Gopeshwar Mahadev Mandir In Hindi, गोपेश्वर महादेव मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में वृंदावन नगरी में स्थित यहाँ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक हैं। गोपेश्वर महादेव मंदिर वंशी बट और यमुना नदी के तट पर स्थित है जोकि भगवान भोलेनाथ को समर्पित हैं। गोपेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हजारों भक्त वृंदावन आते हैं। वृंदावन आने वाले भक्त भगवान शिव के मंदिर पूजा अर्चना बहुत ही धूम धाम से करते हैं और भगवान शिव के दर्शनों का लाभ उठाते हैं। पवित्र यमुना नदी के जल से शिव लिंग को स्नान कराने की धार्मिक प्रथा आज भी इस पवित्र स्थान पर प्रचलित है। भगवान शंकर के गोपी रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में आज भी शिव को नारी के रूप में सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के परिसर में पीपल का पेड़ स्थित है जो हर मनोकामना को पूरा करता है। इस मंदिर में भगवान शिव की पुरुष और स्त्रियों की शक्ति के संगम को बताया गया हैं।
यदि आप वृन्दावन स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर के बारे में अधिक जानकरी पाना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े।
गोपेश्वर महादेव मंदिर से जुडी एक पौराणिक कथा के अनुसार शरद पूर्णिमा की पूर्णिमा की रात को भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की रासलीला से सम्बंधित हैं। माना जाता हैं कि श्री कृष्ण और देवी राधा यमुना नदी के तट पर रास लीला कर रहे थे। उनकी रासलीला देखने की जिज्ञासा भगवान शिव और माता के मन में जाग्रत होती हैं और दोनों रासलीला देखने के लिए निकल पढ़ते हैं। माता पार्वती को रासलीला देखने की अनुमति मिल जाती हैं लेकिन भगवान शिव को रोक दिया जाता हैं। क्योंकि श्री कृष्ण के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष को रास लीला देखने की अनुमति नही थी। लेकिन भगवान भोलेनाथ ने रास लीला देखने की मन में ठान ली थी और फिर उन्होंने राधा रानी का ध्यान किया।
राधा जी ने प्रसन्न होकर अपनी करीबी सखी ललिता को भोलेनाथ को लाने के लिए भेजा। जिन्होंने भगवान शिव के पास आकर उन्हें सखिभव के रहस्यों को बाताया जिसके उपरांत भोलेनाथ ने पवित्र यमुना में डुबकी लगाई और जब बाहर आए तो स्त्रीभाव से पूर्ण होकर वापिस आए, जिसके बाद ललिता ने उन्हों रास मंडल में प्रवेश कराया। इसके बाद भगवान शिव ने ललिता को सखी रहस्य समझाने की वजह से अपना गुरु माना। श्री कृष्ण ने भोलेनाथ के इस रूप को पहचान लिया और उन्हें गोपेश्वर नाम से संबोधित किया।
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गोपेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के पौत्र व्रजनाभ ने की थी।
गर्मियों के समय गोपेश्वर महादेव मंदिर के खुलने का समय सुबह 5 बजे से 12 बजे तक तथा शाम 4:30 से 9:30 बजे तक का है। जबकि सर्दियों के समय गोपेश्वर महादेव मंदिर के खुलने का समय सुबह 5:30 से 12 बजे तक तथा शाम 4:30 से 9 बजे तक का हो जाता है।
गर्मी के दिनों में गोपेश्वर महादेव मंदिर में आरती का समय सुबह 7:30 और शाम 7:30 का है। हालाकि सर्दियों के मौसम में सुबह 8:30 और शाम 6:30 बजे आरती की जाती है।
गोपेश्वर महादेव मंदिर किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नही लगता हैं।
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वृन्दावन शहर बहुत ही धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। यह भगवान श्री कृष्ण की पावन भूमि है जो एक तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है। पर्यटन की दृष्टि से भी वृन्दावन बहुत ही सुन्दर शहर है। यमुना नदी के तट पर बसा यह शहर भोलेनाथ के गोपेश्वर मंदिर के लिए भी जाना जाता है। गोपेश्वर महादेव मंदिर के साथ-साथ वृन्दावन के आस-पास कई ऐसे स्थान है जहां घूमकर पर्यटकों को बहुत आनंद मिलेगा।
