Famous Temples of Andhra Pradesh in Hindi : आंधप्रदेश देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है जिस नाते यह कई प्रसिद्ध मंदिर का घर है जहाँ हर साल देश के बिभिन्न कोनो से लाखों श्रद्धालुओं मंदिर में विराजित देवतायों के दर्शन करने और इन मंदिरों की वास्तुकला को देखने के लिए आते है। आंध्र प्रदेश के इन पवित्र मंदिरों का न केवल महान धार्मिक महत्व है, बल्कि एक शानदार सदियों पुरानी वास्तुकला भी है। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश का सबसे अधिक देखा जाने वाला मंदिर है। इसके अलावा कनक दुर्गा मंदिर, श्रीशैलम मंदिर, रंगनाथ मंदिर, मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर, कुछ आंध्रप्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जिनके बारे में आप नीचे विस्तार से जान सकेगें।
यदि आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने के लिए आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में जानना चाहते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े,जिसके माध्यम से हम आपको आंधप्रदेश के प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थलों के बारे में बताने वाले है तो आइये जानते है आंधप्रदेश के सबसे अधिक घूमें जाने वाले मंदिर –
आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में तिरूमाला की पहाड़ी पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर आंधप्रदेश के प्रमुख मंदिर (Aandhrprdesh ke prmukh Mandir in Hindi) और धार्मिक स्थलों में से एक है जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु वेंकटेश्वर के दर्शन और मनोकामना पूर्ति के लिए आते है। हिंदू धर्म के लोगों के बीच तिरुपति बालाजी मंदिर की काफी मान्यता है। इस मंदिर की महिमा अपार है। कहा जाता है जीवन में एक बार तिरुपति के दर्शन करने से जीवन सफल हो जाता है। सुम्रदी तल से 853 फीट ऊंचाई पर बने इस मंदिर की पहाड़ी पर सात चोटियां होने से इसे “सात पहाडिय़ों का मंदिर” भी कहा जाता है।
दान और धर्म के संदर्भ में ये देश का सबसे अमीर मंदिर है। हर साल करोड़ों रूपए का दान इस मंदिर में किया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन 50 हजार से 1 लाख भक्त वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं विशेष अवसरों पर तीर्थयात्रियों की संख्या 5 लाख तक हो जाती है।
श्रीकालाहस्ती मंदिर चित्तूर जिले में स्थित आंध्र प्रदेश का प्रमुख मंदिर है जिसे अक्सर दक्षिण-पूर्व भारत के पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है और इसका हिंदुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व है। जिस वजह से दुनिया भर से भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा करने और आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। बता दे श्रीकालाहस्ती मंदिर (प्राचीन पल्लव काल के दौरान बनाया गया था जिसकी गिनती आंध्र प्रदेश के प्राचीन मंदिर में भी की जाती है। मंदिर से जुड़ी प्रसिद्ध मान्यता है कि जो लोग विभिन्न दोषों से परेशान हैं, वे इस मंदिर में अपनी शांति के लिए पूजा अर्चना करवा सकते हैं। मंदिर पांच तत्वों (पंच भूत) में से एक वायु का प्रतिनिधित्व करता है।
श्रीकालाहस्ती मंदिर आंध्रप्रदेश के धार्मिक स्थल में से एक होने के साथ साथ दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी है, जहां नक्काशीदार आंतरिक रूप से खुदी हुई है और गोपुरम वास्तुकला के द्रविड़ शैली के शानदार खजाने को दर्शाती है।
नेल्लोर में पेन्नार नदी के तट पर स्थित, रंगनाथ मंदिर आंध्रप्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों (Famous Temples of Andhra Pradesh in Hindi) में से एक है। रंगनाथस्वामी स्वामी को समर्पित रंगनाथ मंदिर को क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है जो बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। बता दे यह मंदिर अपनी धार्मिक गतिविधियों के साथ साथ अपनी सुंदर वास्तुकला और उत्तम नक्काशी के लिए भी जाना जाता है जो इसे भक्तो के साथ कला प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी बेहद खास स्थान बना देती है।
