Purandar Fort In Hindi : पुरंदर किला महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक किलो में से एक हैं और इस किले को पुरंधर किला के नाम से भी जाना जाता हैं। पुरंदर किला महाराष्ट्र के पुणे में पश्चिमी घाट पर स्थित है। पुरंदर किला आदिल शाही बीजापुर सल्तनत और मुगलों के खिलाफ छत्रपति शिवाजी महाराज के उदय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह शिवाजी महाराज की पहली जीत थी। समुद्र तल से पुरंदर किले की ऊंचाई 4472 फीट है। पुरंदर किले के नाम पर एक गांव का नाम रखा गया है जोकि किले के निचले हिस्से में स्थित हैं और पुरंदर ग्राम के नाम से जाना जाता है।
पुरंदर किला संभाजी राजे भोसले का जन्मस्थान है। पुरंदर किले को दो अलग-अलग खंडो में विभाजित किया गया हैं और किले के निचले हिस्से को माची नाम से जाना जाता हैं। माची के उत्तरी हिस्से में एक छावनी और एक वेधशाल बनी हुई है। पुरंदर किले में एक मंदिर है जोकि भगवान पुरंदरेश्वर को समर्पित है। इस आर्टिकल में आगे हम पुरंदर किले से जुड़ी सभी रोचक तथ्य और इसकी यात्रा से जुड़ी बातों के बारे में बात करने वाले है इसीलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
पुरंदर किले का इतिहास 11 वीं शताब्दी के दौरान का माना जाता हैं क्योंकि सबसे पहले इस किले को यादव युग में जाना गया था। 1350 के दौरान यह उन किलेदारों के हाथों में रहा जिन्होंने इस किले को मजबूती प्रदान की थी। लेकिन बाद में किला शासन के अधीन आ गया और जागीरदारों को पहुँच से दूर रखा गया। इतिहासकारों के अनुसार पुरंदर किले को गिरने से बचाने और संरक्षक देवता को प्रसन्न करने के लिए गढ़ के नीच एक पुरुष और एक महिला को जिन्दा दफन किया गया था। 1670 में शिवाजी राजे को इसका जागीरदार नियुक्त किया गया लेकिन वह ज्यादा दिन तक टिक नही सके। लेकिन पांच वर्ष के अन्तराल के बाद शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह कर इस किले को अपने हाथ में ले लिया।
पुरंदर किले की आकर्षित मूर्तियों में मुरारजी देशपांडे की खूबसूरत प्रतिमा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। पुरंदर किले की वास्तुकला देखने लायक हैं किलो को दो भागो में बांटा गया हैं। माची के निचले स्तर से होते हुए सीढ़ी ऊपरी स्तर पर बाल्ले किला की ओर जाती है। किले के अन्दर एक दिली द्वार है जोकि बाल्ले किला की पहली संरचना के रूप में जाना जाता है। प्राचीन केदारेश्वर मंदिर भी किला का आकर्षण हैं। पुरन्दर का किला शिवाजी महाराज और अंग्रेजो के बीच के संघर्ष का गवाह बना है। लेकिन जब अंग्रेजो ने इस किले पर विजय प्राप्त कर ली तब यहाँ एक चर्च का निर्माण भी किया गया था।
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पुरंदर का किला पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम के शाम 5 बजे तक खुला रहता हैं। पर्यटक किसी भी दिन किले की यात्रा पर जा सकते हैं लेकिन भारतीय नागरिको को अपनी आईडी और विदेशी नागरिको को अपना पासपोर्ट दिखाना अनिवार्य हैं।
पुरंदर किला घूमने जाने के लिए पर्यटकों से किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता हैं लेकिन प्रवेश के लिए आईडी प्रूफ का होना अनिवार्य हैं।
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पुरंदर किला के नजदीक कई दर्शनीय, आकर्षित और घूमने लायक जगह हैं। यदि आप पुरंदर किला की यात्रा पर आते है तो इन खूबसूरत स्थानों का दौरा करना बिलकुल भी न भूले जिनकी जानकारी हम आपको नीचे देने जा रहे हैं।