बांके बिहारी मंदिर मथुरा जिले के वृन्दावन शहर एक बहुत ही प्रसिद्ध और दर्शनीय स्थल है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की छवि है जोकि बहुत ही सुन्दर और मनमोहक लगती है। राजस्थानी शैली में बना हुआ यह मंदिर पर्यटकों को बहुत ही आकर्षित करता है। बांके बिहारी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर में कोई भी घंटी या शंख नही बजता है सिर्फ राधा रानी के नाम के मंत्रों से शांतिपूर्ण पूजा होती है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की पूजा तीन भागों में की जाती है। पहले भाग में भगवान का श्रृंगार किया जाता है दूसरे भाग में भगवान का भोग लगाया जाता है और अंतिम भाग में भगवान को सुलाया जाता है। इस अद्भुत मंदिर में हर साल दुनिया भर से भक्त भगवान के बाल रूप के दर्शन करने आते है।
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प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के वृन्दावन में स्थित एक दर्शनीय मंदिर हैं। प्रेम मंदिर राधा-कृष्ण और सीता-राम के प्रेम को समर्पित है। प्रेम मंदिर का निर्माण सन 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज जी द्वारा किया गया था। प्रेम मंदिर बहुत ही सुन्दर मंदिर है जोकि सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ है। प्रेम मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत को उठाते हुए अलौकिक रूप की मूर्ति है। इस मंदिर में राधा-कृष्ण के मधुर भजनों की धुन भक्तों के मन को मोह लेती है।
वृन्दावन के प्रमुख हिन्दू धार्मिक मंदिरों में राधा रमण मंदिर बहुत ही आकर्षक है जोकि वृन्दावन रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राधा रमण मंदिर का निर्माण सन 1542 में किया गया था। राधा रमण श्री कृष्ण का ही एक नाम है। इस खूबसूरत मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के शालिग्राम रूप के साथ राधा रानी विराजमान है। इस मंदिर में श्री कृष्ण की मीठी मुस्कान वाली मूर्ति है जो भक्तों को सहज ही अपनी और आकर्षित करती है।
श्री गोविन्द देवजी मंदिर मथुरा के वृन्दावन का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के बचपन के दिनों की याद दिलाता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन के कई साल इसी स्थान पर बिताये थे। श्री गोविन्द देवजी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय की मूर्ति स्थापित है। श्री गोविन्द देवजी मंदिर का निर्माण बहुत ही खूबसूरत लाल बलुआ पत्थरों से हुआ है जोकि इसकी वास्तुशिल्प की छवि को प्रस्तुत करता है। इस शानदार मंदिर में ही भगवान श्री कृष्ण ने बहुत चमत्कार किए थे। पर्यटक श्री कृष्ण की बाल मनुहार लीलाओं के बारे में जानने के लिए इस स्थान पर दर्शन के लिए आते है।
वृन्दावन के पावन मंदिरों में एक इस्कॉन मंदिर बहुत लोकप्रिय है जोकि भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम को समर्पित है। कृष्ण और बलराम ने यहाँ साथ में बहुत खेल खेले थे। इस स्वच्छ मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ बलराम के बाल रूप की मूर्ति भी स्थापित है। इसके साथ ही भगवान कृष्ण के मित्रों सहित ललिता और विशाखा नाम की गोपियों की मूर्ति भी स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी प्रभुपाद जी द्वारा करवाया गया था।
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वृन्दावन के दर्शनीय स्थलों में से एक माता सती के 51 शक्तिपीठों में कात्यायनी शक्ति पीठ है जोकि उमा शक्ति पीठ के रूप में वृन्दावन में स्थित है। कात्यायनी पीठ में नवरात्री और विजया दसमी का उत्सव मनाया जाता है। धार्मिक और श्रधालुओं के लिए यह एक तीर्थ स्थान के सामान है। इसके साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान बहुत आकर्षक है जहां पास के घाट पर घूमना और यहाँ के स्ट्रीट फ़ूड का आनंद लेने का अनुभव हर पर्यटक को मोहित करता है।
लोकनाथ गोस्वामी जी द्वारा बनाया गया श्री श्री राधा गोकुलानंद मंदिर वृन्दावन का एक दर्शनीय मंदिर है। भगवान चैतन्य के अंगूठे को धारण करती हुई राधा गोकुलानंद मंदिर में एक गोवर्धन-शिला है जो भगवान चैतन्य द्वारा रघुनाथ दास गोस्वामी को दी गई थी। इस मंदिर में आने वाले भक्त बहुत ही शांति का अनुभव करते है।
