Tungnath In Hindi, तुंगनाथ पर्यटन स्थल उत्तराखंड के रूद्र प्रयाग जिले में स्थित है। तुंगनाथ किसी तीर्थ स्थान से कम नही है धार्मिक महत्व रखने वाला तुंगनाथ श्रधालुओं के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी बहुत शानदार स्थान है। तुंगनाथ में देवदार और रोडोडेंड्रोन के जंगल हैं जोकि सदाबहार है और इस पर्यटन स्थल को ओर खूबसूरत बना देते हैं। तुंगनाथ में कई पर्यटन स्थल है जिनमे से देवरिया ताल, केदारनाथ मंदिर और तुंगनाथ मंदिर बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसके अलावा तुंगनाथ में सुन्दर घाटियाँ ट्रेकिंग के लिए पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है।
तुंगनाथ में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी की घाटियाँ भी स्थित है जिन्हें ‘लार्ड ऑफ़ पीक’ के नाम से जाना जाता है। तुंगनाथ पर्वत उत्तराखंड की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। तो आइये के माध्यम से हम आपको तुंगनाथ की यात्रा कराते है इसीलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
तुंगनाथ उत्तराखंड का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना शहर है। तुंगनाथ में बहुत प्रसिद्ध शिव मंदिर स्थित है। जिसके पीछे कई कहानियां छुपी हुई है। कुछ ऐतिहासिक पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि जब महाभारत की लड़ाई समाप्त हुई तब पांडवों को इस युद्ध से बहुत दुख हुआ और सभी पांडवों का मन अशांत रहने लगा। तब पांडवों ने महर्षि वेद व्यास की शरण ली तब महर्षि व्यास जी ने उन्हें ब्रह्म हत्या के कोप से बचने के लिए शंकर भगवान की शरण में भेजा। शंकर भगवान पांडवों से नाराज थे इसलिए वे हिमालय से उठकर कुछ दूरी पर बैल का रूप धारण करके चले गए, परन्तु पाण्डव उन्हें पहचान गए और उनका पीछा किया। तब शिवजी ने अपने शरीर को पांच भागो में छोड़ा जोकि आज पंच केदार के नाम से जाने जाते है। शिवजी ने अपने हाथों को तुंगनाथ में छोड़ा तो पांडवों द्वारा इस स्थान पर विशाल शिव मंदिर बनबाया गया। यह शिव मंदिर पंच केदारों में सबसे ऊँचा है।
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तुंगनाथ तीर्थस्थल बहुत ही सुन्दर स्थान है जहां आप अपने परिवार के साथ यात्रा का आनंद ले सकते है। तुंगनाथ में कई पर्यटन स्थल है जहाँ घूम कर आप अध्यात्मिक और धार्मिक रूप से शांति प्राप्त करने के अलावा तुंगनाथ की चोटियों पर ट्रेकिंग का आनंद ले सकते है। आपकी सुविधा के लिए हमने तुंगनाथ के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी नीचे दी हुई है।
रूद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर पहाड़ों की चोटी के बीच बसा हुआ एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर 1000 साल पुराना है जो शिवजी को समर्पित है। समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण पांडवो ने करवाया था। यह मंदिर बहुत ही सुन्दर वास्तुकला से निर्मित है और इसके आसपास अनेकों मंदिर है जोकि बहुत ही अद्भुत है। बरसात के दिनों में इस मंदिर से शिवजी की मूर्ति को हटा कर तुंगनाथ मंदिर चोपता में स्थापित किया जाता है और बरसात समाप्त होने पर पुनः ढोल और बाजों के साथ तुंगनाथ मंदिर में शिवजी की मूर्ति स्थापित कर दी जाती है। तुंगनाथ मंदिर अप्रैल-मई में खोले जाते है और दिवाली के बाद बंद कर दिए जाते है।
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चन्द्रशिला उत्तराखंड के रूद्र प्रयाग जिले में तुंगनाथ गाँव का शिखर बिंदु है। चंद्रशिला को “मून रॉक” मतलब चन्द्रमाँ की चट्टान के नाम से भी जाना जाता है। चन्द्रशिला मुख्य रूप से पांच चोटियों के शिखर के रूप में भी जाना जाता हैं जोकि नंदादेवी, त्रिशूल, केदार, बंदरपंच और चौखम्बा के नाम से जानी जाती है। समुद्र तल से लगभग 4000 मीटर की उंचाई पर स्थित चंद्रशिला एक आकर्षित पर्यटन स्थल है। चंद्रशिला पर्यटन स्थल हिमालय की तरह दिखाई देता हैं। चन्द्रशिला और तुंगनाथ पर्यटन के बीच की दूरी लगभग 3-4 किलोमीटर है। तुंगनाथ से चंद्रशिला के बीच की दूरी पर होने वाली ट्रेकिंग पर्यटकों को बहुत पसंद हैं और पर्यटक इसका लुत्फ़ उठाते हुए नजर आते हैं।
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चंद्रशिला तुंगनाथ उत्तराखंड के आकर्षण में शामिल रूद्रप्रयाग जिले में स्थित देवरिया ताल नामक गाँव है। देवरिया ताल उखीमठ मार्ग पर स्थित सारी गाँव से 2 किलोमीटर दूर स्थित है। चोपता की यह झील बहुत ही आकर्षित है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देवरिया ताल की झील से चौखंबा की चोटियों को आसानी से देखा जा सकता है। पर्यटक इस स्थान के सुन्दर नजारों को अपने कैमरे में कैद कर सकते है। इस गाँव के लोगो से बात करने का अनुभव हर पर्यटक को बहुत आनंदित करेगा। देवरिया ताल झील देवदारों के पेड़ों से सुशोभित है।
