Kailash Mansarovar Yatra In Hindi : कैलाश मानसरोवर एक ऐसा पवित्र स्थान है जो अपने धार्मिक महत्त्व के लिए दुनिया भर में जाना-जाता है। बता दें कैलाश एक पर्वत है जो करीब 21,778 फीट लंबा है। हर साल भारी संख्या में लोग इस पर्वत की सुंदरता और भव्यता को देखने के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं। आपको बता दें कि कैलाश पर्वत तिब्बत के दक्षिण-पश्चिमी कोने में शक्तिशाली हिमालय पर्वतमाला के बीच स्थित है, जिसको दुनिया के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक माना जाता है।
इन सब के अलावा यह विशाल पर्वत ब्रम्हा पुत्र, गंगा, सिंधु और सतलुज सहित एशिया की चार शक्तिशाली का स्त्रोत भी है। कैलाश पर्वत का अपना एक अलग धार्मिक महत्व है जिसकी वजह से हर साल विभिन्न धर्मों के लोग यहां की यात्रा करते हैं। कैलाश मानसरोवर एक ऐसा धार्मिक स्थान है जो आपको अपनी यात्रा के दौरान खुद को जानने और बदलने का अवसर प्रदान करता है।
अगर आप भी कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को जरुर पढ़ें जिसमें हमने कैलाश मानसरोवर जाने की पूरी जानकारी दी है।
मानसरोवर झील के साथ कैलाश पर्वत का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। आपको बता दें कि मानसरोवर दो शब्दों से मिलकर बना है- जिसमें ‘मानस’ का अर्थ मन और ‘सरोवर’ का अर्थ है झील। हिंदू पौराणिक कथाओं की माने तो सबसे पहले मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा के दिमाग में बनाया गया था, जिसकी वजह से इसका नाम मानसरोवर पड़ा। हिंदू धर्म के अनुसार कैलाश पर्वत वह स्थान था जहां भगवान शिव निवास करते थे और इसलिए इस जगह को स्वर्ग के सामान माना जाता है। तिब्बती बौद्धों की मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत पर बुद्ध डेमचोक का निवास स्थान था जो सद्भाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह जैन धर्म के अनुसार माउंट कैलाश को माउंट अष्टपद भी कहा जाता है और इस जगह उनके धर्म के निर्माता ऋषभदेव ने जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्राप्त की थी।
मानसरोवर झील एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जो कैलाश पर्वत से 20,015 फीट की ऊंचाई पर 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बता दें कि यह झील पवित्रता का प्रतीक है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस झील में नहाने से इंसान को अपने जीवन में किये गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। झील के बारे में कहा जाता है कि इसका रंग बदलता रहता है। झील का रंग तटों के पास नीला होता है जो केंद्र में हरे रंग में बदल जाता है।
जो भी लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए आते हैं उन्हें अपनी इस यात्रा में दो काम करने होते हैं। यहां आने वाली तीर्थ यात्री कैलाश पर्वत की परिक्रमा करते हैं और अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यहां की मानसरोवर झील में डुबकी भी लगाते हैं। बता दें यात्री कैलाश पर्वत की यात्रा या तो पैदल चलकर या फिर 4500 सीसी लैंड क्रूजर, हेलीकॉप्टर और लक्जरी एसी बसों से पूरी कर सकते हैं। देश मंत्रालय के माध्यम से या नेपाल या तिब्बत में एक निजी दौरे के माध्यम से पहले से ही बुकिंग करवानी होती है। इस यात्रा को पूरा करने में करीब 10 से 30 दिनों का समय लगता है जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य जांच भी शामिल है जो दिल्ली में की जाती है।
आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा 1 मई 2021 और 26 सितंबर 2021 के बीच दो मार्गो से की जाएगी। कैलाश मानसरोवर की यात्रा एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लोकप्रिय तीर्थयात्रा है। इस जगह को स्वर्ग के सामान मन जाता है। हर इंसान को अपनी जिंदगी में कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए एक बार जरुर जाना चाहिए। जो भी इंसान इस जगह की यात्रा करता है वो अपने जीवन में एक नए अनुभव को हासिल करता है और दुनिया को एक नए रूप में देख पाता है।
कैलाश मानसरोवर जाने के लिए एक रास्ता लिपुलेख पास से होकर जाता है जो उत्तराखंड में स्थित है। यहां की यात्रा में ट्रेकिंग भी शामिल है जिसमें लगभग 1.6 लाख रूपये प्रति व्यक्ति लागत आती है। यहां ट्रेकिंग के लिए बैचों को तैयार किया जाता है जिसमें हर बैच में 60 तीर्थयात्रियों के साथ कुल 18 बैच होते।
आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा 24 दिनों में एक बैच द्वारा पूरी होती है। बता दें कि इसमें 3 दिन दिल्ली में होने वाले सभी तैयारी कार्यों में लग जाते हैं। इस यात्रा के रास्तों में आपको नारायण आश्रम, छियालेख घाटी, पाताल भुवनेश्वर के मार्ग भी शामिल है। छियालेख घाटी को ओम पर्वत के नाम से भी जाना जाता जिसका कारण है कि यहां पर ‘ओम’ के आकार में बर्फ का पहाड़ स्थित है।
कैलाश मानसरोवर के लिए दूसरा रास्ता नाथू ला दर्रे से होकर जाता है जो सिक्किम में स्थित हैं। यह मार्ग उन बुजुर्ग लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो ट्रेकिंग करने में असमर्थ हैं। इस मार्ग से यात्रा करने के लिए तीर्थ यात्रियों को 2 लाख रूपये प्रति व्यक्ति देने होते हैं। अगर आप इस साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि इस वर्ष के लिए तीर्थयात्रियों को 8 बैचों में बांटा जायेगा जिसमें से प्रत्येक बैच में 50 तीर्थयात्री शामिल होंगे।
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नाथू ला पास से होकर जाने वाले मार्ग से कैलाश मानसरोवर की यात्रा को पूरा करने में 21 दिन लगते हैं जिसमें दिल्ली में 3 दिन की तैयारी भी शामिल है।
आप नाथू ला पास से होकर जाने वाले रास्ते में तीर्थयात्रियों को हंगू झील और तिब्बती पठार सहित कई सुंदर जगह देखने को मिल सकती है।
कैलाश मानसरोवर के लिए दो रास्तों से यात्रा कर सकते हैं जिसमें से एक रास्ता एक रास्ता लिपुलेख पास से होकर जाता है जो उत्तराखंड में स्थित है और दूसरा रास्ता नाथू ला पास से होकर जाता है जो सिक्किम में है। अगर आप लिपुलेख पास वाले रस्ते से यात्रा करते हैं तो आपको प्रति व्यक्ति लगभग 1.6 लाख रूपये देने होंगे और अगर नाथू ला पास वाले मार्ग से यात्रा करते हैं तो लगभग 2 लाख रूपये प्रति व्यक्ति देने होंगे।
जब एक बार तीर्थ यात्री कठोर ट्रेक से गुजरने के बाद कैलाश पर्वत पर पहुँच जाते हैं तो उन्हें यहां पर्वत के शिखर पर या तो दक्षिण दिशा में या दक्षिण दिशा के विपरीत परिक्रमा करना होती है। इस परिक्रमा में जो यात्री अपने पैरों पर नहीं चल पाते उन्हें परिक्रमा को पूरा करने के लिए याक या पोनी किराये पर लेने का विकल्प भी प्रदान किया जाता है।
अगर आप कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं तो आपको मानसरोवर झील के अलावा अन्य बहुत सारे सुंदर और अनोखे स्थान देखने को मिलते है।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा का सबसे अच्छा समय गर्मियों और मानसून के मौसम के दौरान होता है जो मई से अक्टूबर तक रहता है। इन महीनों में यहाँ का तापमान 10 ° C से 15 ° C के बीच होता है। इस मौसम में आप बाहरी गतिविधियों, ट्रेकिंग, तीर्थयात्रा और आसपास के पर्यटक आकर्षणों की सैर करने का सबसे अच्छा समय होता है। यह मौसम सर्दियों के मौसम की तुलना में मौसम बेहतर होता है, लेकिन इस दौरान आपको कई बर्फीले मार्गों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए भारी ऊन ले जाने की सिफारिश की जाती है। तिब्बती बौद्ध त्योहार सागा दावा महोत्सव भी इस दौरान आयोजित किया जाता है।
आपको बता दें कि इस क्षेत्र में कोई बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थित नहीं है। इसका निकटतम हवाई अड्डा Ngari Gunsa हवाई अड्डा है, लेकिन यह केवल चीन और तिब्बत से जुड़ा हुआ है। अन्य निकटतम प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ, भारत में चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो भारत के सभी शहरों दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
भारत, चीन और नेपाल के कुछ शहरों से कैलाश मानसरोवर के लिए बसें उपलब्ध हैं। भारत सरकार कैलाश मानसरोवर के लिए नियमित पर्यटन का आयोजन करती है, लेकिन इसमें सीटों की संख्या सीमित होती है। कैलाश मानसरोवर केवल सड़क मार्गों से पहुँचा जा सकता है भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ के पास भारतीय सीमा, तिब्बत में शिगात्से, चीन में काशगर और नेपाल में सिमिकोट, हिलसा। इन सभी स्थानों से निजी बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप जीप सफारी या हेलीकाप्टर के माध्यम से भी कैलाश मानसरोवर पहुंच सकते हैं।
बता दें कि कैलाश मानसरोवर का अपना कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। कैलाश मानसरोवर पहुंचने के लिए आपको लखनऊ रेलवे के लिए ट्रेन लेनी होगी। यह स्टेशन मानसरोवर पहुंचने के लिए निकटतम स्टेशन है। यहां से आप अपनी आगे की यात्रा के लिए टैक्सी या कैब किराये पर ले सकते हैं। कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अन्य रेलवे स्टेशन कोटद्वार, ऋषिकेश, काठगोदाम, रामनगर और हरिद्वार जंक्शन हैं।
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