Lohagarh Fort Bharatpur In Hindi : लोहागढ़ किला राजस्थान के भरतपुर शहर का एक प्रमुख किला है जिसका नाम मजबूत धातु लोहे के रूप में रखा गया है, क्योंकि यह किला सभी समय के सबसे मजबूर किलों में से एक है। इतिहास की माने तो इस किले पर कई बार हमला हुआ है, लेकिन यह किला आज भी शान से खड़ा हुआ है। इस किले की दीवार को तोड़ने की शक्ति न तो मुगलों और न ही अंग्रेजों के पास थी। इस किले परिसर में कई संरचनाये शामिल हैं जिनमे से ज्यादातर को जीत के प्रतीक के तौर पर बनवाया गया है।
किले में एक दिलचस्प संग्रहालय है जो इसके प्रमुख स्मारकों का हिस्सा है, जिसमें इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को खुश करने के लिए बहुत कुछ है। लोहागढ़ किले का निर्माण मूल रूप से 1730 में महाराजा सूरज मल द्वारा किया गया था जिन्होंने अपने सारे धन और शक्तियों का इस्तेमाल अच्छे उद्देश्य के लिए किया था।
अगर आप लोहागढ़ किले की अन्य जानकारी जैसे इतिहास, वास्तुकला, संग्रहालय, कैसे पहुंचे और जाने का अच्छा समय के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख आपको पूरी जानकारी देगा।
लोहागढ़ किले का निर्माण सन 1730 महाराजा सूरज मल द्वारा किया गया था।
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लोहागढ़ किला राजस्थान के शहर भरतपुर शहर के केंद्र में एक कृत्रिम द्वीप पर स्थित है जो पूरे शहर में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस किले के आकर्षण और भव्यता की वजह से भारी संख्या में पर्यटक इस किले को देखने के लिए आते हैं। लोहागढ़ किले का निर्माण वर्ष 1732 में राजा सूरज मल ने शुरू किया था जिसको बनाने में करीब 60 साल का समय लग गया था। साल 1805 में लॉर्ड लेक की अगुवाई में ब्रिटिश सेनाओं ने बार-बार आक्रमण किया था और इसको सेना ने छह हफ्तों के लिए घेराबंदी कर रखा था। इस किले ने चार बार ब्रिटिश आक्रमण का सामना किया था, लेकिन इसके बाद उन्हें वापस जाना पड़ा था। लोहागढ़ किले पर 1805 में 9 और 21 जनवरी और 20 और 21 फरवरी को हमले किये गए थे जिसमें लगभग 3203 अधिकारी और पुरुष मारे गए थे जो ब्रिटिश सेना के अधीन थे।
लोहागढ़ किले का सबसे टिकाऊ बिंदु इसकी मिटटी से बनी मोटी बाहरी दीवारें हैं जो बिना किसी परेशानी के सभी गोलीबारी को अवशोषित कर लेती थी जो मुगल और ब्रिटिश सेनाओं द्वारा करवाई गई थी। किले की दीवारें करीब 7 किलोमीटर लंबी हैं और इसे पूरा बनाने में आठ साल का समय लग गया था। ऐसा भी माना जाता है कि लोहागढ़ किला संभवत: माही दुर्ग या मिट्टी के किले से प्रेरित था जिसके बारे में प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में वर्णन मिला था। 1826 में दुर्भाग्य से किले की दीवारों को ब्रिटिश सेना द्वारा तोड़ दिया गया था, जब इस पर कब्जा किया गया था। इस किले की आन्तरिक दीवारें अब भी बनी हुई है।
इस किले के अंदर दो गेट हैं जिसमें से एक उत्तर में है और अष्टधातु या आठ-धातु वाले गेट के रूप जाना जाता है। युद्ध के हाथी के गोल गढ़ों और चित्रों वाला यह प्रवेश द्वार अपने इतिहास का सबूत देता है। इस द्वार से एक रोमांचक कहानी भी जुड़ी हुई है जिसके अनुसार यह द्वार प्रारंभ में चित्तौड़गढ़ किले का द्वार था, जो राजस्थान का एक प्रमुख किला है। जब 13 वीं शताब्दी के अंत में जब सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने राजपूत शहर को लूटा, तो वो इस गेट को दिल्ली ले गया था। जब जाटों ने 1764 में दिल्ली पर हमला किया तो इसे दिल्ली से निकाल लिया गया और वे इसको अपने साथ वापस भरतपुर ले आये। किले के दक्षिण ओर वाले द्वार को चौबर्जा या चार-स्तंभ वाला द्वार कहते हैं। इसको भी उसी तरह बनाया गया है। यहां स्थित बलुआ पत्थर का दरबार, या महाराजा का मीटिंग हॉल पर्यटकों को अपनी बारीक नक्काशीदार दीवारों, स्तंभों और मेहराबों से मोहित करते हैं।
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लोहागढ़ किले में तीन महल स्थित हैं जिसमें महल खास, कामरा महल और बदन सिंह का महल के नाम शामिल है। इस किले संरचना में अन्य स्मारक जैसे किशोरी महल, और कोठी खास भी शामिल हैं। इसके साथ यहां पर जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज जैसे टावर भी स्थित हैं। इन टावरों को मुगलों और ब्रिटिश सेना पर जाट की विजय की याद में बनाया गया था। महल खास का निर्माण सूरज मल द्वारा करवाया गया था जो 1730 और 1850 के दौरान किले में जाटो द्वारा बनाये गए तीन महलों में से एक था। इस महल खास में घुमावदार छत और बालकनी भी है जो शानदार नक्काशी से बनी है और जाट शैली की विशेषता हैं।
