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जाने पंच केदार की यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी – Panch Kedar Yatra in Hindi

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Panch Kedar Yatra in Hindi : पंच केदार यात्रा भारत में हिन्दू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण यात्रायों में से एक है जो हर साल लाखो श्र्धालुयों द्वारा की जाती है। पंच-केदार का तात्पर्य उन पाँच मंदिरों से है जो सामूहिक रूप से भगवान शिव को समर्पित हैं जिनमे केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर नाम शामिल है। भगवान शिव के ये पवित्र स्थल उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित हैं। पवित्रता के साथ साथ घास के मैदान, पहाड़, बर्फ से ढँकी चोटियाँ और वन्य जीवन पंच केदार यात्रा को श्र्धालुयों और पर्यटकों दोनों के लिए खास और जीवन भर याद रखने लायक यात्रा पर बना देती है। इन मंदिरों तक पहुचने के लिए कोई सीधी मोटर योग्य सड़क नही है बल्कि प्रत्येक मंदिर को कठिनाई के विभिन्न स्तरों के साथ ट्रेकिंग करनी होती है और इस पंच केदार यात्रा को पूरा होने में आम तौर पर 15/16 दिन लगते हैं।

यदि आप भी पंच केदार यात्रा पर जाने वाले है या फिर इस यात्रा के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हम पंच केदार यात्रा की से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बात करें वाले है–

पंच केदार की कथा – Legend Of Panch Kedar in Hindi 

पंच केदार भगवान शिव जी को समर्पित पांच प्रसिद्ध मंदिर से मिलकर बनते है। यदि हम पंच केदार की कथा या पंच केदार की उत्त्पति पर नजर डाले तो पंच केदार के निर्माण के पीछे सबसे प्रसिद्ध किंवदंती महाभारत के भयंकर युद्ध का पता लगाती है। लड़ाई के दौरान, पांडवों ने अपने रिश्तेदारों और गुरुओं का वध किया था और अपने इसी अपराध का पश्चाताप करने के लिए पांडव भगवान शिव के पास गए। हालाँकि, भगवान शिव उनके द्वारा मैदान पर उनके द्वारा की गई बेईमानी के कारण नाराज थे जिस कारण वह पांडवो से रुष्ट थे और  गढ़वाल हिमालय में गुप्तकाशी में एक बैल के रूप में छिप गए थे। इसी प्रकार गुप्तकाशी (जिसका शाब्दिक अर्थ काशी छिपा हुआ है) को इसका नाम मिला।

पांडव गढ़वाल क्षेत्र में शिव की तलाश में आए और बैल के रूप में भगवान शिव को पहचान लिया। भीम ने बैल को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह जमीन में गिर गये और अलग अलग हिस्सों में विभाजित हो गये। गढ़वाल के विभिन्न हिस्सों में शिव फिर से प्रकट हुए। जिसके बाद केदारनाथ में उस बैल का कूबड़ दिखाई दिया, मध्य-महेश्वर में नाभि उभरी, रुद्रनाथ पर चेहरा, तुंगनाथ में हाथ और कल्पेश्वर में उस बैल के बाल सामने आए।

इसी घटना के बाद इनमें से प्रत्येक स्थान पर, पांडवों द्वारा एक मंदिर बनाया गया था और इन सभी पाँच मंदिरों को एक साथ पंच केदार के रूप में जाना जाता है।

पंच केदार यात्रा – Panch Kedar Yatra in Hindi

यदि आप अभी सोच रहे है की पंच केदार यात्रा क्या है ? तो हम आपको बता दे पंच केदार यात्रा उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित पांच पवित्र शिव मंदिर से मिलकर पूरी होती है। इस लेख के माध्यम से हम आपको  इसी पंच केदार की यात्रा कराने वाले है इसीलिए इस लेख को आखिर तक जरूर पढ़े –

केदारनाथ – Kedarnath in Hindi

3,584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढकी चोटियों और जंगलों की शानदार पृष्ठभूमि में स्थित है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर पंच केदार मंदिर में प्रमुख स्थान रखता है। केदारनाथ मंदिर भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है और उत्तराखंड में ‘छोटा चार धाम यात्रा’ का एक हिस्सा भी है। मंदिर में एक शंक्वाकार आकार का शिव लिंग है जिसे शिव का कूबड़ माना जाता है।, कहा जाता है पांड्वो द्वारा स्थापित इस मंदिर को 8/9 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा फिर से स्थापित किया गया था।

