Mansa Devi Temple Haridwar In Hindi : मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के पवित्र शहर हरिद्वार के हर की पौड़ी में देवी मनसा को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर हिमालय की सबसे दक्षिणी पर्वत श्रृंखला शिवालिक पहाड़ियों पर बिल्व पर्वत के ऊपर स्थित है। इस मंदिर को बिल्वा तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है और यह हरिद्वार के पंच तीर्थ में से एक है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो अपने महत्व के कारण दूर और आसपास के लोगों को आकर्षित करता है। वास्तव में ‘मनसा’ शब्द ‘मंशा’ शब्द का परिवर्तित रूप है, जिसका अर्थ है ‘इच्छा’। माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से देवी की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि अपनी मन्नतें लेकर देश के कोने कोने से भारी संख्या में श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर आते हैं।
यह मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ही अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। जिसके कारण लोग यहां दर्शन के लिए जुटते हैं। आइये जानते हैं मनसा देवी मंदिर की विशेषता क्या है।
मान्यता है कि मनसा देवी को पहले निम्न वर्ग के लोग आदिवासी देवी के रूप में पूजते थे लेकिन जब इनकी प्रसिद्धि फैली तो अन्य देवी देवताओं के साथ ही मनसा देवी की पूजा मंदिरों में होने लगी। मनसा देवी को कश्यप की पुत्री तथा नागमाता का रूप कहा जाता है। इसके अलावा इन्हें शिव पुत्री और विष की देवी के रूप में भी जाना जाता है। 14 वी सदी के बाद इन्हें मंदिरों में आत्मसात किया गया। यह भी मान्यता है कि नाग वासुकी की माता ने एक कन्या की प्रतिमा का निर्माण किया। यह प्रतिमा शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई, जिसे मनसा नाम दिया गया। जब भगवान शिव ने मनसा को देखा तो वे मोहित हो गए। मनसा ने जब उन्हें बताया कि वह उनकी बेटी है तो शिव मनसा को लेकर कैलाश पर्वत गए। वहां पार्वती ने भगवान शिव के साथ मनसा को देखकर उनकी एक आंख को जला दिया। बाद में मनसा ने ही शिव को हलाहल विष से मुक्त किया था और इनका विवाह जगत्कारु के साथ हुआ। लोग यह भी मानते हैं कि मनसा देवी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। बंगाल के आसपास मनसा देवी की पूजा विष की देवी के रूप में होती थी लेकिन अंत में शैव मुख्यधारा तथा हिन्दू धर्म के ब्राह्मण परंपरा में इन्हें मान लिया गया।
इस मंदिर का पूरा नाम माता मनसा देवी मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण मणि माजरा के महाराजा गोपाल सिंह 1811-1815 ईस्वी में कराया था। मंदिर के निर्माण के बाद यहां धीरे धीरे पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी है और बाद में यह मंदिर देशभर में प्रसिद्ध हो गया।
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ऐसा कहा जाता है कि देवी मनसा और चंडी, देवी पार्वती के दो रूप हैं जो हमेशा एक दूसरे के निकट रहती हैं। यदि आप मनसा देवी मंदिर में दर्शन पूजन करने जाने के इच्छुक हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मनसा देवी का मंदिर सुबह पांच बजे खुलता है और रात नौ बजे बंद होता है। चूंकि मंदिर पहाड़ी पर स्थित है इसलिए अन्य मंदिरों की अपेक्षा इसके खुलने और बंद होने के समय में विभिन्नताएं हैं। मंदिर खुलने के बाद सबसे पहले मनसा देवी की आरती होती है फिर पूरे दिन दर्शन के लिए भीड़ जुटती है। मौसम के अनुसार मंदिर खुलने और बंद होने का समय बदलता रहता है।
हरिद्वार एक ऐसा पर्यटन स्थल है जहां किसी भी समय जाया जा सकता है। लेकिन मनसा देवी मंदिर के दर्शन के लिए बेहतर समय मार्च से जून तक माना जाता है। इन महीनों में गर्मी होती है और हरिद्वार का पहाड़ी क्षेत्र आपको ठंडक प्रदान करता है और मंदिर में रोपवे या पैदल जाना भी काफी सुविधाजनक होता है। इसलिए ठंड शुरू होने से पहले और बारिश के बाद आप मनसा देवी के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
मनसा देवी मंदिर तक दो तरह से पहुंचा जा सकता है: पैदल या फिर केबल कार से। मंदिर तक पैदल चलने के लिए डेढ़ किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। थकान से बचने और अपनी सुविधा के लिए ज्यादातर लोग केबल कार या रोप वे से मंदिर तक जाना पसंद करते हैं। आमतौर पर केबल कार अप्रैल से अक्टूबर महीने के दौरान सुबह 7 बजे और बाकी महीनों में 8 बजे से चलना शुरू होती है। टिकट की कीमत 48 रुपये या इससे कुछ अधिक प्रति व्यक्ति है।
हरिद्वार स्टेशन से मनसा देवी मंदिर सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है। यदि आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो हरिद्वार स्टेशन पहुंचने के बाद आप सीधे मंदिर जा सकते हैं। दिल्ली से हरिद्वार 215 किलोमीटर दूर है, जहां से आप बस द्वारा भी पहुंच सकते हैं।
यदि आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो जॉली ग्रांट एयरपोर्ट देहरादून से आ सकते हैं। यहां से 45 किमी की दूरी पर हरिद्वार है जहां आप बस, या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। मनसा देवी मंदिर ऋषिकेश से 30 किमी, मसूरी से 85 किमी दूर है। हर की पौड़ी के लिए ऑटो और रिक्शा दोनों मौजूद है, जिससे आप यहां पहुंचकर फिर रोपवे से मंदिर जा सकते हैं।
आप रिक्शा से मंदिर जा सकते हैं हर की पौड़ी के लिए ऑटो (टुक टुक) भी उपलब्ध है।
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