Manali Sanctuary In Hindi ; मनाली अभयारण्य हिमाचल प्रदेश राज्य के मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। मनाली अभयारण्य एक इतना खूबसूरत और आकर्षक पर्यटन स्थल है कि मनाली की यात्रा इस अभ्यारण्य की सैर के बिना अधूरी है। यह वन्यजीव अभयारण्य मनाली के मुख्य शहर के केंद्र से पैदल दूरी पर स्थित है और यह समृद्ध वनस्पतियों और जीवों को एक्स्प्लोर करने की एक बहुत ही अच्छी जगह है। इस अभ्यारण्य में सरीसृपों, पक्षियों, जानवरों और स्तनधारियों की विभिन्न किस्मों को देखने के अलावा यहाँ पर एडवेंचर और मनोरंजन के लिए भी बहुत कुछ है। इस अभ्यारण्य में शानदार ट्रेकिंग मार्ग और शिविर सुविधाएं शामिल हैं। मनाली वन्यजीव अभयारण्य सभी जानवरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए पृथ्वी पर एक स्वर्ग के सामान है जिसकी वजह से यहाँ भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।
मनाली अभयारण्य को आधिकारिक रूप से वर्ष 1954 में 26 फरवरी पंजाब बर्ड्स एंड वाइल्ड एनिमल्स प्रोटेक्शन एक्ट 1933 के तहत एक अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था। यह सिर्फ 31.80 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है लेकिन इतना छोटा होने के बाद भी इसमें इतना कुछ है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यह अभ्यारण्य कई तरह के जीवों और वनस्पतियों का घर है। पर्यटकों को यहाँ पर एक ही समय में बर्फ से ढके पहाड़ों, अल्पाइन पेड़ों और आसपास की सुरम्य सुंदरता को एक्स्प्लोर करने का मौका मिलता है।
मनाली वन्यजीव अभयारण्य में पर्याप्त वनस्पति है जो क्षेत्र को कई प्रजातियों के जानवरों के रहने और बढ़ने के लिए आदर्श निवास स्थान बनाती है। यहाँ पर ट्री लाइन के नीचे ओक और कोनिफ़र के घने जंगल पाए जाते हैं इसके अलावा घोड़ा चेस्टनट, मेपल, विलो, चिनार, अखरोट और रॉबिनिया के पेड़ पाए जाते हैं। इसके साथ ही अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में जुनिपर्स और रोडोडेंड्रोन भी पाए जाते हैं। मनाली अभयारण्य में जीवों में पक्षी, जानवर और सरीसृप शामिल हैं। कोलंबस तीतर को अभयारण्य में आप आसानी से देख सकते हैं। इसके साथ ही अन्य प्रमुख पक्षी प्रजातियों हिम कबूतर, हिमालयी मोनाल, ट्रेक्रीपर्स, पश्चिमी ट्रोपोपन, चकोर, बार थ्रोटेड मिनला, किंगफिशर, ग्रीन-समर्थित टाइट, स्नो पार्ट्रिज, रूफस-बेलिड नेल्टवा और हिमालयी स्नोकॉक शामिल हैं। इस अभ्यारण्य में पाए जाने वाले स्तनधारियों में भूरे भालू, भौंकने वाले हिरण, हिम तेंदुए, एशियाई काले भालू, कस्तूरी मृग और जंगली बिल्ली शामिल हैं। इसके अलावा कई अन्य सांप और छिपकली भी अभ्यारण्य में पाए जाते हैं।
मनाली वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सुबह 09:00 से शाम 06:00 बजे तक खुला रहता है।
मनाली अभयारण्य को अच्छी तरह से घूमने के लिए आप को 4 घंटे के आस पास का समय लग सकता है।
मनाली अभयारण्य में कोई भी प्रवेश शुल्क नहीं है। यह पूरी तरह मुफ़्त है।
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अगर आप मनाली वन्यजीव अभयारण्य का दौरा करने की योजना बना रहे हैं तो बता दें की यहाँ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है, इन महीनों के दौरान पहाड़ बर्फ से ढके होते हैं, और आसपास का वातावरण जीवंत होता है। यदि आप ट्रेकिंग का मजा लेना चाहते हैं तो आपको मई और जून के गर्मियों के महीनों में इस अभयारण्य का दौरा करना चाहिए।
मनाली अभयारण्य मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह मनाली शहर से कुछ मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है जिसकी वजह से आप यहाँ आपको कई तरह के रेस्तरां, कैफे और बार आसानी से मिल जायेंगे। मनाली अभयारण्य के पास आपको खाने के लिए फूड स्टाल आसानी से मिल जायेगे। इसके साथ ही मनाली में समृद्ध विविधता और मेनू में स्वादिष्ट भोजन के साथ बहुत सारे रेस्तरां मिलेंगे।
