Kurukshetra Tourism In Hindi : कुरुक्षेत्र पर्यटन स्थल भारत के हरियाणा राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। कुरुक्षेत्र वही भूमि हैं जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कौरवो और पांडवो के बीच हस्तानापुर के राज सिंहासन के लिए लड़ी जाने वाली कुरुक्षेत्र की लड़ाई इसी स्थान पर हुई थी जिसे महाभारत के युद्ध के नाम से जाना जाता हैं। कुरुक्षेत्र का यह भीषण युद्ध धर्म की स्थापना के लिए लड़ा गया था। जिसमे भगवान श्री कृष्ण ने धर्म का पक्ष लेते हुए पांड्वो का साथ दिया जबकि सामने कौरवो की विशाल 11 अक्षाणी सेना थी।
महाभारत के इस युद्ध में पूरे भारत वर्ष के राजा महाराजाओं के अलावा विदेशी सल्तानातो से भी वीरो-महावीरो ने भाग लिया था। कुरुक्षेत्र की भूमि अनगिनत वीरो के रक्त से लाल हुई थी और इस युद्ध में दिव्य अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग किया गया, जिससे भीषण नरसंहार हुआ। कुरुक्षेत्र को ब्रह्मक्षेत्र (ब्रह्मा की भूमि), ब्रह्मादेवी, उत्तरादेवी और धर्मक्षेत्र (पवित्र शहर) जैसे कई नामों से जाना जाता है। कुरुक्षेत्र दर्शन भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
यदि आप भी कुरुक्षेत्र की इस पावन भूमि के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
कुरुक्षेत्र का इतिहास बहुत प्राचीन हैं और कुरुक्षेत्र का नाम राजा कुरु के नाम पर रखा गया था जोकि महाभारत में पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। वामन पुराण के अनुसार राजा कुरु ने इस स्थान का चयन सरस्वती नदी के तट पर आठ गुणों के साथ धर्मशास्त्र को बताने के लिए किया था। जोकि सत्य, दया, यज्ञ, तपस्या, क्षमा, ब्रह्मचार्य, दान और पवित्रता हैं। राजा कुरु की दृढ़ निश्चय और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दो वरदान दिए। पहला वरदान यह था कि यह स्थान उनके नाम से जाना जाएगा और यह एक पवित्र भूमि के नाम से प्रसिद्ध होगी। दूसरे वरदान के फलस्वरूप कुरुक्षेत्र में किसी भी मृत्यु होने पर उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी। कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर दो वैदिक नदियाँ द्रविड़वती और सरस्वती प्रवाहित होती थीं। संस्कृत महाकाव्य महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर कौरवो और पांडवो की बीच हुआ महाभारत का 18 दिनों तक लम्बा युद्ध इसी स्थान पर चला था। जिसमे पांच पांडवो ने 100 कौरवो का बध करके विजय पताका लहराई थी।
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कुरुक्षेत्र एक पवित्र भूमि हैं जोकि भारत वर्ष के इतिहास से जुडी हैं। इस स्थान से कई कहानियां जुडी हुई हैं और वेदों में इसका उल्लेख किया गया हैं। रहस्यमय कहानियों और लोक कथाओं से सम्बंधित कुरुक्षेत्र हिंदू धर्म के लोगों के लिए धार्मिक महत्व के स्थानों में से एक माना जाता है। महाभारत से सम्बंधित कुरुक्षेत्र के दर्शनीय स्थलों में यहां कई जगह ऐसी हैं जिनकी यात्रा करके आप एक अलग ही अनुभव प्राप्त करेंगे।
कुरुक्षेत्र के आकर्षण में शामिल ब्रह्मसरोवर एक सुरम्य झील है। ब्रह्मसरोवर पर अस्तित्व, इतिहास और मिथक एक-दूसरे को सरावोर करते हैं। यह स्थान पवित्र मंदिरों से घिरा हुआ हैं और भक्तो को आदर्श वातावरण प्रदान करता है। ब्रह्मसरोवर का उल्लेख किताब-उल-हिंद नामक एक प्राचीन पुस्तक में भी देखने को मिल जाता है। इस किताब को अल्बेरूनी (तुर्की शासक महमूद गजनवी के सलाहकार) ने लिखा था।
ज्योतिसर कुरुक्षेत्र शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर कुरुक्षेत्र-पिहोवा रोड पर स्थित हैं और ज्योतिसर भारत के पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। ज्योतिसर वह स्थान हैं जहां महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देने के उपरांत अर्जुन को अपने दिव्य स्वरुप का दर्शन कराया था। ज्योतिसर में स्थित बरगद के पेड़ को वही पेड़ माना जाता है जो गीता के उपदेश का गवाह बना था। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को आकाशीय गीता का उपदेश देते हुए संगमरमर के रथ पर एक विशाल मूर्ति बनी हुई हैं।
