Jalore Tourism In Hindi, जालोर राजस्थान का एक जिला है जिसको प्राचीन समय में कभी जाबालिपुर के नाम से भी जानते थे। जालौर एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है जो अपने कई पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यह राजस्थान का एक प्रमुख धार्मिक स्थल भी है। यहां पर पर्यटक कई आकर्षक मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं और इसके अलावा कई प्राकृतिक पर्यटन स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। अपने कई ऐतिहासिक स्थलों के अलावा यह शहर अपने कई ग्रेनाइट खदानों के लिए प्रसिद्ध है।
अगर आप जालोर घूमने जाने का प्लान बना रहें हैं बता दें कि यहां पर देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां पर इतिहास प्रेमी जालौर किले की यात्रा कर सकते हैं और यहां एक 900 साल पहले बनाया गया मंदिर भी स्थित है जिसे सुंधा माता मंदिर कहते हैं। अगर आप जालोर घूमने की योजना बना रहें हैं या फिर इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम जालोर जाने की पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
जालोर के इतिहास की बात करें तो इस शहर को 8 वीं शताब्दी ईस्वी में स्थापित माना जाता है। इसे संत महर्षि जाबालि के सम्मान में जबलीपुर कहा जाता था। यह शहर जिस पहाड़ी पर स्थित है उसकी वजह से इस शहर को स्वर्णगिरी के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि गुर्जर प्रतिहारों, परमारों और चौहानों सहित कई शासकों ने शासन किया था। लेकिन बाद में दिल्ली के सुल्तान, अला-उद-दीन-खिलजी ने इस नष्ट कर दिया था और 4 शताब्दी के बाद 1704 में मारवाड़ के शासको ने इस शहर का गौरव वापस लौटाया।
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जालोर राजस्थान का एक प्रमुख जिला है जो कई आकर्षक पर्यटन स्थलों का केंद्र है। कोई भी अपने परिवार के लोगों और दोस्तों के साथ जालौर की यात्रा कर सकता है। अगर आप जालोर के साथ इसके पर्यटन स्थलों की यात्रा करने जा रहें हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़ें, यहां हम आपको जालोर के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं।
जालोर किला इस शहर का मुख्य आकर्षण है। यह किला वास्तुकला का एक प्रभावशाली नमूना है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण 8 वीं और 10 वीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह किला 336 मीटर की ऊँचाई पर एक खड़ी पहाड़ी से घिरा हुआ है जहां से शहर का शानदार दृश्य नजर आता है। यह किला परमार शासन के तहत मारू के 9 महलों में से एक था, जिसे सोनगीर या गोल्डन माउंट के नाम से भी जाना जाता था। यह किला जालोर वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है।
किले का प्रमुख आकर्षण ऊंची किलेनुमा दीवारें हैं और उन पर बने तोपों के गढ़ हैं। आपको बता दें कि जालौर किले में 4 बड़े द्वार हैं लेकिन पर्यटक एक ही तरफ से दो मील लंबी सर्पिणी चढ़ाई के बाद पहुंच सकते हैं। अगर आप जालोर शहर की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको इस किले अपनी सूची में अवश्य शामिल करना चाहिए।
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तोपखाना जालोर शहर के मध्य में स्थित है जो पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी है। यह तोपखाना कभी एक भव्य संस्कृत विद्यालय था जिसे राजा भोज ने 7 वीं और 8 वीं शताब्दी के बीच बनवाया था। राजा भोज एक बहुत बड़े संस्कृत के एक विद्वान थे और उन्होंने शिक्षा प्रदान करने के लिए अजमेर और धार में कई समान स्कूल बनाए हैं। देश के स्वतंत्र होने से पहले जब अधिकारियों इस स्कूल का इतेमाल गोला-बारूद के भंडारण के उपयोग किया था तो इसका नाम तोपखाना रख दिया गया था। आज भले ही इस स्कूल की इमारत काफी अस्त-व्यस्त हो चुकी है लेकिन इसके बाद भी यह आज भी काफी प्रभावशाली है।
