Sheikh Chilli Tomb In Hindi, शेख चिल्ली का मकबरा हरियाणा की ऐतिहासिक जगह कुरुक्षेत्र से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह मकबरा सम्राट शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र राजकुमार दारा शिकोह के सूफी गुरु की याद में निर्मित करबाया गया था। शेख चिली के मकबरे में आकर्षित सुंदर पुष्प डिजाइनो के साथ-साथ फ़ारसी वास्तुकला का मनमोहक चित्रण किया गया हैं।
इस खूबसूरत परिसर में शेख चिल्ली की कब्र उनकी पत्नी के साथ बनी हुई हैं। शेख चिल्ली के मकबरे में लाल बलुआ पत्थर से निर्मित एक मस्जिद, मदरसा, लॉन और एक पुरातत्व संग्रहालय बना हुआ है। यदि आप शेख चिल्ली के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
शेख चिल्ली के मकबरे का इतिहास जानने पर हम पाते हैं कि इसका निर्माण शासक शाहजहाँ के बड़े पुत्र ने अपने गुरु सूफी संत अब्दुर्र-रहीम उर्फ अब्द-उल-रजक की याद में बनबाया था। उत्खनन से छह सांस्कृतिक अवधियों के बारे में हमें पता चलता हैं। जोकि कुषाण काल (पहली और तीसरी शताब्दी) गुप्त काल (चौथी और छठी शताब्दी) इसके उपरांत गुप्त काल या वर्धना काल (छठी और सातवी शताब्दी),राजपूत (आठवी और बारहवी शताब्दी), और अंत में मुगल काल (सोलहवी और उन्नीसवी शताब्दी) के अवशेष प्राप्त होते हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा शाहजहाँ के बड़े पुत्र राजकुमार दारा शिकोह ने करबाया था।
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शेख चिल्ली एक कदरा सूफी संत था। शेख चिल्ली को सूफी संत अब्दुर्र-रहीम उर्फ अब्द-उल-रजक नाम से जान जाता था और शेख चिल्ली नाम उनकी लौकप्रियता कुछ ज्यादा ही थी। शेख चिल्ली को उनकी बुद्धिमानी और उदारता के लिए दुनिया जानती थी। 1650 ईसवी के दौरान वह मुगल राजकुमार दारा शिकोह के गुरु थे।
शेख चिल्ली का जन्म एक गांव में गरीब शेख परिवार में हुआ था। शेख चिल्ली की कम उम्र में ही उसके पिता का देहांत हो गया था और उसकी माँ ने उसे पालपोस कर बड़ा किया। जैसे-जैसे शेख चिल्ली की उम्र बढ़ने लगी वह पढने के लिए जाने लगा और स्कूल में उसने पढ़ा कि लड़का “खाता हैं” और लड़की “खाती हैं”। जैसे की सलमान जा रहा हैं और सुल्तान जा रही हैं। एक दिन एक लड़की कुएं में गिर गई उसे देखकर शेख चिल्ली दोस्तों के पास जाकर कहा वह चिल्ली रही हैं। लेकिन कोई उसकी बात नही समझा तो उसने सभी को कुएं के पास लाकर दिखाया की वह चिल्ली रही हैं। उस लड़की को कुए से बाहर निकलने के बाद वह उससे कहने लगा की तुम चिल्ली क्यों रही थी । उसके मूह से बार-बार एक ही बात सुनकर लोगो ने उससे पुछा की तुम चिल्ली चिल्ली क्यों बोल रहे हो तो उसने बताया कि लड़की हैं तो चिल्ली रही है और लड़का हैं तो चिल्ला रहा हैं। यह सुनकर सभी उस पर हंसने लगे और उस दिन से शेख को शेख चिल्ली कह कर बुलाने लगे।
शेख चिल्ली का असली नाम सूफी संत अब्दुर्र-रहीम उर्फ अब्द-उल-रजक हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
शेख चिल्ली मकबरे में पर्यटकों से किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नही लिया जाता हैं। यह पर्यटन स्थल टूरिस्टो के लिए बिलकुल फ्री है।
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शेख चिल्ली मकबरे के निकट कुरुक्षेत्र एक पवित्र भूमि हैं जोकि भारत वर्ष के इतिहास से जुडी हैं। इस स्थान से कई कहानियां जुडी हुई हैं और वेदों में इसका उल्लेख किया गया हैं। रहस्यमयी कहानियों और लोक कथाओं से सम्बंधित कुरुक्षेत्र हिंदू धर्म के लोगों के लिए धार्मिक महत्व के स्थानों में से एक माना जाता है। महाभारत से सम्बंधित कुरुक्षेत्र के दर्शनीय स्थलों में यहां कई जगह ऐसी हैं जिनकी यात्रा करके आप एक अलग ही अनुभव प्राप्त करेंगे।
कुरुक्षेत्र के आकर्षण में शामिल ब्रह्म सरोवर एक सुरम्य झील है। ब्रह्मसरोवर पर अस्तित्व, इतिहास और मिथक एक-दूसरे को सरावोर करते हैं। यह स्थान पवित्र मंदिरों से घिरा हुआ हैं और भक्तो को आदर्श वातावरण प्रदान करता है। ब्रह्मसरोवर का उल्लेख किताब-उल-हिंद नामक एक प्राचीन पुस्तक में भी देखने को मिल जाता है। इस किताब को अल्बेरूनी (तुर्की शासक महमूद गजनवी के सलाहकार) ने लिखा था।