कुरुक्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल भीष्म कुंड नरकटारी में स्थित हैं। यह कुंड कौरवों और पांडवों के पूर्वजों को समर्पित एक बड़ा जलमग्न स्थान हैं। कुरुक्षेत्र का यह स्थान महाभारत से सम्बंधित हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार यह वह स्थान है जहां पितामह भीष्म बाणों की शय्या पर लेटे थे। कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दसवें दिन अर्जुन के तीर से घायल होकर गिर गए थे। भीष्म की प्यास बुझाने के लिए अर्जुन धरती माता की गोद से तीर मार कर गंगा जल प्रकट किया और भीष्म की प्यास बुझाई।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय स्थानेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं। माना जाता है कि स्थानेश्वर महादेव मंदिर यात्रा किए बिना कुरुक्षेत्र की यात्रा अधूरी मानी जाती हैं। यह प्राचीन दर्शनीय मंदिर कुरुक्षेत्र आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
शेख चिल्ली का मकबरा कुरुक्षेत्र के पास स्थित एक विशाल परिसर हैं। जिसमें मुगल गार्डन, दो कब्रें, एक मदरसा और कई अन्य संरचनाएं विधमान हैं। शेख चिल्ली का नाम सूफी अब्द-उर-रहीम अब्दुल-करीम अब्द-उर-रजाक था लेकिन वह शेख चिल्ली के नाम से जाने गए। शेख चिल्ली परिसर की वास्तुकला शैली और इसके अंदर की संरचनाएं फारसी शैली से मेल खाती हैं और आकर्षित लगती हैं। कुरुक्षेत्र के दर्शन के लिए आने वाले पर्यटक शेख चिल्ली के मकबरे की ओर भी रुख करते हैं।
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कुरुक्षेत्र में देखने वाली जगह में राजा हर्ष का टीला लगभग एक किलोमीटर लंबा है। टीले की खुदाई के दौरान राजा हर्षवर्धन के समय का पता चलता हैं जिनका शासन काल 7 वीं शताब्दी के दौरान का है। राजा हर्ष का टीला पुरातात्विक महत्व का है और इससे प्राप्त होने वाली वस्तुएं कुषाण काल के प्रारंभ से मुगल काल तक की सभ्यताओं का एक विशिष्ट क्रम प्रदर्शित करती हैं।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय भद्रकाली मंदिर देवी काली को समर्पित हैं। देश के अन्य शक्तिपीठो में से एक माना जाता हैं। माना जाता हैं कि कुरुक्षेत्र के भद्रकाली मंदिर में देवी सती का टखना गिरा था। यह मंदिर कुरुक्षेत्र के आकर्षण में से एक हैं और पर्यटक देवी माँ के दर्शन के लिए इस पावन स्थान पर आते हैं।
कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र के प्रमुख आकर्षणों में से एक है जोकि महाभारत की घटनाओं और विज्ञान के रहस्यों के बारे में विस्तृत जानकारी को एकत्रित किए हुए हैं। कुरुक्षेत्र के मुख्य रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में स्थित इस विज्ञान केंद्र में कई प्रदर्शनी देखने को मिलती हैं। संग्रहालय में बच्चो के लिए कुछ विशेष क्षेत्र है। सप्ताह के किसी भी दिन आप सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक यहाँ घूमने जा सकते हैं।
कुरुक्षेत्र में पैनोरमा और विज्ञान केंद्र के पास स्थित श्रीकृष्ण संग्रहालय भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। संग्रहालय में नक्काशी, प्राचीन मूर्तिकला, चित्रों और भूलभुलैया के माध्यम से टहलने, विशाल मूर्तियों और ड्योरामस जैसे प्रदर्शनों का एक विशाल संग्रह देखने को मिलता है। श्रीकृष्ण संग्रहालय पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता हैं।
सरस्वती वन्यजीव अभ्यारण कुरुक्षेत्र से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे सोनसर वन के रूप में भी जाना जाता है जोकि हरियाणा राज्य में तीसरा सबसे बड़ा जंगल है। इस स्थान को 29 जुलाई 1988 को सरस्वती वन्यजीव अभयारण्य के रूप दर्जा प्राप्त हुआ हैं। सरस्वती वन्यजीव अभ्यारण 4452. 85 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ हैं।