केदारानाथ मंदिर की खास बात है कि यह मंदिर सिर्फ अप्रैल से नवंबर महीने के बीच ही दर्शन के लिए खुलता है और सालभर लोग केदारानाथ मंदिर में आने के लिए इंतजार करते हैं। एक और खास बात यह भी है कि इसके खुलने और बंद होने का मुहूर्त भी निकाला जाता है, लेकिन फिर भी ये सामान्यतौर पर नवंबर महीने की 15 तारीख से पहले बंद हो जाता है और 6 महीने बाद अप्रैल में फिर से खुलता है।

पंच केदार यात्रा में केदारनाथ केसे पहुचें – How To Reach Kedarnath In Panch Kedar Yatra in Hindi

पंच केदार की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु जान लें केदारनाथ जाने के लिए  मोटर योग्य सड़क गौरीकुंड तक है। यहाँ पहुचने के बाद आपको केदारनाथ पहुचने के लिए 14 किमी की पैदल यात्रा करनी होती है। 2016 में केदारनाथ तक जाने के लिए दो ट्रैक और तैयार किए हैं। जिसमें से पहला चौमासी से होते हुए खाम, फिर रामबाड़ा और फिर केदारनाथ पहुंचने का है। इस रूट की कुल दूरी 18 किमी है। वहीं दूसरा रास्ता त्रिजुगीनारायण से केदारानाथ जाने का है, जिसके बीच की दूरी 15 किमी है।

और पढ़े : केदारनाथ यात्रा के बारे में जानकारी 

तुंगनाथ  – Tungnath in Hindi

रूद्रप्रयाग जिले में स्थित चोपता से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुंगनाथ मंदिर पंच केदार यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण मंदिर है। 3,680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर दुनिया में भगवान शिव का सबसे ऊंचा मंदिर है।बता दे यह वह स्थान जहाँ बैल के रूप धारण किये हुए भगवान शिव जी के हाथ दिखाई दिए थे, जिसके बाद पांड्वो द्वारा तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया था। यह मंदिर बहुत ही सुन्दर वास्तुकला से निर्मित है जिस बजह से हर साल हजारों की संख्या तीर्थयात्री भगवान शिव का आश्रीबाद लेने और इस सुन्दर वास्तुकला से रूबरू होने के लिए आते है।

तुंगनाथ मंदिर पहुचने के लिए रास्ते रोडोडेंड्रोन फूल से भरे घास के मैदान से होते हुए जाते है जो बेहद आकर्षक और मनमोहनीय होते है। इनके अलावा इस रास्ते पर ट्रेकिंग करते हुए नंदादेवी, चौखम्बा, नीलकंठ और केदारनाथ जैसी चोटियों के शानदार दृश्य को भी देखा जा सकते है। यदि आप आसपास की चोटियों के अविश्वसनीय मनोरम दृश्य को देखना चाहते है तो चंद्रशिला चोटी पर 2 किमी तक का ट्रेक और कर सकते है।

पंच केदार यात्रा में तुंगनाथ मंदिर केसे पहुचें – How to reach Tungnath Temple in Hindi

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए चोपता तक सड़क मार्ग से यात्रा करके पहुच सकते है और चोपता पहुचने के बाद लगभग 4 किलोमीटर की ट्रेकिंग तुंगनाथ मंदिर पहुचा जा सकता है।

रुद्रनाथ – Rudranath in Hindi

Image Credit ; Prince Verma

रुद्रनाथ पंच केदार यात्रा में एक और महत्वपूर्ण स्थल है जो प्राकृतिक चट्टान के निर्माण से बना है। रुद्रनाथ मंदिर अल्पाइन घास के मैदानों और रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों के बीच 2,286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां शिव को ‘नीलकंठ महादेव’ के रूप में पूजा जाता है। यह वही स्थान जहाँ पांड्वो को बैल के रूप में भगवान् शिव का चेहरा दिखाई दिया था। इस मंदिर से नंदादेवी, नाडा घुंटी और त्रिशूल चोटियों के शानदार दृश्यों को भी देखा जा सकता हैं। मंदिर की एक और खासियत यह है कि यह सूर्य कुंड, चंद्र कुंड, तारा कुंड और मन कुंड जैसे कई तालाबो या कुंड से घिरा हुआ है।

इस मंदिर के ट्रेक को पंच केदार के अन्य सभी मंदिरों की तुलना में सबसे कठिन ट्रेक माना जाता है जिसमे लगभग 20 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होती है। रुद्रनाथ की ओर जाने वाले अधिकांश ट्रेक गोपेश्वर (चमोली जिले) में विभिन्न बिंदुओं से शुरू होते हैं जो लगभग 20 किलोमीटर लम्बे होते है।

पंच केदार यात्रा में रुद्रनाथ मंदिर केसे पहुचें – How To Reach Rudranath Temple In Panch Kedar Yatra in Hindi

