Gangtok Tourism In Hindi : गंगटोक सिक्किम राज्य का सबसे बड़ा शहर है। गंगटोक पर्यटन स्थल बहुत ही आकर्षक, प्राकर्तिक और बादलों में लिपटी हुई ऐसी जगह है, जो यहाँ आने वाले पर्यटकों के दिल-दिमाग को ताजा कर देती है। बता दें कि सिक्किम की राजधानी गंगटोक आपको कंचनजंगा का शानदार दृश्य दिखाता है। गंगटोक सिक्किम राज्य का सबसे बड़ा शहर है जो पूर्वी हिमालय पर्वत माला पर शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर 1437 मीटर की ऊंचाई स्थित है। गंगटोक की घुमावदार पहाड़ी और सड़कें बहुत ही ज्याद आकर्षक है। गंगटोक की सबसे खास बात यह है कि यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा पर्वत की अद्भुद जगह है। गंगटोक में प्राकृतिक सुंदरता जैसी बहुत सी चीजें है और इसके मुख्य आकर्षणों में त्सोमो झील, बान झाकरी, ताशी व्यू पॉइंट के नाम शामिल है। गंगटोक उत्तरी भारत में व्हाइट वाटर राफ्टिंग के लिए तीसरा सबसे अच्छा स्थान है जो पर्यटकों को यहाँ आने के लिए मजबूर करता है।
अगर आप सिक्किम राज्य के बाकी जगह की तरह ही गंगटोक के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि इसके इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। गंगटोक 1840 में बौद्ध शिक्षाओं के एनची मठ के निर्माण के बाद यह एक छोटा तीर्थस्थल बन गया। गंगटोक ब्रिटिश आक्रमण के बाद एक प्रमुख शहर बन गया और फिर तिब्बत और ब्रिटिश-भारत के बीच व्यापार का प्रमुख केंद्र बन गया। गंगटोक की ज्यादातर सड़कों का निर्माण भी इसी समय हुआ था।
साल 1947 में भारत के स्वतंत्र होने बाद गंगटोक एक स्वतंत्र राजशाही बना रहा और इस पर राजा चोग्याल और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच एक राजशाही शासन का पालन करने के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किये गए। बता दें कि सिक्किम और गंगटोक पर लोकतांत्रिक शासन का पालन नहीं किया गया।
अगर आप गंगटोक घूमने के लिए जा रहे हैं तो यहाँ पर एक ऐसी जगह है जिसे आप कभी मिस नहीं करना चाहेंगे। हम बात कर रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय भारत-चीन सीमा की जिसको देखने के लिए आपको एक परमिट की जरूरत होती है। इस परमिट को आप गंगटोक जाने के बाद आसानी से हासिल कर सकते हैं। बता दें कि नाथुला पास- भारत-चीन सीमा पर सिर्फ भारतीय पर्यटकों को जाने की अनुमति होती है और विदेशियों को यहां जाने की अनुमति नहीं है। यह सीमा एक ऐसी जगह है जहाँ पर जाने के बाद आप भारतीय सैनिको के साथ चीन के सैनिक और उनके गुजरने वाले ट्रकों को भी देख सकते हैं।
गंगटोक घूमने के लिए भारत-चीन सीमा के रास्ते में त्सोंगमो झील भी देख सकते हैं जो बेहद आकर्षक है। भारत-चीन सीमा के रास्ते में एक और मंदिर है जिसको यहां के स्थानीय लोगों द्वारा बहुत पवित्र माना जाता है। भारत-चीन की इस सीमा तक पहुंचने के लिए आपको गंगटोक में टैक्सी स्टैंड से शेयर्ड टैक्सी और निजी टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।
एमजी रोड गंगटोक का दिल कहा जाता है। यह जगह आने वाले लोगो द्वारा बेहद पसंद की जाती है। बता दें कि एमजी रोड खूबसूरत राज्य की राजधानी का केंद्रीय शॉपिंग हब है, जिसमें कई तरह की दुकानें, रेस्तरां, और होटल हैं। यह जगह एक खुला मॉल या बुलेवार्ड स्क्वायर है जो इस क्षेत्र का व्यापक रूप से केंद्र माना जाता है और यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए खरीदारी करने के लिए बेहद खास जगह है। एमजी रोड में शोपिंग करने आने वाले लोग यहाँ पर आराम से टहल या बस ब्रेंचो पर बैठ सकते हैं और उदार परिवेश में इस शानदार जगह पर घूम भी सकते हैं। इस लगभग 1 किमी सड़क की सबसे खास बात यह है कि यहां पर सफाई और स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता है।
