Gol Gumbaz In Hindi, गोल गुम्बज भारत के कर्नाटक राज्य के बीजापुर में स्थित एक ऐतिहासक मकबरा हैं। गोल गुम्बज मोहम्मद आदिल शाह, उनकी प्रेमिका रम्भा और उनके परिवार का अंतिम विश्राम स्थल हैं। यह आकर्षित गोल गुम्बज दक्षिण भारत में मोहम्मद आदिल शाह की हुकूमत और उनके शासन की कहानी को बयां करता हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोल गुम्बज के निर्माण में 30 वर्ष का समय लग गया था। गोल गुम्बज की सुंदरता के बारे में कहां जाता हैं कि यदि यह मकबरा उत्तर भारत में होता तो लोग ताज महल को छोड़कर इसका दौरा करना पसंद करते। इसी वजह से गोल गुम्बज की यात्रा पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको गोल गुम्बज से जुडी दिलचस्प बातों और इसकी यात्रा के बारे में बताने वाले है इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े –
गोल गुम्बज का इतिहास 17 वीं शताब्दी का हैं और इस खूबसूरत संरचना का निर्माण फ्रांसीसी वास्तुकार काबुल के याकूत उफ दाबुल (Yakut Uf Dabul) ने किया था। गोल गुम्बज का निर्माण कार्य 1626 ईस्वी में शुरू किया गया और 1656 ईस्वी में यह गुम्बद निर्मित हो गया था। आपकी जानकारी के लिए बाते दें कि गोल गुम्बद के निर्माण में 30 वर्ष का समय लग गया था।
गोल गुम्बज की संरचना एक अनोखी गूंज (साउंड टेक्नोलॉजी) के लिए प्रसिद्ध हैं। इसकी आकृति गोल होने की वजह से किसी भी तरह की आवाज दीवार से चिपक कर चारो तरफ गूंजती हैं और 7- 8 बार सुनाई देती हैं। गुम्बज से निकलने वाले साउंड के बारे में इतिहासकार एक मत नही हैं कि यह संरचना जानबूझ कर ऐसी बनबाई गई थी या फिर बनने के बाद पता चला की यहाँ से ऐसी एक अजीब ध्वनि भी निकलती हैं। गोल गुम्बज की संरचना 168 फिट ऊँची हैं। गोल गुम्बज की संरचना में पिल्लर नही हैं और यह इंटरलॉकिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
गुम्बज के चारो ओर सीढ़ियों वाला एक चबूतरा बना हुआ हैं और मकबरे के ऊपर एक गलियारा भी बना हैं जिसे अंग्रेजों ने फुसफुसाने वाला गलियारा नाम दिया है। मकबरे के अंदर बीच में मुख्य कब्र बनी हुई है। मुख्य प्रवेश द्वार से अन्दर जाने के बाद यदि आप ऊपर जाना चाहते हैं तो आपको सौ से भी अधिक सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता हैं। गोल गुम्बज के चारो कोनो पर अष्टकोणीय मीनारें हैं और इसके पूर्ववर्ती में एक उद्यान, मस्जिद, सराय, संग्रहालय आदि शामिल हैं।
बीजापुर में सुल्तान इब्राहीम शाह का एक आकर्षित और बहुत बड़ा मकबरा बना हुआ था। लेकिन उनके पुत्र मोहम्मद आदिल शाह की इक्षा थी कि उनका मकबरा अपने पिता के मकबरे से बड़ा और आकर्षित हो। इसलिए उन्होंने अपने जीवित रहते हुए इस मकबरे का निर्माण करबाया। गोल गुम्बज का निर्माण मशहूर वास्तुकार याकूत उफ दाबुल ने सुलतान मोहम्मद आदिल शाह के कहने पर किया।
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गोल गुम्बज से जुडी एक दिलचस्प प्रेम-कहानी भी सामने आती हैं। जोकि राजा आदिल शाह और नर्तकी रम्भा के बीच की प्रेम-कहानी हैं। माना जाता हैं कि एक बार राजा ने रम्भा से पूछा कि क्या आप मुझसे प्रेम करती हैं तो रम्भा ने कहां हां। तो राजा ने कहा यदि आप मुझसे प्रेम करती है तो क्या दीवार से नीचे कूद सकती हैं तो रम्भा ने कहा जब आप तीन तक गिनती कर देंगे तो में कूद जाऊँगी। हास्यप्रद राजा ने तीन बोल दिया और यह सुनकर नर्तकी रम्भा नीचे कूद गई और अपने अंतिम समय में राजा से कहा कि यदि आप मुझे कोई दर्जा देना चाहते है तो आपकी कवर के पास आपकी पत्नी से पहले मेरा स्थान हो।
गोल गुम्बज (गुम्बद) खुलने का समय सुबह 10 बजे हैं जबकि शाम को 5 बजे यह बंद हो जाती हैं।
भारतीय नागरिको के लिए : 20 रूपए प्रति व्यक्ति।
विदेशी नागरिको के लिए : 200 रुपए प्रति व्यक्ति।