पुरंदर किला के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल भगवान शिव को समर्पित बनेश्वर मंदिर पुरंदर किले से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर नसरपुर में स्थित है। इस दर्शनीय मंदिर का परिवेश प्राचीन और निर्मल है जोकि मध्ययुगीन काल से संबंधित हैं और ‘मंदिर के पीछे एक आकर्षित विशाल जलप्रपात भी है। नसरपुर का यह बाणेश्वर मंदिर संरक्षित वन रेंज और पक्षी अभ्यारण के रूप में भी घोषित किया जा चुका हैं। पुणे और पुरंदर किले की यात्रा पर आने वाले पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं।
मल्हारगढ़ का किला पुणे के पास स्थित एक पहाड़ी किला है। मल्हारगढ़ किला को सोनोरी किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले का निर्माण सन 1775 के आसपास किया गया था और माना जाता हैं कि यह मराठों द्वारा बनाया गया अंतिम किला है। पुरंदर फोर्ट से मल्हारगढ़ किले की दूरी लगभग 27 किलोमीटर हैं। यह किला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
पुरंदर किला पर्यटन में घूमने वाली जगह भटघर बाँध एक गुरुत्वाकर्षण बांध जोकि महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 70 किलोमीटर और पुरंदर किले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार पिकनिक स्पॉट हैं। इसके अलावा यह मराठी और बॉलीवुड फिल्मों के लिए एक शानदार शूटिंग स्थल के रूप में भी जाना जाता हैं। लॉयड बांध के रूप में प्रसिद्ध यह डैम पानी जुडी गतिविधियों के लेकर भी पर्यटकों के बीच लौकप्रिय हैं।
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पुरंदर किले के दर्शनीय स्थलों में शामिल इस्कॉन एनवीसीसी मंदिर किले से लगभग 31 किलोमीटर की दूरी पर पुणे के पास कोंढवा क्षेत्र में स्थित हैं। इस्कॉन न्यू वैदिक कल्चरल सेंटर मंदिर भगवान कृष्ण और राधारानी को समर्पित हैं। मंदिर स्थापित कृष्ण भगवान और राधा जी की प्रतिमाओं को सुन्दर वस्त्र और अन्य वस्तुओं से सजाया गया हैं।
शिंदे छत्री पुणे के वानवडी में स्थित महादजी शिंदे का ऐतिहासिक स्मारक है। महादजी शिंदे एक मराठा साम्राज्य के शासक थे। जोकि सरदार रानोजी राव सिंधिया के सबसे छोटे और पांचवें पुत्र थे। सिख सरदारों ने महादजी शिंदे को “वक़ील-उल-मुल्क” और मुगलों को “अमीर-उल-अमारा” की उपाधि से नवाजा था। शिंदे छत्री पुरंदर किले से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
राजीव गांधी प्राणी उद्यान पुणे जिले के कतरास क्षेत्र में स्थित हैं और यह लगभग 130 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। राजीव गांधी प्राणी उद्यान को कतरास स्नेक पार्क के नाम से भी जाना जाता हैं। राजीव गांधी प्राणी उद्यान तीन खंडो में विभाजित किया गया हैं। जिसमे पशु अनाथालय, चिड़ियाघर और साँप पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा हैं। राजीव गाँधी जूलोजिकल पार्क में एक आकर्षित झील भी हैं। सैलानियों के द्वारा इस स्थान का दौरा भारी संख्या में किया जाता हैं।
भुलेश्वर मंदिर पुणे के प्रमुख दर्शनीय स्थल में शामिल हैं और पुरंदर किले से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। भुलेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ की संरक्षित स्मारकों में से एक माना जाता हैं। माना जाता हैं कि भुलेश्वर मंदिर 13 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। इस मंदिर में भगवान गणेश को महिलाओं को कपडे पहनाए जाते हैं इसलिए उन्हें गणेश्वरी या लम्बोदारी कहते भी कहते है। माना जाता हैं कि इसी मंदिर में माता पार्वती ने नृत्य भी किया था।