Image Credit ; Akshay Semwal

जान लें रुद्रनाथ जाने के लिए अधिकांश ट्रेक रूट्स चमोली जिले के गोपेश्वर से शुरू होते हैं यहाँ से आप लगभग 20 किलोमीटर की ट्रेकिंग करके रुद्रनाथ पहुच सकते है।

और पढ़े : चार धाम यात्रा करने की जानकारी

मध्यमहेश्वर – Madhyameshwar in Hindi

Image Credit : Sahitya Chamoli

लगभग 3,289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मध्यमहेश्वर वह स्थान है, जहाँ शिव का मध्य या नाभि भाग उभरा हुआ था। मंदिर गढ़वाल हिमालय के मानसोना गाँव में एक सुंदर हरी घाटी में स्थित है जो केदारनाथ, चौखम्बा और नीलकंठ की शानदार बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है। उखीमठ से लगभग 18 किमी दूर, अनियाना से ट्रेकिंग करके मध्यमहेश्वर पहुचा जा सकता है इस रास्ते में बंतोली से थोड़ा ऊबड़-खाबड़ हो जाता है, जहाँ मध्यमहेश्वर गंगा का विलय मटियेंद्र गंगा के साथ होता है। बता दे इस ट्रेक के दौरान लुप्तप्राय हिमालयन मोनाल तीतर और हिमालयन कस्तूरी मृग सहित; झरने; और आसपास की चोटियाँ को भी देखा जा सकता है जो इस ट्रेक को वास्तव में यादगार बना देती हैं।

पंच केदार यात्रा में मध्यमहेश्वर केसे पहुचें – How to reach Madhyameshwar in Panch Kedar Yatra in Hindi

Image Credit : Brij Mohan Sah

मध्यमहेश्वर मंदिर जाने के लिए ट्रेक की शुरुआत उनिआना से की जा सकती है जो ऊखीमठ से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। ट्रेक 19 किमी लंबा है और इसे बंतोली तक आसानी से कवर किया जा सकता है, जो कि अनियाना से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। लेकिन बंतोली से ट्रेक थोडा कठिन हो जाता है और यहाँ से रास्ता उबडखाबड़ हो जाता है और चढ़ाई करने की आवशयकता भी होती है।

कल्पेश्वर – Kalpeshwar in Hindi

Image Credit : Dinesh Vellakkat

कल्पेश्वर पंच केदार यात्रा का एक और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव के बाल (जटा) दिखाई दिए थे। शिव के लंबे और पेचीदा तालों के कारण, उन्हें जटाधारी या जटेश्वर भी कहा जाता है। कल्पेश्वर का मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में 2,200 मीटर की ऊँचाई पर शांत और दर्शनीय उर्गम घाटी में स्थित है। उरगाम घाटी, मुख्य रूप से घने जंगल में आच्छादित है, जो टेरा खेतों पर सेब के बागों और आलू के बागानों के दिलचस्प विस्तारों को पेश करती है। कल्पेश्वर मंदिर पंच केदार यात्रा का ऐसा मंदिर है जहाँ अन्य मंदिर की अपेझा आसनी से ट्रेकिंग करके पहुचा जा सकता है।

ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित हेलंग, वह स्थान है जहाँ से उरगाम घाटी पहुँच सकते हैं। उर्गम से कल्पेश्वर तक 2 किमी का आसान ट्रेक है। हेलंग से कल्पेश्वर की यात्रा पर अलकनंदा और कल्पसंगा नदियों का सुंदर संगम देखा जा सकता है।

पंच केदार यात्रा में कल्पेश्वर केसे पहुचें – How to reach Kalpeshwar in Panch Kedar Yatra in Hindi

Image Credit : kalyan kesh

कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में उर्गम घाटी में 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहाँ हेलंग से लगभग 2 किलोमीटर की आसन सी ट्रेकिंग करके पहुचा जा सकता है।

और पढ़े : उत्तराखंड के पंच प्रयाग की यात्रा और इसके प्रमुख पर्यटन स्थल की जानकारी

पंच केदार यात्रा पर जाने का सबसे अच्छा समय – Best time to visit Panch Kedar Yatra in Hindi

यदि आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ पंच केदार की यात्रा पर जाने की योजना बना रहे है लेकिन अपनी यात्रा पर जाने से पहले सबसे अच्छे समय के बारे में जाना चाहते है तो हम आपको बता दे जुलाई – अगस्त में यहाँ भारी  बारिश के कारण भूस्खलन देखा जाता है जबकि सर्दियों में काफी हद तक बर्फ़बारी भी होती है। इसीलिए अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर पंच केदार की यात्रा पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है।

और पढ़े : तिरुपति बालाजी का रहस्य और उनकी कहानी

इस लेख में आपने पंच केदार की यात्रा से जुड़ीं जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।

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