उत्तराखंड में स्थित चोपता एक छोटा गाँव है जोकि एक बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थल है। पर्यटक इस शानदार स्थान पर ट्रेकिंग के लिए आते है। चोपता अल्पाइन और देवदार के वृक्षो से सजा हुआ गाँव है। त्रिशूल, नंदा देवी और चौखम्भा की बर्फ से ढंकी चोटियाँ इस स्थान के आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए है।
कंचुला खरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य चोपता का प्रमुख दर्शनीय स्थल है जोकि चंद्रशिला तुंगनाथ पर्यटन के प्रमुख आकर्षण में शामिल हैं। कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राष्ट्रीय पशु है और जो भी पर्यटक वन्य जीवों में रूचि रखते है यह अभ्यारण्य उनके लिए बहुत ही आकर्षित स्थान है। इस अभ्यारण्य में बहुत प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती है। कंचुला खरक कस्तूरी मृग अभ्यारण्य में इतने प्रकार के हिरण की प्रजाति पाई जाती है कि वैज्ञानिक भी अभी तक उन सारी प्रजातियों का पता नही लगा पाए है। लगभग 5 वर्ग किलोमीटर में फैला यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से लोकप्रिय बनता जा रहा है।
उखीमठ उत्तराखंड के चोपता का बहुत ही धार्मिक पर्यटन स्थल है। भगवान शिव और माता पार्वती के कई सारे पुराने मंदिर इस स्थान पर आज भी स्थित है। इसके साथ ही वाणासुर, उषा और अनिरुद्ध की कहानियों की जानकारी भी इसी स्थान पर छुपी हुई है। उखीमठ में भगवान केदारनाथ का मंदिर है जो बर्फ से बनी हुई शिवलिंग के कारण हिन्दू अनुयाइयों को अपनी और आकर्षित करता है। धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ यह पर्यटक स्थल भी हैं।
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तुंगनाथ पर्यटन स्थल घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से नवंबर के बीच का माना जाता हैं क्योंकि सर्दियों के दौरान बर्फबारी के कारण तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला दिसंबर से मार्च तक बर्फ से ढके रहते हैं। हालाकि बर्फबारी के चलते हैं चोपता ठंडी के मौसम में भी लौकप्रिय हैं।
तुंगनाथ पर्यटन स्थल बहुत ही छोटा सा क्षेत्र है और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहाँ ज्यादा होटल नही है। लेकिन फिर भी तुंगनाथ उत्तराखंड के प्रसिद्ध पकवानों में गेंहूँ और मंडुआ के आटे में दाल भरकर बनाया गया फिंगर मिल्ट बहुत लौकप्रिय है। जोकि भांग की चटनी के साथ परोसा जाता है। पर्यटकों को तुंगनाथ में बहुत अनोखे व्यंजन चखने का मौका मिलता है। तुंगनाथ बहुत ही धार्मिक स्थान है इसलिए यहाँ आपको सिर्फ शुद्ध शाकाहारी व्यंजन ही मिलते हैं।
तुंगनाथ घूमने और यहाँ के प्रमुख आकर्षक स्थानों के दर्शन के बाद आप यहाँ रुकना चाहते है तो हम आपको बता दे कि उत्तराखंड के इस खूबसूरत स्थान के आसपास आपको कम कीमत से अधिक कीमत तक की होटल तथा लॉज उपलब्ध है। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी होटल का चयन कर सकते है।
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अगर आपने तुंगनाथ जाने की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि आप फ्लाइट, रेल और सड़क मार्ग में से किसी एक का भी चुनाव करके आसानी से तुंगनाथ पहुँच सकते है।
अगर आपने तुंगनाथ जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दें कि तुंगनाथ के सबसे नजदीक जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून हैं। आप इस हवाई अड्डे के माध्यम से तुंगनाथ, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, ऊखीमठ और चोपता के लिए टैक्सी ले सकते हैं। तुंगनाथ पर्यटन स्थल और जॉली ग्रांट हवाई के बीच की दूरी लगभग 227 किलोमीटर हैं।
अगर आपने उत्तराखंड के तुंगनाथ की यात्रा की योजना रेलवे मार्ग से जाने की बनाई है। तो हम आपको बता दे कि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जोकि लगभग 209 किलोमीटर की दूरी पर है। ऋषिकेश से आपको आसानी से बस या टैक्सी मिल जाएँगी जिनके माध्यम से आप तुंगनाथ का सफ़र आराम से तय कर सकते है।
अगर आपने तुंगनाथ की यात्रा का प्लान बस से जाने का बनाया है तो हम आपको बता दे की उत्तराखंड सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास सभी प्रमुख शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने निजी साधन या राज्य परिवहन के साधनों की मदद से आसानी से तुंगनाथ की यात्रा कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने तुंगनाथ की यात्रा के बारे में जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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