तोपखाना की पत्थर की नक्काशी पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती हैं। यहां इसके दोनों तरफ दो मंदिर भी स्थित हैं लेकिन इन मंदिरों में कोई मूर्ति नहीं है। टोपेखाना की सबसे संरचना जमीन से 10 फ़ीट ऊपर बना एक कमरा है जहां जाने के लिए सीढ़ी लगाईं गई है। इस कमरे के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह स्कूल के प्रधानाध्यापक का निवास स्थान था। अगर कोई भी पर्यटक जालोर की यात्रा करने जा रहा है तो उसको इस ऐतिहासिक स्थल की यात्रा जरुर करनी चाहिए।
मलिक शाह मस्जिद जालोर किले के प्रमुख स्थलों में से एक है, जिसका निर्माण अला-उद-दीन-खिलजी के शासन द्वारा करवाया गया था। इस मस्जिद को बगदाद के सेलजुक सुल्तान मलिक शाह को सम्मानित करने के लिए किया गया था। मलिक शाह मस्जिद को अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो गुजरात में पाए गए भवनों से प्रेरित है।
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सराय मंदिर जालोर के प्रमुख मंदिरों में से एक है। आपको बता दें कि यह मंदिर जालोर मर कलशचल पहाड़ी पर 646 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महर्षि जाबालि के सम्मान में रावल रतन सिंह ने करवाया था। पौराणिक कथाओं अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने एक बार मंदिर में शरण ली थी। इस मंदिर तक जाने के लिए पर्यटकों को जालौर शहर से होकर गुजरना होगा और मंदिर तक पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी करनी होती है। जालोर की यात्रा दौरान सभी पर्यटकों को सराय मंदिर के दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए।
सुंधा माता मंदिर जालोर के प्रमुख मंदिरों में से एक है जो भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। सुंधा माता मंदिर समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर बना है। इस मंदिर में साल भर भक्तों की भीड़ रहती है। यह मंदिर एक पवित्र स्थल है जिसमें देवी चामुंडा देवी की मूर्ति है जो सफेद संगमरमर से बनी है। सुंधा माता मंदिर के स्तंभों का डिज़ाइन माउंट आबू में स्थित दिलवाड़ा मंदिर काफी मिलता है। इस मंदिर में ऐतिहासिक मूल्य के कुछ शिलालेख भी हैं। अगर आप राजस्थान के जालोर जिले की यात्रा करने के लिए जा रहें हैं तो सुंधा माता मंदिर के दर्शन के लिए अवश्य जाएं।
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जालोर वन्यजीव अभयारण्य भारत में एकमात्र प्राइवेट अभयारण्य है जो जालोर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह अभयारण्य जालोर शहर के पास जोधपुर से 130 किमी दूर स्थित है। जालोर वन्यजीव अभयारण्य एक दूरस्थ प्राकृतिक जंगल है जो 190 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। इस अभयारण्य में पर्यटक कई तरह के लुप्तप्राय जंगली जानवरों को देख सकते हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में रेगिस्तानी लोमड़ी, तेंदुआ, एशियाई-स्टेपी वाइल्डकाट, तौनी ईगल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा यहां पर नीले बैल, मृग और हिरणों के झुंड को जंगल में देखा जा कसता है।
जालौर वन्यजीव अभयारण्य में आप पैदल यात्रा कर सकते हैं या जीप सफारी की मदद से जंगल को एक्सप्लोर कर सकते हैं। वन अधिकारी प्रतिदिन दो सफारी संचालित करते हैं जो तीन घंटों की होती है। बर्ड वॉचर्स के लिए यह जगह बेहद खास है क्योंकि यहां पर पक्षियों की 200 विभिन्न प्रजातियों को देखा जा सकता है। अगर आप एक प्रकृति प्रेमी हैं तो जालोर वन्यजीव अभयारण्य की सैर अवश्य करें।
नीलकंठ महादेव मंदिर जालौर जिले की भाद्राजून तहसील में स्थित है। जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। गांव में प्रवेश करते समय आप इस मंदिर को देख सकते हैं। नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपनी उंची संरचना से यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद प्रभावित करता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां एक विधवा महिला ने एक शिवलिंग देखा था और इसके बाद वो नियमित रूप से इस शिवलिंग की पूजा करने लगी थी।