पर्यटक मनाली में यहां के लोकप्रिय तिब्बती राजवंशों के साथ इतालवी, चीनी, कोरियाई, महाद्वीपीय, थाई, भारतीय, जापानी, वियतनामी भोजन का स्वाद ले सकते हैं। यहां के कैफे युवा भीड़ को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और दिन भर पिज्जा, मोमोज, बनाना पेनकेक्स और एप्पल पाई जैसे स्वादिष्ट फास्ट फूड परोसते हैं। इसके अलावा आप स्ट्रीट फूड में समोसे, आलू टिक्की, ब्रेड पकोड़े, पाव भाजी, गुलाब जामुन का स्वाद चख सकते हैं। इसके अलावा शहर में स्थनीय हिमाचल भोजन काफी मशहूर है।
मनाली अभयारण्य मनाली का एक प्राकृतिक और खूबसूरत पर्यटन स्थल है, अगर मनाली अभयारण्य के अलावा इसके आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो आपको मनाली अभयारण्य के पास के इन पर्यटन स्थलों के बारे में जरुर पढ़ना चाहिए।
ओल्ड मनाली मनाली अभयारण्य से करीब 1.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अपने कई विचित्र कैफे और रेस्तरांओं के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा शॉपिंग विशेष रूप से कपड़े और चेरी के लिए लोकप्रिय है। ओल्ड मनाली अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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नग्गर हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में स्थित है जो मनाली अभयारण्य से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा शहर है जो अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्यटन स्थल उन लोगों के लिए बेहद खास जगह है जो प्रकृति की गोद में रहकर आराम करना चाहते हैं। नग्गर में आप ट्रेकिंग और कैंपिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। आपको बता दें कि नग्गर में एक महल भी स्थित है जिसको अब एक रिटेज होटल में बदल दिया गया है, जहां पर कोई भी जा सकता है। इसके अलावा नग्गर में एक लोक कला संग्रहालय और एक गर्म पानी का झरना है, जहां पर्यटकों को जरुर जाना चाहिए।
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मनु मंदिर मनाली में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो मनु ऋषि को समर्पित है। मनु टेम्पल की मनाली अभयारण्य से दूरी करीब 2 किलोमीटर है। यह मंदिर अपने स्थान से शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है और पैगोडा शैली में बनाया गया है। यह मंदिर ब्यास नहीं के पास स्थित है और शहर के बाजार से काफी निकट है।
नेहरु कुंड अभयारण्य से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नेहरु कुंड को अपना नाम भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरु के नाम से लिया गया है। यह इस कुंड का पानी नेहरू के लिए दिल्ली तक ले जाया जाता था क्योंकि उन्हें इस कुंड का पानी बेहद पसंद था। जब जवाहरलाल नेहरु मनाली दौरे पर आये थे तो वो इस कुंड के पानी को पीकर मंत्रमुग्ध हो गए थे। नेहरु कुंड यहाँ पर चलने वाले ठंडे पानी और पहाड़ों और घाटियों के लुभावने दृश्यों के लिए जाना जाता है।
भृगु झील मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसका नाम ऋषि भृगु के नाम पर पड़ा है जिनके बारे में कहा जाता है कि वे इस झील के पास ध्यान करते थे। इस झील को एक प्राचीन लोककथा के कारण पूल ऑफ गॉड्स ’के रूप में भी जाना जाता है, जो बताती है कि देवताओं ने इसके पवित्र जल में डुबकी लगाई थी। भृगु झील रोहतांग दर्रे के पूर्व में स्थित है और गुलाबा गांव से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मनाली अभयारण्य से भृगु झील की दूरी 18 किलोमीटर है।
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हिडिम्बा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के मनाली शहर में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा मंदिर है, जो महाकाव्य महाभारत के भीम की पत्नी हिडिम्बी देवी को समर्पित है। यह मनाली में सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) भी कहा जाता है। मनाली आने वाले पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने के लिए जरुर आते हैं। इस मंदिर की इमारत चार मंजिला संरचना है जो जंगल के बीच में स्थित है। इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि इसमें हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों को पूजा जाता है। मनाली अभयारण्य से हिडिम्बा देवी मंदिर की दूरी 1.5 किलोमीटर है।