यह जगह धुएं, कूड़े और वाहनों के आवागमन से मुक्त है। इस जगह पर केवल पैदल यात्री ही आ सकते है और वाहनों को यहां अनुमति नहीं है। एमजी रोड के दोनों तरफ की इमारतों को सरकार की हरी पहल के अनुरूप हरे रंग में सजाया हुआ है। यह पर्यटक स्थल गंगटोक फूड एंड कल्चर फेस्टिवल के नाम से भी बहुत फेमस है। यह फेस्टिवल हर साल दिसंबर में आयोजित होता है।
ताशी व्यू पॉइंट मध्य गंगटोक से 8 किमी दूर स्थित ऐसी ऐसी शानदार जगह है जहाँ से यात्रियों को शानदार माउंट सनिलोच और माउंट कंचनजंगा का नज़ारा देखने को मिला है। बता दें कि इस जगह का निर्माण ताशी नामग्याल द्वारा किया गया था, जो 1914 और 1963 के बीच सिक्किम के राजा रहे थे, जिसकी वजह से इस जगह को उनका नाम मिला। ताशी व्यू पॉइंट सिक्किम के पर्यटन विभाग द्वारा विकसित किया गया है जो एक आदर्श स्थान पर स्थित है। इस जगह से आप यहाँ से बर्फ से ढके पहाड़ों के सुंदर नजारों को देख सकते हैं। ताशी व्यू पॉइंट स्थानीय लोगो के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों के लिए भी बेहद शानदार पिकनिक प्लेस है। ताशी व्यू पॉइंट यहां आने वाले पर्यटकों के लिए एक बेहद खास जगह है।
इस जगह से आप हिमालय पर्वत की खूबसूरती को देख सकते हैं। इस जगह के शांत वातावरण को देखने के अलावा आप फोडोंग मठ और लाबरंग मठ के दृश्य का भी मजा ले सकते हैं। ताशी व्यू पॉइंट यहाँ के स्थानीय लोगो के साथ ही आने वाले युवाओं और पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
हनुमान टोक गंगटोक का एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है जिसका नाम हनुमान जी के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर की देखभाल भारतीय सेना द्वारा की जाती है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर 7,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर है जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। इस जगह की सबसे खास बात यह है कि इस जगह पर कोई भी अपने वाहन लेकर जा सकता है और रस्ते पर तस्वीरें भी ले सकता है।
हनुमान टोक आने वाले पर्यटक इस जगह की सुंदरता का भरपूर आनंद लेते हैं। इस जगह सूर्योदय का नजारा बेहद ख़ास होता है इसलिए अगर आप सूर्योदय देखता चाहते हैं तो आप सुबह 5:00 बजे से पहले यहां पहुंच सकते हैं जो देखने के बाद आपको एक अलग एहसास होगा। हनुमान टोक की शांति आपके मन को बेहद आनंद पहुंचती है और इस मंदिर का वातावरण ध्यान लगाने के लिए एक खास स्थान बनाता है।
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सिक्किम राज्य में कई गर्म झरने हैं जो अपनी अलग-अलग विशेषताओं के चलते जाने-जाते हैं लेकिन रेशी हॉट स्प्रिंग एक ऐसा झरना है जो अपने स्थान और धार्मिक महत्व के कारण सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
बता दें कि रेशी में मौजूद गर्म पानी के झरने या चा-चू प्राचीन काल से शीतकालीन स्पा हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक और तीर्थयात्री एक सप्ताह या उससे भी ज्यादा दिनों तक इस हॉट स्प्रिंग्स में अपने आप को भिगोते हैं, जिसके पीछे कहा जाता है कि इस झरने में कई औषधीय गुण होते हैं। इस जगह पर पर्यटकों के रुकने और आराम करने के लिए या खाना पकाने के बर्तनों के साथ सस्ती कीमतों पर रात भर रहने के लिए अस्थायी झोपड़ियाँ भी मिल जाती हैं। इस जगह के पास ही सब्जी और कई रोजाना काम आने वाले वस्तुओं की छोटी दुकानें हैं।