महिला के मजबूत विश्वास के परिवार के लोगों के इस शिवलिंग को कई बार दफ़नाने की कोशिश की, लेकिन यह शिवलिंग बाहर निकल जाता। इस तरह वहां पर रेत का एक विशाल टीला उभर आया। शिवलिंग के इस चमत्कार को देखकर मंदिर की स्थापना की गई थी। यह मंदिर बहुत पुराना है और इस मंदिर में बारिश के मौसम और शिवरात्रि के दौरान भक्तों की काफी भीड़ आती है। अगर आप जालौर की यात्रा शिवरात्रि के समय कर रहें हैं तो मंदिर में दर्शन के जरुर जाएं।
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अगर आप जालोर घूमने के बारे में विचार कर रहे हैं तो बता दें की यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। सर्दियों का मौसम इस शहर की यात्रा करना एक अनुकूल समय है। रेगिस्तानी क्षेत्र होने की वजह से राजस्थान गर्मियों में बेहद गर्म होता है जिसकी वजह से इस मौसम में यात्रा करने से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में यहां की यात्रा करना सही नहीं है क्योंकि ज्यादा बारिश आपकी यात्रा का मजा किरकिरा कर सकती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में जालोर की यात्रा करना सबसे अच्छा रहेगा।
अगर आप जालोर के प्रसिद्ध भोजन के बारे में जानना चाहते हैं तो बता दें कि यहां पर भोजन के कई विकल्प उपलब्ध हैं। जनता स्वीट्स होम यहां खाने के लिए बहुत अच्छी जगह है। यह खासकर अपनी प्याज़ कचौरी, विशेष घेवर और धुध जलेबी के लिए प्रसिद्ध है। प्याज कचौरी खाने के बाद आप इसे बार- बार खाना चाहेंगे। जनता स्वीट होम खाने के लिए बहुत साफ और स्वच्छ स्थान है। इसके अलावा आप यहां पर गुलाबजामुन, रसमलाई, लड्डू और विशेष मारवाड़ी कुल्फी कैंडी आइसक्रीम का स्वाद भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप जलौर की अन्य जगहों पर भी भोजन का स्वाद ले सकते हैं।
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जालौर के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों से यात्रा कर सकते हैं। आपको बता दें कि जालोर का निकटतम हवाई अड्डा 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जोधपुर में हैं जो मुंबई, दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख महानगरों से दैनिक उड़ानों के साथ जुड़ा हुआ है। सड़क द्वारा जालोर की यात्रा करने वाले पर्यटक जोधपुर, जयपुर, अजमेर, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई जैसे शहरों से आसानी से इस पर्यटन शहर तक पहुँच सकते हैं। ट्रेन से यात्रा करने वाले लोग जालोर रेलवे स्टेशन के लिए जोधपुर डिवीजन नेटवर्क, मुंबई और गुजरात से ट्रेन पकड़ सकते हैं।
जालोर रेलवे स्टेशन उत्तर पश्चिम रेलवे लाइन पर पड़ता है। समदड़ी-भिलडी शाखा लाइन जालोर और भीनमाल शहरों को जोड़ती है। इस जिले में 15 रेलवे स्टेशन हैं। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जालोर के लिए रोजाना कई ट्रेन उपलब्ध हैं।
अगर आप सड़क मार्ग से जालोर के लिए यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि राजमार्ग संख्या 15 (भटिंडा-कांडला राजमार्ग) इस जिले से गुजरता है। यहां के लिए अन्य शहरों से कोई बस मार्ग उपलब्ध नहीं हैं। जालोर का निकटतम बस डिपो भीनमाल में है जो लगभग 54 किमी दूर है
जालोर का निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर हवाई अड्डा (JDH), जोधपुर है जो लगभग 137 किलोमीटर दूर है और डबोक हवाई अड्डा में उदयपुर लगभग 142 किमी दूर है। इसके अलवा जालोर शहर से लगभग 35 किमी की दूरी पर नून गांव में एक हवाई पट्टी भी उपलब्ध है। जोधपुर हवाई अड्डे से जयपुर, दिल्ली, मुंबई और अन्य महानगरों के लिए सीधी उड़ानें हैं।
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इस आर्टिकल में आपने जालोर के प्रमुख पर्यटक स्थलों को जाना है आपको हमारा यह आर्टिकल केसा लगा हमे कमेंट्स में जरूर बतायें।
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