Alwar Fort In Hindi, बाला किला अलवर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। आपको बता दें कि इस किले को अलवर किला के रूप में भी जाना जाता है। बाला किले का निर्माण 15 वीं शताब्दी में हसन खान मेवाती द्वारा किया गया है। यह किला अलवर शहर के ऊपर अरावली रेंज में स्थित है। इस किले की सबसे खास बात यह है कि इस किले पर मराठों, यादवों और कछवाहा राजपूतों का शासन भी रहा हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार यह किला राजा की ताकत है।
बाला किला ’का शाब्दिक अर्थ यंग फोर्ट है। यहां पर लक्ष्मण पोल एकमात्र धातु से निर्मित सड़क है जो बाला किले को अलवर शहर से जोड़ती है। इतिहास की माने तो अलवर राज्य के संस्थापक प्रताप सिंह ने इसी धातु के रास्ते किले में प्रवेश किया था। इस किले में द्वार हैं जो जय पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल, चांद पोल, कृष्ण पोल और अंधेरी गेट हैं। अगर आप बाला किले के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़ें जिसमे हम आपको बाला किले के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
बाला किले के इतिहास की बात करें तो उस समय इस किले का उपयोग मुगलों ने रणथंभौर पर हमला करने के आधार के रूप में किया गया था। मुगल बादशाहों बाबर और अकबर का रात भर का समय गुजाता था। इसके बाद में सम्राट जहांगीर सलीम महल में अकबर द्वारा निर्वासन के परिणाम के रूप में निर्वासित किया गया था। 1775 ई में कछवाहा राजपूत प्रताप सिंह ने किले पर कब्जा कर लिया और 595 मीटर की दूरी पर पत्थर बिछा दिए थे। यह किला अलवर शहर से बहुत बड़ा और साफ दिखाई देता है, क्योंकि यह 300 मीटर ऊंची चट्टान पर बसा है।
यह किला इतना विशाल है कि उत्तर से दक्षिण तक 5 किमी और पूर्व से पश्चिम तक 1.6 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। किले में छह द्वार हैं जिनके नाम जय पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल, चांद पोल, कृष्ण पोल और अंधेरी गेट हैं। यह सभी गेट राजपूतों की वीरता और शिष्टता की बात करते हैं। किले की दीवारों को प्राचीन शास्त्र और मूर्तियों के साथ बारीक रूप बनाया है। बाला किले की एक-एक चीज़ में इसके इतिहास के बारे में बताता है।
बाला किला इंडो-इस्लामिक शैली का एक वास्तुशिल्प टुकड़ा है। इस किले की दीवारों को खूबसूरती और बारीकी से सजाया गया है जो आपको सुनहरे युग में ले जाती है। इस किले में 6 द्वार है जिनमें से प्रत्येक द्वार का नाम एक शासक के नाम पर रखा गया है। जो अपनी विशालता के बारे में बात करता है। इस किले की दीवारों पर सुंदर नक्काशी के अलावा कई ऐसी चीजें भी हैं जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं। इस किले के प्रमुख आकर्षणों में जय महल, निकुंभ महल, सलीम सागर तालाब, सूरज कुंड के नाम शामिल हैं। किले में 15 मंदिर भी स्थित हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर सीता राम मंदिर, हनुमान जी मंदिर और चक्रधारी हनुमान मंदिर हैं। यह सभी मंदिर वर्तमान समय में बीते युग की ऐतिहासिक भव्यता को दर्शाते हैं।
किले में बन्दूक चलाने के लिए छेद हैं, जो 8 गढ़ों और 15 बड़े तथा 51 छोटे टॉवर से घिरे हैं। जिस जगह पर सलीम यानी जहाँगीर अपने निर्वासन के समय तीन साल तक रहा था। उस जगह को सलीम महल के नाम से जाना जाता है। इन सभी आकर्षणों के अलावा किले में एक रेडियो स्टेशन है जिसे पर्यटक केवल अलवर के पुलिस अधीक्षक की अनुमति से देख सकते हैं। बाला किला वास्तुकला और इतिहास प्रमियों के लिए स्वर्ग के सामान है. अगर आप भी वास्तुशिल्प प्रेमी हैं तो आपको बाला किले की यात्रा जरुर करना चाहिए।
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बाला किला देखने के लिए पर्यटक सुबह 9 बजे से शाम को 6 बजे तक जा सकते हैं।
बाला किला देखने के लिए पर्यटकों से कोई भी फीस नहीं ली जाती। इसका मतलब यह है कि पर्यटक नि: शुल्क इस किले की सैर कर सकता है।
अगर आप बाला किला घूमने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि अलवर में गर्मियों में 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान जा सकता है। अक्टूबर का समय यहां की यात्रा करने के लिए सबसे ज्यादा सुखद है। क्योंकि इस दौरान मौसम काफी ठंडा होता है। रक्षाबंधन के मौके पर यहां पर पतंगबाजी की प्रतियोगिता होती है। इस दौरान अलवर का आसमान रंगीन नज़र आता है। अगर आप बाला किले की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो रक्षाबंधन के मौके पर भी आप यहां आ सकते हैं और अलावा की खूबसूरती को देख सकते हैं।