ज्योतिसर पर्यटन स्थल कुरुक्षेत्र शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर कुरुक्षेत्र-पिहोवा रोड पर स्थित हैं और ज्योतिसर भारत के पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। ज्योतिसर वह स्थान हैं जहां महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देने के उपरांत अर्जुन को अपने दिव्य स्वरुप का दर्शन कराया था। ज्योतिसर में स्थित बरगद के पेड़ को वही पेड़ माना जाता है जो गीता के उपदेश का गवाह बना था। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को आकाशीय गीता का उपदेश देते हुए संगमरमर के रथ पर एक विशाल मूर्ति बनी हुई हैं।
कुरुक्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल भीष्म कुंड नरकटारी में स्थित हैं। यह कुंड कौरवों और पांडवों के पूर्वजों को समर्पित एक बड़ा जलमग्न स्थान हैं। कुरुक्षेत्र का यह स्थान महाभारत से सम्बंधित हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार यह वह स्थान है जहां पितामह भीष्म बाणों की शय्या पर लेटे थे। कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दसवें दिन वह अर्जुन के तीर से घायल होकर गिर गए थे। भीष्म की प्यास बुझाने के लिए कुंती पुत्र अर्जुन ने धरती माता की गोद से तीर मार कर गंगा जल प्रकट किया और भीष्म की प्यास बुझाई।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय स्थानेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। माना जाता है कि स्थानेश्वर महादेव मंदिर यात्रा किए बिना कुरुक्षेत्र की यात्रा अधूरी मानी जाती हैं। यह प्राचीन दर्शनीय मंदिर कुरुक्षेत्र आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
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कुरुक्षेत्र में देखने वाली जगहों में राजा हर्ष का टीला लगभग एक किलोमीटर लंबा है। टीले की खुदाई के दौरान राजा हर्षवर्धन के समय का पता चलता हैं, जिनका शासन काल 7 वीं शताब्दी के दौरान का है। राजा हर्ष का टीला पुरातात्विक महत्व का है और इससे प्राप्त होने वाली वस्तुएं कुषाण काल के प्रारंभ से मुगल काल तक की सभ्यताओं का एक विशिष्ट क्रम प्रदर्शित करती हैं।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय भद्रकाली मंदिर देवी काली को समर्पित हैं। देश के अन्य शक्तिपीठो में से एक माना जाता हैं। माना जाता हैं कि कुरुक्षेत्र के भद्रकाली मंदिर में देवी सती का टखना गिरा था। यह मंदिर कुरुक्षेत्र के आकर्षण में से एक हैं और पर्यटक देवी माँ के दर्शन के लिए इस पावन स्थान पर आते हैं।
कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र के प्रमुख आकर्षणों में से एक है जोकि महाभारत की घटनाओं और विज्ञान के रहस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी को एकत्रित किए हुए हैं। कुरुक्षेत्र के मुख्य रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में स्थित इस विज्ञान केंद्र में कई प्रदर्शनी देखने को मिलती हैं। संग्रहालय में में बच्चो के लिए कुछ विशेष क्षेत्र है। सप्ताह के किसी भी दिन आप सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक यहाँ घूमने जा सकते हैं।
कुरुक्षेत्र में पैनोरमा और विज्ञान केंद्र के पास स्थित श्रीकृष्ण संग्रहालय भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। संग्रहालय में नक्काशी, प्राचीन मूर्तिकला, चित्रों और भूलभुलैया के माध्यम से टहलने, विशाल मूर्तियों और ड्योरामस जैसे प्रदर्शनों का एक विशाल संग्रह देखने को मिलता है। श्रीकृष्ण संग्रहालय पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
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सरस्वती वन्यजीव अभ्यारण कुरुक्षेत्र से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस अभयारण्य को सोनसर वन के रूप में भी जाना जाता है जोकि हरियाणा राज्य में तीसरा सबसे बड़ा जंगल है। इस स्थान को 29 जुलाई 1988 को सरस्वती वन्यजीव अभयारण्य के रूप दर्जा प्राप्त हुआ हैं। सरस्वती वन्यजीव अभ्यारण 4452.85 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ हैं।
