Ranakpur Jain Temple In Hindi : रणकपुर जैन मंदिर (चतुर्मुख धारणा विहार) भारत के राजस्थान राज्य में अरावली पर्वत माला की घाटियों के बीच में पाली जिले के सादरी शहर के निकट स्थित हैं। जोकि जैन धर्म के प्रमुख तीर्थकर ऋषभनाथ को समर्पित है। रणकपुर जैन मंदिर सादड़ी राजस्थान की सुंदरता इसके चारो ओर से जंगल से घिरे होने की वजह से ओर अधिक बढ़ जाती हैं। रणकपुर जैन मदिर जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल हैं और मंदिर की सुन्दर संरचना पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यदि आप भी रणकपुर मंदिर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हम आपको रणक जैन मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और इसकी यात्रा से जुड़ीं पूरी जानकारी के बारे में बताने वाले है –
रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन हैं जोकि हमें मेवाड़ राजवंश के समय में ले जाता हैं। जैन समुदाय के निर्माण सम्बन्धी गतिविधियों को मेवाड़ राजवंश के द्वारा ही संरक्षित किया गया हैं। धन्ना शाह ने एक सपने के अनुसार इस मंदिर का निर्माण करबाने के लिए राणा कुंभा से कुछ जमीन मांगी और इसके बदले में उनका नाम मंदिर के साथ जोड़ने के लिए सहमत हुए। रणकपुर जैन मंदिर की वास्तुकला को एक साधारण वास्तुकार दीपक ने तैयार किया था। माना जाता है कि मंदिर के निर्माण में 60 वर्ष का समय लग गया था और इस अद्भुत मंदिर का निर्माण 1458 ईस्वी तक चला।
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रणकपुर मंदिर की संरचना विशाल है जिसमे चौमुखा मंदिर, अंबा माता मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और सूर्य मंदिर आदि शामिल हैं। आदिनाथ तीर्थ कर को समर्पित चौमुखा मंदिर यहाँ का सबसे आकर्षित मंदिर हैं। इस मंदिर में 29 हॉल, 1444 खंभे और 80 गुंबद बने हुए हैं। मंदिर के अन्दर नृत्य करती हुई अप्सराओं की नक्काशी देखने लायक होती हैं। इसके अलावा हड़ताली मंदिर में चार अलग-अलग प्रवेश द्वार देखने को मिलेंगे जोकि मंदिर में चारो दिशा से आने की अनुमति देते हैं और केंद्रीय कक्ष की ओर जाते हैं जहां भक्त गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की चार मुखी वाली आकर्षित संगमरमर की मूर्ति के दर्शन का लाभ उठा सकते है। मंदिर की संरचना को गौर से देखने पर पता चलता हैं कि इसकी वास्तुकला और पत्थर की नक्काशी राजस्थान के एक अन्य प्राचीन मीरपुर जैन मंदिर से मेल खाती हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 48,000 वर्ग फुट के एक विशाल तहखाने समेत रणकपुर मंदिर के मंदिर परिसर में निर्मित किये गए स्तंभों और गुंबदों के साथ कुल मिलकर चार आकर्षित मंदिर शामिल हैं। मंदिर में बने 2 स्तंभों की नक्काशी एक सामान हैं इसके अलावा छत पर बारीक स्क्रॉलवर्क और ज्यामितीय पैटर्न में कलाकृति देखने को मिलती हैं। इसके अलावा रणकपुर मंदिर की संरचना में कई मंडप, सुंदर बुर्ज, मंदिर निर्मित प्रार्थना कक्ष, दो विशाल घंटियाँ और आकर्षित खिड़कियां आदि शामिल हैं।
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रणकपुर मंदिर माघी नदी के किनारे स्थित हैं।
रणकपुर जैन मंदिर भारत के राजस्थान राज्य में अरावली पर्वत के निकट पाली जिले के सादरी नामक शहर के निकट स्थित हैं।
रणकपुर जैन मंदिर खुलने और बंद होने का समय सुबह 9 बजे से शाम के 5 का होता हैं।
कुंभलगढ़ से रणकपुर की दूरी लगभग 33 किलोमीटर हैं।
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रणकपुर के जैन मंदिर का निर्माण राजा कुम्भा ने करबाया था।
रणकपुर जैन मंदिर में भारतीयों नागरिको के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता हैं लेकिन विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रूपये का प्रवेश शुल्क लगता है।
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जैन धर्म से सम्बंधित रणकपुर तीर्थ स्थल के आसपास पर्यटकों और भी कई आकर्षित और घूमने वाली स्थान मिलेंगे। पर्यटक इन स्थानों पर घूमने जा सकते हैं और दर्शनों का लाभ उठा सकते हैं।
रणकपुर जैन मंदिर की आकर्षण में शामिल यहाँ एक दर्शनीय सुपार्श्वनाथ को समर्पित खूबसूरत मंदिर बना हुआ है। सुपार्श्वनाथ मंदिर के भीतर की बनाबट बाकई आकर्षित हैं और मंदिर की दीवारों पर की गई कामुक कारीगरी देखने लायक हैं।
रणकपुर के दर्शनीय स्थलों में शामिल मुछाला महावीर मंदिर भगवान महावीर को समर्पित हैं। मुछाला महावीर मंदिर रणकपुर के कुंभलगढ़ अभयारण्य में स्थित है। मुछाला महावीर मंदिर का सबसे प्रमुख आकर्षण यहां स्थित भगवान महावीर की मूछों वाली आकर्षित प्रतिमा हैं। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित हाथियों की दो मूर्तिया पर्यटकों को मोहित करती हैं।
