Amarnath Cave In Hindi : अमरनाथ मंदिर या अमरनाथ गुफा भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे प्रमुख तीर्थ स्थान है जो भगवान शिव की प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक जाते हैं जिसे अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थित अमरनाथ गुफा को तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जिसकें बारे पौराणिक कथा है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य बताया था। आपको बता दें कि इस गुफा में देवी पार्वती शक्ति पीठ भी स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां पर माता सती का कंठ गिरा था।
यदि आप अमरनाथ मंदिर या अमरनाथ गुफा से जुड़े सभी रोचक तथ्यों के बारे में जानने की दिलचस्पी रखते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हम आपको अमरनाथ गुफा का इतिहास ,कहानी सहित अन्य जरूरी बातों को बताने वाले है –
अमरनाथ हिंदू धर्म के लोगों की तीर्थ यात्रा के लिए सबसे लोकप्रिय और धार्मिक स्थान है। यहां की यात्रा करने का अपना एक अलग महत्व हैं और इस पवित्र को लेकर कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां हैं। अमरनाथ गुफा के इतिहास की बात करें तो एक बार भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने उनसे यह सवाल किया कि वे मुंड की माला क्यों पहनते हैं, तो इसको लेकर भगवान शिव ने उन्हें जवाब दिया कि जिनती बार आपने जन्म लिया है उतने ही मुंड मैंने धारण करें हुए हैं। बताया जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाई थी और अपने अमर रहने का राज बताया था, इसलिए इस स्थान को अमरनाथ कहा जाता है।
इस कथा को सुनाते हुए भगवान शिव ने एक रूद्र भी बनाया जिसने इस गुफा को आग लगा दी थी कि कोई भी जीवित व्यक्ति इस कथा को नहीं उन पाए लेकिन एक कबूतर ने वहां अपने अंडे छिपा दिए थे और बाद में यह कबूतरों की जोड़ी में बदल गए। ऐसा बताया जाता है कि “अमर कथा” को सुनने के बाद वे कबूतर अमर हो गए थे। कई तीर्थ यात्रियों में इस पवित्र स्थान पर कबूतर देखने का दावा भी किया है।
और पढ़े: हरिद्वार में घूमने की जगह और दर्शनीय स्थल की जानकारी
अमरनाथ गुफा से एक और कहानी जुड़ी हुई है जो लगभग 700 साल पुरानी है। बता दें एक बार एक मुस्लिम गडरिया अपनी भेड़ चराते हुए काफी दूर निकल गया था। उस गडरिये का नाम बूटा मलिक था और वह स्वाभाव से बहुत ही विनम्र था। यहां ऊपर पहाड़ के पास उसे एक सदु मिले और उन्होंने बूटा को एक कोयले से भरी कांगड़ी दी। जब बूटा घर पहुंचा तो वो कांगड़ी कोहले की जगह सोने से भर है। बूटा अपनी खुशी को काबू में नहीं कर पाया और उस ऋषि को धन्यवाद देने के लिए उस जगह पर पहुंचा लेकिन उसे वो ऋषि तो नहीं मिले लेकिन अमरनाथ की गुफा दिखी।
अमरनाथ गुफा जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के पास 135 किलोमीटर की दूरी पर 13000 फीट की उंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भारत में सबसे ज्यादा धार्मिक महत्व रखने वाला तीर्थ स्थल है। इस पवित्र गुफा की उंचाई 19 मीटर, गहराई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। इस गुफा की सबसे खास बात यह है कि यहां बर्फ से नैसर्गिक शिवलिंग बनती है। यहां प्राकृतिक और चमत्कारिक रूप से शिव लिंग बनने की वजह से इसे बर्फानी बाबा या हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है।
और पढ़े: बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन की पूरी जानकारी
अमरनाथ गुफा की पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे तो इसे बताने के लिए वे देवी पार्वती को अमरनाथ गुफा में ले आये थे जिससे कि कोई इस कथा को न सुन पाए, क्योंकि अगर कोई यह कथा सुन लेता है तो वो अमर हो जाता है। जब शिव जी कथा सुना रहें होते हैं तो वहां पर कबूतर के जोड़े भी मौजूद होते हैं जो इस कथा को सुन लेते हैं और अमर हो जाते हैं। आपको बता दें कि अमरनाथ गुफा की यात्रा करने वाले कई तीर्थ यात्रियों ने यहां इन अमर कबूतरों को देखने का दावा भी किया है।
अमरनाथ गुफा की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मई से सितंबर के बीच है। गर्मियों के दौरान यहां का तापमान 9-34 डिग्री के बीच रहता है और इस समय यहां काफी हरियाली रहती है। बता दें कि गर्मियों का समय पर्यटकों के लिए पीक सीजन नहीं है। अमरनाथ गुफा की यात्रा हर साल जुलाई और अगस्त के समय शुरू होती है जो कि पर्यटकों के लिए एक आदर्श समय है। सर्दियों के दौरान यहां का तापमान -8 डिग्री तक गिर जाता है और ठंड को सहन करना मुश्किल हो जाता है।
और पढ़े: केदारनाथ मंदिर के दर्शन और यात्रा की पूरी जानकारी
अमरनाथ गुफा जाने के लिए दो रास्ते प्रमुख हैं। पहला पहलगाम से तो दूसरा बालटाल से। पहलगाम अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप है, जहां से यात्री अमरनाथ गुफा के लिए पैदल यात्रा शुरू करते हैं। अगर आप बाई रोड जा रहे हैं तो इसके लिए पहले आपको जम्मू तक जाना होगा, फिर जम्मू से श्रीनगर तक का सफर करना होगा। यहां से आप पहलगाम या बालटाल कहीं से भी यात्रा शुरू कर सकते हैं। यहां से अमरनाथ गुफा की दूरी करीब 91 किमी से 92 किमी है। अगर आप बस से अमरनाथ पहुंचना चाहते हैं तो दिल्ली से रैगलुर बस सर्विस अमरनाथ के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहती है।
अब बात करते हैं अमरनाथ यात्रा के रूट की। तो बता दें कि बालटाल रूट से अमरनाथ गुफा के बीच की दूरी मात्र 14 किमी है। लेकिन ये मार्ग काफी कठिन है क्योंकि यहां सीढिय़ां खड़ी हैं, इसलिए इस रास्ते को चुनना जरा कठिन साबित हो सकता है। वहीं अगर पहलगाम रूट से जाते हैं तो यहां से अमरनाथ गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगेंगे। यहां से गुफा की दूरी करीब 48 -50 किमी है। लेकिन ये अमरनाथ यात्रा का काफी पुराना रूट और इसी रास्ते से गुफा का रास्ता तय करना काफी आसान है।
और पढ़े: माता वैष्णो देवी की यात्रा की जानकारी
इस आर्टिकल में आपने अमरनाथ गुफा का इतिहास और कहानी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
और पढ़े:
Hills Station of Tamil Nadu In Hindi : तमिलनाडु भारत का एक खूबसूरत पर्यटक राज्य…
Ghaziabad in Hindi : गाजियाबाद उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो राष्ट्रीय…
Mumbai Zoo in Hindi : मुंबई जू मुंबई शहर के केंद्र में स्थित है जो…
Famous Forts Of Maharashtra in Hindi : महाराष्ट्र एक समृद्ध इतिहास वाला राज्य है जो…
Famous Lakes of Himachal Pradesh in Hindi : हिमाचल प्रदेश भारत का एक प्रमुख और…
Chintapurni Devi Temple in Hindi : चिन्तपूर्णी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के छोटे से…