कुरुक्षेत्र में घूमने लायक स्थान चिल्ला चिल्ला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी लगभग 28.92 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ हैं और यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के करीब स्थित है। इस अभयारण्य को सोंथी रिजर्व फॉरेस्ट के नाम से भी जाना जाता हैं। चिल्ला चिल्ला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में पक्षीयों की लगभग 57 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रवासी और स्थानीय पक्षी दोनों शामिल हैं। इस आकर्षित स्थान को वर्ष 1986 में पक्षी अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय लक्ष्मी नारायण मंदिर 18 वीं शताब्दी का मंदिर है। जोकि चोल राजवंश के शासनकाल के दौरान निर्मित किया गया था और भगवान श्री हरि नारायण और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहते यदि भक्त इस मंदिर में जाते हैं और मंदिर के चारों ओर सात चक्कर लगाते हैं तो उन्हें चार धाम की यात्रा करने की आवश्यकता नही होती हैं।
कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थलों में राजा कर्ण का किला चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक के समय में तीन सांस्कृतिक अवधियों से संबंधित स्थल के रूप में जाना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1921 में इस किले की खुदाई की गई थी।
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शेख चिल्ली का मकबरा घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का माना जाता हैं। क्योंकि सर्दियों के मौसम में शेख चिल्ली मकबरे के आसपास कुरुक्षेत्र के दर्शनीय स्थानों की यात्रा पर भी जा सकते हैं। अपनी यात्रा को अधिक यादगार बनाया जा सकता हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा और इसके के निकट के पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास की तलाश में हैं, तो हम आपको बता दें कि शेख चिल्ली मकबरा के निकट लों-बजट से लेकर हाई-बजट के कई होटल उपलब्ध हैं। होटल का चुनाव आप अपनी आवश्यकतानुसार कर सकते हैं।
शेख चिल्ली मकबरे के निकट पर्यटकों को स्वादिष्ट हरियाणवी भोजन चखने का मौका मिलेगा। यहाँ के भोजन में मुख्य रूप से बाजरे, गेहूं, मकई की रोटी प्रसिद्ध हैं। इनके साथ-साथ अन्य व्यंजनों में सिंगरी की सब्जी, मिश्रित दाल, छोलिया, कढ़ी पकोड़ा और विशिष्ट उत्तर-भारतीय भोजन मिलता हैं। कुरुक्षेत्र के अन्य प्रसिद्ध भोजन में स्वादिष्ट खीर, मालपुए, चूरमा और आलू की रोटी, दाल मखनी, पनीर अमृतसरी, कुल्चा, चन्ना-भटूरा, राजमा आदि शामिल है।
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शेख चिल्ली का मकबरा जाने के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि शेख चिल्ली का मकबरा पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डे क्रमश चंडीगढ़ और दिल्ली हैं। जोकि क्रमशः लगभग 86 किलोमीटर और 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। एयरपोर्ट से बस या टैक्सी की मदद से आप शेख चिल्ली का मकबरा पहुंच जाएंगे।
शेख चिल्ली का मकबरा जाने के लिए यदि आपने रेल मार्ग का चुनाव किया हैं, तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन देश के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन से शेख चिल्ली मकबरे की दूरी लगभग 6 किलोमीटर हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा सड़क मार्ग के माध्यम से चंडीगढ़, पटियाला, अमृतसर, दिल्ली, पानीपत जैसे प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए शेख चिल्ली का मकबरा जाने के लिए बस या टैक्सी भी एक आदर्श साधन हैं।
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इस लेख में आपने शेख चिल्ली का मकबरा से जुड़ी पूरी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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