Lansdowne In Hindi : उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल पहाड़ियों के बीच स्थित लैंसडाउन एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिसको शायद बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते। समुद्र तल से 5670 फीट की ऊंचाई पर स्थित लैंसडाउन एक अछूता, प्राचीन शहर है जो शहर की भीड़- भाड़ से बिलकुल दूर है। लैंसडाउन को भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल रेजिमेंट के लिए घर के रूप में भी जाना-जाता है। लैंसडाउन की सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि यहां की स्थानीय आबादी 20,000 के आसपास है।
अगर आप इस आकर्षक शहर की यात्रा करने जायेंगे तो यहां की लगभग सभी इमारतें औपनिवेशिक काल की याद दिलाएंगी। इस पर्यटन स्थल का नाम लैंसडाउन भारत के वायसराय लॉर्ड लैन्सडाउन के नाम पर रखा गया है जो अपने चारों ओर से बर्फ से ढके पहाड़ों और हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ। लैंसडाउन माहौल बेहद प्राचीन है जो पूरे साल यहां आने पर्यटकों को अपने आकर्षण से लुभाता है।
लैंसडाउन उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में स्थित एक ऐसा शहर है जिसका इतिहास सांस्कृतिक रूप से ब्रिटिश काल से लाकर राज काल के समय तक प्रभावित है। पहले इस स्थान को ‘कालीकुंड के रूप में जाना-जाता था जिसका गढ़वाली में अर्थ काली पहाड़ी होता है। बाद में साल 1857 में इसका नाम बदलकर भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर रख दिया गया। अपने शासन के दौरान ब्रिटिश शासकों इस स्थान पर सशस्त्र बलों की गढ़वाल राइफल छावनी की स्थापना की थी और पहली बटालियन को अल्मोड़ा से लैंसडाउन स्थानांतरित किया। लैंसडाउन एक अछूती और शांत जगह थी जिसकी वजह से यह सैनिकों को छिपने के लिए एक खास जगह बन गई। लैंसडाउन शहर में सेंट्रल लैंसडाउन सबसे पुराने युद्ध संग्रहालयों में से एक है जो यहां के ऐतिहासिक प्रभावों को दिखाता है।
लैंसडाउन हिल्स स्टेशन एक ऐसा पर्यटन स्थल है जहाँ पर पर्यटकों के आकर्षण की एक बड़ी संख्या नहीं है, लेकिन जो भी लोग यहाँ आते हैं इस जगह को कभी नहीं भूल पाते। लैंसडाउन में सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल टिप-एन-टॉप (टिफिन टॉप के रूप में भी जाना जाता है) है, जो लैंसडाउन में एक पहाड़ी इलाका है और यह शिवालिक रेंज का एक लुभावनी मनोरम दृश्य दिखाता है। विशाल ओक और देवदार के जंगलों से घिरा यह हिलटॉप व्यू पॉइंट एक बहुत ही शानदार जगह है, जहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखा जा सकता है।
हिलटॉप से थोड़ी दूर भुल्ला ताल नाम की एक कृत्रिम झील है, जो यहां ताजी हवा में सांस लेने, बैठने और आराम करने के लिए बहुत अच्छी जगह है। भुल्ला ताल एक लोकप्रिय पक्षी-देखने का स्थान है, और यहाँ आप नाव की सवारी भी कर सकते हैं। अगर आप शहर के इतिहास के बारे में जानना और महसूस करना चाहते हैं तो आपको गढ़वाली मेस का दौरा करना आवश्यक है। लैंसडाउन की सबसे पुरानी मौजूदा ब्रिटिश इमारतों में से एक गढ़वाली मेस अब भारतीय सेना के अंडर में हैं और भारत के स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में यथार्थवादी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
