Salkanpur Temple In Hindi, सलकनपुर मंदिर मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के पास सीहोर जिले के बिजासन माता को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो हर साल नवरात्री के दौरान भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। आपको बता दें कि सलकनपुर मंदिर भोपाल से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है, जहाँ पर गर्भ गृह में बीजासन माता की एक प्राकृतिक रूप से निर्मित एक मूर्ति है। यहां पर मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी और सरस्वती, और भैरव के मंदिर भी स्थित है। सलकनपुर वाली बिजासन माता का मंदिर 1000 फीट ऊँची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। पहले मंदिर तक जाने के लिए सिर्फ सीढियां ही बनी हुई थी जिनकी संख्या एक हजार भी ज्यादा है। अब मंदिर तक ऊपर पहुंचने के लिए वाहन मार्ग और रोपवे भी बना दिया गया है, जिसकी मदद से भक्त आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
अगर आप सलकनपुर वाली बिजासन माता मंदिर के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
आपको बता दें कि बिजासन माता के भक्त हमेशा से ही यह जानने में बेहद दिलचस्पी दिखाते हैं कि आखिर सलकनपुर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था ? ऐसा बताया जाता है कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण कुछ बंजारों द्वारा करवाया गया था। यह बात लगभग 300 साल से ज्यादा पुरानी है, जब एक बार पशुओं का व्यापार करने वाले बंजारे यहां पर रुके थे तो उनके पशू एक दम से गायब हो गए थे। फिर जब बंजारे अपने पशुओं को ढूँढने के लिए निकले तो उन्हें यहां पर एक छोटी लड़की मिली। जब बंजारों ने लड़की से कहा कि उनके पशु गम हो गए हैं तो उसने कहा कि यहां माता के स्थान पर मनोकामना मांग सकते हैं।
लेकिन बंजारों में कहा कि हम नहीं जानते कि यहां पर माता का स्थान कहाँ पर है। तब उस लड़की ने एक पत्थर फेक कर संकेत दिया। उसने जिस जगह पर पत्थर फेका था वहां पर माता के दर्शन हुए। इसके बाद बंजारों ने वहां माता की पूरा कि और कुछ समय के बाद उन्हें अपने गुमे हुए पशू मिल गए। अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद उन बंजारों ने यहां पर मंदिर बनवाया था। इस घटना की खबर जब लोगों को लगी तो यहां बहुत से लोग मन्नत मांगने के लिए आने लगे।
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सलकनपुर मंदिर होशंगाबाद से 35 किलोमीटर की दूर पर स्थित है। यहां पर नवरात्री के मौके पर दूर-दूर से पैदल चलकर लोग माता के दर्शन करने के लिए जाते हैं। नवरात्री में यहां एक ही दिन में लाखों भक्त मंदिर में आते हैं। हम आपको बता चुकें हैं कि यह मंदिर 1000 फीट की खड़ी पहाड़ी पर स्थित है जहाँ पर जाने के लिए सीढियां, रोपवे और वाहन मार्ग भी है। लेकिन इसके बाद भी कई भक्त पैदल सीढ़ियों से सलकनपुर वाली बिजासन माता के दर्शन करने के लिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि बिजासन माता के इस मंदिर में जो भी भक्त मनोकामना मानता है वो कभी खाली नहीं जाती। यहां पहाड़ी के ऊपर बिजासन माता अपने दिव्य रूप में विराजमान है।
विध्यांचल पर्वत विराजमान बिजासन माता को विध्यवासिनी देवी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के पुराणों के अनुसार बिजासन देवी पार्वती का अवतार हैं। जब देवी ने देवताओं की प्रार्थना पर भयंकर राक्षस रक्तबीज का वध किया था तो देवी का नाम बिजासन पड़ा था। आपको बता दें कि बिजासन देवी की पूजा कई लोग अपनी कुल देवी के रूप में भी करते हैं।
सलकनपुर मंदिर कुछ दशकों में बिजासन माता के भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है। आपको बता दें कि मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक खुला रहता है।
