Madhyamaheshwar Temple In Hindi, मध्यमहेश्वर मंदिर उत्तराखंड में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो समुद्र तल से 3490 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि मंदिर की यात्रा काफी कठिन है, क्योंकि इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई चुनौतीपूर्ण रास्तों से होकर जाना होता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर है जिसको भारत के सबसे पुराने धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडव भगवान शिव का आशीर्वाद लेने यहां आये थे तो शिव ने यहां एक बैल का रूप धारण कर लिए था।
भले ही मध्यमहेश्वर मंदिर की ओर जाने वाला रास्ता बेहद कठिन है लेकिन इसके बाद भी भगवान शिव के इस मंदिर में पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ आती है। बता दें कि मंदिर के अंदर नागल के आकार की शिव लिंगम की एक और अर्द्धनारीश्वर (आधी शिव और आधी पार्वती की मूर्ति) के साथ रखी गई है। यह पवित्र मंदिर नवंबर से अप्रैल के महीनों के दौरान बंद रहता है, इस दौरान प्रार्थना ऊखीमठ में स्थानांतरित कर दी जाती है।
अगर आप मध्यमहेश्वर मंदिर के इतिहास और जाने के बारे में जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम आपको मध्यमहेश्वर मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
मध्यमहेश्वर मंदिर पंच केदार की कथा का एक अभिन्न हिस्सा है, जो पांडवों के प्रायश्चित के लिए एक मनोरम वर्णन है। महाकाव्य महाभारत युद्ध के दौरान उनके उनके चचेरे भाइयों, कौरवों और ब्राह्मणहत्य की हत्या के बाद भगवान कृष्ण की सलाह पर उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगने और मोक्ष प्राप्त करने का सोचा। कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान शिव पांडवों से नाराज थे इसलिए वे पांडवों नहीं मिलता चाहते थे जिसकी वजह से शिव ने एक बैल का रूप धारण कर लिया और हिमालय गढ़वाल क्षेत्र में छिप गए थे। लेकिन पांडव भी अपनी जिदद् के पक्के थे, वे उनके -पीछे केदार पहुंच गए। भगवान शंकर उनका संकल्प देखकर खुश हुए और उन्हें दर्शन दिए। शिव पंच केदार के पांच अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग रूप में प्रकट हुए थे।
शिव की भुजाएं तंगुनाथ में, मुख रूद्रनाथ में, नाभि मध्यमहेश्वर में और जटा कलपेश्वर में प्रकट हुई थी, इसी वजह से इन चार जगहों सहित केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है। मंदिर काले पत्थर और नाभि के आकार का शिव लिंगम से बना है। पंचमुखी मंदिरों में यात्रा करने के लिए मध्यमहेश्वर और रुद्रनाथ मंदिर सबसे कठिन तीर्थ स्थल हैं क्योंकि वहाँ पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को क्रमशः 30 किमी और 21 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बता दें कि इस मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली की है।
आपको बता दें कि मध्यमहेश्वर मंदिर की तीर्थ यात्रा बेहद कठिन हैं, यहाँ पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को बहुत ज्यादा पैदल चलना पड़ता है। आपको बता दें कि कठिन रास्ता होने के बाद भी भक्त शिव के इस मंदिर की यात्रा करने के लिए जाते हैं। तीर्थयात्रा और आत्मा-खोज करना मध्यमहेश्वर मंदिर की यात्रा करने के दो प्रमुख कारण हैं। आप मध्यमहेश्वर मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने के लिए भी यहाँ की यात्रा कर सहते हैं। बता दें कि यह मंदिर रिज के नीचे हरे-भरे घास के मैदान में स्थित है और उत्तराखंड के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है, यहाँ आने के बाद हर किसी को हल्का और ताजगी का एहसास होगा। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा किया गया था, इसलिए मध्यमहेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के बारे में और अधिक जानने और देवी-देवताओं की कहानियों में डूब जाने के लिए एक दम सही जगह है।
और पढ़े: देहरादून के प्रसिद्ध टपकेश्वर मंदिर के दर्शन की पूरी जानकारी