कामरा पैलेस किले की एक खास जगह है जो किले के सभी कवच और खजाने को संग्रहीत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब इसको एक सरकारी संग्रहालय में बदल दिया गया है। इस संग्रहालय में जैन मूर्तियां, एक यक्ष की नक्काशी, हथियारों का संग्रह, और कई पांडुलिपियां हैं जो अरबी और संस्कृत में लिखी गई हैं। इस पैलेस में छोटे कक्ष और अलंकृत पत्थर की खिड़कियां हैं, जिसमें सुंदर पैटर्न के संगमरमर के फर्श हैं। इस संग्रहालय की अन्य प्रदर्शनियों भगवान शिव की नटराज और लाल बलुआ पत्थर शिवलिंग के रूप में एक सुंदर नक्काशी भी है।
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अगर आप राजस्थान के लोहागढ़ फोर्ट जाने का प्लान बना रहे हैं और यहां की यात्रा का अच्छा समय के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि लोहागढ़ फोर्ट की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अगस्त से सितंबर के महीने का है।
लोहागढ़ किला जाने का कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
लोहागढ़ फोर्ट या किला, भरतपुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। अगर आप भरतपुर शहर,इस किले को देखने या फिर शहर के अन्य पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए आये हैं और यहां के भोजन के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि यहां कोई भोजन की कोई विशिष्टता या जीवंत खाद्य संस्कृति नहीं है लेकिन इस शहर में आपको लोकप्रिय राजस्थानी व्यंजनों के साथ उत्तर-भारतीय स्नैक्स भी आसानी से मिल जायेगे। यहां खास खाने की चीजों में प्याज कचौरी, मावा कचौरी, आलू की सब्जी और कई व्यंजनों के नाम शामिल हैं, जिनसे आप अपनी भूख मिटा सकते हैं। शहर के अधिकांश रेस्तरां रात के 10:30 बजे तक बंद हो जाते हैं इसलिए इस समय को ध्यान में रखते हुए अपने रात के खाने की योजना बनाएं।
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लोहागढ़ किला भरतपुर शहर से 2 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। भरतपुर शहर राज्य के प्रमुख शहरों से सड़क और रेल के माध्यम से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली 200 किलोमीटर), आगरा (60 किलोमीटर) और जयपुर (180 किलोमीटर) से भी आप भरतपुर आसानी से पहुंच सकते हैं। देश के इन सभी प्रमुख शहरों से आप भरतपुर के लिए ट्रेन भी पकड़ सकते हैं। भरतपुर कई राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम राज्य के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
अगर आप हवाई जहाज से भरतपुर या फिर लोहागढ़ किले की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि इस शहर में सीधी फ्लाइट कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है। भरतपुर का सबसे पास का हवाई अड्डा आगरा शहर में स्थित है जो 50 किलोमीटर की दूरी पर है,लेकिन इस हवाई अड्डे के लिए बहुत कम उड़ाने संचालित होती हैं। भरतपुर जाने के लिए प्रमुख विकल्प के तौर पर आप जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (180 किलोमीटर) और दिल्ली हवाई अड्डा (200 किलोमीटर) के लिए उड़ान ले सकते हैं जो आगरा की तुलना में काफी अच्छे और सस्ते साबित हो सकते हैं।
अगर आप लोहागढ़ किले के लिए सड़क माध्यम से जा रहे हैं तो बता दें यह किला भरतपुर शहर से 2 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है। भरतपुर शहर भारत के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, आगरा से भी ज्यादा दूर नहीं है। अगर आप पूर्वी ओर से ड्राइव करने की योजना बना रहे हैं तो यह यात्रा आपके लिए एक आरामदायक और मजेदार यात्रा साबित हो सकती है। भरतपुर शहर राजस्थान की पिंक सिटी जयपुर से भी एक राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है जिसकी मदद से आप आसानी से किले तक पहुंच सकते हैं।
अगर आप ट्रेन के माध्यम से भरतपुर शहर या फिर लोहागढ़ किले की यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको बता दें कि यह शहर दिल्ली-आगरा और दिल्ली-मुंबई ट्रेन मार्ग पर स्थित है। देश के कई बड़े शहरों से चलने वाली ट्रेन भरतपुर में रूकती हैं।
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इस आर्टिकल में आपने लोहागढ़ किले का इतिहास, वास्तुकला और यात्रा से जुडी पूरी जानकारी को जाना है आपको यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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