Places To Visit In Patna Sahib Gurudwara In Hindi : पटना साहिब गुरुद्वारा पटना सिटी में स्थित सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। पटना गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि है और उन्ही की याद में इस गुरु द्वारे का निर्माण करवाया गया था। गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के 10 वें और अंतिम गुरु थे। इस गुरुद्वारे में सिखों के कई धर्मग्रंथ देखे जा सकते हैं। यह जगह सिखों के अधिकार के 5 तात्कालिक या पवित्र सीटों में से एक है। बता दें कि इस स्थान पर मूल रूप से सालिस राय जौरी की हवेलियाँ थी जिनको धर्मशाला में बदल दिया था क्योंकि वह गुरु नानक के एक भक्त थे।
इस गुरूद्वारे को तख्त श्री पटना साहिब और गुरु गोविंद सिंह जी का निवास स्थान भी कहा जाता है। पवित्र आत्मज्ञान का अनुभव करने के लिए कोई भी पटना साहिब गुरूद्वारे के दर्शन के लिए जा सकता है। यह धार्मिक स्थान गंगा नदी के तट पर स्थित हैं। यदि आप भी इस पवन भूमि की यात्रा करना चाहते हैं या पटना साहिब गुरूद्वारे के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
पटना साहिब गुरूद्वारे का इतिहास बताता हैं कि यह वह स्थान है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1666 में हुआ था। सिखों के दसवे गुरु आनंदपुर जाने से पहले कई वर्षो तक इस स्थान पर रूखे थे। जिसके परिणामस्वरुप यह स्थान गुरु गोविन्द सिंह जी के निवास स्थान के रूप में भी जाना गया है। वर्ष 1839 में इस ईमारत में आग लगने की वजह से यह ध्वस्त हो गई थी, जिसका निर्माण वर्ष 1666 में महाराजा रणजीत सिंह के द्वारा करवाया गया था। माना जाता हैं कि सिखों के पहले गुरु (गुरु नानक) ने इस स्थान की यात्रा की। सिखों के नौवे गुरु तेज बहादुर ने भी अपनी पटना यात्रा के दौरान इस स्थान पर कुछ समय व्यतीत किया था।
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पटना साहिब गुरुद्वारा के आसपास कई पर्यटन स्थल हैं जहां पर्यटक घूमने जा सकते हैं और पटना साहिब गुरूद्वारे की अपनी यात्रा को ओर अधिक सफल बनाते हैं।
महात्मा गांधी सेतु पटना में स्थित असम के सबसे बड़े पुल भूपेन हजारिका सेतु (यानी ढोला-सादिया पुल) के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा नदी पुल है। बिहार में स्थित महात्मा गांधी सेतु 5.7 किलोमीटर तक गंगा में फैला हुआ है। इस पुल का नाम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नाम पर रखा गया है। इस पुल में दोनों तरफ चार लें की सड़क और पैदल चलने के लिए भी जगह है, यह पुल दैनिक वाहनों के परिवहन का एक हिस्सा है। पुल से से नीचे देखने पर गंगा नदी के शानदार दृश्य देखने को मिलते हैं।
पटना संग्रहालय बिहार की राजधानी में पटना शहर में स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से जादूघर के नाम से जाना जाता है। यह संग्रहालय पटना का एक बहुत लोकप्रिय संग्रहालय है, जिसमें 50,000 से अधिक दुर्लभ कला वस्तुएँ हैं। इस संग्रहालय में प्राचीन मध्य युग और ब्रिटिश औपनिवेशिक युग से भारतीय कलाकृतियाँ शामिल हैं। पटना संग्रहालय का निर्माण 1917 में किया गया था। अगर आप इस संग्रहालय को देखने के लिए जाते हैं तो बता दें कि इसका समृद्ध संग्रह आपको भारतीय इतिहास और गौरव की याद दिलाने के लिए अतीत में ले जायेगा। मुगल और राजपूत वास्तुकला की शैली में निर्मित इस संग्रहालय में पवित्र अवशेष कास्केट, भगवान बुद्ध की पवित्र राख और सुंदर प्रतिमा, यक्षानी यहां के प्रमुख आकर्षण है।
