Paragliding In Bir Billing In Hindi : बीर उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थित एक छोटा सा शहर है। बीर बिलिंग साहसिक खेलों जैसे पैराग्लाइडिंग, ट्रेक और मैडिटेशन के शहर के रूप में काफी प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि बीर को पैराग्लाइडिंग के लिए दुनिया के सबसे अच्छे स्थानों में से एक माना जाता है और यह शहर हर साल वर्ल्ड पैराग्लाइडिंग चैम्पियनशिप की मेजबानी भी करता है। यहां पर पैराग्लाइडिंग के लिए टेक-ऑफ साइट को बिलिंग कहा जाता है और लैंडिंग साइट बीर है जिसकी कुल ऊंचाई परिवर्तन लगभग 800 मीटर है। पैराग्लाइडिंग के अलावा बीर शहर आध्यात्मिक अध्ययन और मैडिटेशन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है।
यहां पर मुख्य रूप से तिब्बती समुदाय बस्ती है और इसी वजह से बीर की संस्कृति तिब्बती संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित है। बीर पैराग्लाइडिंग के साथ अन्य साहसिक-खेल गतिविधियों का केंद्र है और यहां कई पैराग्लाइडिंग है। यह जगह हिमाचल प्रदेश के सबसे मनोरम मार्गों में से है, इसलिए यहां पर्यटक ट्रेकिंग के लिए भी जा सकते हैं। अगर आप बीर की यात्रा करने वाले है तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़े जिसमे हम बीर बिलिंग की यात्रा से जुड़ी जानकारी के बारे में बात करने वाले है –
बीर- बिलिंग मुख्य रूप से पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है जो हर साल भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। पैराग्लाइडिंग के लिए एक आदर्श जगह होने की वजह से मार्च से नवंबर तक के महीनों में हजारों पर्यटकों यहां पैराग्लाइडिंग के लिए आते हैं। इस जगह के खूबसूरत पहाड़, हरियाली, मौसम के साथ यहां का शांत वातावरण पैराग्लाइडिंग के लिए अनुकूल है। आपको बता दें कि पैराग्लाइडिंग की बीर टेक-ऑफ साइट है और बिलिंग, बीर लगभग 14 किमी की दूरी पर स्थित है, जो कि लैंडिंग साइट है। अगर आप पैराग्लाइडिंग के शौकीन है तो इस जगह पर जरुर जाएं। पैराग्लाइडिंग विश्व कप भारत में पहली बार साल 2015 में बीर-बिलिंग में हुआ था। बीर-बिलिंग अपने पैराग्लाइडिंग अनुभवों के लिए देश के लोगों के साथ-साथ साथ विदेशियों के साथ भी उतना ही प्रसिद्ध है।
बीर बिलिंग में पैराग्लाइडिंग की 30 मिनट की उड़ान के लिए 2,500 प्रति व्यक्ति लिए जाते हैं और यह भारत में पैराग्लाइडिंग के लिए सबसे सस्ती जगहों में से एक है। यहाँ कई स्थानों पर पैराग्लाइडिंग की पेशकश की जाती है, 10-15 मिनट की उड़ान के लिए 1,500 से 2,000 चार्ज किये जा सकते हैं।
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बीर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के नाते, अपने पर्यटकों के लिए खाने के कई विकल्पों को प्रस्तुत करता है। इस शहर में आप भारतीय और महाद्वीपीय भोजन दोनों का स्वाद ले सकते हैं, जो आपकी जेब भी भारी नहीं पड़ता। यह क्षेत्र एक प्रमुख तिब्बती बस्ती भी है। इसलिए, यहां का भोजन भी तिब्बती व्यंजनों से प्रभावित है और मोमोज जैसी लोकप्रिय चीजें यहां आसानी से उपलब्ध हैं। हिमाचली भोजन काफी सरल और साधारण है लेकिन इसमें कुछ विशिष्ट व्यंजन हैं, जो लगभग राज्य में हर जगह उपलब्ध हैं। हिमाचल के मुख्य भोजन में चपाती, दाल, सब्जी की ग्रेवी और दही शामिल है। यहां के पारंपरिक व्यंजनों में भटूरे, पटरोडु, वड़ा, सत्तू, जट्टू (लाल चावल) आदि भोजन शामिल है।
बीर बिलिंग की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के महीनों के दौरान यानी ग्रीष्मकाल का होता है। मानसून के मौसम में यहां भारी वर्षा होती है और भूस्खलन का खतरा हो सकता है और सर्दियां तापमान के साथ शून्य तक गिर सकता है। अक्टूबर और नवंबर शरद ऋतु और मार्च से मई तक पैराग्लाइडिंग के लिए आदर्श महीने हैं। बीर की यात्रा करने के लिए मार्च से जून तक और सितंबर के अंत से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा है।
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बीर बिलिंग पैराग्लाइडिंग के लिए बेहद लोकप्रिय है। अगर आप पैराग्लाइडिंग के अलावा यहां के पर्यटन स्थल की सैर करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए स्थलों की सैर कर सकते हैं, जो बीर के बेहद करीब स्थित हैं।