मध्यमहेश्वर अपने आप में एक मध्यम ट्रेक है, जो कि अनियाना(Uniana) से 21 किलोमीटर दूर है। पहाड़ियों के बीच स्थित मध्यमहेश्वर जाने के लिए अंतिम मोटर योग्य सड़क ऊखीमठ में है जो मंदिर से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से तीर्थ यात्रियों को मंदिर तक पहुंचने के लिए ट्रेकिंग की करनी होगी। पर्यटक यहां के आसपास के वातावरण का मजा लेते हुए बड़ी आसनी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
आपको बता दें कि मध्यमहेश्वर मंदिर अक्षय तृतीया अप्रैल / मई) के समय खुलता है और दीवाली (नवंबर) के बाद सर्दियों के समय बन हो जाता है।
मध्यमहेश्वर मंदिर सुबह 06:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक खुला रहता है।
अगर आप मध्यमहेश्वर मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छे समय के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि यह मंदिर एक छोटे से गाँव में स्थित है जहाँ पूरे साल सुखद मौसम रहता है। लेकिन सर्दियों के समय यहां पर काफी ज्यादा ठण्ड पड़ती है। मई और अक्टूबर के महीनों के बीच मध्यमहेश्वर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय है। मध्यमहेश्वर मंदिर नवंबर से अप्रैल तक बंद रहता है। इसलिए आपको यहां दिए गए समय पर ही मंदिर की यात्रा करना चाहिए।
और पढ़े: केदारनाथ मंदिर के दर्शन और यात्रा की पूरी जानकारी
मध्यमहेश्वर पहाड़ी इलाके में स्थित है जहां जाने के लिए कोई रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डा नहीं है। हालाँकि, मध्यमहेश्वर तक तीर्थ यात्री ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से पहुंच सकते हैं। क्योंकि यह इसका निकटतम रेलवे स्टेशन है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) से मद्महेश्वर भी पहुंच सकते हैं। हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से आप मध्यमहेश्वर के एक ऐसे बिंदु तक पहुँच सकते हैं जहाँ से उन्हें मंदिर जाने के लिए ट्रेकिंग करना होगा। ट्रेकिंग के माध्यम से मंदिर तक पहुंचने के दो संभावित रास्ते हैं, एक उखीमठ से है और वहां से उन्नाव गाँव तक, 21 किलोमीटर के ट्रेक से आप मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंच जायेंगे।
अगर आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि जॉली ग्रांट हवाई अड्डा मध्यमहेश्वर के लिए निकटतम एयरबेस है। यहाँ से मध्यमहेश्वर लगभग 244 किमी दूर स्थित है, कोई भी “यूनीना” के लिए टैक्सी किराए पर ले सकता है।
अगर आप सड़क मार्ग से मध्यमहेश्वर की यात्रा कर रहे हैं, तो राज्य के साथी निजी बस सेवाएं भी इसे पड़ोसी राज्यों और शहरों से जोडती हैं। दिल्ली से बस से मेरठ-हरिद्वार-ऋषिकेश- देवप्रयाग- श्रीनगर- रुद्रप्रयाग- उखीमठ के आप मध्यमहेश्वर तक पहुँच सकते हैं। इसके बाद आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए 21 किमी की ट्रेकिंग करना होगा।
मधयमहेश्वर गाँव का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो ऊखीमठ से 181 किमी दूर स्थित है। यहाँ से बस या टैक्सी लेकर उनिअना पहुँच सकते हैं और यहाँ से मंदिर के लिए ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं।
मध्यमहेश्वर एक बहुत ही छोटा स्थान है जहाँ सबसे अधिक रास्ता ट्रेक के माध्यम से है। उनिअना तक जाने के लिए आपको बस या टैक्सी मिल जाएगी। इसके अलावा यदि आप इस क्षेत्र को एक्सप्लोर करने के लिए टैक्सी किराये पर ले सकते हैं।
और पढ़े: यमुनोत्री धाम की यात्रा और इसके प्रमुख पर्यटन स्थल की जानकरी
इस आर्टिकल में आपने मध्यमहेश्वर की यात्रा से जुडी जानकारी को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
और पढ़े:
Featured Image Credit:
Hills Station of Tamil Nadu In Hindi : तमिलनाडु भारत का एक खूबसूरत पर्यटक राज्य…
Ghaziabad in Hindi : गाजियाबाद उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख शहर है जो राष्ट्रीय…
Mumbai Zoo in Hindi : मुंबई जू मुंबई शहर के केंद्र में स्थित है जो…
Famous Forts Of Maharashtra in Hindi : महाराष्ट्र एक समृद्ध इतिहास वाला राज्य है जो…
Famous Lakes of Himachal Pradesh in Hindi : हिमाचल प्रदेश भारत का एक प्रमुख और…
Chintapurni Devi Temple in Hindi : चिन्तपूर्णी देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य के छोटे से…