गोलघर पटना का एक प्रमुख पर्यटन स्थल और एक सरल लेकिन आकर्षक वास्तुकला है जो इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। गोलघर का निर्माण 1786 में कैप्टन जॉन गारस्टिन ने एक गोदाम के रूप में अनाज को स्टोर करने के लिए करवाया था। बताया जाता है कि गोलघर को इसकी अधिकतम क्षमता तक कभी नहीं भरा गया था। क्योंकि इसकी इंजीनियरिंग में गलती हो जाने की वजह से इसके दरबाजे सिर्फ अंदर की तरफ खुलते थे। गोलघर स्तूप-आकार की संरचना है जो 145 सीढ़ियों से घिरा हुआ है। यह संरचना 125 मीटर चौड़ी और 3.6 मीटर मोटी है। गोलघर से गंगा नदी के शानदार दृश्य को भी देख सकते हैं। बता दें कि गोलघर को पटना की उस समय की सबसे ऊँची इमारत होने के गौरव भी प्राप्त था।
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संजय गांधी वनस्पति उद्यान पटना में घूमने की एक अच्छी और प्राकृतिक जगह है। आपको बता दें कि इस पार्क को संजय गांधी जैविक उद्यान के नाम से भी जाना जाता है जिसको 1969 में स्थापित किया गया था जो शहर में भरपूर प्रकृति और हरियाली का स्रोत रहा है। यह उद्यान पटना चिड़ियाघर के रूप में भी जाना जाता है और यहां पर वनस्पति, जीव-जंतुओं की कई किस्में हैं। इस पार्क में हाथी की सवारी और बच्चों के लिए टॉय ट्रेन भी उपलब्ध है।
पटना शहर में स्थित इंदिरा गांधी तारामंडल या पटना तारामंडल एशिया के सबसे बड़े तारामंडल में से एक है। यह यह लोकप्रिय रूप से तारामंडल के रूप में भी जाना जाता है जिसका मतलब होता है तारों के चक्र। यह देश के बड़े और अच्छी तरह से बने तारामंडल में से एक है। बता दें कि खगोल विज्ञान से संबंधित विषयों पर फिल्म शो की एक विस्तृत श्रृंखला यहां पर दिखाई जाती है इसके साथ ही यहां पर पर्यटकों के लिए विभिन्न संबंधित विषयों पर प्रदर्शनियां भी आयोजित की जाती हैं।
पाटन देवी मंदिर को माँ पटनेश्वरी के रूप में भी जाना जाता है। बता दें कि यह पटना में सबसे पवित्र और सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि पटना ने इसका नाम पाटन देवी से लिया था। यह मंदिर हिन्दुओं का पवित्र और पुराने मंदिरों में से एक है, क्योंकि यह हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है देवी सती विष्णु के सुदर्शन चक्र द्वारा पूरे शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया गया था तब उनकी की दाहिनी जांघ यहां गिरी थी।
महावीर मंदिर पटना का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है क्योंकि यह उत्तर भारत का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक मंदिर है। यह मंदिर हनुमान की पूजा के लिए समर्पित प्रमुख मंदिरों में से एक है। देश के विभिन्न कोने से हनुमान जी के भक्त इस मंदिर में प्रार्थना करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि अगर कोई भक्त सच्चे मन से भगवान की प्रार्थना करता है तो संकट मोचन हनुमान उनकी इच्छा को पूरा करते हैं। इसलिए इस मंदिर को “मनोकामना मंदिर” के रूप में भी जाना जाता है।
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श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र 1978 में निर्मित पटना की एक ऐसी जगह है जो विभिन्न सिद्धांतों को प्रदर्शित करने के लिए अद्भुत प्रदर्शनों का एक संग्रह है। यह जगह खास रूप से बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय है जो एक अच्छे शैक्षिक दौरा प्रदान करती है।
बुद्ध स्मृति उद्यान को बुद्ध मेमोरियल पार्क के रूप में भी जाना जाता है, यह पटना में स्थति एक बहुत ही बड़ा और खूबसूरत पार्क है। बता दें कि इस उद्यान में एक स्तूप और ध्यान करने के लिए एक अलग पार्क भी है। यह उद्यान एक ऐसी जगह भी जहां पर भगवान बुद्ध की राख को रखा गया है।
रिवॉल्विंग रेस्तरां पटना में स्थित देश का सबसे बड़ा घूमने वाला रेस्तरां है जो पटना के सबसे ऊँचे टावर बिस्कोमान भवन की 18 वीं मंजिल पर स्थित है। यह रेस्तरां जर्मन तकनीकों की मदद से 45, 60 या 90 मिनट में एक रेवोलुशन लेता है।