करेरी झील, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धर्मशाला के लगभग 9 किमी उत्तर पश्चिम में धौलाधार श्रेणी में स्थित एक उथली और ताज़ी पानी की झील है, जिसकी सतह समुद्र तल से 2934 मीटर ऊपर है। करेरी झील एक प्रमुख दर्शनीय स्थल होने के अलावा धौलाधार रेंज में एक बेहद लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल भी है। इस झील में पानी बर्फ पिघलने से मिलता है और यह झील कैफ उथली है इसमें पानी की दृश्यता बहुत अधिक है। हिमाचल प्रदेश की यात्रा करने वाले अधिकांश बैकपैकर्स ट्राइंड या इंद्रहार पास सर्किट ट्रेकिंग के लिए आते हैं, यह करारी झील के लिए एक छोटा ट्रेक है जो शानदार और शांत अनुभव देता है।
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ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पर्यटकों को सबसे ज्यादा प्रभावित करने और आध्यात्मिक रूप से ज्ञानवर्धक स्थलों में से एक है। इस मंदिर को कांगड़ा के सबसे प्रमुख मंदिरों को शामिल किया गया है क्योंकि यह भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है।
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कांगड़ा किला, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके में धर्मशाला शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला अपनी हजारों साल की भव्यता, आक्रमण, युद्ध, धन और विकास का बड़ा गवाह है। यह शक्तिशाली किला त्रिगर्त साम्राज्य की उत्पत्ति को बताता है जिसका उल्लेख महाभारत महाकाव्य में मिलता है। बता दें कि यह किला हिमालय का सबसे बड़ा और शायद भारत का सबसे पुराना किला है, जो ब्यास और उसकी सहायक नदियों की निचली घाटी पर स्थित है।इस किले के बारे में कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी था कि जब इस किले में अकल्पनीय धन रखा गया था जो इस किले के अंदर स्थित बृजेश्वरी मंदिर में बड़ी मूर्ति को चढ़ाया जाता था। इसी खजाने की वजह से इस किले पर कई बार हमला हुआ था।
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बैजनाथ मंदिर हिमाचल प्रदेश में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, और यहां भगवान शिव को ‘हीलिंग के देवता’ के रूप में पूजा जाता है। बैजनाथ या वैद्यनाथ भगवान शिव का एक अवतार है, और इस अवतार वे अपने भक्तों के सभी दुखों और पीड़ाओं को दूर करते हैं। यह मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है और इसको बेहद पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर के जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं जिससे कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। यह मंदिर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
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धौलाधार रेंज ट्रेक सबसे कांगड़ा के पास सबसे आकर्षक ट्रेक में से एक है। धौलाधार चोटी कांगड़ा में अधिक ऊंचाई वाले पूरे ट्रेक में दिखाई देती है। यह ट्रेक कांगड़ा के उत्तर में है और हिमालय की दक्षिणी बाहरी सीमा को कवर करता है। अगर आप कांगड़ा की यात्रा करने तो इस ट्रेक पर ट्रेकिंग के लिए जाएं क्योंकि यह ट्रेक आपको कई अदभुद दृश्य प्रदान करेगा।
ज्वालाजी मंदिर को ज्वालामुखी या ज्वाला देवी के नाम से भी जाना जाता है। ज्वालाजी मंदिर हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी और धर्मशाला से 56 किमी की दूरी पर स्थित है। ज्वालाजी मंदिर हिंदू देवी ज्वालामुखी को समर्पित है। कांगड़ा की घाटियों में, ज्वाला देवी मंदिर की नौ अनन्त ज्वालाएं जलती हैं, जो पूरे भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती हैं। मंदिर की नौ अनन्त ज्वालाओं में उनके निवास के कारण, उन्हें ज्वलंत देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसा अद्भुत मंदिर है जिसमें भगवान की कोई मूर्ति नहीं है। ऐसा माना जाता है कि देवी मंदिर की पवित्र लपटों में रहती हैं, जो बाहर से बिना ईंधन के दिन-रात चमत्कारिक रूप से जलती हैं।
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पालमपुर कांगड़ा के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जो देवदार के जंगलों और चाय के बागानों से घिरा हुआ है। पालमपुर शहर में कई नदियाँ बहती हैं और यह शहर पानी और हरियाली के अद्भुत संगम के लिए भी जाना-जाता है। राजसी धौलाधार रेंजों के बीच स्थित पालमपुर अपने चाय बागानों और चाय की अच्छी गुणवत्ता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पालमपुर को पहली बार अंग्रेजो द्वारा देखा गया था जिसके बाद इसे एक व्यापार और वाणिज्य के केंद्र के रूप में बदल दिया गया। इस शहर में स्थित विक्टोरियन शैली की हवेली और महल बेहद खूबसूरत नज़र आते हैं। अगर आप कांगड़ा की सैर करने के लिए जा रहे है तो पालमपुर जाना न भूलें।
