Jai Vilas Palace In Hindi ; जय विलास पैलेस भारत के मध्य प्रदेश राज्य के खूबसूरत शहर ग्वालियर में स्थित हैं। जय विलास महल अपने विशाल दरबार हॉल के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। ग्वालियर में स्थित इस भव्य और ऐतिहासिक महल का आकर्षण देखते ही बनता हैं जोकि ग्वालियर की खूबसूरती और पर्यटन को ऊँचाइयों तक ले जा रहा हैं। जय विलास पैलेस ग्वालियर में घूमने वाली बेहद ही खास जगह हैं जहां पर्यटक बहुत अधिक संख्या में आते हैं और इस ऐतिहासिक विरासत सुंदरता का लुत्फ़ उठाते हैं। जयविलास पैलेस ग्वालियर में फोटो गैलरी और आर्ट गैलरी में 5000 से अधिक पुस्तके रखी हुई है।
यदि आप जय विलास महल के इतिहास, वास्तुकला के अलावा अन्य रोचक बातो के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े –
जय विलास महल 19 वीं शताब्दी का हैं जोकि सन 1874 में किंग एडवर्ड के आगमन के दौरान ग्वालियर के महाराजा श्रीमंत जयजीराव सिंधिया अलीजाह बहादुर के द्वारा निर्मित करबाया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जय विलास पैलेस का मुख्य भाग पर्यटकों के लिए सन 1964 में खोला गया था। जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय का एक अहम हिस्सा आज भी पूर्व शाही मराठा सिंधिया राजवंश के वंशजों के निवास स्थान के रूप में जाना जाता हैं। बाद में जय विलास पैलेस के एक अहम हिस्से को राजमाता विजयाराजे सिंधिया के आदेशानुसार एक भव्य संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया था।
इस संग्रहालय का निर्माण उन्होंने ने अपने पति जीवाजीराव सिंधिया के स्मृति को सम्मानित करने के लिए करबाया था। जय विलास महल के निर्माण में 12 साल का समय लग गया था।
जय विलास महल यूरोपीय वास्तुकला का खूबसूरत नमूना प्रस्तुत करता हैं। जय विलास पैलेस को सर माइकल फिलोस ने डिजाइन और निर्मित किया है। महल की वास्तुकला पर गौर फरमाए तो इसकी वास्तुकला शैलियों में एक खूबसूरत संयोजन देखने को मिलता हैं। विलास पैलेस की पहली मंजिल टस्कन, दूसरी इतालवी-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन शैली में हैं। महल के दरबार हॉल के अंदरूनी हिस्से को गिल्ट और सोने के सामान से सुसजित किया गया है, जहां एक विशाल कालीन देखने को मिलती हैं। जिसकी लम्बाई 100 फीट, चौड़ाई 50 फीट, ऊंचाई 41 फीट हैं। इसके अलावा जय विलास पैलेस के आर्किटेक्चर में महल में 400 कमरे बने हुए जोकि इतालवी संगमरमर के फर्श से निर्मित हैं, भव्य फ़ारसी कालीन, अलंकृत सामान और दूर दुनिया से एकत्रित की गई दुर्लभ प्राचीन वस्तुएँ आदि शामिल हैं।
दरबार हाल के अलावा एक विशाल बैंक्वेट हॉल भी महल में स्थित है जिसमें एक लम्बी डाइनिंग टेबल प्रमुख आकर्षण है। डाइनिंग टेबल पर चलने वाली एक चांदी के ट्रेन इसका प्रमुख आकर्षण हैं। म्यूजियम के कमरों को खूबसूरत वस्तुओं और कलाकृतियों से सजाया गया है। जय पैलेस के इनडोर में एक स्विमिंग पूल है जोकि शाही घराने की महिलाओं के लिए निर्मित करबाया गया था।
जय विलास किले में एच एच जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय का निर्माण महाराजा जीवाजीराव सिंधिया की याद किया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 35 कमरों वाले जय विलास पैलेस के एक हिस्से को राजमाता श्रीमन विजयराजे सिंधिया ने संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया है। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा 12 दिसंबर 1964 को एच एच महाराजा सर जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय का उद्घाटन किया गया था।
जय विलास पैलेस का क्षेत्रफल 12,40,771 वर्ग फुट है और यह अपने बड़े दरबार हॉल के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
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जय विलास पैलेस 1 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित किया गया था।
जय विलास पैलेस ग्वालियर खुलने और बंद होने की टाइमिंग्स सुबह 10 से शाम के 4:30 बजे तक हैं।
जय विलास पैलेस घूमने जाने का समय पहले से तय करे क्योंकि कभी-कभी जय विलास महल को शाही सभा के लिए भी बंद रखा जा सकता हैं।
पीने के लिए पानी की व्यवस्था साथ में रखे क्योंकि पैलेस के बाहरी मैदान में पीने के पानी की व्यवस्था नही हैं।
