Rani Sati Temple Jhunjhunu in Hindi : रानी सती मंदिर राजस्थान राज्य के झुंझुनू में स्थित बहुत ही प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है जहाँ प्रति दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देवी सती के दर्शन के लिए आते है। रानी सती मंदिर भारत के उन गिने चुने मंदिर में से एक है जो किसी देवी देवता की जगह किसी व्यक्ति विशेष को समर्पित है। यह मंदिर झुंझुनू की पहाड़ियों पर स्थित है जो पूरे शहर का मनोरम दृश्य भी प्रस्तुत करता है जो मंदिर के आकर्षण में चार चाँद लगाने का कार्य करते है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में ऐसा माना जाता है कि रानी सती ने अपने पति की मृत्यु के बाद आत्मदाह कर लिया था। तब से ही रानी सती राजस्थान के इतिहास में दादी जी के नाम से प्रसिद्ध है। बता दे श्रधालुयों द्वारा रानी सती को नारायणी देवी और दादीजी (दादी) जैसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है।
यदि आप रानी सती मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं या फिर इस अनोखे मंदिर के बारे में और अधिक विस्तार से जानना चाहते हैं तो आपको इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ना चाहिये जिसमे आप रानी सती मंदिर का इतिहास, रानी सती की कथा, सहित यहाँ घूमने जाने की पूरी जानकारी के बारे में जान सकेगें –
यदि हम रानी सती मंदिर के इतिहास (Rani Sati Temple Jhunjhunu History in Hindi) पर नजर डालें तो यह हमे आज से लगभग 400 बर्ष पीछे ले जाता है। मंदिर में मिले प्रमाणों और किवदंतीयों के अनुसार मंदिर की देवता रानी सती है जो एक राजस्थानी महिला रानी थी। रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी था जो उनके पैदा होने का पश्चात रखा गया था। माना जाता है कि एक युद्ध के दौरान नारायणी देवी या रानी सती के पति की मौत हो जाती है जिसके बाद रानी सती अपने पति की मौत का प्रतिशोध लेती है और अपने पति के साथ सती हो जाती है। जिसके बाद से लोग नारायणी देवी को आदि शक्ति का रूप भी मानने लगे। इस प्रकार धीरे-धीरे लोगों की नारायणी देवी के प्रति श्रद्धा बढती ही गई और उन्हें रानी सती के रूप में पूजा जाने लगा।
झुंझुनू वाली रानी सती का मंदिर झुंझुनू की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है जो अपनी वास्तुकला के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के अंदर आंतरिक भाग को उत्कृष्ट भित्ति चित्रों और कांच के मोज़ाइक से सजाया गया है जो जगह के पूरे इतिहास को दर्शाता है। बता दे रानी सती मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, सीता मंदिर, ठाकुर जी मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और शिव मंदिर भी हैं।साथ ही मुख्य मंदिर में बारह छोटे सती मंदिर भी हैं। भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा परिसर के केंद्र में स्थित है और हरे-भरे बगीचों से घिरी हुई है।
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झुंझुनू वाली रानी सती की कथा (Story of Rani Sati Temple in Hindi) कई बर्षो नही बल्कि कई युगों पुरानी मानी जाती है। पौराणिक कथाओं और किवदंतीयों की माने तो रानी सती की कथा महाभारत के समय से शुरू होती है जो अभिमन्यु और उनकी पत्नी उत्तरा से जुड़ी हुई है। महाभारत के भीषण युद्ध में कोरवो द्वारा रचित चक्रव्यूह को तोड़ते हुए जब अभिमन्यु की मृत्यु हुई, तो उत्तरा कौरवों द्वारा विश्वासघात में अभिमन्यु को अपनी जान गंवाते देख उत्तरा शोक में डूब गई और अभिमन्यु के सतह सती होने का निर्णय ले लिया। लेकिन उत्तरा गर्भ से थी और एक बच्चो को जन्म देने वाली थी।
यह देखकर श्री कृष्ण ने उत्तरा से कहा कि वह अपना जीवन समाप्त करने के विचार को भूल जाए, क्योंकि यह उस महिला के धर्म के खिलाफ है जो अभी एक बच्चे को जन्म देने वाली है। श्री कृष्ण की यह बात सुनकर उत्तरा बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने सती होने के अपने निर्णय को बदल लिया लेकिन उसके बदले उन्होंने ने एक इच्छा जाहिर जिसके अनुसार वह अगले जन्म में अभिमन्यु की पत्नी बनकर सती होना चाहती थी।
उसके बाद उत्तरा अगले जन्म में राजस्थान के डोकवा गाँव में गुरसमल बिरमेवाल की बेटी के रूप में पैदा हुई थी जिनका नाम नारायणी रखा गया था। जबकि अभिमन्यु का जन्म हिसार में जलीराम जालान के पुत्र के रूप में हुआ था और उनका नाम तंदन जालान रखा गया था। टंडन और नारायणी ने शादी कर ली और शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। उनके पास एक सुंदर घोड़ा था जिस पर हिसार के राजा के पुत्र की नजर थी जो उसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था लेकिन तंदन ने अपना कीमती घोड़ा राजा के बेटे को सौंपने से इनकार कर दिया।
राजा का बेटा तब घोड़े को जबरदस्ती हासिल करने का फैसला करता है और इस तरह टंडन को द्वंद्वयुद्ध के लिए चुनौती देता है। टंडन बहादुरी से लड़ाई लड़ता है और राजा के बेटे को मार डालता है। तभी राजा क्रोधित हो उठता है और टंडन को धोके से मार देता है। टंडन की वीरगति प्राप्ति को देखकर नारायणी कुछ समय के लिए तो शोक में डूब जाती है लेकिन कुछ समय बाद वीरता और पराक्रम से लड़कर राजा को मार गिराती है और अपने पति की हत्या का प्रतिशोध पूरा कर लेती है। उसके बाद अपने पति के साथ सती होने की इच्छा को सामने रखते हुए तंदन के साथ सती हो गई।
