Festivals Of Kerala In Hindi : केरल भारत का एक खूबसूरत समुद्र तटीय राज्य है। यह राज्य ना केवल अपने खूबसूरत समुद्र तट, वैकवाटर्स, और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि अपनी संस्कृति, उत्सवो और केरल में मनाये जाने वाले त्यौहार के लिए भी जाना जाता है। केरल की विविध संस्कृति मुख्य रूप से हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम से प्रभावित है जो अपने अपने ढंग और रीतिरिवाजो से त्योहारों को मनाते है। केरल के प्रसिद्ध त्यौहार में आपको राज्य की समृद्ध विरासत और संस्कृति देखने को मिलती हैं।
यदि आप भी केरल में मनाये जाने वाले उत्सव और त्योहारों में शामिल होना चाहते है या केरल के प्रमुख त्यौहार के बारे में जानना चाहते है तो आपको इस लेख को पूरा जरूर पढना चाहिए जिसमे हमने आपके लिए फेमस फेस्टिवल को केरला की लिस्ट तैयार की है जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए –
केरल सबसे लोकप्रिय रूप से ओणम के त्योहार के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा अन्य प्रमुख त्योहार भी हैं जिन्हें हम नीचे जानने वाले है –
ओणम केरल का सबसे महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय त्योहार है जिसे पूरे राज्य में बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बता दे ओणम एक फसल त्योहार है जिसे थिरुओनाम भी कहा जाता है और यह मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने की शुरुआत में मनाया जाता है जबकि अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार अगस्त-सितंबर में पड़ता है। केरल में ओणम दिवाली से बड़ा है, जो पूरे भारत में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। ओणम राज्य में उनके हर समुदाय, जाति, पंथ और वर्ग के लोगो के द्वारा बड़े हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान छोटे बड़ो का आश्रीवाद लेते है उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है, रिश्तेदार एक-दूसरे से मिलते हैं और केरल के प्रसिद्ध व्यंजनों की दावत का लुफ्त उठाते है। यदि आप केरल के प्रसिद्ध उत्सव में शामिल होना चाहते है तो आपको ओणम उत्सव के दौरान इस राज्य की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
केरल के लोकप्रिय उत्सव में से एक विशु केरल के लोगों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है जिसे ओणम के बाद राज्य का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है। यह त्यौहार मलयालम कैलेंडर के मेदाम महीने में जबकि अंग्रेजी कलेंडर में 14, 15, या 16 अप्रैल को पड़ता है। त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा विशुकानी है। केरल के अलावा, यह त्योहार पड़ोसी क्षेत्र जैसे मैंगलोर, तुलुनाडु और उडुपी में मनाया जाता है। विशु को आतिशबाजी और रोशनी के त्योहार के रूप में भी कहा जाता है क्योंकि उत्सव में पटाखे फोड़ना शामिल है। कहा जाता है कि आज के दिन ही भगवान् कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था।
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त्रिशूर पूरम केरल में सबसे बड़े मंदिर त्योहारों में से एक है जिसे त्रिशूर में वडक्कुनाथन मंदिर में मनाया जाता है। केरल के प्रसिद्ध त्योहार में शुमार यह एक ऐसा जीवंत त्योहार राज्य की समृद्ध संगीत विरासत को दर्शाता है जिसे लगभग 200 बर्षो से मनाया जाता आ रहा है। त्रिशूर पूरम का मुख्य आकर्षण भगवान् शिव की पूजा है जो लगभग 36 घंटे तक चलती है। इसके अलावा इस त्यौहार के दौरान अद्भुत आतिशबाजी और सुसज्जित हाथियों की परेड भी उत्सव में देखने को मिलती है। माना जाता है इस उत्सव में देश भर से 300,000 भी जाड्या लोग शामिल होते हैं जो अपने आप अद्वितीय है।
तिरुवातिरकली केरल में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार में से एक है जिसे दिसंबर या जनवरी के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव को समर्पित है इसीलिए यह दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए एकदम सही और बहुत ही शुभ है। भगवान शिव के सभी भक्त इस दिन भगवान के आशीर्वाद के लिए मंदिर में जाते हैं। जबकि इस दिन, महिलाएं स्नान करने के लिए सुबह 4 बजे उठती हैं और गाने गाती हैं जो कि प्रेम के देवता से संबंधित हैं और अपने हाथों से पानी छिड़क कर ताल का निर्माण करती हैं। अंत में, महिलाएं एक मंडली में खड़ी होती हैं और कामदेव की प्रशंसा में गीत गाती हैं।
केरल का बैकवाटर न केवल एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, बल्कि यह रोमांचकारी नौका दौड़ का स्थल भी है जिसे केरल के प्रमुख उत्सव में से एक माना गया है। बता दे शानदार बोट रेस जुलाई और सितंबर के बीच आयोजित की जाती है जिसमे भारतीय पर्यटकों के साथ साथ विदेशी पर्यटकों भी काफी भीड़ देखी जाती है। इस बोट रेस का महत्वपूर्ण और आकर्षक हिस्सा साँप की नाव है, जिसे चुंदन वल्लम कहा जाता है। दौड़ का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा नाव गीत है, जिसे वानचिपट्टू कहा जाता है। यह वेंचिपट्टू मलयालम भाषा में कविता का एक रूप है और इसे नाव दौड़ के दौरान सुनाया जाता है। यदि आप जुलाई और सितंबर के दौरान केरल की यात्रा पर जाने वाले है तो इस उत्सव में शामिल होना ना भूलें।