आप जब भी यहाँ आएंगे तो मंदिर के संरक्षक देवता भगवान श्री रंगनाथस्वामी की मूर्ति के दर्शन के साथ साथ जटिल नक्काशी से सुसज्जित एक हॉल देख सकेगें जिसमे सात सोने के बर्तन भी रखे हुए है। यदि आप अपनी फैमली या फ्रेंड्स के साथ आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर के यात्रा पर जाने वाले है या अभी प्लान कर रहे है तो इस अद्भुद और प्रतिष्ठित मंदिर के दर्शन के लिए जरूर आयें।
कनक दुर्गा मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित आंध्रप्रदेश का एक प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temple of Andhra Pradesh in Hindi) है जो देश में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है। कनक दुर्गा मंदिर विजयवाड़ा में इंद्रकीलाद्री पहाड़ी पर स्थापित है जो आश्चर्यजनक वास्तुकला द्रविड़ियन शैली में निर्मित है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का दौरा किया और यहां श्री चक्र स्थापित किया। आंध्रप्रदेश के प्राचीन मंदिर में से एक इस मंदिर का उल्लेख कई पवित्र ग्रंथों और वैदिक साहित्य में भी मिलता है जिनके अनुसार इस मंदिर का निर्माण अर्जुन द्वारा किया गया था।
मंदिर के प्रति भक्तो का अटूट विश्वास और श्रद्धा है की मंदिर में सच्ची मन से मांगी मांगी गई मनोकामनायें कभी अधूरी नही रहती है, इसीलिए हर महीने सेकड़ो भक्त इस मंदिर में देवी के प्रति अपनी भक्ति दिखाने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं।
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मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Andhra Pradesh in Hindi) और भगवन शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। यह पवित्र शिव मंदिर आंध्रप्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में श्रीशैलम पर्वत पर कृष्णा नदी के तट पर स्थित हैं जिसे “दक्षिण के कैलाश” के नाम से भी जाना जाता है और यह भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। मंदिर का निर्माण 6 वी शताब्दी में विजयनगर के राजा हरिहर राय द्वारा किया गया था।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रमुख देवता माता पार्वती (मलिका) और भगवान शिव (अर्जुन) हैं। लेकिन इनके साथ साथ मंदिर में एक नंदी जी और तीन पैरों पर खड़ी ऋषि की मूर्ति भी स्थापित है। आंध्रप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक रूप में जाना जाने वाला यह मंदिर हिन्दू धर्मं और संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं जहाँ दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और मंदिर के आराध्य देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य समझते हैं।
कुरनूल जिले के पूर्वी घाटों में स्थित, अहोबिलम मंदिर, आंध्रप्रदेश में सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरो में से एक है। 108 दिव्य देसमों में से एक होने के कारण, इस मंदिर को वह स्थान माना जाता है जहाँ हिरण्यकश्यप को भगवान ने मार दिया था। पवित्र अहोबिलम मंदिर का निर्माण भगवान लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के पदचिह्न पर किया गया था, जिसकी माप 5 फीट 3 इंच थी। भगवान नरसिंह की पूजा मुख्य मंदिर के निकट स्थित विभिन्न मंदिरों में होने के कारण इस स्थान को नवा नरसिंह क्षेत्र भी कहा जाता है। जब भी आप अहोबिलम मंदिर आएंगे तो यहाँ भगवान नरसिंह के नौ अलग-अलग रूपों को अहोबिलम में देख पाएंगे।
“लेपाक्षी मंदिर” आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है जिसे “वीरभद्र मंदिर” भी कहा जाता है। आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध और रहस्यमयी मंदिर में से एक लेपाक्षी मंदिर अपनी वास्तुकला और हेंगिंग पिल्लर के लिए प्रसिद्ध है जिसे देखकर आप एक पल के लिए आश्चर्यचकित हो जायेंगे। इसी वजह से लेपाक्षी मंदिर को “हेंगिंग टेम्पल” के नाम से भी जाना जाता है। एक और चीज जो इस मंदिर को अद्वितीय बनाती है बो है मां सीता के पदचिन्ह है। जैसे ही आप मंदिर के अंदर कदम रखते हैं, आपको चित्रमय प्रतिनिधित्व के माध्यम से विजयनगर साम्राज्य के इतिहास की झलक देखने को मिलती है।
