Phugtal Monastery in Hindi : फुकताल या फुग्ताल मठ एक अलग मठ है जो लद्दाख में जांस्कर क्षेत्र के दक्षिणी और पूर्वी भाग में स्थित है। यह उन उपदेशकों और विद्वानों की जगह है जो प्राचीन काल में यहां रहते थे। यह जगह ध्यान करने, शिक्षा, सीखने और एन्जॉय करने की जगह थी। झुकरी बोली में फुक का अर्थ है “गुफा”, और ताल का अर्थ है “आराम ” होता है। यह 2250 साल पुराना मठ एकमात्र ऐसा मठ है जहाँ पर पैदल यात्रा करके पहुंचा जा सकता है। फुगताल मठ लद्दाख के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक बहुत खास जगह है। अगर आप लेह लद्दाख की यात्रा करने के लिए जा रहे हैं तो इस पर्यटन स्थल की सैर करना न भूलें। यहां मंदिर में लोगों द्वारा अच्छे जीवन और कामों के लिए हर दिन प्रार्थना की जाती है साथ यहां के त्यौहारों बहुत ही उत्साह और मनोरंजन के साथ मनाया जाता है।
इस लेख में आगे में हम फुग्ताल मठ की यात्रा और इससे जुड़ी जानकारी के बारे में बात करने वाले है इसीलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
फुग्ताल मठ का इतिहास एक या दो सौ साल नही बल्कि लगभग 2200 साल पुराना है जिसके हिसाब इसे दुनिया के सबसे प्राचीन मठो में से एक रूप में जाना जाता है। यह मठ प्राकृतिक गुफा के आसपास बना है जिसका उपयोग उस दौरान कई ऋषियों, विद्वानों, अनुवादकों और भिक्षुओं द्वारा ध्यान करने के लिए किया जाता था। माना जाता है की गुफा के सबसे शुरुआती निवासियों में से एक 16 अरहट या बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी थी जिनकी छवियां भी इस मठ की दीवारों में दिखाई देती हैं।
फुकताल मठ लद्दाख की चट्टान के ऊपर प्राकृतिक गुफा के मुहाने पर स्थित है जो दूर से एक छत्ते की तरह दिखता है। फुकताल मठ का अनोखा प्रवेश द्वार मिट्टी और लकड़ी से बनाया गया है इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह एक गुफा की छवि को दर्शाता है। गुफा की दीवारों पर बुद्ध के 16 प्राचीनतम पौराणिक अनुयायियों की छवि मिल सकती है। फ्रेस्को और छत को एक पुराने चैपल से सजाया गया है जो पर्यटकों के आकर्षण में से एक है। इसमें लगभग 700 भिक्षुओं के लिए 4 प्रार्थना कक्ष, पुस्तकालय, रसोई, अतिथि कक्ष और रहने की जगह है।
फुगताल मठ कि ट्रेकिंग भारत के सबसे डेंजरस और रोमांचक ट्रेक रूट्स में से एक है। रास्ता काफी कठनाइयों भरा होता जिसमे 6-8 घंटे लगते हैं। यदि आप रोमांच प्रेमी है तो आप यहाँ घूमने आ सकते है क्योंकि यह ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक बहुत खास जगह है। फुगताल का रास्ता खड़ी और संकीर्ण दरारों से भरा है, और इसलिए आपको बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। जैसा कि आप एक या दो घंटे में आगे बढ़ते हैं, आप चा गाँव तक पहुँच सकते है यहाँ से मठ के लिए 6 किमी की ट्रेक है जो आपकी गति और ताकत के आधार पर 3-5 घंटे ले सकती है।
यदि आप कुछ और रोमांच जोड़ना चाहते हैं, तो आप पुंग के माध्यम से अपना रास्ता बना सकते हैं, लुंगणक नदी के पार स्थित एक गाँव जो तुलनात्मक रूप से एक लंबा मार्ग है इस मार्ग से मठ तक पहुँचने में दो दिन लगते हैं।
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फुगताल मठ अपने स्ट्रकचर और रोमांचक ट्रेक रूट्स के साथ साथ यहाँ मनाये जाने वाले उत्सव और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। यदि आप फुगताल मठ की यात्रा में अन्य आकर्षण जोड़ना चाहते है तो इन त्योहारों के दौरान घूमने आ सकते है।
स्मोनलैम चेनमो उत्सव को मोनालम चेनमो के नाम से भी जाना जाता है, यह महान प्रार्थना उत्सव वर्ष के सबसे महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध उत्सवों में से एक है। यह नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे फरवरी के अंत और मार्च की शुरुआत में मनाया जाता है। जिस दौरान बड़ी संख्या में लोग मठ जाते हैं।
मार्च के पहले सप्ताह में मनाया जाने वाला फुगताल मठ का प्रसिद्ध त्यौहार है। इस त्यौहार के दौरान लोग तोरमा भिक्षुओं द्वारा बनाई गई देवता की एक अनूठी प्रतिमा है की पूजा करते है।