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नग्गर कैसल मनाली अभयारण्य से 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यह एक महल हुआ करता था जिसको अब एक एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है। नग्गर कैसल लकड़ी और पत्थर से निर्मित यूरोपीय और हिमालयी वास्तुकला का एक संयोजन है। मध्ययुगीन नग्गर कैसल का निर्माण कुल्लू के राजा सिद्ध सिंह द्वारा 1460 के आसपास किया था। नग्गर कैसल अब हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित है जो ब्यास घाटी के जंगलों की शानदार दृश्यों की वजह से अब भी पर्यटकों का पसंदीदा है।
मनाली अभयारण्य से करीब 76 किलोमीटर की दूरी पर कसोल पार्वती घाटी के तट पर स्थित एक छोटा सा गाँव है जो एडवेंचर, बाइकिंग और खीरगंगा, चायल, तोश घाटी, मलाणा, मैजिक वैली जैसी ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध है।
रोहतांग दर्रा मनाली अभयारण्य से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रोहतांग दर्रा मनाली घूमने के लिए आने वालों लोगों के लिए यहां की बर्फबारी आकर्षण का केंद्र है। यहाँ की बर्फबारी आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यह पर्यटन स्थल मनाली बस स्टैंड से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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मणिकरण साहिब मनाली में स्थित सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा और तीर्थ स्थान है। यह मनाली अभयारण्य से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गुरुद्वारे का संबंध सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक से संबंधित है। इस गुरुद्वारे अलावा यहां गर्म पानी के झरने हैं। मणिकरण साहिब, मनाली बस स्टैंड से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गायत्री मंदिर प्रसिद्ध मनाली अभयारण्य 7 किलोमीटर दूर स्थित है जिसमें संगमरमर से बनी देवी गायत्री की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर की वास्तुकला शैली काफी शानदार है। गायत्री मंदिर की यात्रा करने के साथ आप इसके आस-पास के मंदिर जैसे शिकारा शैली शिव मंदिर की यात्रा भी कर सकते हैं।
जोगिनी वॉटरफॉल मनाली अभयारण्य से 4 किलोमीटर दूर स्थित है और मनाली की खूबसूरत घाटी में स्थित है। जोगिनी वॉटरफॉल हलचल भरे शहर से लगभग 3 किलोमीटर और वशिष्ठ मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जोगिनी झरना एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहां पर पानी 160 फीट की ऊंचाई से गिरता है। जोगिनी जलप्रपात जाने के लिए वशिष्ठ मंदिर से देवदार के पेड़ों और बागों के माध्यम से ट्रेक है। यह वॉटरफॉल प्रकृति प्रमियों और एडवेंचर पसंद करने वाले लोगों के लिए बहुत अच्छी जगह है।
भंटर मनाली अभयारण्य से 50 किलोमीटर दूर स्थित है और एक हरियाली भरी जगह है जहां पर कई मंदिर स्थित है। भंटर एक ऐसा पर्यटन स्थल है जहां आपको एक बार जरुर जाना चाहिए। यहां आप बहने वाली ब्यास नहीं में वाइट वाटर राफ्टिंग के लिए भी जा सकते हैं। भंटर हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशन और भीड़ भाड़ वाले पर्यटन स्थलों से अलग एक सरल और शांत जगह है।
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सुल्तानपुर पैलेस मनाली अभयारण्य से 40 किलोमीटर दूर स्थित है जिसको पहले रूपी पैलेस कहा जाता था। इसको नए रूप में पुराने अवशेषों पर बनाया गया था जो भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था। इस महल में विभिन्न वाल पेंटिंग और पहाड़ी शैली की वास्तुकला और औपनिवेशिक शैली का अद्भुत मिश्रण है। बता दें कि इस पैलेस में महल कुल्लू घाटी के पूर्ववर्ती शासकों का निवास स्थान है।
कोठी की मनाली अभयारण्य दूरी करीब 8 किलोमीटर है। यह उन लोगों के लिए एकदम सही जगह है जो कम यात्रा वाले रास्तों को पसंद करते हैं। हिमाचल प्रदेश के हलचल वाले पर्यटन स्थलों से दूर यह गांव एक बहुत ही शांत जगह है।यहां से आप आस-पास की पहाड़ियों और घाटियों के शानदार दृश्यों को देख सकते हैं। यह रोहतांग और इसके आस-पास की चोटियों पर ट्रैकिंग करने वाले लोगों के लिए आधार शिविर का कम करता था।
