Shri Mahaveer Ji Temple In Hindi, श्री महावीर जी मंदिर राजस्थान के करौली का एक प्रमुख मंदिर है जो सवाई माधोपुर शहर से 110 किमी दूर है। आपको बता दें कि पहले यह गांव चंदनपुर के नाम से जाना जाता था। लेकिन जब कई सौ साल पहले महावीर की एक प्राचीन मूर्ति की मिट्टी से खुदाई से निकली थी तो यह स्थान जैन धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया था और तब इसका नाम बदलकर श्री महावीर जी रख दिया गया था।
आपको बता दें कि 200 साल पहले जिस जगह से खुदाई में महावीर जी की मूर्ति मिली थी उस जगह पर श्री महावीर जी मंदिर का निर्माण कर दिया गया। यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि इस मूर्ति के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। यदि आप भी श्री महावीर जी मंदिर घूमने जाने चाहते है या फिर इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
महावीर जी मंदिर जैन धर्म के लोगों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल और राजस्थान का एक पवित्र तीर्थ स्थान है। यह मंदिर जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित है। श्री महावीर जी का यह मंदिर सिर्फ जैन धर्म के लोगों को ही नहीं बल्कि हर वर्गों, पंथों और समुदायों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। हर रोज श्री महावीर जी के मंदिर के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में भक्त आते हैं और अपने जीवन में शांति पाने के लिए यहां प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर में आने के बाद भक्तों को एक अदभुद आनंद और संतोष की प्राप्ति होती है, जो अपने आप में अद्वितीय है।
श्री महावीर जी मंदिर जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर राजस्थान में करौली जिले के हिंडौन ब्लॉक में स्थित है। आपको बता दें कि इस मंदिर के अस्तित्व की एक लंबी ऐतिहासिक कहानी है। महावीर जी मंदिर एक बाड़े में स्थित है जिसको काताला के नाम से जाना जाता है। महावीर स्वामी की मूर्ति बेहद प्रमुख है जिसके बारे में माना जाता है कि एक चमड़े के कार्यकर्ता ने ‘देवता-का-टीला’ एक पहाड़ी मंदिर के पास खुदाई की थी, जहां पर श्री महावीर जी मूर्ति प्राप्त हुई थी। इस मंदिर में के अन्य जैन तीर्थंकरों के चित्र भी हैं। इसके अलावा मंदिर के दरबाजे पर भैरों की मूर्ति संरक्षक के रूप में स्थापित है। मंदिर के सामने संगमरमर का बना एक मानस्तम्भ भी स्थित है जो इस मंदिर की शोभा बढाता है।
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श्री महावीर जी मंदिर की पौरणिक कथा की बात करें तो यह कहानी 400 साल पहले की बात है एक गुर्जर आदमी था जिसकी गाय सुबह चरने के लिए निकलती थी लेकिन उसने ध्यान दिया कि गाय घर आने के बाद दूध नहीं देती थी क्योंकि उसके थन में दूध नहीं होता था। एक दिन उसने गाय का पीछा करने का सोचा और पाया कि गाय एक टीले (रेत की एक छोटी पहाड़ी) पर जाती और उस पहाड़ी पर खुद अपना दूध खाली कर देती थी। यह देखकर वह आदमी हैरान रह गया और उस स्थान कि खुदाई की। खुदाई करने के बाद उस गुर्जर आदमी ने वहां महावीर जी की मूर्ति को पाया। आपको बता दें कि महावीर जी यह प्रतिमा लगभग 78 सेंटीमीटर ऊंची है और तांबे से निर्मित है। महावीर जी कि यह मूर्ति पद्मासन मुद्रा में है। महावीर जी के मुख्य मंदिर में अन्य प्रतिमाए भी हैं।
श्री महावीर जी मंदिर भट्टारक ’नामक मुख्य पुजारी द्वारा मेन्टेन किया जाता। जैन समुदाय के अन्य सदस्य भी यहां विभिन्न संस्कार और अनुष्ठान में भाग लेते हैं। तीर्थ यात्री मंदिर में पूजा करने और हाथ जोड़कर महावीर जी का आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं। सुबह महादेव जी की मूर्ति को सुबह पानी से नहलाया जाता है, इस अनुष्ठान को ‘प्रक्षालन’ कहा जाता है। इसे बार पूजा की जाती है। शाम के समय भी भगवान की आरती की जाती हैं और घी के दीपक जलाए जाते हैं। पूजा के समय मंदिर में प्रसाद के रूप में चावल, सफेद और पीले फूल, चंदन, कपूर, केसर, मिश्री और सूखे मेवे शामिल होते हैं।