जुलाई और मध्य सितंबर के बीच आयोजित, यार्न त्योहार को वर्षावास समारोह भी कहा जाता है। इस दौरान मठ और कुछ सीमित क्षेत्रों के लोग अनुष्ठानों और पूजाओं यहाँ इकट्ठे होते है। ये पूजा पौधों, कीड़ों और अन्य सूक्ष्मजीवों पर अच्छे कर्म की उपलब्धि के लिए होती है। भक्त पवित्र शक्ति के नाम पर उपवास भी करते हैं। बता दे इस त्यौहार के पर्यटकों को शामिल होने की अनुमति नही है। यदि वे इसमें शामिल होना चाहते हैं, तो उन्हें सिर लामा से अनुमति लेनी होती है।
द लाइटनिंग सेरेमनी, जो इस त्योहार का दूसरा नाम है, दिसंबर की शुरुआत के दौरान आयोजित किया जाता है। यह जेई सोंग्खपा की पुण्यतिथि का प्रतीक है जो एक तिब्बती शाखा गेलुग के संस्थापक थे।
यदि आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ जम्मू कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल फुकताल मठ घूमने जाने का प्लान बना रहे है। तो हम आपको बता दे लेह लदाख में फुकताल मठ के अलावा भी अन्य लोकप्रिय पर्यटक स्थल मौजूद है। जिन्हें आप अपनी यात्रा के दौरान घूम सकते हैं-
लद्दाख का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल फुकताल मठ घूमने जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच का समय होता है। गर्मियों के दौरान फुकताल मठ का रास्ता सुखा होता है जिस दौरान आपको मार्ग कम खतरनाक लगेगा। इन दिनों फुकताल मठ का तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तक होता है जो आपकी यात्रा के लिए अनुकूल होता है। हालांकि, रातें ठंडी हो सकती हैं जब पारा 7 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है। जुलाई से अगस्त और नवंबर से फरवरी तक फुकताल मठ घूमने जाने से बचने की सिफारिश की जाती है, क्योंकि इस समय भारी बर्फ़बारी होती है।
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यदि आप लेह लद्दाख के फेमस पर्यटक स्थल फुगताल मठ और इसके आसपास के पर्यटक स्थल घूमने जाने का प्लान बना रहे है। और अपनी यात्रा के दौरान रुकने के लिए किसी अच्छी होटल की तलाश में हैं ,तो हम आपको बता दें की फुगताल मठ के आसपास और लद्दाख में आपको लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक सभी प्रकार के होटल मिल जायेंगे।
फुगताल मठ सड़क मार्ग द्वारा लेह और जम्मू कश्मीर के अन्य शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नियमित बस सेवाएं भी फुगताल मठ से लेह तक और इसके आसपास के शहरों से जोडती हैं। लेकिन फुगताल मठ के लिए कोई सीधी उड़ान या रेल संपर्क नहीं है।
यदि आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ हवाई मार्ग के द्वारा फुग्ताल मठ घूमने जाने की योजना बना रहे हैं, तो हम आपको सूचित कर दे फुगताल मठ के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी उपलब्ध नही है। फुगताल मठ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा रिम्पोछे हवाई अड्डा लेह में है।
रेल मार्ग द्वारा फुग्ताल मठ जाने के लिए कोई सीधी रेल कनेक्टिविटी नहीं है। फुगताल मठ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन कटरा रेलवे स्टेशन है जो फुग्ताल मठ से लगभग 650 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और ट्रेन की यात्रा आपके लिए चुनोतिपूर्ण सफ़र हो सकता है। इसीलिए हम आपको ट्रेन के यात्रा से बचने की सिफारिश करते हैं।
अगर आप सड़क मार्ग या बस से यात्रा करके फुग्ताल मठ घूमने जाना चाहते है। तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दे फुगताल मठ रोडबेज के बिशाल नेटवर्क के साथ लेह और जम्मू कश्मीरों के बिभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जहाँ आप टेक्सी या लेह और नुब्रा घाटी के बीच चलने वाली दैनिक बसों का विकल्प चुन सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी बाइक से भी यात्रा करके फुगताल मठ पहुंच सकते हैं। लेकिन आपको प्रत्येक चेकपॉइंट पर, परमिट की फोटोकॉपी जमा करने की आवश्यकता होती है।
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