Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary In Hindi : कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान राज्य का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल और अभयारण्य है, जो राजसमंद जिले में 578 वर्ग किमी के कुल सतह क्षेत्र को कवर करता है। यह वन्यजीव अभयारण्य अरावली पर्वतमाला के पार उदयपुर, राजसमंद और पाली के कुछ हिस्सों को घेरता है। इस अभयारण्य में कुंभलगढ़ किला भी शामिल है और इसी किले के नाम पर इस क्षेत्र का नाम कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पड़ा है। कुम्भलगढ़ का यह पहाड़ी घना जंगल राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र से बिलकुल अलग है, जो यहां आने पर्यटकों को एक सुखद एहसास करवाता है।
इस पार्क का हरा भरा हिस्सा राजस्थान के दो अलग-अलग राजस्थान के दो हिस्सों मेवाड़ और मारवाड़ के बीच एक विभाजन रेखा का काम करता है। आपको बता दें कि आज जिस जगह पर यह अभयारण्य स्थित है वो जगह कभी शाही शिकार का मैदान था और 1971 में इसे एक अभयारण्य के रूप में बदल दिया गया था। यहां बहने वाली बनास नदी अभयारण्य की भी शोभा बढ़ाती है और इसके लिए पानी का एक प्राथमिक स्त्रोत भी है। अगर आप कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के बारे में और जानना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, इसमें हम कुम्भलगढ़ अभयारण्य के बारे में कई आवश्यक जानकारी देने जा रहे हैं।
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जानवरों की विभिन्न प्रजातियों का घर है जिसमें वुल्फ, तेंदुए, हरे, जैकाल, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा और जंगल बिल्ली जैसे जानवर प्राकृतिक निवास पाते हैं। यह राज्य का एक मात्र ऐसा अभयारण्य जहां पर वुल्फ को आप अपने प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। अभयारण्य लगभग 40 तरह के भेड़ियों का घर हैं। गर्मियों के मौसम में आप यहां पर भेड़ियों के झुंड को घूमते हुए आसानी से देख सकते हैं। यहां ठंडी बेरी झील के पास मगरमच्छ और जलपक्षी भी देखे जा सकते हैं। कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पक्षियों की भी उत्कृष्ट विविधता पाई जाती है जिनमें उल्लू, बुलबुल, मोर, कबूतर, ग्रे जंगल फाउल, पैराकेट्स, व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर और गोल्डन ओरिओल का नाम शामिल है। बता दें कि इन सभी को मिलाकर अभयारण्य में पक्षियों की कुल 200 से भी ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती है जिसकी वजह से यह जगह पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है।
कुंभलगढ़ अभयारण्य में कई प्रकार के वनस्पतियों का भी आनंद लिया जाता है जिनमें कई पेड़-पौधे और हर्बल गुण वाले औषधीय पौधे भी शामिल हैं। अभयारण्य में मुख्य रूप से ढोक, सालार, खैर जैसे हर्बल वनस्पतियों की विविधता देखी जाती है आप इन पेड़ पौधों के साथ पक्षियों और जानवरों के प्राकृतिक आवास का आनंद लेने के लिए एक कुंभलगढ़ अभयारण्य में सफारी की यात्रा भी कर सकते हैं। हर साल, कुम्भलगढ़ में पेड़ पोधों की प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए कई पर्यटक यहां आते हैं।
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कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में कुंभलगढ़ से ठंडी बेरी तक 15 किमी लंबी सफारी मार्ग सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। बता दें कि कुंभलगढ़ से ठंडी बेरी जाने और वापस आने में लगभग 3.5 घंटे का समय लगता है। इस अभयारण्य चार पहिया ड्राइव ट्रैक है। कुंभलगढ़ के कई होटल कोटड़ी, घनेराव, नारलाई और रणकपुर के आसपास के क्षेत्र में जीप या घोड़े की सफारी भी करवाते हैं। घोड़े की सफारी में कुंभलगढ़ से घनेराव तक ठंडी बेरी के रास्ते शामिल हैं जिसमें ठंडी बेरी से सुमेर, रणकपुर से ठंडी बेरी; और रूपनमाता से रणकपुर तक सफारी की जा सकती है। अगर आप इन रास्तों पर सफारी के लिए जा रहे हैं तो आप तेंदुए, भालू और सांभर को उनके प्राकृतिक आवास के रूप में देख सकते हैं, इसके साथ ही आप अभयारण्य के अंत में स्थित रणकपुर में जैन मंदिर को देखने के लिए भी जा सकते हैं।
सोमवार से शुक्रवार एंट्री फी 100 रूपये होती है और शनिवार और रविवार को 75 रूपये होती है।
कुंभलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी सुबह 7:00 बजे से शाम के 06:00 तक खुला रहता है।
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कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का पहाड़ी क्षेत्र ट्रेकिंग अभियानों के लिए आदर्श जगह है। इस अभयारण्य में जैन तीर्थंकरों तक जाने वाला प्राकृतिक रास्ता एक लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्ग है जो 3.7 किलोमीटर लंबा है। इसके अलावा अन्य लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्गों में कुंभलगढ़ से थंडी बेरी (14 किमी), रणकपुर से रणकपुर (15 किमी), रणकपुर से कुंभलगढ़ (25 किमी), रूपनगर से सुमेर (98 किमी), मालगढ़ से मग्गा (8 किमी),रणकपुर से ठंडी बेरी (15 किमी) और रूपनमाता से रणकपुर (30 किमी) के नाम शामिल है। प्रवेश शुल्क का भुगतान करते समय आपको प्राप्त होने वाला प्रवेश परमिट टिकट ट्रेकिंग करने के लिए एक मात्र अवश्यक दस्तावेज है।
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य घूमने जाने की योजना बना रहे हैं और यहां जाने के सबसे अच्छे समय के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि वैसे तो यह अभयारण्य पूरे साल खुला रहता है लेकिन अगर आप यहां के जानवरों को देखना चाहते हैं तो मार्च से लेकर दिसंबर तक के महीनों में यहां की यात्रा करें।
अभयारण्य की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए अभयारण्य में और इसके बाहर रहने के विकल्प मौजूद हैं। फॉरेस्ट रेस्ट हाउस थांडी बेरी, रणकपुर, सुमेर, सदरी और रूपनमाता में स्थित है। यहां सभी जगह पर दो से तीन कमरें 200-400 प्रति रात के हिसाब से मिल जाते हैं। रेस्ट हाउस में बुकिंग के लिए आप राजसमंद में सहायक वन संरक्षक, कुंभलगढ़ डब्ल्यूएलएस, डीएफओ वन्यजीव कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
कुम्भलगढ़ के होटलों में आप कई तरह के स्वादिष्ट राजस्थानी और बहु-व्यंजन थाली का स्वाद ले सकते हैं। इसके साथ ही अभयारण्य में भी भोजन खरीदने की सुविधा मौजूद है।
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अभयारण्य कुंभलगढ़ किले से 3 किलोमीटर की दूरी पर, राजसमंद से 48 किलोमीटर, नाथद्वारा से 51 किलोमीटर और उदयपुर शहर से 98 किमी की दूरी पर स्थित है। आपको बता दें कि यहां वन विभाग का कोई वाहन संचालित नहीं है इसलिए पर्यटकों को कुंभलगढ़ या केलवाड़ा से वाहन किराए पर लेना होगा। उदयपुर से अभयारण्य तक बस या निजी टैक्सी की मदद से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर हवाई अड्डा है, जो कुम्भलगढ़ से करीब 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के लिए आप बस, टैक्सी या कार किराए पर ले सकते हैं।
कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य उदयपुर शहर से 98 किमी की दूरी पर स्थित है। उदयपुर शहर तक सड़क मार्ग द्वारा आना आपके लिए बहुत आरामदायक साबित हो सकता है। क्योंकि यह शहर भारत के कई प्रमुख शहरों से रोड़ मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राजस्थान के सभी प्रमुख शहरों से कुम्भलगढ़ के लिए बसें आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा आप कार, टैक्सी या कैब किराए पर लेकर भी कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य पहुंच सकते हैं।
कुम्भलगढ़ में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है इसलिए कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य जाने के लिए आप फालना रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं, इसके साथ ही विकल्प के रूप में आपके पास उदयपुर रेलवे स्टेशन भी है। उदयपुर रेलवे स्टेशन के लिए आपको भारत के सभी प्रमुख शहरों से ट्रेन मिल जायेगी। रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद आप अभयारण्य टैक्सी, कैब या बस की मदद से पहुंच सकते हैं।
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इस आर्टिकल में आपने कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की ट्रिप से रिलेटेड इन्फोर्मेशन को डिटेल में जाना है, आपको हमारा ये आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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