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राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय पुणे सन 1977 में शुरू हुए युद्ध में सैनिको के बलिदान और उनकी सहादत को याद करते हुए निर्मित किया गया था। इस संग्रहालय में युद्ध से जुडी कई प्रदर्शनियों को संभाल कर रखा गया हैं। जिनमे से यूटसाइड कारगिल युद्ध में इस्तेमाल किया गया मिग 23 बीएन भी शामिल हैं जोकि कारगिल युद्ध में उपयोग किया गया था। पर्यटक इस संग्रहालय से जुडी वस्तुओं को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
पुरंदर किले के आकर्षित पर्यटन स्थलों में शामिल बुंद गार्डन पर्यटकों के लिए एक शानदार डेस्टिनेशन हैं। बुंद गार्डन महात्मा गांधी उद्योग के नाम से भी प्रसिद्ध हैं और पुणे के सबसे केंद्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। सिंचाई के पानी के स्रोत के रूप में भी यह कार्य करता है। पर्यटकों के बीच यह स्थान स्वर्ग के सामान बन गया हैं। आपके पर्यटन स्थल पुरंदर फोर्ट से बुंद गार्डन की दूरी लगभग 47 किलोमीटर हैं और पुणे शहर से लगभग 40 किलोमीटर हैं।
लाल महल का निर्माण 1630 ए डी के दौरान शाजी भोंसले ने अपने पुत्र और पत्नी जीजाबाई के लिए करबाया था। इस ऐतिहासिक लाल महल का निर्माण पुणे शहर के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से किया गया था। लाल महल के अंदर शिवाजी महाराज और उनकी माता के कई चित्र बने हुए हैं। जीजाबाई की एक आकर्षित प्रतिमा लाल महल का आकर्षण है। पुरंदर किले की यात्रा के दौरान पर्यटक लाल महल की सुंदरता देखने की चाहत भी रखते हैं। जोकि आपके पर्यटन स्थल पुरंदर किले से लगभग 40 किलोमीटर हैं।
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पुरंदर किला घूमने के लिए आप साल में किसी भी समय जा सकते हैं। लेकिन पुरंदर किला घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का माना जाता हैं।
पुरंदर किला पुणे और महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक और यहां कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन पर्यटकों मिल जाते हैं। आप यहाँ के शहरो में स्थानीय रेस्टोरेंट के अलावा शहर की गलियों और सड़कों पर मिलने वाले पोहा, पाव भाजी, भेल पुरी, वड़ा पाव, मिसल पाव, पिथला भकरी, डबेली और पूरन पोली का मजा भी ले सकते हैं।
पुरंदर किला और इसके पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने के बाद यदि आप किले आसपास किसी होटल की तलाश में हैं, तो हम आपको बता दें कि फोर्ट से कुछ दूरी पर कुछ होटल उपलब्ध हैं जोकि लो-बजट से लेकर हाई-बजट की रेंज में उपलब्ध हैं।
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पुरंदर किला जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
पुरंदर किला की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें पुरंदर किला का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पुणे एयरपोर्ट है। जोकि किले से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और यहाँ से आप कैब के लेकर पुरंदर फोर्ट तक आसानी से पहुँच जाएंगे।
पुरंदर किले की यात्रा के लिए यदि आपने रेलवे मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि पुणे रेलवे स्टेशन किले का संबसे नजदीकी स्टेशन है। जोकि पुरंदर किले से लगभग 29 किलोमीटर के अन्तराल पर हैं और यह देश के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ हैं।
पुरंदर किला जाने के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि पुरंदर किला सड़क मार्ग के माध्यम से आसपास के शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। इसलिए आप बस के माध्यम से भी पुरंदर किला आसानी से पहुँच जाएंगे।
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इस लेख में आपने पुरंदर किला की यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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