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चामुंडा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित एक प्रचीन मंदिर और एक प्रमुख आकर्षक स्थल है। चामुंडा देवी मंदिर का निर्माण वर्ष 1762 में उमेद सिंह ने करवाया था। पाटीदार और लाहला के जंगल स्थित यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना हुआ है। बानेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में जाना जाता है। पहले इस जगह पर सिर्फ पत्थर के रास्ते कटे हुए थे, लेकिन अब इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 400 सीढ़ियों को चढ़कर जाना होगा। एक अन्य विकल्प के तौर पर आप चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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हिमाचल प्रदेश राज्य में धर्मशाला के पास स्थित मैकलोडगंज एक प्रमुख हिल स्टेशन है, जो ट्रेकर्स के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां की संस्कृति कुछ ब्रिटिश प्रभाव के साथ तिब्बती संस्कृति का सुंदर मिश्रण है। मैकलोडगंज को छोटे ल्हासा के रूप में भी जाना जाता है। मैकलोडगंज एक सुंदर शहर है जो तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के घर होने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, जो ऊपरी धर्मशाला के पास स्थित है। राजसी पहाड़ियों और हरियाली के बीच बसा मैकलोडगंज सांस्कृतिक रूप से एक प्रमुख तिब्बती प्रभाव से धन्य है, जिसका प्रमुख कारण यहां की तिब्बतियों की बस्तियां हैं।
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कांगड़ा संग्रहालय तिब्बती और बौद्ध कलाकृति के शानदार चमत्कार और उनके समृद्ध इतिहास को बताता है। यह धर्मशाला के बस स्टेशन के पास स्थित है। इस संग्रहालय में आप कई पुराने गहने, दुर्लभ सिक्के यादगार, पेंटिंग, मूर्तियां और मिट्टी के बर्तन जैसी चीज़ें देख सकते हैं।
परागपुर गाँव से 8 किमी दूर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण लिंगम है जो जमीनी स्तर पर स्थित है। यह मंदिर सुंदर मूर्तियों से सुशोभित और पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
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बीर जाने के लिए कोई सीधी उड़ान या रेल संपर्क नहीं है। आह्जू रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो केवल 3 किमी है। बीर का निकटतम ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन पठानकोट में है, जो 142.2 किमी है। जबकि गग्गल, धर्मशाला में कांगड़ा हवाई अड्डा, निकटतम हवाई अड्डा है, जो बीर से 67.6 किमी दूर है। पठानकोट रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है और धर्मशाला हवाई अड्डा दिल्ली और कुल्लू से जुड़ा है। पठानकोट से बीर तक पर्यटक टैक्सी या बस ले सकते हैं। बीर के करीब अन्य हवाई अड्डे चंडीगढ़ (290 किमी), अमृतसर हवाई अड्डे (260 किमी) और नई दिल्ली (520 किमी) में हैं।
अगर आप हवाई मार्ग से बीर बिलिंग जाना चाहते हैं तो बता दें कि इसका निकटतम हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है। जो बीर शहर से 67.6 किमी की दूरी पर स्थित है। गग्गल हवाई अड्डा देश के अधिकांश हवाई अड्डों के साथ हवाई अड्डा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से बीर जाने के लिए ऑटोरिक्शा, बसों, और टैक्सियों की मदद ले सकते हैं। सड़क माध्यम से गग्गल से बीर की दूरी तय करने में आपको लगभग 3 घंटे का समय लगेगा।
जो भी पर्यटक ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो उनके लिए बता दें बीर के लिए सीधी रेल कनेक्टिविटी नहीं है। निकटतम ब्रॉड गेज स्टेशन पठानकोट में है, जो 112.4 किमी दूर स्थित है जबकि निकटतम संकीर्ण गेज स्टेशन आहजू में है, जो बीर से मुश्किल से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। पठानकोट से अज्जू तक एक टॉय ट्रेन चलती है।
बीर शहर के लिए नियमित रूप से बस सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। दिन हो या रात, शिमला, धर्मशाला आदि स्थानों से आप बीर के लिए बस या टैक्सी भी ले सकते हैं।
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इस लेख में आपने बीर बिलिंग में पैराग्लाइडिंग और घूमने की जानकारी को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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