जूलॉजिकल पार्क गंगटोक से 3 किमी दूर बुलबुली में स्थित है। यह जगह सभी वन्यजीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। 1780 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस जगह से माउंट खंगचेंदज़ोंगा का बेहद अद्भुद नजारा दिखाई देता है। हिमालयन जूलॉजिकल पार्क 1991 में स्थापित हुआ था जो भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। यह अपनी तरह का पहला है। इस पार्क में प्राणियों को नियमित परिस्थितियों में रखा जाता है, जो एक चिड़ियाघर की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
इस जगह पर प्राणियों की जरूरत पूरी करते हुए उन्हें सुरक्षित रखा जाता है। 205 हेक्टेयर भूमि पर फैले इस पार्क में कई तरह के जीव जंतु पाए जीते हैं जिनमे हिम तेंदुआ बिल्ली, लिंग, हिमालयन पाम सिवेट, हिमालयन लाल पांडा, हिमालयन मोनाल तीतर, क्रिमसन-सींग वाले तीतर, और हिमालयन काले भालू शामिल हैं। गंगटोक की यात्रा करने वाले पर्यटक जूलॉजिकल पार्क की सैर करके इस जगह के आसपास के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद सकते हैं।
बाबा हरभजन सिंह 4000 मीटर की ऊँचाई पर 64 किमी की दूरी पर नाथुला और जेलेपला दर्रे के बीच से गुजरने वाली सड़क पर स्थित एक ऐसा मंदिर है जो बाबा हरभजन सिंह की समाधि पर बना हुआ है। बताया जाता है कि 35 साल पहले पूर्वी सिक्किम में तुक्ला से लेकर देंग ढुकला तक के विभाजन के दौरान खच्चरों के एक झूंड नेतृत्व करते हुए सिपाही हरभजन सिंह लापता हो गए थे, इसके बाद उनकी खोज शुरू की गई। लेकिन तीन दिनों तक खोज करने के बाद सैनिको को उनकी बॉडी मिली। इसके बाद टुकड़ी के कई सैनिकों ने बताया कि बाबा उनके सपनों में आ रहे हैं और अपनी याद में एक मंदिर बनाने के लिए बोल रहे थे। जिसके बाद उनकी याद में ‘बाबा हरभजन सिंह स्मारक मंदिर’ बनवाया गया। यहाँ आने वाले पर्यटक और उनकी वर्दी पर चढ़ाने के बाद उनकी परिक्रमा करते हैं।
कंचनजंगा का नाम पूरी दुनिया में फेमस है जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊँचाई 8,586 मीटर है। राजसी कंचनजंगा दुनिया की सबसे अद्भुद पहाडो में से एक हैं। नेपाल, सिक्किम और तिब्बत से घिरे इस पहाड़ को 1955 में ढाला गया था। बता दें कि कंचनजंगा एक तिब्बती नाम है जिसका अर्थ है’ द हाई ट्रेजर्स ऑफ द हाई स्नो’। कंचनजंगा में बहुत सारे ट्रैकिंग मार्ग जो आपको कड़ी के जंगलों और शांत जगह पर ले जाते हैं। कंचनजंगा नाम का मतलब स्थानीय भाषा में “द फाइव ट्रेजर्स ऑफ स्नो” है, जो इसके पांच चोटियों से मिलकर बने हुए की वजह से है, जिसमे चार 8,450 से अधिक ऊंचे हैं। आप कंचनजंगा को दार्जिलिंग और गंगटोक से भी देख सकते हैं। इस जगह का आकर्षक दृश्य अपनी आँखों और दिमाग में हमेशा के लिए बस जायेगा।
गंगटोक में एक बेहद लोकप्रिय पर्यटक स्थल और भगवान गणेश का एक छोटा मंदिर है जिसको गणेश टोक कहते हैं। भगवान गणेश का यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को आसपास के सुंदर दृश्य मिलते हैं। कंचनजंगा पहाड़ी को यहाँ से अपने खास रूप में देखा जा सकता है और यह खास रूप से सुबह के समय बहुत बेहद अच्छी है। इस जगह से 6500 मीटर की दूरी पर व्यूपॉइंट स्थित है जो बर्फ से ढके पहाड़ों के शानदार दृश्यों को दिखाता है। गणेश टोक मंदिर हालांकि इतना छोटा है कि यह एक समय में केवल एक व्यक्ति को फिट कर सकता है। यह स्थान आपको अपने असली परिवेश और आरामदायक वातावरण के साथ प्रकृति के करीब ले जाता है।
