सुंधा माता मंदिर के दर्शन और इसके पर्यटन स्थल की जानकारी – Sundha Mata Temple Information In Hindi

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Sundha Mata Temple In Hindi : सुंधा माता मंदिर राजस्थान के जालौर जिले में स्थित सुंधा नाम की एक पहाड़ी पर स्थित चामुंडा देवी को समर्पित एक 900 साल पुराना मंदिर है। आपको बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल महानगर से 20 किमी दूर है। अरावली की पहाड़ियों में 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चामुंडा देवी का यह मंदिर भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास का वातावरण बेहद ताजा और आकर्षक है।  जैसलमेर के पीले बलुआ पत्थर से निर्मित यह मंदिर हर किसी को अपनी खूबसूरती से आकर्षित करता है।

आपको बता दें कि इस मंदिर के अंदर तीन ऐतिहासिक शिलालेख हैं जो इस जगह के इतिहास के बारे में बताते हैं। यहां का पहला शिलालेख 1262 ईस्वी का है जो चौहानों की जीत और परमार के पतन का वर्णन करता है। दूसरा शिलालेख 1326 और तीसरा 1727 का है। अगर आप जालौर जिले में स्थित सुंधा माता मंदिर के इतिहास या जाने के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरूर पढ़ें, जिसमे हम आपको सुंधा माता मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।

1. सुंधा माता मंदिर का इतिहास – Sundha Mata History In Hindi

सुंधा माता मंदिर का इतिहास
Image Credit: Darji Dharmik

प्राचीन दिनों में इस मंदिर में पूजा नाथ योगी द्वारा की जाती थी। सिरोही जिले के सम्राट ने “सोनाणी”, “डेडोल” और “सुंधा की ढाणी” गाँवों में से एक नाथ योगी रबा नाथ जी को दी थी, जो उस समय सुंधा माता मंदिर में पूजा करते थे। नाथ योगी में से एक अजय नाथ जी में मृत्यु के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए इसलिए राम नाथ जी (मेंगलवा के अयस) को जिम्मेदारी लेने के लिए वहां पर भेजा गया था। मेंगलवा और चितरोडी गाँवों की भूमि, नाथ योगी को जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वारा दी गई थी। इसलिए मेंगलवा के नाथ योगी को “अयस” कहा जाता था।

आपको बता दें कि राम नाथ जी की मृत्यु के बाद उनके शिष्य बद्री नाथ जी सुंधा माता मंदिर में अयस बने और पूजा की जिम्मेदारी ली। इसके अलावा उन्होंने “सोनानी”, “डेडोल”, “मेंगलवा” और “चितरोडी” की भूमि की भी देखभाल की। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, वहां पर सभी प्रबंध करने के लिए कोई नहीं था, इसलिए मंदिर की देखभाल और पर्यटन का प्रबंधन करने के लिए एक ट्रस्ट (सुंधा माता ट्रस्ट) बनाया गया।

2. सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन – Sundha Mata Temple Jalore Fairs In Hindi

सुंधा माता मंदिर जालोर में मेले का आयोजन
Image Credit: Dhawal Suthar

नवरात्रि के समय यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है जिस दौरान गुजरात और आसपास के क्षेत्रों से पर्यटक बड़ी संख्या में सुंधा माता की यात्रा करते हैं। बता दें कि इस समय गुजरात द्वारा पालनपुर, डीसा और अन्य जगहों से नियमित बसें चलाई जाती हैं।

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3. सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय – Sundha Mata Temple Timings In Hindi

सुंधा माता मंदिर खुलने और बंद होने का समय
Image Credit: Hritik Sharma

सुंधा मंदिर खुलने का समय हर दिन सुबह 8 बजे है और बंद होने का समय शाम 6 बजे है।

4. सुंधा माता मंदिर रोपवे की जानकारी – Sundha Mata Mandir Ropeway In Hindi

सुंधा माता मंदिर उड़न खटोले की जानकारी

सुंधा माता मंदिर के दर्शन करने के लिए आप पैदल भी जा सकते है नही तो आप रोपवे की सर्विस भी ले सकते है। यह रोपवे 800 मीटर लम्बा है और खरीब 6 मिनट में आप को पहाड़ी पर बने मंदिर तक ले जायेगा, एक समय में एक ट्राली में 4 ही लोग जा सकते है। उड़न खटोले के टिकेट की कीमत 50रु है जिस में आने और जाने की सुविधा उपलब्द करायी जाती है ।

5. सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Sundha Mata Temple In Hindi

सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय
Image Credit: Jagdish Dewasi