उसके बाद से ही नारायणी को नारी वीरता और शक्ति की प्रतीक के रूप में पूजा जाना लगा और उन्होंने रानी सती, दादी माँ, झुंझुनू वाली रानी सती जैसे अन्य नामों से पुकारा और पूजा जाने लगा।
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झुंझुनू के प्रसिद्ध रानी सती मंदिर में हर साल मेले का आयोजन भी किया जाता है जो पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मेला प्रति बर्ष भादो मास की अमावस्या दिन लगता है जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है। मेले के दौरान भक्तों द्वारा नारायणी देवी को चुनरी चढ़ाई जाती है उनका श्रृंगार किया जाता है, साथ ही मंदिर प्रबंधन द्वारा भंडारे भी चलाया जाता है* इस दिन मंदिर में देवी सती की विशेष पूजा भी की जाती है जिसमें भक्तगण अपने परिवार के साथ पहुंचते हैं पूरे विधि-विधान से दादी की पूजा-अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
रानी सती मंदिर प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक और दोपहर 3.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक खुलता है। श्रद्धालु इस दौरान कभी दादी माँ या रानी सती के दर्शन के लिए यहाँ आ सकते है।
जो भी पर्यटक रानी सती मंदिर झुंझुनू घूमने जाने वाले हैं हम उन्हें बता दे रानी सती मंदिर में प्रवेश और दर्शन के लिए कोई भी शुल्क नही है। यहाँ श्रद्धालु बिना किसी शुल्क के घूम सकते है और झुंझुनू वाली रानी सती के दर्शन के लाभ उठा सकते है।
यदि आप अपने फ्रेंड्स या फैमली के साथ रानी सती मंदिर झुंझुनू घूमने जाने का प्लान बना रहें हैं तो हम बता दे झुंझुनू में घूमने के लिए रानी सती मंदिर के साथ साथ खेतड़ी पैलेस,लोहार्गल,मोदी और तिबरवाल हवेली भी अन्य कई प्रसिद्ध पर्यटक स्थल मौजूद है जिन्हें आप रानी सती मंदिर की यात्रा के दौरान घूमने जा सकते है –
वैसे तो आप साल के किसी भी समय रानी सती मंदिर झुंझुनू जा सकते है लेकिन यदि हम रानी सती मंदिर झुंझुनू घूमने जाने के लिए सबसे अच्छे समय की बात करें तो वह बारिश के बाद सर्दियों के समय माना जाता है। इस दौरान झुंझुनू का मौसम काफी सुखद और यात्रा के अनुकूल होता है।
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यदि आप भी रानी सती मंदिर झुंझुनू की यात्रा में रुकने के लिए होटल्स सर्च कर रहें हैं तो हम आपको बता दे झुंझुनू में पर्यटकों और तीर्थयात्रीयों के लिए सभी बजट कि होटल्स और धर्मशाला उपलब्ध है जिन्हें आप अपने बजट और चॉइस के अनुसार सिलेक्ट कर सकते है।
जो भी पर्यटक रानी सती मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं और जानना चाहते है की हम रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे जाएँ ? हम उन सभी पर्यटकों को बता दे झुंझुनू राजस्थान राज्य सहित भारत के अन्य सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग और ट्रेन मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जिनसे सफ़र करके कोई भी आसानी से रानी सती मंदिर झुंझुनू आ सकता है।
यदि आप फ्लाइट से ट्रेवल करके झुंझुनू घूमने जाने कि सोच रहें हैं तो हम आपको बता दे झुंझुनू के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। इसके लिए आपको जयपुर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेनी होगी। जयपुर एयरपोर्ट झुंझुनू का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जो झुंझुनू से लगभग 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ट्रेन से ट्रेवल करके रानी सती मंदिर घूमने जाना पर्यटकों द्वारा सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले ऑप्शन हैं क्योंकि झुंझुनू का अपना रेलवे जंक्शन है जो रानी सती मंदिर से महज 6.00 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप जब भी ट्रेन से यात्रा करके झुंझुनू रेलवे स्टेशन पहुचेगें तो रेलवे स्टेशन के बाहर से ऑटो, टेक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन से आसानी से लगभग 20 मिनिट में रानी सती मंदिर जा सकते है।
सड़क मार्ग से भी रानी सती मंदिर झुंझुनू की यात्रा करना काफी आसान और सुविधाजनक हैं क्योंकि झुंझुनू रोड नेटवर्क द्वारा राजस्थान के सभी शहरों से जुड़ा है साथ ही झुंझुनू के लिए आसपास के सबसे प्रमुख शहरों से बसें से भी चलती है जिनसे पर्यटक आसानी से झुंझुनू आ सकते है। इनके अलावा आप अपनी पर्सनल कार या एक टेक्सी बुक करके भी यहाँ घूमने आ सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने रानी सती मंदिर का इतिहास, (Rani Sati Temple Jhunjhunu History in Hindi) झुंझुनू वाली रानी सती की कथा (Story of Rani Sati Temple in Hindi) और यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में जाना हैं आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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