियल का दूध, कोकम से बना पेय पदार्थ, काजूची की भाजी, खड्खड़े के लड्डू, अम्बा पोली और मालवणी खाजा आदि।
सिंधुदुर्ग किला या विजयदुर्ग किला के आसपास रुकने के लिए यदि आप किसी आवास की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि किले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर मालवण पर्यटन स्थल हैं और यहाँ पर कई लो-बजट से लेकर हाई-बजट के होटल उपलब्ध हैं। मालवण में होटल का चुनाव आप अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं।
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सिंधुदुर्ग किला जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं और आसानी से सिंधुदुर्ग किला पहुच सकते है।
सिंधुदुर्ग किला यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि गोवा का डाबोलिम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सिंधुदुर्ग किला जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा हैं। जबकि मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल हवाई अड्डा आपके पर्यटन स्थल सिंधुदुर्ग किले से 344 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
सिंधुदुर्ग किले की यात्रा के लिए यदि आपने रेलवे मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि कोंकण रेल मार्ग पर सिंधुदुर्ग रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा कनकवल्ली, कुडाल, सावनवाड़ी सिंधुदुर्ग जिले के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। किले से लगभग 25 से 35 किलोमीटर के अंतर पर स्थित है। जोकि देश के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह जुड़े हुए है।
सिंधुदुर्ग किला जाने के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग 17 सिंधुदुर्ग से होकर गुजरता है। यहाँ जाने के लिए बसें महाराष्ट्र के अन्य शहरों से उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप गोवा के मैंगलोर शहर से भी बस या कार किराए पर ले सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने सिंधुदुर्ग किला और इसके आसपास घूमने के लिए प्रमुख पर्यटक स्थल को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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