जो भी पर्यटक सुंधा माता मंदिर जाने की योजना बना रहें हैं। उनके लिए बता दें कि इस मंदिर के लिए यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस क्षेत्र की यात्रा करने के लिए अनुकूल समय है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने की वजह से राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना सही नहीं है क्योंकि ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में ही आप इस मंदिर की यात्रा करें।

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6. सुंधा माता मंदिर के आसपास में घूमने लायक पर्यटन और दर्शनीय स्थल – Best Places To Visit Near Sundha Mata Temple In Hindi

अगर आप सुंधा माता मंदिर घूमने जाने का विचार कर रहे है तो, उसके आसपास के पर्यटन स्थल पर भी नज़र जरुर डाले।

6.1 जालौर फोर्ट – Jalore Fort In Hindi

जालौर फोर्ट
Image Credit: Qayyum Khan

जालौर किला यहाँ का मुख्य आकर्षण है। यह किला वास्तुकला का एक प्रभावशाली नमूना है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण 8 वीं और 10 वीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह किला 336 मीटर की ऊँचाई पर एक खड़ी पहाड़ी से घिरा हुआ है जहां से शहर का शानदार दृश्य नजर आता है। यह किला परमार शासन के तहत मारू के 9 महलों में से एक था, जिसे सोनगीर या गोल्डन माउंट के नाम से भी जाना जाता था। यह किला जालौर वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। किले का प्रमुख आकर्षण ऊंची किलेनुमा दीवारें हैं और उन पर बने तोपों के गढ़ हैं। आपको बता दें कि जालौर किले में 4 बड़े द्वार हैं लेकिन पर्यटक एक ही तरफ से दो मील लंबी सर्पिणी चढ़ाई के बाद पहुंच सकते हैं। अगर आप जालौर शहर की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको इस किले अपनी सूची में अवश्य शामिल करना चाहिए।

6.2 तोपखाना – Topekhana (Canon Fort) In Hindi

तोपखाना
Image Credit: Shabbir Khan

तोपखाना जालौर शहर के मध्य में स्थित है जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है। यह तोपखाना कभी एक भव्य संस्कृत विद्यालय था जिसे राजा भोज ने 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के बीच बनवाया था। राजा भोज एक बहुत बड़े संस्कृत के एक विद्वान थे और उन्होंने शिक्षा प्रदान करने के लिए अजमेर और धार में कई समान स्कूल बनाए हैं। देश के स्वतंत्र होने से पहले जब अधिकारियों इस स्कूल का इतेमाल गोला-बारूद के भंडारण के उपयोग किया था तो इसका नाम तोपखाना रख दिया गया था। आज भले ही इस स्कूल की इमारत काफी अस्त-व्यस्त हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी यह आज भी काफी प्रभावशाली है।

तोपखाना की पत्थर की नक्काशी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं। यहां इसके दोनों तरफ दो मंदिर भी स्थित हैं लेकिन इन मंदिरों में कोई मूर्ति नहीं है। टोपेखाना की सबसे खूबसूरत संरचना जमीन से 10 फ़ीट ऊपर बना एक कमरा है जहां जाने के लिए सीढ़ी लगाईं गई है। इस कमरे के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह स्कूल के प्रधानाध्यापक का निवास स्थान था। अगर कोई भी पर्यटक जालौर की यात्रा करने जा रहा है तो उसको इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा जरुर करनी चाहिए।

6.3 मलिक शाह मस्जिद – Malik Shah Mosque In Hindi

मलिक शाह मस्जिद
Image Credit: Shahrukh Hasmi

मलिक शाह मस्जिद जालौर किले के प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसका निर्माण अला-उद-दीन-खिलजी के शासन द्वारा करवाया गया था। इस मस्जिद को बगदाद के सेलजुक सुल्तान मलिक शाह को सम्मानित करने के लिए किया गया था। मलिक शाह मस्जिद को अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो गुजरात में पाए गए भवनों से प्रेरित है।

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6.4 सराय मंदिर – Sirey Mandir In Hindi

सराय मंदिर
Image Credit: Shakti Bhayal

सराय मंदिर जालौर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। आपको बता दें कि यह मंदिर जालौर मर कलशचल पहाड़ी पर 646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महर्षि जाबालि के सम्मान में रावल रतन सिंह ने करवाया था। पौराणिक कथाओं अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने एक बार मंदिर में शरण ली थी। इस मंदिर तक जाने के लिए पर्यटकों को जालौर शहर से होकर गुजरना होगा और मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करनी होती है। जालौर की यात्रा दौरान सभी पर्यटकों को सराय मंदिर के दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए।