छोटी दरगाह पटना से 30 किमी दूर मनेर में एनएच 30 पर स्थित एक तीन मंजिला मकबरा है जिसको मनेर शरीफ के रूप में भी जाना जाता है। यह मकबरा पटना में स्थित एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। इस दरगाह में 1616 में मुस्लिम संत मखदूम शाह को दफनाया गया था,जिसकी वजह से यह आसपास के इलाकों में मुसलमानों के लिए एक लोकप्रिय दरगाह है। इस दरगाह के सामने एक बड़ा टैंक भी है। 1619 में इब्राहिम खान ने इस परिसर में एक मस्जिद का निर्माण भी करवाया था।
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मौर्य लोक पटना के सबसे बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में से एक है जो लोगों की ज्यादातर शॉपिंग आवश्यकताओं को पूरा करता है।
पटना में इस्कॉन मंदिर यहां का एक नया मंदिर है जो भक्तों और पर्यटकों के लिए पूरी तरह से खुला हुआ है। आपको बता दें कि पूरा होने के बाद यह मंदिर परिसर बिहार-झारखंड क्षेत्र में सबसे बड़ा होगा। यह मंदिर सफेद और लाल शेड से बाहरी ओर से सुभोभित है। मंदिर के अंदर भक्त श्री गौर निताई, श्री राधा बांके बिहारी और श्री राम दरबार की मूर्तियों के दर्शन कर सकते हैं।
जालान संग्रहालय को लोकप्रिय रूप से क्विला हाउस के नाम से जाना जाता है जो कि एक लोकप्रिय संग्रहालय है। अगर आप इस संग्रहालय में जाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए अनुमति लेने के लिए (+ 91-612-246-1121) पर कॉल करना होगा। इस संग्राहलय में मुगलकाल का एक शानदार संग्रह है और इसमें नेपोलियन Iii के लकड़ी के बिस्तर जैसी कुछ अनूठी कलाकृतियाँ भी हैं। बहादुर आर के जैन द्वारा 1919 में निर्मित इस संग्रहालय की वास्तुकला में अंग्रेजी और डच प्रभाव है। आपको बता दें कि इस संग्रहालय में करीब 10,000 से अधिक कलाकृतियां हैं, जिसमें से ज्यादातर आधुनिक काल से संबंधित हैं।
खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी पटना में 1891 में स्थापित मुगल और इस्लामी धर्मग्रंथों का एक बहुत बड़ा संग्रह है जिसमें कुरान का एक 25 मिमी चौड़ा संस्करण भी शामिल है। इस लाइब्रेरी में नादिर शाह की तलवार भी है जिसे उसने दिल्ली के सुनेहरी मस्जिद में उठाया था जिससे शहर के निवासियों का नरसंहार किया का सके। इस लाइब्रेरी में करीब 250,000 के करीब किताबें हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय पटना के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक है जो दुनिया के सभी हिस्सों के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। नालंदा दुनिया के सबसे सबसे पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है जिसको 5 वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित किया गया था और इसके प्रमुख समय के दौरान विद्वान् और छात्र कोरिया, तुर्की, इंडोनेशिया, चीन और फारस सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आये थे। आपको बता दें कि यहां पर कई मंदिर और मठ बनाए गए है।
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हंगामा वर्ल्ड 2014 में निर्मित एक बहुत ही लोकप्रिय वाटर थीम पार्क है। इस वाटर थीम पार्क में 4 स्विमिंग पूल और वाटर राइडस भी हैं। हंगामा वर्ल्ड में काम्प्लेक्स में मनोरंजन पार्क और बच्चों के लिए एक खेल क्षेत्र भी है। अगर आप अपने बच्चों के साथ पटना की यात्रा कर रहे हैं तो हंगामा वर्ल्ड घूमने के लिए जरुर जाएँ।
जलमंदिर मंदिर पटना में स्थित भगवान महावीर का एक अद्भुत सफेद संगमरमर से बना आकर्षक मंदिर है। यह मंदिर कमल के फूलों से भरे टैंक के केंद्र में स्थित है जो पर्यटकों को एक शांत वातावरण का एहसास करवाता है। इस मंदिर तक पर्यटक मंदिर को 40 फीट लंबे पुल के माध्यम से पहुंच सकते हैं जो किनारे और मंदिर को टैंक में जोड़ता है।