15 वर्ष से कम उम्र के बच्चो फ्री आ सकते हैं।
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गोल गुम्बज कर्नाटक के बीजापुर में स्थित हैं और आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीजापुर में पर्यटन के लिहाज से बहुत शानदार डेस्टिनेशन हैं। बीजापुर में कई ऐतिहासिक, दर्शनीय और लौकप्रिय पर्यटन स्थल मौजूद हैं जहां आप घूमने जा सकते हैं।
बीजापुर में देखने वाली जगहों में शामिल इब्राहिम रोजा दक्कन के ताजमहल के नाम से भी जाना जाता हैं। यह मकबरा इब्राहिम आदिल शाह II और उनकी पत्नी ताज सुल्ताना का अंतिम विश्राम गृह हैं। बीजापुर की यात्रा के दौरान पर्यटक भारी संख्या में इस मकबरे को देखने के लिए आते हैं।
बीजापुर में स्थित आकर्षित जुम्मा मस्जिद का निर्माण अली आदिल शाह द्वारा तालिकोटा की लड़ाई जीतने के उपलक्ष्य में करबाया गया था। यह मस्जिद भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक हैं। 10810 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली यह मस्जिद शानदार वस्तुकला को प्रदर्शित करती हैं।
बीजापुर में खरीदारी करने के लिए बहुत कुछ हैं आप यहां के स्थानीय हस्तशिल्प और कलाकृतियों को खरीदकर अपने साथ लेजा सकते हैं। इसके अलावा आप लेम्बिनी आभूषणों को खरीद सकते हैं। इन सुन्दर-सुन्दर गहनों को यहां की स्थानीय जनजातियों द्वारा बनाया जाता हैं। पर्यटक यहां से चंदन की वस्तुएं और इल्कल साड़ी की ख़रीदारी भी कर सकते हैं।
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मिठारी और असर महल का निर्माण सन 1640 के दौरान मुहम्मद आदिल शाह द्वारा किया गया था। जोकि मुस्लिम भक्तों के लिए पूजा स्थल था और खासतौर पर इसे हॉल ऑफ जस्टिस माना जाता था। इसकी ऊपरी मंजिल में फारसी वास्तुकला को प्रदर्शित किया गया है लेकीन इसमें महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं हैं।
बीजापुर किला के नाम से मशहूर यह ऐतहासिक किला बीजापुर में स्थित हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह आदिलशाह वंश के शासन काल के दौरान निर्मित किया गया था और इस किले को दक्षिण भारत के आगरा के रूप में पहचान मिली हैं। बीजापुर का यह किला 50 फीट की खाई के भीतर बना हुआ हैं।
बारा कामन का निर्माण आदिल शाह II द्वारा 1672 ईस्वी मे करबाया गया था हालांकि बीजापुर में स्थित यह एक अधूरा ढांचा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस खूबसूरत संरचना में राजा और उनकी पत्नियों के मकबरे बने हुए है। बारा कामन संरचना को अधूरा छोड़ दिया गया था क्योंकि आदिल शाह II की हत्या उन्ही के पिता ने की थी और वह नहीं चाहते थे बारा कामन की वजह से गोल गुम्बज की चमक-धमक फीकी पड़े।
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बीजापुर में स्थित गगन महल का निर्माण वर्ष 1561 में आदिल शाह I द्वारा किया गया था। गगन पैलेस की स्थापत्य कला और डिजाइन बहुत ही खूबसूरत और जोकि इस महल की प्रसिद्धि की प्रमुख वजह हैं। गगन महल तीन मेहराबों के साथ स्थित दो मंजिला स्मारक हैं। महल के भूतल पर दरबार हॉल और इसकी ऊपरी मंजिल पर शाही परिवार का निवास स्थान हुआ करता था।
मेहतर महल बीजापुर किले के परिसर के अंदर स्थित हैं जिसे 1620 में बनाया गया था। बीजापुर किले के भीतर सबसे सुंदर संरचना के रूप में मेहतर महल को जाना जाता है। यह इंडो-सरसेनिक शैली में निर्मित हैं और इसकी मीनारों पर नक्काशी हिंदू वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करती हैं।
साथ कब्र का शाब्दिक अर्थ “साठ कब्रों” से है आपकी जानकारी बता दे कि साठ कब्र के पीछे एक दर्दनाक कहानी है। माना जाता हैं कि आदिल शाह द्वतीय के सेनानायक ने शिवाजी के साथ युद्ध में हारने के डर से अपनी 63 पत्नियों की हत्या कर दी थी। ताकि वह दुबारा शादी न कर सके।