गुलाबा, मनाली अभयारण्य 13 से किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक सुंदर सा गांव है जो अपने खूबसूरत दृश्यों से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। पर्यटक इस क्षेत्र में ट्रेकिंग कर सकते हैं।अधिकांश पर्यटक गुलाबा एक्स्प्लोर करने के लिए भृगु झील की ओर जाते हैं। बता दें कि बॉलीवुड की हिट फिल्म ये जवानी है दीवानी के कुछ दृश्यों की शूटिंग गुलाबा में हुई है। गुलाबा प्रकृति प्रेमियों और उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है जो शांति पसंद करते हैं।
सियाली महादेव मंदिर मनाली में सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है। सियाली महादेव मंदिर, मनाली अभयारण्य से करीब 1.5 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर काफी सुंदर है और अक्सर इस मंदिर में भगवान शिव के भक्तों द्वारा पूजा की जाती है। दूर से मंदिर को देखने का नजारा हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है।
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अर्जुन गुफा को एक पौराणिक प्राकृतिक निर्माण माना जाता है। यह गुफा पर्यटकों और स्थानीय लोगों का एक पसंदीदा पिकनिक स्थल है और अंदर से सृष्टि की खोज के रोमांच के लिए भी प्रसिद्ध है। अर्जुन गुफा ब्यास नदी के बाईं ओर स्थित है और सुंदर प्रिंसी गांव के बहुत करीब है। गुफा तक की चढ़ाई के दौरान आप यहां के प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। अर्जुन गुफा एक पहाड़ी में एक संकीर्ण रास्ता है। इस पूरी गुफा को एक्स्प्लोर करने में आपको करीब 45 मिनट लगते हैं।
रहला फॉल्स मनाली बस स्टैंड से करीब 28 किलोमीटर और मनाली अभयारण्य से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो रोहतांग दर्रे के रास्ते में स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है। यहां का पानी काफी ठंडा होता है क्योंकि यह हिमालय में स्थित पिघलने वाले ग्लेशियर से निकलता है। रहला फॉल्स के आसपास देवदार और सिल्वर बर्च के पेड़ों के साथ वनस्पति है। आप हिमालय की बर्फ की चोटियों को रहला झरने आस-पास के विभिन्न स्थानों से देखे सकते हैं।
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जगत्सुख एक बहुत ही खूबसूरत गांव है जो मनाली अभयारण्य से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है। जगत्सुख अपने प्राकृतिक दृश्यों और प्राचीन जगत्सुख मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है जो धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिर हैं। यह मंदिर भगवान शिव और देवी संध्या देवी को समर्पित हैं। आमतौर पर आप जगात्सुख को एक दिन में घूम सकते हैं।
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गौरी शंकर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जो मनाली के नग्गर गाँव में स्थित है। यह मंदिर पत्थरों से उकेरी गई एक छोटी और आकर्षक संरचना है, लेकिन इस क्षेत्र में इसका ऐतिहासिक महत्व है। देवी गौरी और भगवान शिव के दिव्य स्वर को अभी भी मंदिर में देखा जा सकता है। इस मंदिर की नक्काशीदार संरचना शोधकर्ताओं, वास्तुकला प्रेमियों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करती है। गौरी शंकर मंदिर, मनाली अभयारण्य से 21 किलोमीटर दूर स्थित है।
रोजी वाटरफॉल्स मनाली से रोहतांग मार्ग पर स्थित है और एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। लम्बे देवदार के पेड़ों, घने जंगल और प्रकृति की हरियाली में लिप्त रोजी वाटरफॉल्स एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है।
बड़े- बड़े देवदार के पेड़ों से सजी और हरे रंग के कालीन से सुसज्जित, मनाली में वन विहार प्रकृति प्रेमियों और एविफ़ुना उत्साही लोगों के लिए लिए एक आश्रय स्थल है। वन विहार को वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी जाना जाता है। वन विहार शहर के नगर निगम द्वारा संचालित और रखरखाव किया जाता है। वन विहार से मनाली अभयारण्य 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
