Keoladeo National Park In Hindi : केवलादेव नेशनल पार्क या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान जिसे पहले भरतपुर बर्ड सैंक्चुरी के नाम से जाना जाता था भारत का एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य है, जो हजारो प्रवासी पक्षियों की मेजबानी करता है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान जिसे पहले भरतपुर, राजस्थान में भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में जाना जाता था, यह उद्यान भरतपुर, राजस्थान में स्थित है। इस पार्क में पक्षियों की 230 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है। केवलादेव राष्ट्रीय पार्क, भारत का एक प्रमुख पर्यटन केंद्र भी है, इस जगह को 1971 में एक संरक्षित अभयारण्य बनाया गया था। केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान एक विश्व धरोहर स्थल भी है। यह पार्क यहाँ आने वाले पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।
केवलादेव राष्ट्रीय अभयारण्य किसी भी पर्यटक या प्रकृति प्रेमी दोनों के लिए बेहद अच्छा है। यह पार्क सिर्फ पक्षियों तक सीमित नहीं है बल्कि इस पार्क में कई तरह के वनस्पतियों और जीव की बड़ी श्रृंखला पाई जाती है। इस नेशनल पार्क में आप अपने परिवार और खास लोगो के साथ पूरा दिन शांति के साथ प्रकृति का मजा लेते हुए बिता सकते हैं। यहाँ पर पाए जाने वाले पक्षियों की आवाज़ सुनकर और यहाँ की हरियाली देखकर अपना मन आनंद से भर जायेगा। यह जगह आपको भागती हुई दुनिया से दूर लाकर आपके मन और दिमाग को शांति देगी।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पहले भरतपुर पक्षी अभयारण्य कहा जाता था जो लगभग 250 वर्षों से मौजूद है। पहले इस जगह को महाराजाओं द्वारा शिकारगाह के रूप में उपयोग किया जाता था। बताया जाता है कि ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने सिर्फ एक दिन में शिकार पार्टी के दौरान हजारों बतख और अन्य जलपक्षी मारे थे। 13 मार्च 1976 को इस जगह को पक्षी अभयारण्य बना दिया गया और यहाँ पर शिकार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। बाद में 10 मार्च 1982 में इसको भरतपुर पक्षी अभयारण्य बना दिया गया। जिसको आज केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है।
1982 में इस क्षेत्र में गाँव के मवेशियों या जानवरों की चराई प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि यह पूरा जंगल अब राजस्थान वन अधिनियम 1953 के अंतर्गत आता है। यह सब होने के बाद वहां के स्थानीय किसानो में काफी असंतोष पैदा हुआ। लेकिन आज यह जगह एक प्रमुख पारिस्थितिक संसाधन होने के साथ एक फेमस पर्यटक हॉटस्पॉट भी बन गया है। इसके बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1985 में इसे विश्व धरोहर स्थल बना दिया गया।
केवलादेव नेशनल पार्क वनस्पति और प्राणियों का एक बड़ा समूह है जिसे घाना के नाम से भी जाना जाता है। यह पूरा क्षेत्र सूखे घास के मैदानों वुडलैंड दलदलों और आर्द्रभूमि से मिलकर बना हुआ है। बता दें कि घाना का अर्थ मोटा होता है, जिसके चलते इस पार्क को केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान भी कहते हैं। केवलादेव नेशनल पार्क में पक्षियों की 375, मछलियों की 50 प्रजाति, साँपों की 13 प्रजाति और वनस्पतियों की 379 प्रजातियों के साथ कछुओं, अकशेरुकी और छिपकलियों की भी कई प्रजातियाँ पाई जाती है। इस पार्क में ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, बुलबुल, एशियन ओपन-बिल्ड स्टॉर्क, पेंटेड फ्रांसोलिन, और ओरिएंटल इबिस जैसे पक्षी कम ही देखने को मिलते हैं। पार्क में जलपक्षी के रूप में आपको बत्तख, सारस और बगुले जैसे पक्षी देखने को मिलेंगे। जबकि लैंडबर्ड में बब्बर, बबलर, मधुमक्खी खाने वाले पक्षी भी पाए जाते हैं।
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केवलादेव राष्ट्रीय पार्क की यात्रा का पूरा मजा उठाना चाहते है तो आप इस पार्क के अंदर की पैदल सैर कर सकते हैं। बता दें कि पार्क के अंदर पूरा पक्का रास्ता लगभग 11 किमी तक का है। अगर आप पैदल चलकर यहाँ की छोटी सी सैर करना चाहते हैं, तो आपको यहां पहले 5 किलोमीटर तक यहां के अधिकांश पक्षी देखने को मिलते हैं। अगर आप पैदल चल सकते हैं तो जरुर इस सैर पर जायें।