जय विलास पैलेस या महल ग्वालियर की शान का जीता जागता उदहारण हैं लेकिन ग्वालियर के जय विलास पैलेस के अलावा भी यह कई खूबसूरत स्थान हैं, जहां पर्यटक घूमने के लिए जा सकते हैं।
ग्वालियर का किला पूरे दक्षिण भारत का एक अभेद किला है। इस किले का निर्माण दो भागो में किया गया था। जोकि दो अलग अलग समय अवधि के दौरान हुआ था। ग्वालियर किले की सुन्दरता और विशालता का वर्णन शब्दों में करना कठिन हैं। इस किले में मन मंदिर, गुजरी महल, पानी के टैंक, कर्ण, जहागीर आदि है। ग्वालियर आने वाले पर्यटकों को एक बार इस किले में जरूर घूमने जाना चाहिए।
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जय विलास पैलेस की यात्रा के दौरान ग्वालियर में घूमने की दर्शनीय जगह तेली का मंदिर हैं जोकि पर्यटकों द्वारा बहुत अधिक संख्या में घूमा जाता हैं। इस मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में किया गया था और यह ग्वालियर की सबसे बड़ी ईमारत हैं। जिसकी ऊंचाई 100 फिट हैं। यह शानदार भव्य मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए पूरे भारत वर्ष में प्रसिद्ध है।
जय विलास पर्यटन के दौरान ग्वालियर में देखने लायक जगहों में तानसेन का मकबरा भी शामिल हैं। यह मकबरा भारत के प्रसिद्ध संगीतकार और सम्राट अकबर के दरबार के प्रमुख गायक तानसेन का हैं। जोकि अकबर के दरबार के नो रत्नों में से एक हैं। माना जाता है कि ग्वालियर का यह प्रसिद्ध संगीतकार अपने संगीत के जादू से बारिश करा देता था और जानवरों को अपने संगीत से मन्त्र मुग्ध कर देता था।
जय विलास पैलेस घूमने के दौरान ग्वालियर में घूमने लायक स्थानो में शामिल गुजरी महल मान सिंह द्वारा अपनी सबसे प्रिय पत्नी मृगनयनी के लिए 15वीं शताब्दी के दौरान बनबाया गया था। यह महल अब खंडरों में तब्दील होता जा रहा हैं। महल में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी बना हुआ है।
ग्वालियर का प्रसिद्ध सास बहु मंदिर जय विलास पैलेस की यात्रा के दौरान पर्यटकों द्वारा अधिक संख्या में देखा जाता हैं। सास बहू मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में किया गया था। ग्वालियर का सास बहु मंदिर यहा आने वाले पर्यटकों और भक्तो को बहुत अधिक आकर्षित करता हैं। मंदिर के नाम सास-बहू का अभिप्राय भगवान विष्णु के एक अन्य नाम शास्त्री बहू का संक्षिप्त रूप है।
ग्वालियर में स्थित 16 वीं शताब्दी के दौरान निर्मित किया गया यह मकबरा राजकुमार मोहम्मद गौस सुफी की कब्र अब हजीरा शहर में स्थित है। इस मकबरे में आश्चर्यजनक मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती हैं। यह स्थान हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए सामान रूप से पावन स्थान माना गया हैं। जय विलास महल की यात्रा पर आने वाले पर्यटक मोहम्मद गौस के मकबरे पर घूमने के लिए भी आते हैं।
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ग्वालियर में रानी लक्ष्मी बाई की समाधी बनी हुई है जोकि ग्वालियर आने वाले पर्यटकों के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल हैं। यहां के आकर्षण में रानी लक्ष्मी बाई की 8 मीटर ऊँची प्रतिमा बनी हुई हैं। यह इतिहास प्रेमियों के लिए एक शानदार स्थान हैं।
ग्वालियर शहर समृद्ध विरासत वाला एक आकर्षित और रोमांचक गतिविधियों से भरा हुआ शहर है जोकि जय विलास जैसे खूबसूरत इमारतो के साथ साथ यहाँ के चिड़ियाँघर के लिए भी बहुत प्रसिद्ध हैं। सन 1922 में शाही परिवार के मधाओ राव सिंधिया द्वारा स्थापित किया गया गांधी चिड़ियाघर यहां का एक खूबसूरत जू हैं। यह स्थान वास्तव में फूल बाग के नाम से भी जाना जाता हैं। इस बाग में कई प्रजातियों के सांभर, चित्तीदार हिरण, काले हिरन, बाइसन, लकड़ बग्घा और सफेद बाघ देखने को मिल जाते है।
जय विलास की यात्रा में पर्यटक ग्वालियर के दर्शनीय स्थलों में शामिल सूर्य मंदिर में जाकर भगवान सूर्य देव के दर्शन का लाभ अवश्य उठाते हैं। सूर्य मंदिर ग्वालियर के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है और साथ ही साथ इस मंदिर में शानदार वास्तुशिल्प है जो आश्चर्यचकित कर देती हैं। सूर्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1988 के दौरान एक प्रसिद्ध उद्योगपति जीडी बिड़ला के द्वारा करबाया गया था। सूर्य मंदिर में आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार वर्ष भर लगी रहती हैं।