स्थापत्य महत्व के अलावा, स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर एक दिव्यक्षेत्र है, दूसरे शब्दों में, भगवान शिव का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल। लेपाक्षी मंदिर आंध्र प्रदेश का एक ऐसा पर्यटक स्थल है जो तीर्थयात्रियों के साथ साथ देश के बिभिन्न हिस्सों से इतिहास और कला प्रेमियों को आकर्षित करता है।
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आंध्रप्रदेश के सबसे अधिक देखें जाने वाले मंदिर में से एक सिंहचलम मंदिर विशाखापट्टनम शहर में समुद्र तल से 800 मीटर ऊपर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। आंध्रप्रदेश का यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है, जो स्वयं विष्णु के अवतार हैं। सिंहचलम मंदिर को विस्तृत पत्थर की नक्काशी और डिजाइन के साथ सजाया गया है जिसमे ओडिशा, चालुक्य, और चोल की स्थापत्य शैली का एक अद्भुद मिश्रण है। यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी – जो भगवान विष्णु के तीसरे और चौथे अवतार का संयोजन है। जिसमे भगवान नरसिंह त्रिभंगा मुद्रा में दिखाई देते हैं यहाँ उनके मानव धड़ पर एक शेर के सिर के साथ दो हाथ हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अक्षय तृतीया के दिन देवता की मूर्ति प्रति वर्ष केवल 12 घंटे के लिए अपने असली रूप में दिखाई देती है। जबकि बाकी अन्य समय मूर्ति को चंदन के लेप से ढकी रहती है।
आंध्रप्रदेश के 10 प्रमुख मंदिर की सूचि में शामिल यागंती मंदिर कुरनूल जिले में स्थित है जहाँ प्रतिदिन सेकड़ो के संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु विराजमान देवता के दर्शन और आश्रीबाद लेने के लिए आते है। भगवान शिव को समर्पित यागंती मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार 15 वीं शताब्दी में राजा हरिहर बुक्का राय द्वारा किया गया था। मंदिर में शिव और पार्वती की मूर्ति को एक साथ एक पत्थर में तराशा गया है, जिसे अर्धनारेश्वर कहा जाता है।
भव्य मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के कारण, बल्कि अपनी कई असामान्य विशेषतायों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में एक अगस्त्य पुष्करिणी नामक कुंड या झरना भी है जहाँ ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव की पूजा करने से पहले पुष्करिणी में स्नान किया था। आज भी यहाँ आने वाले श्रद्धालु भगवान के दर्शन से पहले पुष्करिणी के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।
चित्तूर आंध्रप्रदेश प्रमुख मंदिर (Aandhrprdesh ke prmukh Mandir)से भरा एक जिला है, जिनमें से एक कनिपक्कम विनायक एक और फेमस मंदिर है। भगवान् गणेश को समर्पित यह मंदिर चित्तूर का रत्न है जिसका निर्माण लगभग 11 वीं शताब्दी ईस्वी में कुलोथुंगा चोल द्वारा किया गया था। मंदिर को बाद में 1336 के आसपास विजयनगर के शासकों द्वारा फिर से बनाया गया था। किंवदंतियों का कहना है कि विनायक की मूर्ति हर साल बढ़ती है और 50 साल पहले जो कवच चढ़ाया गया था, वह अब फिट नहीं बैठता है।
बता दे यह मंदिर नदी के बीच में स्थित है जिस वजह से इसे जल का तीर्थ भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा परिसर में पाया जाने वाला पानी पवित्र माना जाता है जिसमे विभिन्न विकृतियों को ठीक करने की चमत्कारिक शक्तियां पाई जाती है। इन्ही विभिन्न विशिष्टतायों के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु, पर्यटक और विभिन्न रोगों से ग्रसित लोग यहाँ आते है।