श्री रंगनाथ मंदिर वृन्दावन का एक अन्य दर्शनीय मंदिर हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वृन्दावन में इतने धार्मिक मंदिर हैं कि इस भूमि को मंदिरों की भूमि कहा जाने लगा हैं। श्री रंगनाथ मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी जी को समर्पित है। इनके साथ-साथ इस मंदिर में भगवान नरसिंह, वेणुगोपाला और रामानुजाचार्य के साथ-साथ श्री राम, देवी सीता और अनुज लक्ष्मण की मूर्ति भी स्थापित है। बहुत बड़ी संख्या में भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते है और भव्य मंदिर के आकर्षक रूप को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाते है।
भगवान् श्री कृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर शाहजी मंदिर वृन्दावन में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण शाह कुंदन लाल जी द्वारा सन 1876 में करवाया गया था। धार्मिक स्थान होने के साथ-साथ यह मंदिर पर्यटक स्थल भी है, जोकि संगमरमर से बना हुआ अद्भुत वास्तुकला का उदहारण प्रस्तुत करता हैं। यह मंदिर अपनी सजावट के कारण आलौकिक सौन्दर्य का प्रतीक है।
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वृन्दावन श्री कृष्ण की पावन भूमि है और श्री कृष्ण को संगीत और नृत्य से बहुत प्रेम था। इसलिए वृन्दावन में श्री कृष्ण के द्वारा शुरू की गई रासलीला का आयोजन बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही वृन्दावन में होली के उत्सव को बहुत ही आनंद के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी और राधा जी का जन्म उत्सव भी मथुरा वासियों द्वारा बहुत धूम धाम से मनाया जाता है।
अगर आपने प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करने की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि अक्टूबर से मार्च के बीच का समय सबसे अच्छा होता है क्योकि यह मौसम ठंडा होता है। लेकिन भगवान श्री कृष्णा की भूमि पर आप साल में किसी भी वक्त जा सकते हैं। खास कर जन्मष्मी, डोला ग्यारस और होली के दौरान वृन्दावन का नजारा दिल को छू लेने वाला होता हैं।
गोपेश्वर महादेव मंदिर और वृन्दावन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप किसी आवास स्थान की तलाश में हैं तो हम आपको बता दें कि वृन्दावन में कई निवास स्थान हैं। यहाँ कुछ स्थान निशुल्क हैं तो कुछ स्थानों पर रुखने के लिए मूल्य चुकाना होता हैं। लो-बजट से लेकर हाई-बजट की रेंज में कुछ होटल भी उपलब्ध हैं।
भगवान कृष्ण की पावन भूमि वृन्दावन में केवल शाकाहारी भोजन ही उपलब्ध है। यहाँ के प्रसिद्ध व्यंजनों में आलू-पुरी, पकोड़े, लस्सी के साथ-साथ हिंग की कचौड़ी, कचोरी-सब्जी, चना-भटूरा, छोले-पूड़ी के साथ-साथ पेठे, लड्डू, राबड़ी, जलेबी, खीर, कलाकंद, खुरचन, बालूशाई और कई मिठाई शामिल हैं। श्री कृष्ण पकवानों के बहुत शौकीन थे इसलिए वृन्दावन के पकवान बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होते है।
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यदि आपने गोपेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा की योजना बनाई है तो हम आपको बता दे कि गोपेश्वर महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में स्थित है। इसलिए आप वृन्दावन जाने के लिए हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग में से किसी का भी चयन कर सकते है।
अगर आपने वृन्दावन जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि वृन्दावन का अपना कोई हवाई अड्डा नही है। वृन्दावन का सबसे निकटतम हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा है। फ्लाइट से यात्रा करके आगरा एयरपोर्ट पर उतरने के बाद आप स्थानीय साधन के माध्यम से आसानी से वृन्दावन पहुँच सकते है
वृन्दावन जाने के लिए आपने रेलवे मार्ग का चुनाव किया है तो हम आपको बता दे कि वृन्दावन का सबसे निकट मथुरा रेलवे स्टेशन है। जहाँ से आप टैक्सी लेकर आसानी से वृन्दावन पहुँच सकते है।
वृन्दावन जाने के लिए सबसे अच्छा साधन बस है। क्योंकि सड़क मार्ग के माध्यम से वृन्दावन पूरे भारत से जुड़ा हुआ है। नियमित रूप से आपको किसी भी शहर से वृन्दावन जाने के लिए बस उपलब्ध है।
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इस लेख में आपने गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन के दर्शन और आसपास घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें को जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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