Kalatop Khajjiar Sanctuary In Hindi : कलातोप खजियार अभयारण्य को कलातोप वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है जो हिमाचल प्रदेश के चंबल जिले में स्थित है और डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। कलातोप नाम का अर्थ ‘काली टोपी’ है, जो संभवतः अभयारण्य में सबसे ऊंची पहाड़ी पर घने काले वन को बताता है। कलातोप वनस्पति और जीवों में काफी समृद्ध है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करती है। कलातोप वन्यजीव अभ्यारण्य पर्यटकों के आकर्षण के प्रमुख स्थानों में से एक है। यह एक प्राकृतिक आवास है जो रावी नहीं के साथ आश्चर्यजनक सुंदरता को प्रदर्शित करता है।
यह अभ्यारण्य उन लोगों के लिए एक अच्छी जगह है जो अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताना चाहते हैं। अगर आप अपनी यात्रा को और भी ज्यादा खास बनाना चाहते हैं तो यहाँ हरियाली के बीच पिकनिक भी मना सकते हैं। जब भी आप डलहौजी के पर्यटन स्थलों की सैर करने के लिए जाएँ तो इस अभ्यारण्य को अपनी लिस्ट में सबसे ऊपर रखें। जो भी पर्यटक कलातोप वन्यजीव अभ्यारण्य की यात्रा करता है उसको अपनी यह यात्रा जीवन भर याद रहती है।
कलातोप खजियार अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों की विशाल विविधता पाई जाती है। अभ्यारण्य में पाए जाने वाले जीवों में काले भालू, हिमालयन ब्लैक मार्टन, जंगली बिल्लियाँ, हिरण, भौंकने वाले गोरल, तेंदुए, सीरो (बकरी-जैसे / मृग-जैसे स्तनपायी) आदि के नाम शामिल हैं। यह अभ्यारण्य पक्षी विज्ञानी के लिए स्वर्ग के सामान है। यहाँ पर एवियरी प्रजाति कई पक्षी जैसे यूरेशियन ज्यू, चेस्टनट बिल्ड थ्रश, तीतर, हिमालयन मोनाल , ब्लैकबर्ड, ग्रे-हेडेड कैनरी आदि पाए जाते हैं।
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बहुत सारे पर्यटक डलहौजी से कलातोप वन्यजीव अभयारण्य तक ट्रैकिंग करना पसंद करते हैं। अगर आप भी ट्रेकिंग करना चाहते हैं तो आरामदायक जूते पहने जिससे अपनी यात्रा मजेदार और सुखद हो।
अभयारण्य के शीर्ष पर गूढ़ सूर्यास्त के दृश्य और लुभावनी पीर पंजाल श्रृंखला के दृश्य को देखना पर्यटकों को बेहद आनंदित करता है।
आपको बता दें कि कलातोप खजियार अभयारण्य के अंदर एक छोटा सा एडवेंचर पार्क है, जो बच्चों के लिए कुछ मजेदार समय बिताने और खेलने के लिए एक अच्छी जगह है।
वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित एक छोटी सी कैंटीन है जहाँ पर आप कुछ स्थानीय स्नैक्स और चाय का आनंद लें सकते हैं। इस कैंटीन में पकोड़े, चाय और मैगी उपलब्ध है।
कलातोप खजियार अभयारण्य में परिसर के अंदर एक छोटा सा गेस्टहाउस है। जहाँ पर रुकना आपके लिए बेहद यादगार साबित हो सकता है। आपको बता दें कि बॉलीवुड फिल्म लुटेरा की शूटिंग में इस जगह को दिखाया गया है। अगर आप अपनी यात्रा के दौरान इस गेस्ट हाउस में रुकना चाहते हैं तो कम से कम 10 दिन पहले इसे बुक कर दें।
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कलातोप खजियार अभयारण्य की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक के ग्रीष्मकालीन महीने होने हैं। मानसून के महीनों में इस अभ्यारण्य की यात्रा करने में असहजता हो सकती है। सितंबर के बाद से यहाँ का मौसम बेहद सुखद होता है और प्रकृति की सुंदरता को देखना का सबसे अच्छा समय होता है।
कलातोप खजियार अभयारण्य डलहौजी का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो शहर 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप इस अभयारण्य के अलावा डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर करना चाहते हैं तो यहाँ दी गई जानकारी को जरुर पढ़ें।