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बीजापुर पर्यटन स्थल से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर नंगेपुर में संगीत नारी महल हैं जोकि पर्यटक को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करता हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की 16 वीं शताब्दी के दौरान इस महल का निर्माण उत्सव समारोह और जश्न मनाने के लिए किया गया था। हलाकि वर्तमान में यह महल एक खण्डर के रूप में तब्दील हो गया हैं।
मलिक-ए-मैदान का अर्थ युद्ध का मैदान होता हैं जोकि बीजापुर में स्थित एक ऐतिहासिक महत्व का स्थान माना जाता हैं। इस स्थान पर आप एक बड़ी तोप भी देख सकते हैं जोकि वर्ष 1549 में आदिल शाह II द्वारा रखी गई थी।
उपली बुर्ज का निर्माण 16 वीं शताब्दी में हैदर खान द्वारा किया गया था। उपली बुर्ज एक प्रहरी है जोकि 24 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। इसके शीर्ष पर दो टॉप स्थित हैं जोकि पयर्टको के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं।
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गोल गुम्बज (बीजापुर) पर घूमने जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का माना जाता है। इस समय के दौरान यहाँ का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता हैं। हालाकि आप बारिश के मौसम में भी गोल गुम्बज की यात्रा पर जा सकते हैं।
गोल गुम्बज की यात्रा के दौरान बीजापुर पर्यटन स्थल में आपको मसालेदार भोजन चखने शानदार अवसर मिलेगा। यहाँ महाराष्ट्रीयन भोजन की भरमार देखने को मिलेगी। यहाँ के स्थानीय व्यंजनों में काइपाल्या (सब्जियों की तैयारी), लकु पाल्या (दाल), कई तरह की चटनी, रागी और अक्की रोटियाँ, रागी मड्डे, डोसा, बिसिबेल बाथ, इडली और जोलदा रोटी आदि शामिल हैं। बीजापुर में कई कैफे और रेस्तरा है जोकि उत्तर भारतीय भोजन की पेशकश करते हैं।
गोल गुम्बज घूमने वाले पर्यटकों को बता दें कि यहाँ कई अच्छे होटल है जोकि पर्यटकों उचित मूल्य पर मिल जाते हैं। आप होटल का चुनाव अपनी जरूरत अनुसार कर सकते हैं।
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गोल गुम्बज जाने के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
गोल गुम्बज की यात्रा के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें गोल गुम्बज का सबसे निकटतम हवाई अड्डे गोवा, पुणे और हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। आप इनमे से किसी भी हवाई अड्डे का चुनाव कर सकते हैं। हवाई अड्डे के बाहर से आपको यहाँ चलने वाले स्थानीय साधन मिल जाएंगे जिनसे यात्रा करके आप बीजापुर आ सकते है।
गोल गुम्बज की यात्रा के लिए यदि आप बीजापुर जा रहे है और आपने रेल मार्ग का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि बीजापुर रेलवे स्टेशन मुख्य शहर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह रेलवे स्टेशन बीजापुर को देश के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जोड़ता हैं।
गोल गुम्बज की यात्रा के लिए यदि आपने सड़क मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि बीजापुर सडक मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। आप बस के माध्यम से यहाँ तक आसानी से पहुँच जाएंगे। यहाँ के स्थानीय साधनों में रिक्शा का उपयोग किया जाता हैं जिनसे आप गोल गुम्बज और इसके आसपास के पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते है।
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इस आर्टिकल में आपने गोल गुम्बज का इतिहास और इसकी यात्रा से जुड़ी जानकारी को जाना है आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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