पटना में स्थित शहीद स्मारक या शहीद स्मारक सात बहादुर नौजवानों की स्मृति में बनी कांस्य प्रतिमा है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति एक विरोध प्रदर्शन में ब्रिटिश प्रशासन के समक्ष वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान देदी थी।
सोनपुर मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है जो बिहार के प्राचीन शहर, वैशाली के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा या नवंबर में पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। बता दें कि यह मेला आमतौर पर एक पखवाड़े से एक महीने तक रहता है। सोनपुर मिला पवित्र गंगा और गंडक नदी के संगम का स्थल होने के कारण स्थान की शुभता को बढ़ाता है। पूर्णिमा के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाने के के लिए आते हैं। इस मेले में जानवरों और पक्षियों की सैकड़ों किस्मों का व्यापार किया जाता है।
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अगर आप पटना घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं और यहां मिलने वाले भोजन के बारे में जानना चाहते हैं, तो बता दें कि पटना मनोरम व्यजनों का शहर है जिसमें से ज्यादातर व्यंजन शाकाहारी हैं। लिट्टी चोखा यहां का प्रमुख आहार है जो नमकीन गेहूं और सत्तू से बना घी में डूबी हुई बॉल है। मसालों और कई स्वादों के मिश्रण से भरी बॉल को कई सब्जियों के साथ परोसा जाता है। यहां के नियमित भोजन में रोटी, दाल, भात और सब्जी शामिल है। इसके साथ ही यहां के स्थानीय लोग मटन, मछली और तले हुए चिकन के व्यंजनों को पसंद करते हैं। अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो चंद्रकला / गुझिया, खाजा, केसर पेड़ा, दाल पेड़ा, मालपुआ, परवल की मिठाई का स्वाद ले सकते हैं। यहां के स्थानीय फास्ट फूड स्नैक्स में चना घुगनी, समोसा, झाल मुड़ी, चूर, थेकुआ आदि शामिल हैं।
अगर आप पटना साहिब गुरूद्वारे की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छे समय अक्टूबर-मार्च के बीच के महीनों का समय होता है। इस स्थान पर गर्मियों के मौसम में बेहद गर्मी पड़ती है। इसलिए इस मौसम में दर्शनीय स्थलों की सैर करना संभव नहीं है। मानसून के मौसम में भी पटना जाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र काफी गर्म और नम है। पटना जाने का एक अच्छा समय छठ पर्व के दौरान है जो बिहारियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार दिवाली के 7 वें दिन होता है जिसमें सूर्य भगवान से प्रार्थना की जाती है। यह त्योहार पूरे राज्य में उच्च उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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अगर आप पटना शाहिब गुरुद्वारा घूमने जाने की योजना बना रहे हैं, हम आपको बता दें कि यहां आप हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। पटना शहर देश और राज्य के प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
अगर आप फ्लाइट से पटना शाहिब गुरुद्वारा की यात्रा करना चाहते हैं, तो बता दें कि पटना का लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डा भारत के अधिकांश शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी कोने से पटना के लिए फ्लाइट ले सकते हैं।
देश और राज्य के अधिकांश शहरों से पटना के लिए बसें उपलब्ध हैं। इसलिए आप बस से भी पटना शाहिब गुरुद्वारा के लिए यात्रा चुन सकते हैं।
अगर आप रेल माध्यम से पटना शहर जाना चाहते हैं तो बता दें कि पटना शहर का अपना रेलवे स्टेशन है जहां के लिए आप देश के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन पकड़ सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने पटना साहिब गुरुद्वारा और इसके आसपास के पर्यटक स्थलों को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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