अगर आप नेशनल पार्क में सैर का पूरा मजा लेना चाहते हैं तो आपके पास पैदल चलने के अलावा साइकिल से सैर करना एक अन्य विकल्प है। इसके लिए आपको एक साइकिल किराए पर लेना होगी जो आपको ज्यादा महंगी नहीं पड़ेगी। यहां एक दिन के लिए साइकिल किराये पर लेने के लिए आपको 50 से 100 रूपये देंगे होंगे।
साइकिल रिक्शा द्वारा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति की सैर करना यहां आने वाले अधिकांश पर्यटकों के लिए के लिए सबसे अच्छा विकल्प होगा। लेकिन साइकिल रिक्शा द्वारा सैर करना आपको थोड़ा महंगा पड़ सकता है। आपको पार्क में साइकल-रिक्शा से जाने के लिए 100 रुपये प्रति घंटे शुल्क देना होगा। साइकिल-रिक्शा चलाने वाले भी आपके लिए एक अच्छे गाइड साबित हो सकते हैं। अगर आप 10 या इससे ज्यादा लोगो के ग्रुप में जाते हैं तो यहां आपको एक गाइड अनिवार्य है। मार्गदर्शिका के लिए आपको 250 रूपये प्रति घंटा के अनुसार शुल्क देना होगा।
अगर आप अपने परिवार के साथ केवलादेव राष्ट्रीय अभयारण्य की सैर पर जा रहे हैं तो आपके लिए घोड़ा गाड़ी या तांगे से यहां की सैर करना ज्यादा अच्छा रहेगा। क्योंकि एक परिवार के लिए यह एक अच्छा विकल्प है। इस तांगे से सवारी के लिए आपको 150 प्रति घंटे के हिसाब रूपये देने होंगे। इस सैर में बच्चे और बड़े सभी यहाँ की प्रकृति का आनंद ले पाएंगे। घोड़ा गाड़ी सफारी की मदद से आप भीड़ होने के बाद भी बहुत कम समय में ज्यादा से ज्यादा पार्क को देख सकते हैं।
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अगर आप केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि अगर आप यहां जाकर पूरी तरह से मजा लेना चाहते हैं तो आपके लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा समय है। इस जगह पर ठंड के समय दिन में लगभग 23 से 26 डिग्री तापमान रहता है। अगर आप ठंड के मौसम में इस राष्ट्रीय पार्क की सैर करने जा रहे हैं तो अपने साथ गर्म कपड़े ले जाना न भूलें। गर्म कपड़ें आपके लिए सुबह की यात्रा करने के लिए सही रहेंगे।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के दौरे के लिए भारतीय नागरिकों प्रवेश शुल्क के रूप में प्रति व्यक्ति 25 रूपये देने होते हैं और विदेशी नागरिकों के लिए यह शुल्क 200 रूपये हैं। इसके अलावा 50 रूपये आपको हर वाहन के हिसाब से देने होंगे और अगर आप अपने साथ कैमरा लेकर जाते हैं तो इसके लिए भी 200 रूपये अलग से देने होंगे।
भारत में पक्षियों के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक, भरतपुर पक्षी अभयारण्य या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत में दिल्ली, आगरा और जयपुर जैसे प्रमुख भारतीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोई भी आसानी से भरतपुर नेशनल पार्क तक पहुँच सकता है, जिसे दुनिया के सबसे अच्छे पक्षी अभयारण्यों में से एक माना जाता है यहां हवाई, रेल या सड़क मार्ग से आसानी से पंहुचा जा सकता है।
अगर आप हवाई मार्ग की मदद से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि यहां का निकटतम हवाई अड्डा आगरा है जो भरतपुर से 54 किमी की दूरी पर स्थित है। आगरा हवाई अड्डा जबलपुर, ग्वालियर, गोरखपुर से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा भारतपुर से 184 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय दिल्ली हवाई अड्डा है। आगरा हवाई अड्डे के लिए दिल्ली, जयपुर, मुंबई, वाराणसी और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों से आगरा के लिए दैनिक उड़ानें उपलब्ध हैं।
अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो बता दें कि भरतपुर एक रेलवे स्टेशन है जो केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से सिर्फ 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर मुंबई, मथुरा, कोटा जैसे शहरों से रेल आती है।
बता दें कि भरतपुर मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा जैसे शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां के लिए आपको सभी प्रमुख शहरों से बस मिल जाएगी। भारत के सभी प्रमुख शहरों से केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान तक पहुँचने के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है। भरतपुर से महत्वपूर्ण स्थानों की सड़क दूरी हैं:
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