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अलवर राजस्थान का एक प्रमुख शहर है और इसके साथ साथ यह अपने खास पर्यटन स्थलों की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। अगर आप बाला किला अलवर शहर की यात्रा करने जा रहे हैं तो हम आपको यहां अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं जहां आपको जरुर जाना चाहिए।
भानगढ़ का किला अलवर जिले की अरावली पर्वतमाला में सरिस्का अभ्यारण्य पर स्थित है। यह किला ढलान वाले इलाके में पहाड़ियों के तल पर बसा हुआ है जो देखने में बेहद भयानक लगता है। भानगढ़ किला अलवर शहर का एक बेहद प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो अपनी भुतिया किस्सों की वजह से सबसे ज्यादा चर्चा में बना रहता है। भानगढ़ किला यहां होने वाली घटनायों की वजह से इतना ज्यादा फेमस है कि कोई भी इस किले के अंदर अकेला जाने से डरता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या एएसआई ने इस किले में रात के समय पर्यटकों और स्थानीय लोगों के प्रवेश पर भी रोक लगा रखी है।
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सिलीसेढ़ लेक अलवर शहर का एक अद्भुत पर्यटक आकर्षण है जो कई मज़ेदार गतिविधियों और स्थानों से भरा हुआ है। सिलीसेढ़ लेक 7 वर्ग किलोमीटर के एक बड़े क्षेत्र में फैली हुई है जो यहां आने वाले पर्यटकों और यात्रियों को तरोताजा कर देती हैं। यह झील क्षेत्र एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है जो पर्यटकों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है।
सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य अलवर शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो लगभग 800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य घास के मैदान, शुष्क पर्णपाती वन, चट्टानों को कवर करता है जिसको अब सरिस्का टाइगर रिजर्व के रूप में जाना जाता है। यह बाघों (रणथंभौर से) को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करने वाला पहला बाघ अभयारण्य है और यहां तांबे जैसे खनिज संसाधनों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। सरिस्का इतिहास प्रेमियों के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों, वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए अलवर शहर में घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
सरिस्का पैलेस का निर्माण अलवर के महामहिम महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा 1892 ने करवाया था। भव्य सरिस्का पैलेस अलवर शहर में देखने की सबसे अच्छी जगह है। इस खूबसूरत महल का हर कौना बेहद आकर्षित है। यह भव्य महल 20 एकड़ के हरे भरे परिदृश्य में फैला है जो पर्यटकों को अपनी भव्यता में डूबने पर मजबूर कर देता है। सरिस्का पैलेस की सुंदरता का सबसे मुख्य कारण है कि यह सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के किनारे पर स्थित है। महाराजा सवाई जय सिंह इस खूबसूरत महल को अपने मेहमानों और खुद के लिए शिकार लॉज के रूप में बनाया था। बता दें कि सरिस्का पैलेस अब 5 स्टार होटल के रूप में पर्यटकों के लिए खुला है और राजस्थान के सबसे लोकप्रिय धरोहर होटलों में से एक है।
केसरोली अलवर के दुर्लभ होटलों में से एक है जो 14 वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। हिल फोर्ट-केसरोली उन लोगों के लिए बहुत अच्छी जगह है जो अपने शहर से दूर हफ्ते भर की छुट्टी मानाने के लिए किसी जगह की तलाश में हैं। नीमराना का हिल फोर्ट-केस्रोली एक शानदार प्राचीन विरासत महल है जो किसी को भी इतिहास में वापस ले जाता है। इस होटल में एक बड़ा स्विमिंग पूल और एक सुंदर बगीचे के साथ कई शानदार सुविधाएं भी हैं। इस होटल के कमरों को पूरी तरह से राजस्थानी शैली में सजाया गया है जो पर्यटकों को रॉयल्टी का अहसास कराते हैं। अगर आप अलवर शहर की यात्रा करने के लिए आ रहे हैं तो इस केसरोली को देखने जरुर जाएँ।
सिटी पैलेस अलवर में देखने की सबसे अच्छी जगह में से एक है जिसको विनय विलास महल के रूप में भी जाना जाता है। यह महल मुगल और राजस्थानी डिजाइन के सुंदर मिश्रण के साथ वास्तुकला का एक चमत्कार है जो आपको शाही जीवन शैली की झलक देता है। सिटी पैलेस की दीवार, छत पर भित्ति चित्र और मिरर वर्क इस महल को बेहद आकर्षित बनाते हैं।