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कुरुक्षेत्र में घूमने लायक स्थान चिल्ला चिल्ला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी लगभग 28.92 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ हैं और यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के करीब स्थित है। इस अभयारण्य को सोंथी रिजर्व फॉरेस्ट के नाम से भी जाना जाता हैं। चिल्ला चिल्ला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में पक्षीयों की लगभग 57 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रवासी और स्थानीय पक्षी दोनों शामिल हैं। इस आकर्षित स्थान को वर्ष 1986 में पक्षी अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।
कुरुक्षेत्र का दर्शनीय लक्ष्मी नारायण मंदिर 18 वीं शताब्दी का मंदिर है। जोकि चोल राजवंश के शासनकाल के दौरान निर्मित किया गया था और भगवान श्री हरि नारायण और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। कहते यदि भक्त इस मंदिर में जाते हैं और मंदिर के चारों ओर सात चक्कर लगाते हैं तो उन्हें चार धाम की यात्रा करने की आवश्यकता नही होती हैं।
कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थलों में राजा कर्ण का किला चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक के समय में तीन सांस्कृतिक अवधियों से संबंधित स्थल के रूप में जाना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा 1921 में इस किले की खुदाई की गई थी।
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कुरुक्षेत्र के दर्शन के लिए सितंबर से मार्च के महीने की अवधि सबसे आदर्श मानी जाती हैं। क्योंकि इस समय के दौरान मौसम ठंडा और सुखद रहता हैं जिससे पर्यटकों को कुरुक्षेत्र और इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नही होती हैं।
कुरुक्षेत्र की यात्रा पर आने वाले पर्यटक यदि किसी आवास की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र में लों-बजट से लेकर हाई-बजट के कई होटल उपलब्ध हैं। होटल का चुनाव आप अपनी आवश्यकतानुसार कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र समृद्ध और विस्तृत हरियाणवी भोजन के लिए जाना जाता हैं। यहाँ के भोजन में मुख्य रूप से बाजरे, गेहूं, मकई की रोटी प्रसिद्ध हैं। इनके साथ-साथ अन्य व्यंजनों में सिंगरी की सब्जी, मिश्रित दाल, छोलिया, कढ़ी पकोड़ा और विशिष्ट उत्तर-भारतीय भोजन मिलता हैं। कुरुक्षेत्र के अन्य प्रसिद्ध भोजन में स्वादिष्ट खीर, मालपुए, चूरमा और आलू की रोटी, दाल मखनी, पनीर अमृतसरी, कुल्चा, चन्ना-भटूरा, राजमा और बहुत कुछ शामिल है।
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कुरुक्षेत्र की यात्रा के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डे क्रमश चंडीगढ़ और दिल्ली हैं। जोकि क्रमशः लगभग 86 किलोमीटर और 175 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। एयरपोर्ट से बस या टैक्सी की मदद से आप कुरुक्षेत्र पहुंच जाएंगे।
कुरुक्षेत्र जाने के लिए यदि आपने रेल मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन देश के अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं।
कुरुक्षेत्र सड़क मार्ग के माध्यम से चंडीगढ़, पटियाला, अमृतसर, दिल्ली, पानीपत जैसे प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसलिए कुरुक्षेत्र जाने के लिए बस या टैक्सी भी एक आदर्श साधन हैं।
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इस लेख में आपने कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल को जाना है, आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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