अप्रैल के महीने में महावीर जयंती के मौके पर मंदिर परिसर में एक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में बड़ी संख्या अन्य समुदायों और धर्मों के लोग शामिल होते हैं। आपको बता दें कि यह मेला पांच दिनों के लिए होता है, जो महावीर जयंती से दो दिन पहले शुरू होता है और इसके दो दिन बाद समाप्त होता है। इस मेले का समापन शानदार और रंगीन रथ यात्रा के साथ होता है। इस मेले के दौरान कई जैन संत प्रवचन भी देते हैं। महावीर जी मंदिर का मुख्य आकर्षण 16 वीं जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की 32 फीट ऊंची प्रतिमा है जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं।
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अगर आप श्री महावीर जी मंदिर के दर्शन करने के लिए जा रहें हैं तो इसके साथ करौली जिले के नीचे दिए गए कुछ खास पर्यटन स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।
करौली सिटी पैलेस यहां का प्रमुख आकर्षण है जिसका निर्माण 14 वीं शताब्दी में अर्जुन पाल द्वारा करवाया गया था। इसके बाद 18 वीं शताब्दी में राजपा गोपाल सिंह द्वारा महल का पुनर्निर्माण किया गया था। आपको बता दें कि इस महल को बड़ी ही खूबसूरती के साथ लाल, सफेद और ऑफ-व्हाइट पत्थरों के उपयोग से बनाया गया है, जिसे देखने आपको जरुर जाना चाहिए।
कैला देवी मंदिर करौली से 23 किमी की दूरी पर स्थित है, जो देवी दुर्गा के 51 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर कालीसिल नदी के तट पर बसा हुआ है और इसे बहुत ही खूबसूरती के साथ बनाया गया है। अगर आप करौली के पर्यटन स्थलों की सैर करने जा रहें हैं तो आपको इस भव्य मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर जाना चाहिए।
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मदन मोहनजी मंदिर करौली का एक प्रमुख मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। मदन मोहनजी मंदिर भद्रावती नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति एक बहुत पुरानी है जिसके बारे में ऐसा माना जाता है कि यह अजमेर से श्री गोपाल एस नघजी द्वारा लाई गई थी। यह मंदिर दिखने में रंगीन है और भारी संख्या में भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं।
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नक्काश की देवी गोमती धाम मंदिर करौली का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो भारी संख्या में भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस पवित्र धार्मिक स्थल में मां दुर्गा की मूर्तियाँ स्थापित हैं और यहां बहुत ही भक्ति के साथ माता की पूजा की जाती है। यहां स्थित एक निर्मंल जलसेन तालाब इस जगह की पवित्रता को और भी ज्यादा बढाता है। अगर आप करौली की यात्रा करने जा रहें हैं तो इस पवित्र स्थल के दर्शन करना न भूलें।
गुफ़ा मंदिर करौली के पास जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों में स्थित है। बता दें कि अगर यदि आप असली कैला देवी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं, तो आपको लगभग 8 किमी की पैदल दूरी तय करनी होगी। लेकिन आपको बता दें कि जंगल में जाते समय आपको बेहद सावधान रहना होगा क्योंकि किसी भी वक्त यहां जंगली जानवर हमला कर सकते हैं।
राजस्थान में करौली के पास स्थित मेहंदीपुर मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। हनुमान जी के इस मंदिर को बेहद पवित्र माना जाता है। बता दें कि यहां पर रोजाना भारी संख्या में भक्त बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए आते हैं। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करने जाते हैं तो यहां पर कई बुरी आत्माओं से पीड़ित लोगों को देख सकते हैं।
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भंवर विलास पैलेस करौली के पास स्थित एक बहुत ही सुंदर महल है जिसको 1938 में करौली के शासक महाराजा गणेश पाल देव बहादुर की देख-रेख में बनाया गया था। यह महल पूरी तरह से प्राचीन तरीके और नक्काशी के साथ बनाया गया है। यह महल बेहद विशाल है और इसका निर्माण राजघराने के लोगों के लिए रहने के लिए किया गया था। भंवर विलास पैलेस अब आंशिक रूप से एक हेरिटेज होटल में बदल गया है जहाँ आप अपनी यात्रा के दौरान ठहर सकते हैं और यहां के उपचार का आनंद ले सकते हैं।