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थेयम के उत्तर मालाबार में लोकप्रिय त्योहारों में से एक है जिसे यहाँ बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बता दे यह यह त्यौहार लगभग 800 साल पुराना है जिसे आज भी उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार में भारत के विभिन्न हिस्सों से आये कलाकार नृत्य प्रदर्शन करते है जो मुख्य रूप से तिन चरणों में होते है –
पहला चरण : यह तब होता है जब सभी नर्तक अपने आप को रंगों, फूलों और मुखौटा के साथ कवर करते हैं;
दूसरा चरण: इस दौरान लोग अपने आपको यातनायें देते है जिसमें आग पर चलना या कटीले चीजों से अपने आपको मारना शामिल होता है।
तीसरा चरण : यह सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है जिसमे सभी नृतक एक ताल पर नृत्य करते है।
अट्टुकल पोंगाला केरल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अटुकल भगवती मंदिर में मनाया जाता है, जो कि तिरुवनंतपुरम में अटुकल में स्थित है। इस दौरान राज्य भर से महिलाएं मंदिर जाती हैं और अटुकल पोंगाला उत्सव में भाग लेती हैं। यह त्योहार सभी धर्म और जाति की महिलाओं को एक साथ लाता है। यह उत्सव गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी रिकॉर्ड रखता है जब 23 फरवरी, 1997 को एक साथ 1.5 मिलियन महिलाओं ने हिस्सा लिया था
यह त्योहार दस दिनों के लिए मनाया जाता है और सबसे महत्वपूर्ण दिन नौवां दिन होता है, जब राज्य भर से हजारों महिलाएं पीठासीन देवता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मंदिर जाती हैं। इस उत्सव की एक अनोखी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की केवल महिलाओं को इस उत्सव में भाग लेने की अनुमति होती है।
आमतौर पर मलयालम माह मीनम या मार्च और अप्रैल के महीने के बीच मनाया जाना वाला कोडुंगल्लूर भरणी उत्सवम या कोडुंगल्लूर भरणी केरल के प्रमुख त्यौहार में से एक है। इस उत्सव की मेजबानी कोडुंगल्लूर भगवती में की जाती है, जो त्रिशूर में राज्य के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है। तीन दिन तक चलने वाला यह उत्सव भद्रकाली की दारिका नामक एक दानव पर जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। उत्सव के उत्सव के दौरान, भक्त समूह में गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं और विभिन्न समुदायों के लोग मंदिर के पारंपरिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
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क्रिसमस केरल और पूरे भारत के प्रमुख त्यौहार में से एक है, जो ईसा मसीह के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है। क्रिसमस मुख्य रूप से 25 दिसंबर को मनाया जाता है जो बड़ों और बच्चों के लिए समान महत्व रखता है और विशेष रूप से सांता उपहार के लिए जाना जाता है। हर कोई अपने धर्म की परवाह किए बिना इस दिन की प्रतीक्षा करता है। इस दिन सभी चर्चो को प्रभु यीशु के जन्म का जश्न मनाने के लिए सजाया जाता है। इस दिन लोग खरीदारी करते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन तैयार करते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। इनके अलावा चर्चो को भी चमचमाती रोशनियों और फूलों से सजाया जाता है और ईसामसीह के जन्मदिन को धूमधाम से सिलेब्रेट किया जाता है।
मकरविलक्कु केरल का एक वार्षिक त्योहार है जिसे मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दक्षिण-भारतीय राज्य केरल के प्रमुख मंदिर सबरीमाला मंदिर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्यौहार का मुख्य आकर्षण भव्य तिरुवभरणम जुलूस है। मकरविलक्कु के शुभ दिन पर आशीर्वाद लेने के लिए दुनिया भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं। मकरविलक्कु उत्सव के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है पोन्नम्बलमेडु में दीप प्रज्ज्वलित करना जो पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाओं में सबरीमाला अयप्पन मंदिर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे स्वर्ण मंदिर की पहाड़ी के रूप में जाना जाता है यहाँ दीप प्रज्ज्वलित करना सबरीमाला में मकरविलक्कु के धार्मिक त्योहार का स्मरण कराता है।
अलापुझा के श्रीकृष्णस्वामी मंदिर में आयोजित अरट्टू उत्सव केरल राज्य में मनाये जाने वाले प्रसिद्ध उत्सव में से एक है। यह एक दस दिवसीय उत्सव है जो अथम के दिन के शुरू होता है और थिरुवोनम के दिन समाप्त होता है। त्योहार पर एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम दूसरे दिन से अंतिम दिन तक की जाने वाली वेलकली है जिसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक और श्रद्धालु शामिल होते है।
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इस लेख में आपने केरल में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बताएं।
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