चंद्रताल बारालाचा एक आदर्श ट्रेक डेस्टिनेशन है जो प्रकृति की सुंदरता और रोमांच और शांति से भरपूर है। चंद्रताल 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो हिमालय क्षेत्र में ऊंचाई वाली झीलों में से एक है।
सोलांग घाटी मनाली में घूमने वालों के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स, पैराशूटिंग, पैराग्लाइडिंग और जोरबिंग(Zorbing), रोपवे और ट्रेकिंग के लिए प्रसिद्ध है। सोलांग घाटी, मनाली अभयारण्य से 7।8 किलोमीटर और मनाली बस स्टैंड से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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मनाली में नदी के शानदार झरनों के शानदार दृश्यों को देखना और रिवर राफ्टिंग का लुहावना अनुभव लेना आपके लिए बेहद खास साबित हो सकता है। यदि आप स्पोर्टी हैं और एडवेंचर स्पोर्ट्स से प्यार करते हैं, तो आपको इस गतिविधि का मजा जरुर लेना चाहिए। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ राफ्टिंग स्ट्रेच में से एक में मनाली में रिवर राफ्टिंग अपने लिए यादगार साबित हो सकती है।
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अगर आप मनाली की यात्रा कर रहे हैं तो आपको रोहतांग दर्रे पर स्कीइंग के शानदार अनुभव का आनंद लें। पहाड़ की ढलानों पर चलने वाले बर्फ के कंबल को देखने के आप स्कीइंग जैसे साहसिक गतिविधि में भाग लें सकते हैं। रोहतांग दर्रा स्कीइंग के साहसिक खेलों की पेशकश करता है। पेशेवरों के मार्गदर्शन में बर्फ पर फिसल कर आप स्कीइंग की तकनीकें सीख सकते हैं। यदि आप पहली बार स्की कर रहे हैं यदि आप पहली बार स्की कर रहे हैं तो इस खेल में शामिल होते समय आपको निर्देशों का सावधानी से पालन करना चाहिए।
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मनाली वन्यजीव अभयारण्य मनाली शहर से सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, मनाली हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है। यहाँ की यात्रा आप हवाई, सड़क और रेल माध्यम से कर सकते हैं। मनाली का निकटतम हवाई अड्डा भुंतर है जिसको कुल्लू मनाली हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। यह हवाई अड्डा मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मनाली सड़कों के माध्यम से अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मनाली शहर के केंद्र से मनाली वन्यजीव अभयारण्य बस पैदल कुछ ही मिनटों में पहुंचा जा सकता है।
मनाली अभयारण्य मनाली का एक प्रमुख और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अगर आप मनाली अभयारण्य के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दे कि इसका निकटतम हवाई भुंतर में कुल्लू मनाली हवाई अड्डा है जो मनाली अभयारण्य से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मनाली अभयारण्य जाने के लिए आप हवाई अड्डे से टैक्सी ले सकते हैं या या फिर राज्य परिवहन द्वारा चलने वाली बसों से यात्रा कर सकते हैं।
दिल्ली से मनाली के लिए बसें आसानी से उपलब्ध हैं। दिल्ली से मनाली 570 किलोमीटर की दूरी पर है। शिमला, धर्मशाला, लेह और चंडीगढ़ से भी मनाली के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं। अगर आप बस से सफर नहीं करना चाहते तो आप मनाली की यात्रा के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। हालांकि ये सुनिश्चित करें कि चालक को पहाड़ी क्षेत्रों में ड्राइव करने का अनुभव है। मनाली से मनाली अभयारण्य तक टैक्सी या कैब की मदद से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
अगर आप ट्रेन से मनाली अभयारण्य या मनाली जाने की योजना बना रहे हैं तो बता दें कि मनाली का निकटतम रेलवे स्टेशन अंबाला कैंट या चंडीगढ़ है। ट्रेन की मदद से चंडीगढ़ या अंबाला पहुंचने के बाद आपको मनाली के लिए बस से यात्रा करनी होगी। मनाली शहर के केंद्र से आप पैदल चलकर कुछ ही मिनटों में मनाली अभयारण्य पहुँच सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने मनाली अभयारण्य और इसके आसपास घूमने की जगहों के बारे में जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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