ग्वालियर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर पदावली कई प्राचीन मंदिरों से युक्त एक शानदार किला है जोकि जय विलास घूमने जाने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं और पर्यटकों को अपनी खीचता हैं। मंदिरों में जटिल नक्काशीयां देखने को मिलती है और इसके अलावा मंदिर में कामुक नक्काशी भी देखी जा सकती है। इसलिए ग्वालियर के इस स्थान को मिनी खजुराहो के नाम से भी जाना जाता हैं।
जय विलास महल के प्रमुख आकर्षण में शामिल ग्वालियर के प्रसिद्ध किले के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित मान मंदिर पैलेस हैं। मान मंदिर का निर्माण वर्ष 1486 और 1516 के दौरान तोमर शासक मान सिंह तोमर के नेतृत्व में किया गया था। इसी महल में औरंगज़ेब ने अपने भाई मुराद को बंदी बनाया था। महल के दो खुले कोर्ट हैं जिसमे दो स्तरों पर अपार्टमेंट बने हुए हैं। इल्तुतमिश की कुरूर सेना से बचने के लिए कई राजपूत महिलाओं की आत्म-हत्या की कहानी इस महल से जुडी हैं। महल घूमने के लिए आप स्थानीय गाइड को मूल चुका कर अपने साथ कर सकते हैं।
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ग्वालियर शहर को मध्य प्रदेश की पर्यटन राजधानी के नाम से भी जाना जाता है और यही जय विलास पैलेस स्थित हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जय विलास महल की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च महीने का समय सबसे अच्छा माना जाता हैं। पर्यटकों को गर्मी से बचने की सलाह दी जाती हैं। अक्टूबर से मार्च महीने के दौरान यहां का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से 21 डिग्री सेल्सियस तक रहता हैं।
ग्वालियर एक ऐतिहासिक पर्यटक स्थल हैं जहां पर्यटक बहुत अधिक संख्या में आते हैं। पर्यटकों की महमान नवाजी ग्वालियर शहर स्वादिष्ट भोजन सामग्री के साथ करता हैं। मध्य-प्रदेश की प्रसिद्ध भोजन सामग्री के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की भोजन सामग्री भी परोसता हैं। ग्वालियर शुद्ध साकाहारी भोजन के लिए जाना जाता हैं। सुबह नास्ता में यहा के फेमस कचौरी, समोसा, पोहा, जलेबी और बेडई शामिल हैं। इसके अलावा स्वादिष्ट भोजन में कबाब, जलेबी, इमरती, रोगन जोश, भुट्टे की कीस, दाल बाफला, मावा-बाटी और मालपुआ आदि शामिल हैं।
जय विलास पैलेस और इसके प्रमुख पर्यटन स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि अब आप कुछ दिन या कुछ समय यहा और बिताना चाहते है। तो हम आपको बता दें कि यहा लो-बजट से लेकर हाई-बजट तक के कई होटल आपको मिल जाएंगे। आप अपनी सुविधानुसार इन होटल को ले सकते हैं।
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जय विलास पैलेस की यात्रा के लिए पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी भी साधन का चुनाव कर सकते हैं।
जय विलास पैलेस जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं। तो हम आपको बता दें कि ग्वालियर का हवाई अड्डा शहर के केंद्र से 8 किलोमीटर की दूरी पर हैं जोकि देश के प्रमुख शहरो से अच्छी तरह संपर्क में हैं। आप इस हवाई अड्डे से स्थानीय साधन के माध्यम से शहर में घूम सकते हैं।
ग्वालियर शहर रेल मार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। यदि आपने ट्रेन जय विलास महल जाने की योजना बनाई है तो हम आपको बता दें कि आप रेल मार्ग के माध्यम से बहुत आसानी से ग्वालियर शहर पहुंच जाएंगे। ग्वालियर रेलवे स्टेशन से आप यहाँ के स्थानीय साधन की मदद ले सकते है।
यदि आपने जय विलास पैलेस जाने के लिए सडक मार्ग का चुनाव किया हैं तो हम आपको बता दें कि सड़क मार्ग आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता हैं क्योंकि ग्वालियर सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास के सभी नगरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ हैं। ग्वालियर शहर से इंदौर (507 किमी), कानपुर (265 किमी), दिल्ली (366 किमी) और जयपुर (335 किमी) की दूरी पर स्थित हैं।
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इस लेख में आपने जय विलास पैलेस की यात्रा के बारे में जाना है आपको हमारा ये लेख केसा लगा हमे कमेंट्स में बताना ना भूलें।
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