रॉयल पैलेस के परिसर में स्थित त्सुक ला खंग मठ सिक्किम के पूर्व शाही परिवार के राजघराने है। यह 1898 ई में 9 वें राजा थेथुटोब नामग्याल के शासन में निर्मित हुआ था और स्थानीय बौद्धों के लिए पूजा करने की सबसे खास जगह है। इस दो मंजिला इमारत शास्त्रों का एक विस्तृत संग्रह भी है। इस मठ का उपयोग पहले ऐसे स्थल के रूप में किया जाता था, जहाँ सिक्किम राजघराने के विवाह और राज्याभिषेक किये जाते थे। त्सुक ला खंग मठ में प्रवेश करने के बाद आप सुंदर दीवारों पर देवताओं की छवियों के साथ बनी हुई भित्तियों और वेदियों से आकर्षित हो जायेंगे।
जैसा कि नाम से ही समझ आता है कि सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल्स में सात अलग-अलग झरने शामिल हैं जो एक विस्तृत बीहड़ चट्टान पर आजू-बाजू स्थित है, जो दूर से देखने में बहुत अलग-अलग दिखाई देते हैं। सेवेन सिस्टर्स वॉटरफॉल गंगटोक-लाचुंग राजमार्ग पर गंगटोक से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बारिश के समय यह झरना बहुत सुंदर दिखाई देता है जो यहां आने वाले पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। सेवन सिस्टर्स वॉटरफाल्स यहां आने पर्यटकों को यहाँ फोटोशूट करने के लिए मजबूर कर देता है। सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए एक आदर्श और लोकप्रिय पर्यटक स्थल है।
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पुष्प प्रदर्शनी केंद्र गंगटोक में स्थित है, सिक्किम के कई तरह के फूलों को एक ही जगह पर दिखाता है। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है। पुष्प प्रदर्शनी केंद्र एमजी मार्ग से पैदल दूरी परव्हाइट मेमोरियल हॉल के ठीक सामने और रिज पार्क के नीचे स्थित है। वैसे तो पूरे वर्ष में यहां कई तरह के फूलों को आप देख सकते हैं लेकिन अप्रैल से मई तक आयोजित होने वाले वार्षिक फूल शो को देखना आपके लिए बेहद यादगार साबित हो सकता है। इस शो में आप कई तरह के फूलों को देख पाएंगे। अगर आप गंगटोक की सैर करने आये हैं तो यह जगह एक बार जरुर देखने के लायक है। यहाँ के मुस्कुराते हुए फूलों को देखने के बाद पूरी तरह से तरोताजा हो जाएंगे और आपका दिन उज्ज्वल हो जाएगा।
सिक्किम के सबसे महत्वपूर्ण स्तूपों में से एक दो द्रुल चोर्टेन का निर्माण वर्ष 1945 में स्वर्गीय त्रुस्लेशी और रिम्पोछे के समय में हुआ था। बता दें कि इस स्तूप में लगभग 108 मणि लाहोर या प्रार्थना चक्र हैं। पहियों को महत्वपूर्ण मंत्रों के साथ उकेरा गया है, जिन्हें घुमाकर जाप किया जाता है। इस आकर्षक स्तूप की विलक्षण शांति और शांति ने सालों से पर्यटकों और भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है।
गंगटोक में भंजकरी झरना यहाँ आने पर्यटकों के लिए एक बहुत खास दर्शनीय स्थल है भंजकरी फाल्स दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जो गंगटोक से रंका मठ के रास्ते में 10-12 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। यह झरना लगभग 40 फीट की चट्टानी ऊंचाई से गिरता है और बहुत बल के साथ नीचे आता है। भंजकरी फाल्स के पास मौजूद एनर्जी पार्क पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस पार्क में पर्यटकों के रुकने की जगह के अलावा पर्यटकों के लिए स्विमिंग पूल भी मौजूद है।