हम आपको बता चुकें हैं कि बिजासन माता का मंदिर सलकनपुर में 1000 फीट उंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध है। मंदिर तक सीढ़ियों से जाने में आपको काफी थकान हो सकती है और 1-2 घंटे का समय लग सकता है। रोपवे की मदद से आप 5 मिनट में मंदिर पहुंच जायेगे। रोपवे से सलकनपुर मंदिर जाने के लिए आपको प्रति व्यक्ति 100 रूपये देने होंगे जो बहुत ज्यादा नहीं है।
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आपको बता दें कि फरवरी के महीने में सलकनपुर में माघ मेला आयोजित किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां विजयासन दरबार में अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद जमाल चोटी उतारने के लिए और तुलादान करने के लिए शामिल होते हैं। सलकनपुर माघ मेला एक बहुत बड़ा पशु मेला है। इस मेले में बड़ी संख्या में पशु विक्रेता- क्रेता शामिल होते हैं। इसलिए इस मेले को पशुओं की बिक्री का मेला भी कहते हैं।
सलकनपुर की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा मौसम है। अक्टूबर से मार्च तक के महीने सलकनपुर यात्रा के लिए सबसे आदर्शसमय है। अगर आप सलकनपुर वाली मैया के मंदिर तक की यात्रा पैदल सीढ़ियों से जाना चाहते हैं तो आपको ग्रीष्मकाल में यात्रा करने से बचना चाहिए। बता दें कि साल में दो बार मानाये जाने वाले नवरात्री के समय मंदिर में भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा होती है। सलकनपुर बीजासन माता मंदिर में नौ शुभ दिनों तक मेले की तरह लगता है। मंदिर में पंचमी, अष्टमी और नवमी के दिन सबसे अधिक भीड़ देखी जाती है। अगर आप भीड़ से बचना चाहते हैं तो नवरात्रि के अलावा कभी भी सलकनपुर मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। आप सड़क या रोपवे के माध्यम से मंदिर तक पहुंचकर अपना समय बचा सकते हैं।
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सलकनपुर सड़क मार्ग द्वारा भारत सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सलकनपुर शहर के लिए नियमित रूप से बस सेवाएं भी आसानी से उपलब्ध है। हालांकि, सल्कनपुर के लिए कोई सीधी उड़ान या रेल संपर्क नहीं है। भोपाल में स्थित राजा भोज हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो सलकनपुर को शेष भारत से जोड़ता है। सलकनपुर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन भोपाल और होशंगाबाद में है।
सलकनपुर मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा भोपाल है। जो मुंबई, दिल्ली, इंदौर और भारत के अन्य सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप हवाई अड्डे से कैब किराये पर लेकर भी सलकनपुर पहुंच सकते हैं। लेकिन अगर आपका बजट कम है तो आप भोपाल से होशंगाबाद तक ट्रेन से सफ़र कर सकते हैं और यहां से बस से सलकनपुर पहुंच सकते हैं। भोपाल से सलकनपुर के लिए डायरेक्ट बस भी उपलब्ध हैं।
अगर आप सड़क मार्ग से सलकनपुर की यात्रा करना चाहते हैं तो आप होशंगाबाद तक ट्रेन से या सड़क मार्ग द्वारा यात्रा कर सकते हैं। इसके बाद होशंगाबाद से बस या किराये पर टैक्सी लेकर सलकनपुर पहुंच सकते हैं। होशंगाबाद से सलकनपुर की दूर मात्र 36 किलोमीटर है और यह शहर सड़क और रेल मार्ग द्वारा भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
अगर आप ट्रेन से सलकनपुर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दे कि यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन होशंगाबाद है, जो भारत के सभी शहरों से ट्रेन द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सलकनपुर के लिए विकल्प के तौर पर इटारसी जंक्शन भी है जहाँ भारत की लगभग हर ट्रेन का स्टॉप है। होशंगाबाद और इटारसी से आप सड़क मार्ग द्वारा सलकनपुर की यात्रा कर सकते हैं।
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इस लेख में आपने सलकनपुर मंदिर की यात्रा के बारे में जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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