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नीलकंठ महादेव मंदिर टाइगर रिजर्व में लगभग 30 किमी दूर कुछ मंदिरों का एक समूह है जो अब लगभग एक खंडहर बन चुका है लेकिन आज भी यहां के स्थानीय लोग यहां रिज़र्व में स्थित कई मंदिरों में विश्वास रखते हैं। नीलकंठ मंदिर अपने धामिक महत्त्व, उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी और यहां के हरे-भरे जंगलों के लिए अलवर का एक प्रमुख स्थल है।
मोती डूंगरी अपने सूने महल, गणेश और लक्ष्मी नारायण मंदिरों के लिए बेहद प्रसिद्ध है और अलवर आने वाले पर्यटकों का एक पसंदिदा स्थान है। यहां पर पहाड़ी की तलहटी में स्थित गणेश मंदिर न केवल भक्तों बल्कि दर्शनार्थियों को भी अपनी तरफ आकर्षित करता है। बिरला मंदिर यहां का एक और बड़ा आकर्षण है जो पर्यटकों को अपनी सुंदरता से रोमांचित कर देता है।
विजय मंदिर महल अलवर शहर के केंद्र से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अलवर के सबसे खास पर्यटन स्थल में से एक है। बताया आता है कि विजय मंदिर पैलेस को जुनूनी राजा जय सिंह ने अपनी जुनून के परिणामस्वरूप बनाया था। जय सिंह वास्तुकला के संरक्षक थे, और उन्हें खूबसूरत महल बनाने का जूनून था। विजय मंदिर महल झील के पास शानदार उद्यानों के बीच में स्थित है और इसमहल में 105 कमरे हैं जो अच्छी तरह से सजे हुए हैं। महल के एक प्रमुख आकर्षण सीता राम मंदिर में रामनवमी के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है।
पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर सरिस्का के जंगलों के अंदर स्थित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर में पांडवों ने अपना गुप्त समय बिताया था। अन्य मंदिरों से बिलकुल अलग यहां पर हनुमान की मूर्ति एक वैराग्य की स्थिति में है।
राजस्थान के राजपूत वास्तुकला में गर्व और सम्मान का चित्रण करने के लिए आमतौर पर छत्रियों का उपयोग किया जाता है। महाराजा बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी (Queen Rani Moosi) की शाही समाधि (Cenotaph), को इस स्मारक के मुख्य महल की इमारत के बाहर रखा गया है। यह अलवर के शासकों का एक सुंदर लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर का स्मारक है।
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बाला क़िला अलवर का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। यह किला अलवर शहर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाला किले की यात्रा आप परिवहन के विभिन्न साधनों से कर सकते हैं। अलवर किले का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली हवाई अड्डा है जो 163 किमी दूर स्थित है। आप आसानी से दिल्ली से कैब ले सकते है और बाला किले तक पहुँच सकते हैं। अलवर बस सेवा शहर को आसपास के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जोड़ती है। अलवर शहर में ट्रेन की कनेक्टिविटी भी अच्छी है। बाला किला परिवहन के विभिन्न साधनों से जाने की जानकारी हमने नीचे दी है, जो आपकी यात्रा में काफी मदद करेगी।
अगर आप हवाई जहाज से बाला किले की यात्रा करना चाहते हैं। तो आपको बता दें कि अलवर के लिए सीधी उड़ान कनेक्टिविटी नहीं है। अलवर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में है, जो 165 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डे से अलवर या बाला किला पहुंचने के लिए आप टैक्सी या कैब किराये पर ले सकते हैं।
अगर आप बाला किले के लिए सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करने की योजना बना रहें हैं। तो बता दें कि अलवर शहर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। चाहे दिन हो या रात राजस्थान के प्रमुख शहरों जैसे जयपुर, जोधपुर से बस के अलावा टैक्सी या कैब भी ले सकते हैं। सड़क मार्ग द्वारा अलवर के लिए यात्रा करना आपको एक खास अनुभव दे सकता है।
अगर आप ट्रेन द्वारा बाला किले की यात्रा करने जा रहें हैं। तो बता दें कि देश के प्रमुख शहरों से ट्रेन सेवाएं अलवर शहर को जोडती हैं। अलवर शहर का प्रमुख स्टेशन अलवर जंक्शन है। रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी की मदद से आप बाला किला तक पहुंच सकते हैं और अलवर जिले के अन्य पर्यटन स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं। ट्रेन द्वारा यात्रा करना पर्यटकों के लिए काफी सुविधा जनक साबित हो सकता है।
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इस आर्टिकल में आपने बाला किले का इतिहास और इसकी यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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