अगर आप लैंसडाउन हिल्स स्टेशन के अन्य पर्यटन स्थलों को देखे के लिए जाना चाहते हैं तो बता दें कि सेंट मैरी चर्च, सेंट जॉन चर्च और गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल वॉर मेमोरियल यहां देखने की खास जगह है जो इतिहास प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है। लैंसडाउन अपने स्थानीय गढ़वाली व्यंजनों के लिए जाना जाता है, इसलिए आप यहां के व्यंजनों जैसे कि फानू, काफुली और कुलथ की दाल, अरसा और गुलगुला का सेवन करना न भूलें।
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लैंसडाउन उत्तराखंड का एक बहुत ही अच्छा पर्यटन स्थल है जो पर्यटकों के लिए एक एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। जो भी लोग भीड़-भाड़ से दूर एक शांति-पूर्ण यात्रा करना चाहते हैं वो लैंसडाउन की यात्रा करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि कई यात्री भीड़ से बचने के लिए ऋषिकेश के बजाय लैंसडाउन आते हैं। यह सुंदर जगह आपको ब्रिटिश काल की शांति और प्राचीनता का अनुभव कराती है।
लैंसडाउन हिल्स स्टेशन में खाने के सबसे अच्छी और सुविधाजनक कल्प होटल, लॉज और रिसॉर्ट होंगे क्योंकि यहां पर बहुत सारे रेस्तरां नहीं हैं। यहाँ पर आप चीनी, भारतीय, मुगलई, मारवाड़ी, गढ़वाली और साथ ही कॉन्टिनेंटल व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं। चीनी, तिब्बती के साथ-साथ मांसाहारी भोजन भी यहां मिल जाता है। इसके अलावा यहां पर उत्तराखंड के स्थानीय व्यंजन भाँग की खताई, कप्पा, सिसुनक साग, आलू के गुटके,रस और भी बहुत कुछ खाने को मिल जाता है।
लैंसडाउन एक ऐसा स्थान है जहाँ पर साल भर अच्छा मौसम रहता है। अक्टूबर – मार्च तक यहां पर सर्दियों का मौसम होता है जिसमें तापमान 0 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। अप्रैल – जून में गर्मियों के मौसम में अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जो कि यहां की यात्रा के लिए बेहद सुखद है। आप जुलाई-सितंबर यानी मानसून के महीनों में भी लैंसडाउन की यात्रा कर सकते हैं लेकिन इस समय शहर में भारी बर्षा होती है। शरद ऋतु के दौरान शरदोत्सव समारोह भी लैंसडाउन की यात्रा का अच्छा समय होता है।
लैंसडाउन भारत की राजधानी दिल्ली से 228 किमी दूर स्थित है जिसकी वजह से आप आसानी से लगभग 4 घंटे में बसों या कारों द्वारा रोडवेज के माध्यम से यहाँ पहुँच सकते हैं।
लैंसडाउन का सबसे पास का हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो दिल्ली और देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस हवाई अड्डे के बाहर से आप लैंसडाउन के लिए एक टैक्सी ले सकते हैं या आप देहरादून से लैंसडाउन के लिए सार्वजनिक बस की मदद से भी जा सकते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून – लैंसडाउन से 83 किलोमीटर
अगर आप बस से लैंसडाउन की यात्रा करना कहते हैं तो बता दें कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और आसपास के शहरों से लैंसडाउन जाने के लिए कई बसें उपलब्ध हैं। यदि आपको लैंसडाउन मिलती है तो तो आप कोटद्वार के लिए पकड़ सकते हैं और कोटद्वार से लैंसडाउन के लिए दूसरी बस ले सकते हैं।
ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों के लिए बता दें कि लैंसडाउन का निकटतम रेलवे स्टेशन कोटद्वार है, जो लैंसडौन से 40 किमी दूर है। कोटद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप लैंसडाउन के लिए कैब ले सकते हैं।
लैंसडाउन में घूमने के लिए किराए की टैक्सी लेना सबसे अच्छा है। वैकल्पिक रूप से आप स्थानीय बसों में भी यात्रा कर सकते हैं। जंगल सफारी और पैदल चलना लैंसडाउन को खोजने के कुछ खास तरीके हैं।
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