6.5 जालौर वन्यजीव अभयारण्य – Jalore Wildlife Sanctuary In Hindi

जालौर वन्यजीव अभयारण्य

जालौर वन्यजीव अभयारण्य भारत में एकमात्र प्राइवेट अभयारण्य है जो जालौर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह अभयारण्य जालौर शहर के पास जोधपुर से 130 किमी दूर स्थित है। जालौर वन्यजीव अभयारण्य एक दूरस्थ प्राकृतिक जंगल है जो 190 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। इस अभयारण्य में पर्यटक कई तरह के लुप्तप्राय जंगली जानवरों को देख सकते हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में रेगिस्तानी लोमड़ी, तेंदुआ, एशियाई-स्टेपी वाइल्डकाट, तौनी ईगल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा यहां पर नीले बैल, मृग और हिरणों के झुंड को जंगल में देखा जा कसता है।

जालौर वन्यजीव अभयारण्य में आप पैदल यात्रा कर सकते हैं या जीप सफारी की मदद से जंगल को एक्सप्लोर कर सकते हैं। वन अधिकारी प्रतिदिन दो सफारी संचालित करते हैं जो तीन घंटों की होती है। बर्ड वॉचर्स के लिए यह जगह बेहद खास है क्योंकि यहां पर पक्षियों की 200 विभिन्न प्रजातियों को देखा जा सकता है। अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं तो जालौर वन्यजीव अभयारण्य की सैर अवश्य करें।

6.6 नीलकंठ महादेव मंदिर – NeelKanth Mahadev Mandir In Hindi

नीलकंठ महादेव मंदिर

नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर जिले की भाद्राजून तहसील में स्थित है। जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। गांव में प्रवेश करते समय आप इस मंदिर को देख सकते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपनी उंची संरचना से यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद प्रभावित करता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक विधवा महिला ने एक शिवलिंग देखा था और इसके बाद वो नियमित रूप से इस शिवलिंग की पूजा करने लगी थी।

महिला के मजबूत विश्वास के परिवार के लोगों के इस शिवलिंग को कई बार दफ़नाने की कोशिश की, लेकिन यह शिवलिंग बाहर निकल जाता। इस तरह वहां पर रेत का एक विशाल टीला उभर आया। शिवलिंग के इस चमत्कार को देखकर मंदिर की स्थापना की गई थी। यह मंदिर बहुत पुराना है और इस मंदिर में बारिश के मौसम और शिवरात्रि के दौरान भक्तों की काफी भीड़ आती है। अगर आप जालौर की यात्रा शिवरात्रि के समय कर रहें हैं तो मंदिर में दर्शन के जरुर जाएं।

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7. सुंधा माता मंदिर कैसे जाये – How To Reach Sundha Mata Temple In Hindi

सुंधा मंदिर के लिए कोई भी भारत के प्रमुख शहरों से परिवहन के विभिन्न साधनों से यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोधपुर में हैं। यह हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख महानगरों अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा पर्यटक सड़क मार्ग द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक पर्यटक जोधपुर, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई जैसे शहरों से आसानी से इस पर्यटन शहर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन द्वारा सुंधा माता मंदिर की यात्रा करने वाले पर्यटक जालौर रेलवे स्टेशन के लिए जोधपुर डिवीजन नेटवर्क, मुंबई और गुजरात से ट्रेन ले सकते हैं।

7.1  ट्रेन से सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचें – How To Reach Sundha Mata Temple By Train In Hindi

 रेल द्वारा सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचें

सुंधा माता मंदिर की यात्रा ट्रेन द्वारा करने वाले पर्यटकों के लिए बता दें कि जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है। समदड़ी-भिलडी शाखा लाइन जालौर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालौर के प्रतिदिन कई ट्रेन उपलब्ध हैं।

7.2 सुंधा माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें – How To Reach Sundha Mata Temple By Road In Hindi

सुंधा माता मंदिर सड़क मार्ग से कैसे पहुंचें

अगर आप सड़क मार्ग सुंधा माता मंदिर जाना चाहते हैं तो बता दें कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है। यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं। जालौर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है

7.3 फ्लाइट से सुंधा माता मंदिर केसे पहुचें – How To Reach Sundha Mata Temple By Air In Hindi

कैसे पहुंचें सुंधा माता मंदिर हवाई मार्ग द्वारा

सुंधा माता मंदिर जाने के लिए जालौर का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा (JDH), जोधपुर है। यह हवाई अड्डा शहर से 137 किलोमीटर दूर है और इसके अलवा उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा  भी एक और नजदीकी हवाई अड्डा है जो यहाँ से लगभग 142 किमी की दूरी पर है।

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इस लेख में आपने सुंधा माता मंदिर की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।

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8. सुंधा माता मंदिर जालोर का नक्शा – Sundha Mata Temple Jalore Map

9. सुंधा माता मंदिर की फोटो गैलरी – Sundha Mata Temple Images

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