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रणकपुर जैन मंदिर के प्रमुख आकर्षण में शामिल रणकपुर से लगभग 6 किमी की दूरी एक पहाड़ी के पास स्थित नरलाई नामक एक छोटा सा गाँव हैं। यह नारलाई गांव अपने आंगन में निर्मित हिन्दू और जैन मंदिरो के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में पर्यटकों को प्राचीन काल के अवशेषों को देखने का अवसर प्राप्त होता हैं।
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सूर्य मंदिर रणकपुर में स्थित एक दर्शनीय मंदिर हैं जोकि 13 वीं शताब्दी के दौरान का माना जाता हैं। हालाकि एक बार नष्ट होने के बाद 15 वीं शताब्दी मंदिर का पुनिर्माण कार्य किया गया। मंदिर की देख रेख का कार्य उदयपुर शाही परिवार के ट्रस्ट की निगरानी में किया जाता हैं। सूर्य नारायण मंदिर की संरचना गोलाकार हैं जोकि अपने सात घोड़ो के रथ सवार भगवान सूर्य देव की आकर्षित प्रतिमा के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
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रणकपुर जैन मंदिर के प्रमुख आकर्षण में शामिल सेठी की बदी मंदिर श्वेतांबर से संबंधित एक बड़ा जैन मंदिर है। यह मंदिर अपनी दीवार पर बने आकर्षित चित्रों के लिए जाना जाता हैं।
जैन धर्म से संबधित चौगान मंदिर को अगले समय के चक्र में पहले तीर्थ कर की मृत्यु के लिए जाना जाता है। यह मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं जिससे मंदिर में आने वाले आंगतुको की संख्या बहुत अधिक देखी जा सकती हैं।
सादड़ी राजस्थान राज्य में पाली जिले के रणकपुर में स्थित एक खूबसूरत गाँव है जोकि अपने धार्मिक मंदिरो के लिए जग जाहिर हैं। यहां के प्रमुख आकर्षण में शामिल परशुराम महादेव मंदिर, वराहवतार मंदिर, रणकपुर जैन मंदिर, श्री महाकाली मंदिर, श्री परशुराम महादेव मंदिर, श्री वोक्कल माता मंदिर और चिंतामणि पारसनाथ मंदिर आदि शामिल हैं। इसके अलावा घनेराव रावला, कुंभलगढ़ राष्ट्रीय वन, नरेंद्र रावला आदि शामिल हैं।
चतुर्मुख मंदिर रणकपुर का प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं जोकि 15 वी शताब्दी में निर्मित किया गया था। आदिनाथ को समर्पित यह मंदिर जैन धर्म से सम्बंधित बड़े तीर्थकरो में शामिल हैं। पर्यटकों द्वारा इस मंदिर का दौरा बहुत अधिक संख्या में किया जाता हैं।
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रणकपुर का बाजार बहुत ही दिलचस्प है। हालाकि गाँव छोटा हैं लेकिन बाजार में आकर्षित वस्तुओं की कोई कमी नहीं हैं। रणकपुर का बाजार सोना, चांदी और मिटटी के वर्तनो के लिए अधिक प्रसिद्ध हैं। बाजार में खूबसूरत नक्काशीदार चिन्हों के साथ साथ शानदार कठपुतलियाँ देखी जा सकती हैं।
रणकपुर जैन मंदिर घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंवर के बीच का माना जाता हैं। क्योंकि इस मौसम में यात्रा करना आसान और सुखद होता हैं।
रणकपुर जैन मंदिर के आसपास आपको रणकपुर और सादरी नामक स्थान पर आवास की सुविधा मिल जाएगी जहां पर आपनी बजट और सुविधा के अनुसार होटल का चयन कर सकते हैं।
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रणकपुर जैन मंदिर की यात्रा के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
रणकपुर जैन मंदिर की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा या दाबोक हवाई अड्डा या उदयपुर हवाई अड्डा रणकपुर के सबसे नजदीक है। जोकि मंदिर से लगभग 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। हवाई अड्डे से आप स्थानीय साधनों की मदद से मंदिर आसानी से पहुँच जाएंगे।
रणकपुर जैन मंदिर जाने के लिए यदि आपने रेलवे मार्ग का चुनाव किया हैं तो बता दें कि फालना रेलवे स्टेशन जोकि लगभग 29 किलोमीटर की दूरी पर हैं सबसे निकट हैं। लेकिन उदयपुर रेलवे स्टेशन रणकपुर जैन मंदिर से लगभग 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। स्टेशन से आप राज्य परिवहन द्वारा चलाए जा रहे साधनों का उपयोग करके मंदिर आसानी से पहुँच जाएंगे।
रणकपुर जैन मंदिर सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के नजदीकी शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं इसलिए आप बस या अपने निजी साधन से भी रणकपुर जैन मंदिर घूमने के लिए जा सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने रणकपुर जैन मंदिर के बारे में विस्तार से जाना है आपको यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेन्टस में बताना ना भूलें।
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