चामुंडा देवी मंदिर देवी काली को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर देवी अंबिका ने मुंडा और चंदा नाम के राक्षसों का वध किया था। इस मंदिर में देवी को एक लाल कपड़े में लपेटकर रखा जाता है, यहां आने वाले पर्यटकों को देवी की मूर्ति को छूने नहीं दिया जाता। इस क्षेत्र में पर्यटकों को कई सुंदर दृश्य भी देखने को मिलते हैं।
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पंचपुला हरे देवदार के पेड़ों के आवरण से घिरा एक झरना है जो डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। पंचपुला वो जगह है जहां पर पाँच धाराएँ एक साथ आती हैं। पंचपुला की मुख्य धारा डलहौजी के आसपास की विभिन्न जगहों में पानी की पूर्ति करती है। यह जगह ट्रेकिंग और अपने खूबसूरत दृश्यों की वजह से जानी जाती है। पंचपुला के पास एक महान क्रांतिकारी सरदार अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के चाचा) की याद में एक समाधि (स्मारक) बनाई गई है, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी। मॉनसून के मौसम में इस जगह के प्राचीन पानी का सबसे अच्छा आनंद लिया जाता है, जब पानी गिरता तो यहां का वातावरण पर्यटकों को आनंदित कर देता है।
रॉक गार्डन डलहौजी में एक सुंदर उद्यान और एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। इस पार्क में पर्यटक आराम करने के अलावा, इस क्षेत्र में उपलब्ध कई साहसिक खेलों का भी मजा ले सकते हैं, जिनमें ज़िप लाइनिंग आदि शामिल हैं।
डैनकुंड पीक जिसे सिंगिंग हिल के नाम से भी जाना जाता है जो डलहौजी में समुद्र तल से 2755 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि यह डलहौज़ी में सबसे ऊँचा स्थान होने के कारण यहाँ से घाटियों और पहाड़ों के अद्भुत दृश्यों को देखा जा सकता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए शांत जगह स्वर्ग के सामान है। डलहौजी क्षेत्र में स्थित डैनकुंड सचमुच देखने लायक जगह है, जो अपनी खूबसूरत बर्फ से ढकी चोटियों और हरे-भरे वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। डैनकुंड पीक हर साल भारी संख्या में देश भर से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।
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खजियार डलहौजी के पास स्थित एक छोटा सा शहर है जिसको ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ या ‘भारत का स्विटज़रलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। 6,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित खजियार अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुरम्य परिदृश्य की वजह से डलहौजी के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। खजियार एक छोटी झील के साथ एक पठार है जो पर्यटकों की सबसे पसंदिता जगहों में से एक है। इस जगह होने वाले साहसिक खेल ज़ोरबिंग, ट्रेकिंग आदि पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
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बकरोटा हिल्स जिसे अपर बकरोटा के नाम से भी जाना जाता है, यह डलहौज़ी का सबसे ऊँचा इलाका है और यह बकरोटा वॉक नाम की एक सड़क का सर्किल है, जो खजियार की ओर जाती है। भले ही इस जगह पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन यहाँ टहलना और चारों तरफ के आकर्षक दृश्यों को देखना पर्यटकों की आँखों को बेहद आनंद देता है। आपको बता दें कि यह क्षेत्र चारों तरफ से देवदार के पेड़ों और हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