तिमनगढ़ किला इतिहास प्रेमियों के लिए एक आदर्श जगह है। वैसे तो इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में किया गया था लेकिन इसका 1244 में राजा समयपाल द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था। आपको बता दें कि किला बहुत रहस्यमयी है और इसके बाद में कहा जाता है कि यहां परिसर के नीचे पत्थरों की मूर्तियां छिपी हुई हैं। अपने धार्मिक महत्व और ज्यामितीय पैटर्न के साथ यह किला सच में देखने लायक है। इस किले के पास एक झील स्थित है जो इसे और भी ज्यादा आकर्षक बनाती है।
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रामथरा का किला करौली से 15 किमी की दूरी पर स्थित है जिसको बेहद भव्य रूप से बनाया गया है। यह किला लगभग 4 शताब्दी पुराना है। इस किले में एक गणेश मंदिर और एक शिव मंदिर भी स्थित है। बता दें कि यहां स्थित संगमरमर की मूर्तियों को 18 वीं शताब्दी के शिल्पकार द्वारा खूबसूरती से तैयार किया गया है। किले पास स्थित झील और ग्रामीण इलाके किले की सुरम्य सुंदरता को बढाते हैं।
राजा गोपाल सिंह की छत्री नाडी गेट के बाहर स्थित है, जिसके बगल में एक एक सुंदर नदी स्थित है जो इसकी सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। राजा गोपाल सिंह की छत्री अपने आकर्षण से हर साल बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करती है।
कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य कैला देवी मंदिर के पास स्थित है जो 680 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। आपको बता दें कि इस अभयारण्य में न केवल बहुत सारे पशु और पक्षी पाए जाते हैं बल्कि यहां पर बल्कि दो नदियाँ भी बहती हैं जो बनास नदी और चंबल नदी है। इस अभ्यारण्य में नीलगाय, चिंकारा, जंगली हॉग, भेड़िये, भालू, बाघ, जंगली सुअर, जैकाल जैसे जानवर पाए जाते हैं।
श्री महावीर जी मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम होता है। अक्टूबर से फरवरी तक का मौसम यहां की यात्रा करने के लिए काफी अच्छा और सुखद होता है। इन महीनों में यहां का तापमान 8 डिग्री सेल्सियस से 23 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। श्री महावीर जी की यात्रा करने के लिए गर्मियां बहुत गर्म और थकाऊ होती है। अप्रैल से जून के महीनों में यहां का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, इसीलिए इन महीनों के दौरान श्री महावीर जी के दर्शन करने से बचना चाहिए।
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श्री महावीरजी मंदिर चन्दनपुर गाँव में हिंदौन में गंभीर नदी के तट पर स्थित है। यह करौली जिले का एक प्रमुख मंदिर है जिसकी यात्रा आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग से कर सकते हैं।
अगर आप सड़क मार्ग से श्री महावीर जी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि मंदिर का निकटतम बस स्टैंड हिंडौन सिटी बस डिपो है जो श्री महावीरजी से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। श्री महावीरजी जयपुर से 140 किमी, आगरा से 175 किमी और दिल्ली से 300 किमी की दूरी पर स्थित हैं। इन शहरों से आप अपने प्राइवेट वाहन से भी यात्रा कर सकते हैं।
श्री महावीर जी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन श्री महावीर जी (एसएमबीजे) है, जो दिल्ली-मुंबई रेल लाइन पर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली-मुंबई लाइन पर चलने वली सभी प्रमुख ट्रेनें यहाँ रुकती हैं। मंदिर के चारों ओर रुकने के लिए बोर्ड और लॉज हैं।
श्री महावीर जी मंदिर के लिए अगर आप हवाई यात्रा करना करना चाहते हैं तो बता दें कि मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में स्थित हैं जो मंदिर से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जयपुर हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई के लिए नियमित घरेलू उड़ानों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से बस या टैक्सी की मदद से आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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इस आर्टिकल में श्री महावीर जी मंदिर करौली की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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