गंगटोक की उत्तरी राजधानी से 17 किमी की दूरी पर स्थित काबी टाउन है जो 13 वीं शताब्दी की शुरुआत में सिक्किम इतिहास की दीक्षा के कारण एक ऐतिहासिक जगह मानी जाती है। कवी लोंग स्टॉक के आपस एक उत्तम बौद्ध मठ है जो बच्चों और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बौद्ध धर्म और उसकी मान्यताओं के बारे में जानने के लिए अच्छी जगह है। अद्भुत कहानियों वाला यह स्थान यहाँ आने वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
अगर आप गंगटोक की यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि इस आकर्षक शहर को घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से दिसंबर है, हालांकि इस हिल स्टेशन पर साल पर मौसम आनंदमय होता है। मार्च से लेकर जून के महीनों में गंगटोक में गर्मियों में एक सुखद जलवायु का अनुभव होता है जो दर्शनीय स्थलों की यात्रा के अच्छा समय है। अक्टूबर और फरवरी के बीच गंगटोक का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है इस दौरान गंगटोक एक अद्भुत आकर्षण लेता है जो आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद खास होता है। जुलाई और सितंबर के बीच यहां मानसून का मौसम होता है इसलिए इस समय यहां जाने से बचे क्योंकि भारी बारिश से आपको बहुत असुविधा हो सकती है।
गंगटोक शहर में आपको सस्ते होटलों से लेकर आलीशान रिसॉर्ट्स तक आसानी से मिल जायेंगे, जिन्हें आप ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम दोनों से बुक कर सकते हैं।
गंगटोक भारत में स्थित सिक्किम राज्य का का सबसे बड़ा शहर है। गंगटोक में अपने दर्शनीय स्थलों के लिए काफी फेमस है और यह हर साल आने वाले पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। अगर आप भी गंगटोक घूमने का प्लान बना रहे हैं और जानना चाहते हैं कि आप गंगटोक कैसे पहुँच सकते हैं तो नीचे दी गई जानकारी को अच्छी तरह पढ़ें।
अगर आप हवाई जहाज से गंगटोक जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इस शहर का अपना गंगटोक हवाई अड्डा नहीं है और इसलिए देश के बड़े शहरों से गंगटोक के लिए सीधी उड़ान संभव नहीं है। गंगटोक के सबसे पास का हवाई अड्डा पश्चिम बंगाल में स्थित बागडोगरा में है जो गंगटोक से 124 किमी दूरी पर स्थित है। इस हवाई अड्डे के लिए आपको देश के प्रमुख शहरों से फ्लाइट मिल जाएँगी। गंगटोक लिए आपको हवाई अड्डे से उपलब्ध हो जाएगी।
रेलवे द्वारा गंगटोक पहुँचने की पूरी जानकारी हमने यहाँ दी है। बता दें कि गंगटोक के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध नहीं हैं और इसका निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी में स्थित है जो गंगटोक से 117 किमी दूरी पर स्थित है। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन कोलकाता और नई दिल्ली दोनों प्रमुख शहरों के अलावा कई छोटे शहरों से भी जुड़ा हुआ है। शहर के किसी भी स्थान पर जाने के लिए रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
अगर आप अपनी पर्सनल कार से गंगटोक की यात्रा के लिए जाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजमार्ग 31 ए मार्ग के माध्यम से गंगटोक जाना सबसे सुविधाजनक रहेगा। सड़क मार्ग जाने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है कि आप जरूरत पड़ने पर कहीं भी रुक सकते है। सड़क से जाने वाले यात्रियों की मदद के लिए मार्ग के किनारे कई एटीएम, ईंधन पंप और भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
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