सच दर्रा एक पहाड़ी दर्रा जो पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के ऊपर 4500 मीटर की ऊँचाई से होकर जाता है और डलहौजी को चंबा और पांगी घाटियों से जोड़ता है। आपको बता दें कि डलहौजी से 150 किलोमीटर की दूरी पर यह मार्ग यह उत्तर भारत में पार करने के लिए सबसे कठिन मार्गों में से एक है। जो लोग एडवेंचर को पसंद करते हैं तो अक्सर सच पास (जब यह खुला होता है) का दौरा करते हैं और यहाँ से बाइक या कार चलाने का रोमांचक अनुभव लेते हैं। अगर आप इस मार्ग यात्रा करें तो जरा भी जोखिम न लें और अपने साथ एक अनुभवी ड्राईवर को लेकर जाएं। यह चंबा या पांगी घाटी तक पहुँचने के लिए लोगों का पसंदिता रास्ता है और डलहौजी से ट्रेकिंग के लिए एक प्रसिद्ध बिंदु है।
सुभाष बावली डलहौजी में गांधी चौक से 1 किमी दूर स्थित एक ऐसे जगह है जिसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया। सुभाष बावली एको अपने खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों, दूर-दूर तक फैले बर्फ के पहाड़ों दृश्यों और सुंदरता के लिए जाना जाता है। सुभाष बावली वो जगह है जहाँ पर सुभाष चंद्र बोस 1937 में स्वास्थ्य की खराबी के चलते आये थे और वो इस जगह पर 7 महीने तक रहे थे। इस जगह पर रह कर वे बिलकुल ठीक हो गए थेआपको बता दें कि यहाँ पर एक खूबसूरत झरना भी है जो हिमनदी धारा में बहता है।
गंजी पहाड़ी पठानकोट रोड पर डलहौजी शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक सुंदर पहाड़ी है। इस पहाड़ का नाम गंजी पहाड़ी इसकी खास विशेषता से लिया गया था क्योंकि इस पहाड़ी पर वनस्पतियों की पूर्ण अनुपस्थिति है। गंजी का मतलब होता है गंजापन। डलहौजी के पास स्थित होने की वजह से यह पहाड़ी एक पसंदीदा पिकनिक स्थल स्थल है। सर्दियों के दौरान यह इलाका मोटी बर्फ से ढक जाता है जो मनोरम द्रिह्या प्रस्तुत करता है।
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कलातोप वन्यजीव अभयारण्य के पास सबसे महत्वपूर्ण हिल स्टेशन और रिसॉर्ट शहर है, जो 8 किलोमीटर की दूरी पर है। आप डलहौजी से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं और करेलुन्नु सड़क की ओर या वन क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए चंबा / खजियार मार्ग पर जा सकते हैं। बता दें कि अभ्यारण्य के अंदर पार्किंग सुविधा भी मौजूद है। प्रवेश द्वार से पार्किंग तक की सड़क संकीर्ण और टूटी हुई है। बहुत से पर्यटक इस सड़क पर पैदल जाना ही पसंद करते हैं।
हवाई जहाज से डलहौजी पहुंचने के लिए कांगड़ा में गग्गल हवाई अड्डा इसका सबसे निकटतम घरेलू हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा शहर से 13 किमी दूर है और यहां से डलहौजी हिल स्टेशन तक पहुंचने के लिए टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप अन्य हवाई अड्डे चंडीगढ़ (255 किमी), अमृतसर (208 किमी) और जम्मू (200 किमी) के लिए भी उड़ान ले सकते हैं।
डलहौजी का सबसे निकटतम रेल स्टेशन पठानकोट है। जो इस पहाड़ी शहर से 80 किमी दूर स्थित है और भारत के विभिन्न शहरों, जैसे दिल्ली, मुंबई और अमृतसर से कई ट्रेनों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पठानकोट रेलवे स्टेशन से डलहौजी पहुंचने के लिए आपको बाहर से टैक्सियाँ मिल जायेंगी।
डलहौजी सड़क मार्ग की मदद से आसपास के प्रमुख शहरों और जगहों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राज्य बस सेवा और लक्जरी कोच डलहौजी को आसपास की सभी प्रमुख जगहों और शहरों से जोड़ते हैं। दिल्ली से डलहौजी के लिए रात भर लक्जरी बसें भी उपलब्ध हैं। इस मार्ग पर टैक्सी और निजी वाहन भी मिल जाते हैं।
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इस लेख में आपने कलातोप खजियार अभयारण्य घूमने की जानकारी और पर्यटन स्थल को जाना है आपको हमारा यह लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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