मंगलगिरि आंध्रप्रदेश राज्य का एक और प्रसिद्ध मंदिर है जो गुंटूर, सीमांध्र (आंध्र प्रदेश) में स्थित है। यह स्थान भारत के 8 महत्वपूर्ण महाक्षेत्रों या पवित्र स्थलों में से एक है। मंगलागिरी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने मंगलगिरि की बहुत ही मिट्टी पर खुद को प्रकट किया था और देवी लक्ष्मी ने पहाड़ी के शिखर पर भी तपस्या की थी। मंदिर से जुड़ी इन्ही किवदंतीयों के कारण यहाँ वर्ष भर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ बनी रहती है।
देवी पद्मावती को समर्पित श्री पद्मावती अम्मवारी मंदिर आंध्रप्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थल में से एक तिरुपति के केंद्र से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तिरुपति की पवित्र संरचनाओं में से एक इस मंदिर के बारे में कई किंवदंतियों और कहानियों जुड़ी हुई है जो भक्तो की अटूट आस्था को और बढ़ा देती है। एक प्रसिद्ध और स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार माना जाता है एक बार थोंडामंडलम के आकाश राजा एक यज्ञ कर रहे थे और पृथ्वी को गिरवी रखा था।
जिसके बाद राजा को कमल के फूल में एक श्री पद्मावती देवी छोटी लड़की के रूप में मिली थी। वह लड़की जैसे ही बड़ी हुई तो उसका विवाह भगवान वेंकटेश्वर से हुआ और बाद में उन्हें भी वेंकटेश्वर के साथ पूजा जाने लगा।
हजार स्तंभ मंदिर वारंगल में हनमाकोंडा नामक स्थान पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। भगवान विष्णु, भगवान शंकर और सूर्य देव को समर्पित यह मंदिर भक्तो की आस्था का केंद्र बना हुआ हैं। हजार स्तम्भ मंदिर में तीन देवताओं की मौजूदगी की वजह से इसे त्रिकूटालयम के नाम से भी जाना जाता है। आंध्रप्रदेश के प्राचीन मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हजार स्तंभ मंदिर का निर्माण काकतीय राजवंश के राजा रुद्र देव के आदेशानुसार 1175–1324 ईसवी में किया गया था।
थाउज़ेंड पिल्लर मंदिर अपनी तरह का एक अलग मंदिर और इसकी सबसे खास वजह भगवान विष्णु और शंकर के साथ ब्रह्मा जी के स्थान पर सूर्य देव की मूर्ती का होना है। मंदिर के नाम से ही पता चलता कि मंदिर में 1000 से भी अधिक खम्बे हैं। एक तारे के आकार में बना यह मंदिर हजार स्तंभ मंदिर आंध्रप्रदेश के सबसे अधिक देखे जाने वले मंदिर में से एक है जहाँ प्रतिदिन 1000 से भी अधिक श्रद्धालु आते हैं।
रामप्पा मंदिर आंध्रप्रदेश के प्रमुख मंदिर (Aandhrprdesh ke prmukh Mandir) की सूचि में शामिल है जोकि अपनी आकर्षित संरचना के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। रामप्पा मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। बता दें कि इस मंदिर के निर्माण में लगभग 40 वर्ष का समय लग गया था और मंदिर का निर्माण जनरल रेचेला रुद्र ने करबाया था। रामप्पा मंदिर में काकतीय राज्यवंश की शैली की झलक स्पस्ट देखी जा सकती हैं। रामलिंगेश्वर मंदिर में भगवान शिव का 9 फीट ऊँचा विशाल शिवलिंग स्थापित हैं।
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कोलानु भारती सरस्वती मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जिसे देवी श्री भारती का निवास स्थान भी माना जाता है। इस प्राचीन मंदिर में अक्षराशिम की सदियों पुरानी परंपरा आज भी निभाई जाती है। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी है, जिसे सप्त लिंगक्षेत्र के नाम से जाना जाता है, और काल भैरव की एक मूर्ति है जो इस क्षेत्र की रक्षा करती है।
पुट्टपर्थी आंध्र प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है जो प्रसिद्ध रूप से साईं बाबा के मंदिर के लिए जाता जाता हैं। पुट्टपर्थी साईं बाबा मंदिर अनंतपुर जिले में चित्रावती नदी के तट पर स्थित है जो तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।
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इस आर्टिकल में आपने आंध्रप्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल और आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Andhra Pradesh in Hindi) को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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